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मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया - Maine jhat se uska land pakad liya
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अरी खाला जान, वह मेरे देवर का दोस्त तनवीर था. मेरे देवर ने मुझे फोन करके बताया था की मेरा दोस्त आपके पास पहुँचने वाला है भाभी ? लेकिन मैं बहुत दूर थी। मैंने उससे कहा था की मुझे पहुँचने में दो घंटे लगेगा। मुझे आने में दो घंटे से ज्यादा लग गया । जानती हो खाला वह यहां क्यों आया था ? वह तो मुझे चोदने आया था और चुदवा लिया तूने ? आया था अपनी भाभी की बुर चोदने और चोद गया भाभी की खाला की बुर ? तूने उसे बताया भी नहीं की मैं अभी आ रही हूँ। तुमने उसे रोका तक नहीं ? उससे कहतीं की थोड़ा इंतज़ार करो तो वह शायद रुक भी जाता। लेकिन तुमने ऐसा कुछ नहीं कहा ? चलो खाला जान चुदवा लिया तूने तो कोई बात नहीं। उसे रोक ही लिया होता तो मैं भी आकर चुदवा लेती ? कितना अच्छा मौक़ा था वह हाथ से चला गया। मैंने उसके लण्ड की बड़ी तारीफ सुनी है। मेरी नन्द भोसड़ी की उससे कई बार चुदवा चुकी है। वह तो उसके लण्ड की दीवानी है। उसी ने कहा था भाभी एक दिन मैं तुझे उसका लण्ड दिलवाऊँगी। इधर मेरे देवर ने भी एक बार मुझे चोदते हुए बोला था की भाभी किसी दिन मेरे दोस्त तनवीर से चुदवा कर देखो ? बड़ा मज़ा आएगा तुम्हे क्योंकि उसका लौड़ा बड़ा मोटा है। खाला, तूने मेरा सारा प्लान चौपट कर दिया।
खाला ने कहा :- देख बेटी माहिरा, पहली बात तो यह की मुझे क्या मालूम की तू कब तक आएगी ? तूने फोन करके बताया भी नहीं मुझे ? अगर बता दिया होता तो मैं न चुदवाती ? हां यह बात जरूर है की वह तुमसे मिलनेआया था। मैंने जब पूंछा की काम बताओ बेटा तो पहले वह शर्माता रहा, झिझकता रहा लेकिन जब मैंने जोर देकर पूंछा तो बोला की आंटी मैं भाभी की लेने आया हूँ। मैंने फिर पूँछा की क्या लेने आये हो अपनी भाभी की ? वह फिर भी साफ़ साफ़ नहीं बोला और सिर झुकाये बैठा रहा। मैंने फिर पूंछा बेटा बता दो शर्माने की कोई बात नहीं ? मैं माहिरा से सब तरह की बातें खुल कर करती हूँ। वह भी मुझसे खुल कर बातें करती है। वह मेरी बेटी की तरह नहीं बल्कि मेरी दोस्त की तरह है बेटा ? अब बताओ किस काम से आये हो तुम ? तब वह बोला आंटी मैं उसकी लेने आया हूँ। मैंने तपाक से कहा क्या उसकी बुर लेने आये हो ? वह बोला आंटी सही कहा आपने, मैं वही लेने आया हूँ ।
तब मैंने कहा बेटा अब तेरी भाभी तो हैं नहीं हां तुम भाभी की खाला की बुर ले सकते हो ? ऐसा कह कर मैंने उसके लण्ड पर हाथ रख दिया तो लण्ड खड़ा हो गया। मैंने अपने बूब्स खोल दिया तो वह मस्त होने लगा। मैंने उसका लौड़ा खोल कर देखा तो मेरी चूत धधक उठी बस मैंने चुदवा लिया। जाते समय मैंने उससे रूकने के लिए कहा पर वह बोला नहीं आंटी मुझे अभी जाना है लेकिन मैं कल आऊंगा भाभी की बुर लेने ? अब तू बेटी माहिरा ज्यादा परेशान न हो कल चुदवा लेना उससे जितना तेरा मन हो ? जहाँ तक उसके लण्ड का सवाल है वह तो वाकई बड़ा शानदार है ज्यादा बताऊंगी तो तेरा मज़ा किरकिरा हो जाएगा। एक बात जरूर है की तेरी चूत के छक्के छूट जायेगें बेटी ? रात भर इंतज़ार कर और कल पेल लेना उसका लण्ड अपनी बुर में ?
दूसरे दिन शाम को तनवीर आ गया तो खाला ने कहा माहिरा जा देख तेरा चाहने वाला आया है। खाला ने तंज कसा जल्दी से खोल कर लण्ड अपनी बुर में घुसा ले नहीं तो कोई और घुसा लेगी। मैंने कहा अरेऔर कौन है यहाँ है जो घुसा लेगी ? तू ही अकेली है और तू तो पहले ही घुसा चुकी है उसका लन्ड ? खाला ने कहा हां हां तू चिंता न कर माहिरा मैं उसके बदले में किसी दिन तेरी बुर में कोई नया लन्ड पेल दूँगी। खैर मैं कमरे में गयी तो वह मुझे मिला बोला भाभी कल आप नहीं थीं। मैंने कहा भोसड़ी के कल मैं नहीं थी तभी तो तूने मेरी खाला की बुर ले ली ? वह तपाक से बोला अरे भाभी आप होतीं तो भी मैं तेरी खाला की बुर ले लेता। इतनी बढ़िया बुर भला कौन छोड़ सकता है। अगर आज मुझे दिखाई पड़े तो फिर पेल दूँ उसकी बुर में लण्ड भाभी ? मैंने कहा अच्छा पहले मेरी बुर ले लो फिर मैं खाला की भी बुर दे दूँगी तुझे। ऐसा कह कर मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया। मैं तो लण्ड पकड़ कर हैरान हो गयी। लण्ड साला मेरी एक मुठ्ठी में आ नहीं रहा था। मैं दोनों हाथों से उसे हिलाने लगी। मैंने कह यार मेरा देवर सही कहता था। इसका लौड़ा तो मेरे देवर के लौड़े से मोटा भी और बड़ा भी। मैंने पूंछा तनवीर मेरे देवर ने तेरा लण्ड देखा है क्या ? वह बोला हां भाभी देखा है। मैंने पूंछा कब और कैसे देखा तेरा लौड़ा उसने ? उसने बताया अरे भाभी वह मेरे सामने मेरी बीवी चोदता है। मेरी बीवी को उसका लण्ड पसदं है।
मैंने कहा अरे यार तेरा लण्ड उसके लन्ड से बड़ा है, तनवीर।
वह बोला अरे भाभी बीवियों को पराये मरद का लण्ड ज्यादा अच्छा लगता है। अपने मरद का लण्ड चाहे जितनाअच्छा हो, मोटा हो, बड़ा हो उसकी कोई वकत नहीं।
मैंने कहा अच्छा यह बताओ मेरे देवर की शादी तो हुई नहीं। उसकी बीवी तो तुम चोद नहीं सकते ? तो फिर क्यों अपनी बीवी उससे चुदवाते हो ?
वह बोला माहिरा भाभी उसने वादा किया है की जब मेरी शादी होगी तो तुम मेरी बीवी चोदना। तब तक तुम मेरी भाभी की बुर, मेरी खाला की बुर और मेरी फूफी की बेटी की बुर लेते रहो।
अच्छा इसीलिए तुम मेरी खाला सास की बुर चोदते हो, फुफिया सास की बेटी बुर चोदते हो और आज मेरी बुर चोदने जा रहे हो।
ऐसा कह कर मैंने लण्ड अपनी चूत पर टिका लिया। उसने धक्का मारा और लण्ड गप्प से अंदर। मेरे मुंह से निकला उफ़ कितना मोटा है लण्ड तेरा यार ? फाड़ डालोगे क्या मेरी बुर ? मैं मस्ती से देवर का लण्ड याद कर कर के चुदवाने लगी। आज मुझे एकअलग तरह का मज़ा मिल रहा था। मैं सोंचने लगी की जिस तरह का लण्ड सबका अलग अलग होता है वैसे ही शायद सबके लण्ड से चुदाने का मज़ा भी अलग होता है। क्योंकि मैं जिससे चुदवाती हूँ उसमे कुछ अलग तरह मज़ा मिलता है। अगर ऐसा है तो मैं अधिक स अधिक लोगों से चुदवाना चाहूंगी। मैंने मन में यह बात रख ली. मैं अपनी गांड से भी जोर लगा कर चुदाई में पूरा सहयोग कर रही थी। ताकि उसे भी मज़ा मिल और मुझे भी। अभी तक मैंने जितने लण्ड पेलें हैं अपनी चूत में उनमे सबसे बढ़िया लण्ड तो तनवीर का ही है। मेरी खाला सही कह रही थी की माहिरा तेरी चूत के छक्के छूट जायेगें। वाकई मेरी चूत बस बोलने ही वाली है।
मैंने पूंछा :- तुम तो अपने मोहल्ले की लड़कियां भी चोदते होंगे।
वह बोला :- हां भाभी खूब चोदता हूँ। यह मेरे लन्ड का कमाल है। लड़कियां खुद मेरे लण्ड के पीछे पड़ी रहती है और मुझे घर ले जाकर चुदवाती हैं। कुछ तो मेरा लण्ड अपनी माँ की चूत में भी पेल देती हैं। उन्हें अपनी माँ बहन चुदवाने में शर्म कोई नहीं आती।
मैंने कहा :- यार तनवीर औरत तभी तक शर्माती है जब तक वह खुलती नहीं है। और एक बार जब खुल जाती है तो वह कितनी बेशर्म हो जाएगी इसकी कोई हद नहीं होती ? कितनी बेशरम हो जाएगी इसकी कोई कल्पना भी नहीं की जा सकती ?
तब तक वह बोला भाभी अब मैं निकलने वाला हूँ। मैं भी तब तक खलास हो चुकी थी। मैंने चूत से जैसे ही लन्ड निकाला, वैसे वह उगलने लगा वीर्य और मैं सब पा गयी, चाट गयी।
एक दिन अचानक मेरा फोन बजने लगा। मैं उस समय शॉपिंग के लिए मॉल जा रही थी। फोन मेरी दोस्त फरहा का था .
- वह बोली अरे यार माहिरा तू अभी मेरे घर आ सकती है ?
- मैंने कहा हां आ तो सकती हूँ पर काम बता न ? कोई ख़ास बात है क्या ?
- हां ख़ास बात ही है पर कोई सीरियस नहीं है। तू बस जल्दी से आ जा।
- ठीक है मैं आती हूँ
बस मैं आधे घंटे के उसके घर पहुँच गयी। उसने दरवाजा खोलाऔर मुझे सीधे अंदर कमरे में ले गयी। मैंने देखा की वहाँ दो मस्त जवान लड़के बैठे हैं। फरहा बोली यार देखो यह है पिंटू और यह केलू दोनों क्रिश्चियन हैं और मेरी फूफी के दोस्त हैं। मेरी फूफी मेरी ही उमर की हैं। उसने इन दोनों को आज बुलाया था लेकिन वह किसी जरुरी काम से बाहर चली गयी। मैंने इन दोनों से पूंछा की मेरी फूफी ने तुम लोगों को किसलिए बुलाया ? तो ये लोग बता नहीं रहे थे। वैसे ये दोनों बुर्का पहन कर आये थे। मुझे शक तभी हो गया था। मैंने जब जोर देकर पूंछा तो इन्होने बताया की हम लोग आप की फूफी चोदने आये थे। उसने कहा था की आज मौक़ा है तुम लोग चुपचाप बुर्का पहन कर चल आओ और मुझे चोद कर चले जाना ? तो हम आ गए। अब मालूम हुआ की वह यहाँ नहीं है तो हम वापस जाते हैं। मैंने कहा वापस क्यों जाते हो। फूफी नहीं तो क्या हुआ मैं तो हूँ। मैं क्या फूफी से कम हूँ। मुझे चोदो। मुझे चोद कर जाओ। मैं चुदवा लूंगी। यकीन करो की मैं फूफी से अच्छा चुदवाऊँगी। फिर वह बोला हम लोग तो दो हैं। मैंने कहा अच्छा रुको मैं भी दो हो जाती हूँ। मैं अभी अपनी सहेली को बुला लती हूँ। इसलिए मैंने तुम्हे बुला लिया माहिरा।
मैं तो यह बात सुनकर बहुत खुश हुई, उन दोनों से मिलकर तो और खुश हुई। फरहा इतने में उठी और अपने कपड़े खोलने लगी। उसने जैसे ही अपनी ब्रा खोली तो उसकी बड़ी बड़ी मस्त चूंचियां नंगी हो गईं। वो दोनों अपलक चूंचियां देखने लगे। उसके बाद फरहा ने अपनी सलवार भी उतार ही। उसके नीचे एक छोटी से पैन्टी थी। वह घूम घूम कर अपने चूतड़ दिखाने लगी और फिर धीरे से अपनी पैंटी भी खोल दी उसकी छोटी छोटी झांटों वाली चूत भी नंगी हो गयी। फरहा सबके आगे नंगी खड़ी हो गयी। उसने जिस तरह से पकड़े उतारे उससे यह मालूम हो रहा था की वह कितनी बेशर्म है ? वह पहले भी कई मर्दों के आगे नंगी हो चुकी होगी। मैंने पूंछा तो वह बोली अरे यार माहिरा मैं रोज़ रात को सारे मर्दों के आगे नंगी ही घूमती हूँ। जिसका मन होता है मैं उसका लन्ड पेल लेती हूँ। और जिसका मन होता है वही पेल देता है अपना लण्ड मेरी चूत में और मुझे चोद लेता है।
वह आगे बढ़ी और मेरे भी कपड़े उतारने लगी। मैंने ऐतराज़ नहीं किया और एक मिनट में मैं भी बहन चोद नंगी हो गयी। हम दोनों लड़कियों को नंगी देख कर उनके लन्ड आप से बाहर होने लगे। तब फरहा पिंटू को नंगा करने गई और मैं केलू को। केलू भोसड़ी का मेरी चूंची दबा दबा कर कपड़े उतरवाने लगा। यही हाल पिंटू का भी था। वह फरहा के बूब्स चूमने लगा और उन्हें मसलने लगा। थोड़ी ही देर में केलू का लण्ड मेरे हाथ में आ गया। मैं पहली बार कोई uncut लन्ड देख रही थी। मैंने केले की तरह लन्ड छील कर उसका टोपा बाहर निकाला तो जैसे लन्ड में जान आ गयी। वह तन कर मेरे आगे खड़ा हो गया। मैंने लण्ड मुठ्ठी में पकड़ा और ऊपर नीचे करने लगी। मैंने देखा की ऐसे लण्ड को ऊपर नीचे करने में बड़ा मज़ा आता है। हाथ नीचे जाता है तो टोपा पूरा खुल जाता है और हाथ ऊपर जाता है तो काफी हद तक छुप जाता है। टोपा का इस तरह लुका छिपी का खेल देख कर मुझे बड़ा मज़ा आया।
तब तक फरहा भी पिंटू का लन्ड हिला हिला कर चूमने चाटने लगी। तब तक मेरी चूत अच्छी तरह गीली हो चुकी थी। केलू ने अपना लन्ड उसमे रख दिया और मैं भी तैयार हो गयी लण्ड पेलवाने के लिए। उसने गचाक से लन्ड घुसेड़ा चूत में और चोदने लगा। उसका लन्ड जैसे ही घुसा तो मुझे महसूस हुआ की हां कोई मोटा तगड़ा लौड़ा है। मेरी चूत को मज़ा आने लगा। उधर मैंने देखा की फरहा भी पिंटू का लण्ड पूरा अपनी बुर में घुसेड़ लिया है। वह ही मेरी तरह दनादन्न चुदवाने लगी है। हम दोनों एक दूसरे को देख देख कर मस्ती से चुदाई का मज़ा लूटने लगी। वह बोली माहिरा आज मुझे मालूम हो रहा है की मेरी फूफी बुर चोदी कितना मज़ा लेती होगी इन लोगों से चुदवा कर ? वह कितनी बड़ी चुदक्कड़ है आज मुझे अच्छी तरह मालूम हो गया। मैंने कहा यार जो औरत जितनी ऊपर से सरीफ दिखाई पड़ती है वह ससुरी उतनी ही ज्यादा अंदर से हरामजादी होती है। मैं भी तेरी फूफी को बड़ी भोली भाली समझते थी।
फरहा ने कहा हां यार वह भोसड़ी की बड़ी चालू चीज निकली। हम दोनों थोड़ी देर में पीछे से चुदवाने लगीं। थोड़ी देर में मुझे एहसास हुआ की मेरी चूत मे घुसा हुआ लण्ड कुछ बदला बदला सा लग रहा है। और उसके चोदने की स्टाइल भी बदली हुई लग रही है। मैं इधर उधर देखने लगी। तब मुझे मालूम हुआ की मेरी चूत में केलू का लण्ड नहीं बल्कि पिंटू का लन्ड घुसा हुआ है। मैंने फरहा की तरफ देखा। तब पता चला की केलू तो फरहा की बुर चोद रहा है। फरहा बोली अरे भोसड़ी वालों तुम दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल ली और हमें बताया भी नहीं। तुम इसी तरह मेरी फूफी की भी बुर चोदते होंगे ? केलू बोला हां फरहा हम दोनों इसी तरह जगह अदल बदल कर तेरी फूफी की बुर लेते हैं और उसे भी खूब मज़ा आता है।
मैं जब फरहा के घर से चुदवा कर अपने घर आई तो बाहर के दरवाजे का ताला खोल कर अंदर घुस गयी। अंदर खाला की आवाज़ सुनाई पड़ी तो मैं सीधे उसके कमरे में घुस गयी।
वह मुझे देख कर बोली हाय माहिरा तू इतनी देर से कहाँ थी ?
मैंने कहा मैं किसी काम से गयी थी।
काम से गयी थी की अपनी माँ चुदाने गयी थी तू ?
मैंने भी मजाक में कहा चुदाना तो चाहती थी माँ पर कोई चोदने वाला नहीं मिला ?
अच्छा तो ले देख ये है चोदने वाला ( ऐसा कह कर खाला ने अपने बगल में लेटे एक आदमी के ऊपर से चादर हटा दी. वह साला एकदम नंगा लेटा था और खड़ा था उसका लन्ड ? मैं लन्ड देख कर दंग रह गयी। इतना जबरदस्त लण्ड ? बाप रे पकडूंगी तो मज़ा आ जायेगा )
खाला बोली ले भोसड़ी की माहिरा लन्ड पकड़ कर देख न पहले।
मैं वाकई लौड़ा पकड़ कर देखेने लगी। तब तक खाला ने मेरे कपड़े उतार दिया। मैं भी नंगी हो गयी। खाला तो नंगी ही बैठी थी। मैं लौड़ा चूसने लगी और खाला मेरी चूत चाटने लगी और खाला की चूत वह आदमी चाटने लगा।
अरी खाला जान, वह मेरे देवर का दोस्त तनवीर था. मेरे देवर ने मुझे फोन करके बताया था की मेरा दोस्त आपके पास पहुँचने वाला है भाभी ? लेकिन मैं बहुत दूर थी। मैंने उससे कहा था की मुझे पहुँचने में दो घंटे लगेगा। मुझे आने में दो घंटे से ज्यादा लग गया । जानती हो खाला वह यहां क्यों आया था ? वह तो मुझे चोदने आया था और चुदवा लिया तूने ? आया था अपनी भाभी की बुर चोदने और चोद गया भाभी की खाला की बुर ? तूने उसे बताया भी नहीं की मैं अभी आ रही हूँ। तुमने उसे रोका तक नहीं ? उससे कहतीं की थोड़ा इंतज़ार करो तो वह शायद रुक भी जाता। लेकिन तुमने ऐसा कुछ नहीं कहा ? चलो खाला जान चुदवा लिया तूने तो कोई बात नहीं। उसे रोक ही लिया होता तो मैं भी आकर चुदवा लेती ? कितना अच्छा मौक़ा था वह हाथ से चला गया। मैंने उसके लण्ड की बड़ी तारीफ सुनी है। मेरी नन्द भोसड़ी की उससे कई बार चुदवा चुकी है। वह तो उसके लण्ड की दीवानी है। उसी ने कहा था भाभी एक दिन मैं तुझे उसका लण्ड दिलवाऊँगी। इधर मेरे देवर ने भी एक बार मुझे चोदते हुए बोला था की भाभी किसी दिन मेरे दोस्त तनवीर से चुदवा कर देखो ? बड़ा मज़ा आएगा तुम्हे क्योंकि उसका लौड़ा बड़ा मोटा है। खाला, तूने मेरा सारा प्लान चौपट कर दिया।
खाला ने कहा :- देख बेटी माहिरा, पहली बात तो यह की मुझे क्या मालूम की तू कब तक आएगी ? तूने फोन करके बताया भी नहीं मुझे ? अगर बता दिया होता तो मैं न चुदवाती ? हां यह बात जरूर है की वह तुमसे मिलनेआया था। मैंने जब पूंछा की काम बताओ बेटा तो पहले वह शर्माता रहा, झिझकता रहा लेकिन जब मैंने जोर देकर पूंछा तो बोला की आंटी मैं भाभी की लेने आया हूँ। मैंने फिर पूँछा की क्या लेने आये हो अपनी भाभी की ? वह फिर भी साफ़ साफ़ नहीं बोला और सिर झुकाये बैठा रहा। मैंने फिर पूंछा बेटा बता दो शर्माने की कोई बात नहीं ? मैं माहिरा से सब तरह की बातें खुल कर करती हूँ। वह भी मुझसे खुल कर बातें करती है। वह मेरी बेटी की तरह नहीं बल्कि मेरी दोस्त की तरह है बेटा ? अब बताओ किस काम से आये हो तुम ? तब वह बोला आंटी मैं उसकी लेने आया हूँ। मैंने तपाक से कहा क्या उसकी बुर लेने आये हो ? वह बोला आंटी सही कहा आपने, मैं वही लेने आया हूँ ।
तब मैंने कहा बेटा अब तेरी भाभी तो हैं नहीं हां तुम भाभी की खाला की बुर ले सकते हो ? ऐसा कह कर मैंने उसके लण्ड पर हाथ रख दिया तो लण्ड खड़ा हो गया। मैंने अपने बूब्स खोल दिया तो वह मस्त होने लगा। मैंने उसका लौड़ा खोल कर देखा तो मेरी चूत धधक उठी बस मैंने चुदवा लिया। जाते समय मैंने उससे रूकने के लिए कहा पर वह बोला नहीं आंटी मुझे अभी जाना है लेकिन मैं कल आऊंगा भाभी की बुर लेने ? अब तू बेटी माहिरा ज्यादा परेशान न हो कल चुदवा लेना उससे जितना तेरा मन हो ? जहाँ तक उसके लण्ड का सवाल है वह तो वाकई बड़ा शानदार है ज्यादा बताऊंगी तो तेरा मज़ा किरकिरा हो जाएगा। एक बात जरूर है की तेरी चूत के छक्के छूट जायेगें बेटी ? रात भर इंतज़ार कर और कल पेल लेना उसका लण्ड अपनी बुर में ?
दूसरे दिन शाम को तनवीर आ गया तो खाला ने कहा माहिरा जा देख तेरा चाहने वाला आया है। खाला ने तंज कसा जल्दी से खोल कर लण्ड अपनी बुर में घुसा ले नहीं तो कोई और घुसा लेगी। मैंने कहा अरेऔर कौन है यहाँ है जो घुसा लेगी ? तू ही अकेली है और तू तो पहले ही घुसा चुकी है उसका लन्ड ? खाला ने कहा हां हां तू चिंता न कर माहिरा मैं उसके बदले में किसी दिन तेरी बुर में कोई नया लन्ड पेल दूँगी। खैर मैं कमरे में गयी तो वह मुझे मिला बोला भाभी कल आप नहीं थीं। मैंने कहा भोसड़ी के कल मैं नहीं थी तभी तो तूने मेरी खाला की बुर ले ली ? वह तपाक से बोला अरे भाभी आप होतीं तो भी मैं तेरी खाला की बुर ले लेता। इतनी बढ़िया बुर भला कौन छोड़ सकता है। अगर आज मुझे दिखाई पड़े तो फिर पेल दूँ उसकी बुर में लण्ड भाभी ? मैंने कहा अच्छा पहले मेरी बुर ले लो फिर मैं खाला की भी बुर दे दूँगी तुझे। ऐसा कह कर मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया। मैं तो लण्ड पकड़ कर हैरान हो गयी। लण्ड साला मेरी एक मुठ्ठी में आ नहीं रहा था। मैं दोनों हाथों से उसे हिलाने लगी। मैंने कह यार मेरा देवर सही कहता था। इसका लौड़ा तो मेरे देवर के लौड़े से मोटा भी और बड़ा भी। मैंने पूंछा तनवीर मेरे देवर ने तेरा लण्ड देखा है क्या ? वह बोला हां भाभी देखा है। मैंने पूंछा कब और कैसे देखा तेरा लौड़ा उसने ? उसने बताया अरे भाभी वह मेरे सामने मेरी बीवी चोदता है। मेरी बीवी को उसका लण्ड पसदं है।
मैंने कहा अरे यार तेरा लण्ड उसके लन्ड से बड़ा है, तनवीर।
वह बोला अरे भाभी बीवियों को पराये मरद का लण्ड ज्यादा अच्छा लगता है। अपने मरद का लण्ड चाहे जितनाअच्छा हो, मोटा हो, बड़ा हो उसकी कोई वकत नहीं।
मैंने कहा अच्छा यह बताओ मेरे देवर की शादी तो हुई नहीं। उसकी बीवी तो तुम चोद नहीं सकते ? तो फिर क्यों अपनी बीवी उससे चुदवाते हो ?
वह बोला माहिरा भाभी उसने वादा किया है की जब मेरी शादी होगी तो तुम मेरी बीवी चोदना। तब तक तुम मेरी भाभी की बुर, मेरी खाला की बुर और मेरी फूफी की बेटी की बुर लेते रहो।
अच्छा इसीलिए तुम मेरी खाला सास की बुर चोदते हो, फुफिया सास की बेटी बुर चोदते हो और आज मेरी बुर चोदने जा रहे हो।
ऐसा कह कर मैंने लण्ड अपनी चूत पर टिका लिया। उसने धक्का मारा और लण्ड गप्प से अंदर। मेरे मुंह से निकला उफ़ कितना मोटा है लण्ड तेरा यार ? फाड़ डालोगे क्या मेरी बुर ? मैं मस्ती से देवर का लण्ड याद कर कर के चुदवाने लगी। आज मुझे एकअलग तरह का मज़ा मिल रहा था। मैं सोंचने लगी की जिस तरह का लण्ड सबका अलग अलग होता है वैसे ही शायद सबके लण्ड से चुदाने का मज़ा भी अलग होता है। क्योंकि मैं जिससे चुदवाती हूँ उसमे कुछ अलग तरह मज़ा मिलता है। अगर ऐसा है तो मैं अधिक स अधिक लोगों से चुदवाना चाहूंगी। मैंने मन में यह बात रख ली. मैं अपनी गांड से भी जोर लगा कर चुदाई में पूरा सहयोग कर रही थी। ताकि उसे भी मज़ा मिल और मुझे भी। अभी तक मैंने जितने लण्ड पेलें हैं अपनी चूत में उनमे सबसे बढ़िया लण्ड तो तनवीर का ही है। मेरी खाला सही कह रही थी की माहिरा तेरी चूत के छक्के छूट जायेगें। वाकई मेरी चूत बस बोलने ही वाली है।
मैंने पूंछा :- तुम तो अपने मोहल्ले की लड़कियां भी चोदते होंगे।
वह बोला :- हां भाभी खूब चोदता हूँ। यह मेरे लन्ड का कमाल है। लड़कियां खुद मेरे लण्ड के पीछे पड़ी रहती है और मुझे घर ले जाकर चुदवाती हैं। कुछ तो मेरा लण्ड अपनी माँ की चूत में भी पेल देती हैं। उन्हें अपनी माँ बहन चुदवाने में शर्म कोई नहीं आती।
मैंने कहा :- यार तनवीर औरत तभी तक शर्माती है जब तक वह खुलती नहीं है। और एक बार जब खुल जाती है तो वह कितनी बेशर्म हो जाएगी इसकी कोई हद नहीं होती ? कितनी बेशरम हो जाएगी इसकी कोई कल्पना भी नहीं की जा सकती ?
तब तक वह बोला भाभी अब मैं निकलने वाला हूँ। मैं भी तब तक खलास हो चुकी थी। मैंने चूत से जैसे ही लन्ड निकाला, वैसे वह उगलने लगा वीर्य और मैं सब पा गयी, चाट गयी।
एक दिन अचानक मेरा फोन बजने लगा। मैं उस समय शॉपिंग के लिए मॉल जा रही थी। फोन मेरी दोस्त फरहा का था .
- वह बोली अरे यार माहिरा तू अभी मेरे घर आ सकती है ?
- मैंने कहा हां आ तो सकती हूँ पर काम बता न ? कोई ख़ास बात है क्या ?
- हां ख़ास बात ही है पर कोई सीरियस नहीं है। तू बस जल्दी से आ जा।
- ठीक है मैं आती हूँ
बस मैं आधे घंटे के उसके घर पहुँच गयी। उसने दरवाजा खोलाऔर मुझे सीधे अंदर कमरे में ले गयी। मैंने देखा की वहाँ दो मस्त जवान लड़के बैठे हैं। फरहा बोली यार देखो यह है पिंटू और यह केलू दोनों क्रिश्चियन हैं और मेरी फूफी के दोस्त हैं। मेरी फूफी मेरी ही उमर की हैं। उसने इन दोनों को आज बुलाया था लेकिन वह किसी जरुरी काम से बाहर चली गयी। मैंने इन दोनों से पूंछा की मेरी फूफी ने तुम लोगों को किसलिए बुलाया ? तो ये लोग बता नहीं रहे थे। वैसे ये दोनों बुर्का पहन कर आये थे। मुझे शक तभी हो गया था। मैंने जब जोर देकर पूंछा तो इन्होने बताया की हम लोग आप की फूफी चोदने आये थे। उसने कहा था की आज मौक़ा है तुम लोग चुपचाप बुर्का पहन कर चल आओ और मुझे चोद कर चले जाना ? तो हम आ गए। अब मालूम हुआ की वह यहाँ नहीं है तो हम वापस जाते हैं। मैंने कहा वापस क्यों जाते हो। फूफी नहीं तो क्या हुआ मैं तो हूँ। मैं क्या फूफी से कम हूँ। मुझे चोदो। मुझे चोद कर जाओ। मैं चुदवा लूंगी। यकीन करो की मैं फूफी से अच्छा चुदवाऊँगी। फिर वह बोला हम लोग तो दो हैं। मैंने कहा अच्छा रुको मैं भी दो हो जाती हूँ। मैं अभी अपनी सहेली को बुला लती हूँ। इसलिए मैंने तुम्हे बुला लिया माहिरा।
मैं तो यह बात सुनकर बहुत खुश हुई, उन दोनों से मिलकर तो और खुश हुई। फरहा इतने में उठी और अपने कपड़े खोलने लगी। उसने जैसे ही अपनी ब्रा खोली तो उसकी बड़ी बड़ी मस्त चूंचियां नंगी हो गईं। वो दोनों अपलक चूंचियां देखने लगे। उसके बाद फरहा ने अपनी सलवार भी उतार ही। उसके नीचे एक छोटी से पैन्टी थी। वह घूम घूम कर अपने चूतड़ दिखाने लगी और फिर धीरे से अपनी पैंटी भी खोल दी उसकी छोटी छोटी झांटों वाली चूत भी नंगी हो गयी। फरहा सबके आगे नंगी खड़ी हो गयी। उसने जिस तरह से पकड़े उतारे उससे यह मालूम हो रहा था की वह कितनी बेशर्म है ? वह पहले भी कई मर्दों के आगे नंगी हो चुकी होगी। मैंने पूंछा तो वह बोली अरे यार माहिरा मैं रोज़ रात को सारे मर्दों के आगे नंगी ही घूमती हूँ। जिसका मन होता है मैं उसका लन्ड पेल लेती हूँ। और जिसका मन होता है वही पेल देता है अपना लण्ड मेरी चूत में और मुझे चोद लेता है।
वह आगे बढ़ी और मेरे भी कपड़े उतारने लगी। मैंने ऐतराज़ नहीं किया और एक मिनट में मैं भी बहन चोद नंगी हो गयी। हम दोनों लड़कियों को नंगी देख कर उनके लन्ड आप से बाहर होने लगे। तब फरहा पिंटू को नंगा करने गई और मैं केलू को। केलू भोसड़ी का मेरी चूंची दबा दबा कर कपड़े उतरवाने लगा। यही हाल पिंटू का भी था। वह फरहा के बूब्स चूमने लगा और उन्हें मसलने लगा। थोड़ी ही देर में केलू का लण्ड मेरे हाथ में आ गया। मैं पहली बार कोई uncut लन्ड देख रही थी। मैंने केले की तरह लन्ड छील कर उसका टोपा बाहर निकाला तो जैसे लन्ड में जान आ गयी। वह तन कर मेरे आगे खड़ा हो गया। मैंने लण्ड मुठ्ठी में पकड़ा और ऊपर नीचे करने लगी। मैंने देखा की ऐसे लण्ड को ऊपर नीचे करने में बड़ा मज़ा आता है। हाथ नीचे जाता है तो टोपा पूरा खुल जाता है और हाथ ऊपर जाता है तो काफी हद तक छुप जाता है। टोपा का इस तरह लुका छिपी का खेल देख कर मुझे बड़ा मज़ा आया।
तब तक फरहा भी पिंटू का लन्ड हिला हिला कर चूमने चाटने लगी। तब तक मेरी चूत अच्छी तरह गीली हो चुकी थी। केलू ने अपना लन्ड उसमे रख दिया और मैं भी तैयार हो गयी लण्ड पेलवाने के लिए। उसने गचाक से लन्ड घुसेड़ा चूत में और चोदने लगा। उसका लन्ड जैसे ही घुसा तो मुझे महसूस हुआ की हां कोई मोटा तगड़ा लौड़ा है। मेरी चूत को मज़ा आने लगा। उधर मैंने देखा की फरहा भी पिंटू का लण्ड पूरा अपनी बुर में घुसेड़ लिया है। वह ही मेरी तरह दनादन्न चुदवाने लगी है। हम दोनों एक दूसरे को देख देख कर मस्ती से चुदाई का मज़ा लूटने लगी। वह बोली माहिरा आज मुझे मालूम हो रहा है की मेरी फूफी बुर चोदी कितना मज़ा लेती होगी इन लोगों से चुदवा कर ? वह कितनी बड़ी चुदक्कड़ है आज मुझे अच्छी तरह मालूम हो गया। मैंने कहा यार जो औरत जितनी ऊपर से सरीफ दिखाई पड़ती है वह ससुरी उतनी ही ज्यादा अंदर से हरामजादी होती है। मैं भी तेरी फूफी को बड़ी भोली भाली समझते थी।
फरहा ने कहा हां यार वह भोसड़ी की बड़ी चालू चीज निकली। हम दोनों थोड़ी देर में पीछे से चुदवाने लगीं। थोड़ी देर में मुझे एहसास हुआ की मेरी चूत मे घुसा हुआ लण्ड कुछ बदला बदला सा लग रहा है। और उसके चोदने की स्टाइल भी बदली हुई लग रही है। मैं इधर उधर देखने लगी। तब मुझे मालूम हुआ की मेरी चूत में केलू का लण्ड नहीं बल्कि पिंटू का लन्ड घुसा हुआ है। मैंने फरहा की तरफ देखा। तब पता चला की केलू तो फरहा की बुर चोद रहा है। फरहा बोली अरे भोसड़ी वालों तुम दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल ली और हमें बताया भी नहीं। तुम इसी तरह मेरी फूफी की भी बुर चोदते होंगे ? केलू बोला हां फरहा हम दोनों इसी तरह जगह अदल बदल कर तेरी फूफी की बुर लेते हैं और उसे भी खूब मज़ा आता है।
मैं जब फरहा के घर से चुदवा कर अपने घर आई तो बाहर के दरवाजे का ताला खोल कर अंदर घुस गयी। अंदर खाला की आवाज़ सुनाई पड़ी तो मैं सीधे उसके कमरे में घुस गयी।
वह मुझे देख कर बोली हाय माहिरा तू इतनी देर से कहाँ थी ?
मैंने कहा मैं किसी काम से गयी थी।
काम से गयी थी की अपनी माँ चुदाने गयी थी तू ?
मैंने भी मजाक में कहा चुदाना तो चाहती थी माँ पर कोई चोदने वाला नहीं मिला ?
अच्छा तो ले देख ये है चोदने वाला ( ऐसा कह कर खाला ने अपने बगल में लेटे एक आदमी के ऊपर से चादर हटा दी. वह साला एकदम नंगा लेटा था और खड़ा था उसका लन्ड ? मैं लन्ड देख कर दंग रह गयी। इतना जबरदस्त लण्ड ? बाप रे पकडूंगी तो मज़ा आ जायेगा )
खाला बोली ले भोसड़ी की माहिरा लन्ड पकड़ कर देख न पहले।
मैं वाकई लौड़ा पकड़ कर देखेने लगी। तब तक खाला ने मेरे कपड़े उतार दिया। मैं भी नंगी हो गयी। खाला तो नंगी ही बैठी थी। मैं लौड़ा चूसने लगी और खाला मेरी चूत चाटने लगी और खाला की चूत वह आदमी चाटने लगा।
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