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चुदाई की कहानियां - हिंदी में पढ़ें सेक्सी स्टोरी - Chudai ki kahaniyan - Hindi mein padho
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वह इतवार का दिन था जब मैं अपने कमरे में चुपचाप "चुदाई" की कहानियां पढ़ रही थी। मेरा एक हाथ चूँचियों पर था और दूसरा हाथ चूत पर। कहानियां इतनी गरम थीं की मेरे पकड़े कब खुल गए मुझे पता ही नहीं चला। मैं मन ही मन कह रही थी की ये मादर चोद कहानी लिखने वाला साला कितना हरामी होगा जो इतनी गन्दी गन्दी, अश्लील अश्लील और भद्दी भद्दी भाषा में काहानियाँ लिखता है। हां एक बात जरूर है की कहानियां बड़ी सेक्सी और हॉट हैं। इन्हें पढ़ने में बहुत मज़ा आता है। एक बार शुरू करो तो फिर उठने का मन ही नहीं करता ? आँखों के आगे बहन चोद लन्ड की लन्ड नज़र आतें हैं। इच्छा यही होती है की कोई मेरे सामने लन्ड खोले हुए खड़ा हो जाये और मैं लपक कर लन्ड मुंह में घुसेड़ लूँ। रात का समय था। रात में कहानियां बहन चोद ज्यादा गरम हो जातीं हैं। पढने वालों की ऐसा की तैसी हो जाती है।
अचानक मेरी अम्मी ने आवाज़ लगायी अरी वो तमन्ना कहाँ है तू माँ की लौड़ी ? यहाँ आ न मेरे पास। मैं अपने कमरे में बैठी हूँ। जल्दी आ भोसड़ी वाली यहाँ ? आप परेशान न हो दोस्तों, अम्मी मुझसे गालियों से ही बात करतीं हैं। मैं भी कम नहीं हूँ और फिर मेरे दिमाग में तो कहानियों का ख़ुमार सवार था मैंने भी कह दिया हां हां आ रही हूँ, गांड में इतना दम क्यों कर रही हो,अम्मी ?
मैंने अपना लैपटॉप बंद किया और उसके पास जाने लगी। मैं जैसे ही उसके कमरे में घुसी तो देखा वह अपनी बड़ी बड़ी चूंचियां खोले हुए एक सोफा पर बैठीं हैं। उसके दोनों तरफ दो लड़के नंगे नंगे बैठे हैं। अम्मी ने एक लन्ड दाहिने हाथ में लिया है और दूसरा लन्ड बाएं हाथ में लिया हुआ है। लन्ड दोनों साले फुफकार रहें हैं। घोड़ों की तरह हिनहिना रहे हैं लन्ड। दोनों की झांटें बनी हुई हैं। पेल्हड़ भी चिकने हैं। लन्ड का सुपाड़ा चमक रहा है। इतने खूबसूरत, सेक्सी और हॉट लन्ड मैं पहली बार देख रही थी। मेरी नज़र तो बहुत देर तक उन दोनों लन्ड पर ही टिकी रही। एक तो मैं कहानी पढ़कर गरम हो चुकी थी दूसरे ये लन्ड देख कर तो मेरी चूत का बाजा बजा जा रहा था। उन दोनों के मुंह पर अम्मी के कपड़ा डाल रखा था। मैं पहचान ही नहीं पा रही थी के ये भोसड़ी वाले हैं कौन ? मैंने ऐसे लन्ड तो कभी देखे नहीं हैं ।
अम्मी ने दोनों लन्ड मुझे दिखाते हुए कहा बेटी तमन्ना बता की ये किसके लन्ड हैं ? ठीक से देख ले इन्हें फिर याद कर के बता इनके नाम ? ले पकड़ के देख ले दोनों लन्ड। वह आगे बोली बेटी तमन्ना असल में मैं "चुदाई" की कहानियां पढ़ रही थी। मेरा भोसड़ा उसी बीच खुल गया। कहानियां इतनी गरम थीं की मेरी चूंचियां भी बहन चोद फुदक कर बाहर आ गयीं। मैं बहुत गरम हो चुकी थी। तब तक ये दोनों आ गए। मेरे ऊपर वासना सवार थी और मैंने उसी जोश में आकर इन दोनों के लन्ड बड़ी बेशर्मी से पकड़ लिया। चूँकि उस समय मैं लन्ड चूसने के लिए तड़प रही थी। मैंने मौके के फायदा उठाया , फिर सोंचा की क्यों न तमन्ना को बुला लूँ ? उसके साथ लन्ड का मज़ा लूटू तो और अच्छा रहेगा। इसलिए मैंने तुम्हे बुला लिया बेटी। अब बताओ न जल्दी से की ये लन्ड हैं किसके ?
मैंने एक लन्ड पकड़ लिया और पहचानने की कोशिश कर रही थी की कौन है ये लड़का ? किसका है ये लन्ड ? फिर दूसरा भी लन्ड पकड़ा पर पहचान नहीं पायी। मैंने कहा अम्मी मैंने ऐसा कोई भी लन्ड पहले कभी नहीं पकड़ा और कभी नहीं देखा। अब तुम ही बताओ की मादर चोद हैं कौन ? तब तक अम्मी ने एक का कपड़ा हटा दिया। मैंने कहा वाओ, तुम शैफ अली तू मेरा देवर यहाँ क्या मेरी माँ चोदने आया है। अरे मैं तेरी भाभी हूँ। तेरे लन्ड पर मेरा हक़ है। तूने मुझे न मेरी ससुराल में अपना लन्ड पकड़ाया और न यहाँ मेरे माईके में ? तेरा दिल साला मेरी माँ पर आ गया। अम्मी बोली अरी तमन्ना शायद तू नहीं जानती तेरा यह देवर दूर के रिस्ते में मेरा बहनोई लगता है। अब मैं अपने बहनोई का लन्ड तो छोड़ नहीं सकती न ?
तब तक शैफ बोला अरे तमन्ना भाभी मैं आपकी शादी के तुरंत बाद दुबई चला गया था। मैं वहां था ही नहीं तो फिर कुछ दिखाने का सवाल ही नहीं था। और आज जब मैं यहाँ तुमसे मिलने आया हूँ तो पहले ये मेरी बड़ी साली नज़र आ गयीं। इसने मुझे न कुछ करने दिया और न कुछ बोलने दिया। सीधे अपना हाथ मेरे लन्ड पर रख दिया और कहा अब मैं तेरे लन्ड का मज़ा लेकर ही छोड़ूंगी। मैं उसकी बातें उसका लन्ड चाट चाट कर सुन रही थी और लन्ड को चारों तरफ से घुमा घुमा कर देख भी रही थी।
थोड़ी में अम्मी ने दूसरे का भी मुंह दिखा दिया। मैं उसे देख कर बोली हाय अम्मी ये तो मेरा नंदोई है यार। इसका नाम समी है. मैं तो इससे एक बार ही मिली थी। उसके बाद यह कहाँ गायब हो गया मुझे पता ही नहीं चला। मैं तो मन से यही सोंच रही थी की अबकी बार जब ससुराल जाऊंगी तो अपने नंदोई का लन्ड जरूर पकड़ूँगी। पर तू भोसड़ी का यहाँ मेरी माँ की बुर लेने आ गया है ? तब तकअम्मी ने कहा नहीं नहीं बेटी ऐसा नहीं है। ये आया नही है बल्कि मैंने इसे बुलाया है। कहानियों ने मेरे मन में तुरंत लन्ड पकड़ने की इच्छा जगा दी तो सबसे पहले मैंने इसे फोन किया। जानती हो क्यों ? क्योंकि ये मेरे गाँव के रिस्ते से मेरा देवर लगता है। मैंने अभी तक इसका लन्ड पकड़ा नहीं था। आज मेरा दिल इसके लन्ड पर आ गया तो मैंने इसे फोन करके बुला लिया। हुआ ये की शैफ अली पहले आ गया और ये बाद में। अब इसका लौड़ा मुझे तो पसंद है बेटी ? तुम बताओ तुम्हे कैसा लग रहा है इसका लन्ड ?
मैंने कहा अम्मी वैसे तो लौड़ा मुझे भी बहुत पसंद आ गया है। अब ये मेरी चूत में जरूर घुसेगा। मैं अब इससे बिना चुदाये रह नहीं सकती। पर ये कैसा इत्तिफाक है की जो मेरा देवर है वही तेरा बहनोई है और जो मेरा नंदोई है वह तेरा देवर है ? वह बोली हम लोगों के बनबे में शादी तो नदीकी रिस्ते में हो जाता है और इसीलिए रिस्ते दरों की संख्या बढ़ती जाती हैं। सब लोग आस पास के रिश्तों के लोग ही होते हैं तो एक एक आदमी और एक एक औरत कई कई रिश्तों में आ जाती है। इसीलिए चोदने और चुदाने का ज़रिया निकल आता है। अब मैं अपने बहनोई से चुदवाऊँगी और तुम भी उससे चुदवाओगी क्योंकि वो तेरा देवर है। तो फिर एक साथ ही क्यों न चुदवा लो। वो मेरी बुर में भी लन्ड पेले और तेरी बुर में भी। इसी तरह मेरा देवर मेरी बुर भी चोदे और तेरी बुर भी चोदे। रिस्ता का रिस्ता और मज़ा का मज़ा ?
इसलिए हमारे कुनबे में माँ बेटी, सास बहू, नन्द भौजाई, देवरानी जेठानी सब साथ मिल कर चुदवाती है और खूब मज़ा लूटती हैं। बस फिर क्या मैं अपने नंदोई समी का लन्ड चूसने लगी और अम्मी अपने बहनोई शैफ अली का लन्ड ? लन्ड साले दोनों मस्त थे और मोटे तगड़े थे। यह कहना मुश्किल था की कौन सा लन्ड छोटा है और कौन सा बड़ा ? मैं लन्ड चूसते चूसते दूसरे हाथ से शैफ अली के पेल्हड़ सहलाने लगी और उधर अम्मी भी दूसरे हाथ से समी के पेल्हड़ सहलाने लगी। वैसे एक बार पहले भी हम दोनों एक ही लन्ड से चुदवा चुकी हैं। वही लन्ड मेरी बुर में भी घुसता था और अम्मी की बुर में भी। इसलिए हम दोनों में कोई फर्क नहीं था। आज तो ज्यादा ही मज़ा आ रहा है। तब तक मेरी चूत भठ्ठी बन चुकी थी। मैंने समी का लन्ड घुसेड़ ही लिया और चुदाना शुरू कर दिया। उधर मेरे आमने अम्मी भी शैफ अली से चुदाने लगीं। हम दोनों आमने आमने थीं. चोदने वालों के मुंह भी आसने सामने थे। वो दोनों मुस्कराकर बड़े मजे से चोद रहे थे।
हमारी मस्ती का ठिकाना न था। इससे ज्यादा आज़ादी से चुदाई और क्या हो सकती है ?
अचानक उन दोनों ने जाने क्या आँखों आँखों में इशारा किया की समी ने लन्ड निकाल कर मम्मी की बुर में घुसा दिया और शैफ अली ने लन्ड अम्मी की बुर से निकाल कर मेरी बुर में घुसेड़ दिया। इस तरह लन्ड की अदला बदली हो गयी तो मज़ा बहन चोद दूना हो गया। अम्मी मस्ती से बोली अरी तमन्ना तू मादर चोद अपनी माँ का भोसड़ा चुदा रही हो ? मैंने भी उसी मस्ती से जबाब दिया हां बिलकुल चुदा रही हूँ क्योंकि मेरी माँ का भोसड़ा साला लन्ड खाने में बड़ा उस्ताद है। और तू भी तो अपनी बेटी की बुर चुदा रही है नुज़हत (मेरी अम्मी) . और सुनो नुज़हत अगर मेरी माँ का भोसड़ा बड़ा मादर चोद है तो तेरी बेटी की बुर भी बड़ी मादर चोद है। हम लोगों की गालियों से लन्ड साले और सख्त हो गए और फिर ज्यादा तेजी से चोदने लगे।
मुझे मज़ा आने लगा और मैं बोलने लगी हाय मेरे राजा खूब चोदो मुझे। बड़ा अच्छा लग रहा है। यार अब तुम यहाँ भी चोदो और वहां मेरी ससुराल में भी चोदो। मुझे भी चोदो मेरी माँ भी चोदो। यार गज़ब के लौड़े हैं तुम लोगों के। वाओ, पूरा घुसेड़ दो लन्ड। उधर अम्मी भी बोली हाय दईया लाउड तो साला मोटा होता जा रहा है। हाय रे चोदने की रफ़्तार और बड़ा दे न ? कितना मस्त लौड़ा है तेरा। हाय अल्ला, अब जल्दी जल्दी आना और चोदना मुझे। तुम लोगों की तो लाटरी खुल गयी बहन चोद। बेटी भी चोदो और बेटी की माँ भी चोदो। लौड़ा अंदर घुसेड़ के चोदो। हाय रे बड़ा मज़ा आ रहा है। फिर हमने पीछे से चुदवाया और लन्ड पर बैठ कर चुदवाया। बाद में दोनों एक एक करके लन्ड झड़ने लगे और हमने झड़ते हुए लन्ड चाटे।
जैसे ही चुदाई ख़तम हुई वैसे ही मेरे फोन की घंटी बज उठी। मैंने देखा तो उसमे सूफिया का नाम था। सूफिया मेरी खाला की बेटी है। मैं बोली हाय सूफिया बोल . वह बोली यार मैं अभी तेरे पास आ रही हूँ। मैंने कहा ठीक है आजा। दरवाजा खुला है अंदर आ जाना। तब तक मैं बाथ में जाकर धो धा कर बाहर आ गयी। हम सब नंगी ही बैठी थी। वो साले भी नंगे नंगे ही थे और बाथ रूम चले गए। तब तक सूफिया आ गयी। वह बोली हाय दईया तुम लोग क्या कर थीं तमन्ना ? मैंने जबाब दिया यार मैं अपनी माँ चुदा रही थी। वह बोली हाय अल्ला, तू तो बहुत बड़ी मादर चोद निकली यार तमन्ना। उसने फिर कहा और खाला जान आप क्या कर रहीं थीं ? वह बोली मैं अपनी बेटी चुदा रही थी। इतने में वो दोनों भी बाहर आ गए। सूफिया बोली बाप रे बाप दो दो लन्ड और तुम भी दो ? इसका मतलब तुम लोगों ने खूब मज़ा लूटा है। वैसे में भी अपनी माँ चुदा कर आ रही हूँ। मैंने कहा तो फिर बैठ न और बता की तूने किससे अपनी माँ चुदवाई ? वह अपना किस्सा सुनाने लगी इसी बीच मैंने उसके हाथ में शैफ अली का लन्ड पकड़ा दिया। उधर अम्मी ने उसके कपड़े खोलकर उसे भी नंगी कर दिया। सूफिया लन्ड हिलाते हिलाते बोलने लगी :-
यार इन "चुदाई" की कहानियों ने मेरी गांड में दम कर रखा है। मैं इसकी कहानियां पढ़ती जरूर हूँ फिर चाहे जो हो जाये। इत्तिफाक से मेरी अम्मी भी इसकी कहानियां पढ़ती है और हर रोज़ पढ़ती हैं। बस हम दोनों में इन्ही का ख़ुमार रहता है और मन करता है की मैं भी वैसा ही करूँ जैसा इन कहानियों में लिखा है। उस दिन रात में ११ बजे थे। मैं कहानियां पढ़ रही थी तभी किसी काम से बाहर आ गयी। मुझे अम्मी ने देख लिया तो बोली अरी सोफिया यहाँ आ न मेरे पास। मैं उसके कमरे में चली गयी। मैंने देखा की अम्मी किसी का लन्ड हिला रहीं हैं। उसकी चूंचियां तो खुलीं है लेकिन वह पेटीकोट पहने हैं। मैंने लन्ड देखा तो मेरी लार टपकने लगी। मैंने सोंचा अगर ये लन्ड मुझे मिल जाए तो मैं वहीँ करूं जो कहानी में लिखा है। मैं इसे अपनी बुर में भी पेल लूँ और अम्मी की बुर में भी पेल दूं। खैर मैं जब नजदीक गयी तो अम्मी मुझे लन्ड दिखाते हुए कहा देखो बेटी सूफिया ये लन्ड पहचानती हो ? अगर पहचानती हो तो बताओ भला किसका है लन्ड ? और नजदीक आकर देखो न ?
मैंने उसे देखा तो ध्यान से पर समझ नहीं सकी। उसका बदन पूरा ढका था। मैंने कहा अम्मी मैं इस लन्ड को नहीं जानती ? मैंने इसे पहले कभी नहीं देखा ? अगर देखा होता तो फ़ौरन पहचान लेती ? तब तक लन्ड और हिनहिनाने लगा था। फिर अम्मी ने उसकी चादर हटा दी। मैं चौक पड़ी और बोली अरे ससुर जी आप ? आप यहाँ मेरी अम्मी के पास वह भी नंगे नंगे ? क्या तुम मेरी माँ चोदोगे ? और अगर तुम मरी माँ चोदना ही था तो मुझसे कह दिया होता मैं ठीक चुदवा लेती अपनी माँ ? इसमें कौन सी बात है ? और यहाँ आने के बाद भी तूने मुझे नहीं पूंछा ? वह बोला सूफिया बहू मैं तो तेरे पास ही आ रहा था लेकिन तेरी अम्मी ने मुझे रोक लिया और मुझे नंगा कर दिया। फिर अम्मी बोली सूफिया मैंने इसे नंगा इसलिए किया की ये मेरा जीजा लगता है। अब जीजा का लन्ड साली नहीं लेगी तो कौन लेगी ? ये तो मेरे सगे जीजा का भाई है तो फिर जीजा ही हुआ न ? लो बेटी तुम भी पकड़ कर देखो लन्ड। मैं जोश में थी ही। मैंने लन्ड पकड़ लिया।
लन्ड मेरे हाथ में आते ही और उछलने लगा।
सूफिया समी का लन्ड पकड़े हुए कहानी सुना रही थी। लन्ड उसका तन कर खड़ा हो गया। सूफिया ने उस मुंह में डाला और थोड़ी देर तक चूस कर बोली - फिर मैं यह समझ गयी की ये लन्ड मेरी अम्मी की बुर चोदेगा और मेरी भी बुर चोदेगा। ससुर का लन्ड और मोटा होगा यह मैंने कभी सोंचा नहीं था। मेरी चूत बहुत गरम हो गयी थी। तभी अम्मी ने लन्ड मेरी चूत पर रख दिया और उसके चूतड़ दबा दिया। लन्ड दनदनाता हुआ पूरा का पूरा घुस गया मेरी चूत में. तब अम्मी बोली ले पहले तू अपनी बहू की बुर चोद ले फिर बाद में चोदना अपनी साली की बुर।अम्मी की यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी और मैं अपनी दोनों टांगें फैलाकर चुदवाने लगी। अम्मी उसके पेल्हड़ सहलाने लगीं। उसकी गांड पर हाथ फिराने लगी। यार तमन्ना मुझे ससुर से चुदवाने में खूब मज़ा आ रहा था। मैं बोली ससुर जी तेरा लन्ड तो बड़ा जबरदस्त है। वह बोला अरे वाह यही बात तो मेरी बड़ी बहू भी कहती है। मैंने कहा हाय दईया तो तुम मेरी जेठानी की भी बुर लेते हो ससुर जी। वह बोला है बिलकुल। अब वह प्यार से देती है बुर तो मैं भी प्यार से लेता हूँ बुर।
तब तक इधर मैंने भी समी का लन्ड सूफिया की चूत में पेल दिया। वह मस्ती से चुदवाने लगी।
वह फिर बोली यार तमन्ना उसके बाद मैं उठी और लन्ड सटाक से अम्मी की के भोसड़ा में घुसेड़ दिया। फिर क्या मैं भी बड़ी बेशर्मी से चुदवाने लगी अपनी माँ का भोसड़ा ? वह समझ रही थी की मैं जीजा से चुदवा रही हूँ और मैं समझ रही थी की वह मेरे ससुर से चुदवा रही है। तब तक इधर समी ने चोद चोद सूफिया की चूत का भरता बना दिया और मैं उधर शैफ अली का लौड़ा अम्मी के भोसड़ा में घुसेड़े हुए अपनी माँ चुदाने में जुटी थी। दोनों लन्ड भकाभक बुर चोदने में मशगूल थे।
फिर मैं अपनी ससुराल चली गयी।
मेरी नन्द दौड़ी दौड़ी मेरे पास आयी और बोली अरे भाभी अच्छा किया की आज तुम आ गयी हो।
ऐसा क्या हुआ की मेरे आने से तेरे चेहरे की रौनक बढ़ गयी।
भाभी मुझे अभी अभी मालूम हुआ की मेरा ससुर आ रहा है। उसके साथ मेरा नंदोई भी है।
तब तो बड़ी अच्छी बात है। उनके खैरमकदम की तैयारी कर ली तूने ?
वही तो कर रही हूँ भाभी। मैं चाहती हूँ की उनकी खैरमकदम के साथ साथ उनके लन्ड की भी खैरमकदम करूँ!
क्या मतलब ज़रा साफ साफ़ कहो ?
अरे भाभी मेरे ससुर का लौड़ा मादर चोद बड़ा जबरदस्त है। मैं उसे आज रात को तेरी चूत में पेलूँगी और नंदोई का लन्ड मैं अपनी चूत में पेलूँगी। मैंने ससुर से तो तो चुदवाया है मगर अपने नंदोई से नहीं ?
पर मैंने तो न तेरे ससुर से चुदवाया और न तेरे नंदोई से।
वही तो कह रही हूँ भाभी की आज रात को तुम दोनों से चुदवाओ। अम्मी अपने माईके गयीं हैं। अगर वह होती तो मेरे ससुर का लन्ड वो पहले अपने भोसड़ा में घुसा लेती। तुम जानती नहीं हो भाभी की तेरी सास कितनी बड़ी चुदक्कड़ है। बहुत बड़ी छिनार है तेरी सास, भाभी ?
छिनार तो तू भी है भोसड़ी वाली ? गैर मर्दों से अपनी बुर चुदवाती घुमाती है तू।
अब छिनार की बेटी तो छिनार ही होगी न भाभी ? इसमें कौन सी खास बात है। और तू भी तो छिनार है। तेरी बुर भी छिनार है भाभी।अपने माईके में ही अपने ससुर से चुदवा कर आ रही हो तुम ?
अरी मेरी नन्द रानी। देख सच बात तो यह है की हर बीवी बहन चोद छिनार होती है। हर बीवी अंदर से रंडी होती है। हर बीवी को पराये मर्दों के लन्ड अच्छे लगते हैं। जिसको नहीं अच्छे लगते वो भोसड़ी की बीवी होती ही नहीं, औरत होती ही नहीं ? औरत है तो वह पराये मर्दों से चुदवायेगी जरूर।
बस रात में जब वो दोनों आये तो उन्हें देख कर मेरी चूत में आग लग गयी बहन चोद ?
रात को नन्द मेरे पास आयी और बोली भाभी मैं आपकी चूत देखना चाहती हूँ। मैंने कहा अरे यार तू क्या कह रही है ? अभी तो तू मेरी चूत अपने ससुर और नंदोई को दिखाने वाली थी और अब तू देखेगी ? ये कौन सी बात हुई ? वह बोली अरे भाभी मैं देखना चाहती हूँ की तेरी झांटें हैं की नहीं ? अगर झांटें हैं तो मैं अभी बनाकर तेरी चूत चिकनी कर दूं क्योंकि मेरा ससुर और नंदोई दोनों माँ के लौड़े चूत चाटते हैं। उन्हें चूत की झांटें बिलकुल पसंद नहीं ? इतने में मैंने अपना घाघरा उठाया और उसे चूत दिखा कर कहा ले देख ले मेरी चूत। मैं झांटें हंमेशा साफ़ रखती हूँ। फिर वह चली गयी और थोड़ी देर बाद अपने ससुर को लेकर आ गयी। उसने मेरे सामने अपने ससुर के कपड़े उतारे और उसका पैजामा खोल कर फेंक दिया। वह एकदम नंगा हो गया और उसका लन्ड पकड़ कर हिलाने लगी। मैं उसे बड़े चाव से देख रही थी। लन्ड जब टन टना कर खड़ा हो गया तो वह बोली लो भाभी अब पकड़ो मेरे ससुर का लन्ड और चोदो मेरे सामने इसका लन्ड।
मुझे लन्ड पकड़ा कर वह गयी और अपने नंदोई को लेकर आ गयी। उसे भी मेरे सामने नंगा कर दिया और लन्ड हिला हिला कर देखने लगी। वह बोली हाय भाभी देखो न इसका भी लौड़ा बड़ा मजे दार दिख रहा है। मैंने कहा हां अगर यह चोदने में भी अच्छा है तो मज़ा आ जायेगा। फिर मैं उसके ससुर का लन्ड चाटने लगी और वह अपने नंदोई का लन्ड। थोड़ी देर में उसने मुझे नंगी कर दिया और मैंने उसे ? १० मिनट में मैंने उसके ससुर का लन्ड अपनी चूत में पेला और चुदवाने लगी। मेरे बगल में मेरी नन्द अपने नंदोई से चुदवाने लगी।
इस तरह मेरा ससुराल के लोगों से चुदाने का खाता खुल गया। बस एक ही महीने में मैंने सबके लन्ड मुंह में भी लिया और फिर अपनी बुर में भी लिया।
वह इतवार का दिन था जब मैं अपने कमरे में चुपचाप "चुदाई" की कहानियां पढ़ रही थी। मेरा एक हाथ चूँचियों पर था और दूसरा हाथ चूत पर। कहानियां इतनी गरम थीं की मेरे पकड़े कब खुल गए मुझे पता ही नहीं चला। मैं मन ही मन कह रही थी की ये मादर चोद कहानी लिखने वाला साला कितना हरामी होगा जो इतनी गन्दी गन्दी, अश्लील अश्लील और भद्दी भद्दी भाषा में काहानियाँ लिखता है। हां एक बात जरूर है की कहानियां बड़ी सेक्सी और हॉट हैं। इन्हें पढ़ने में बहुत मज़ा आता है। एक बार शुरू करो तो फिर उठने का मन ही नहीं करता ? आँखों के आगे बहन चोद लन्ड की लन्ड नज़र आतें हैं। इच्छा यही होती है की कोई मेरे सामने लन्ड खोले हुए खड़ा हो जाये और मैं लपक कर लन्ड मुंह में घुसेड़ लूँ। रात का समय था। रात में कहानियां बहन चोद ज्यादा गरम हो जातीं हैं। पढने वालों की ऐसा की तैसी हो जाती है।
अचानक मेरी अम्मी ने आवाज़ लगायी अरी वो तमन्ना कहाँ है तू माँ की लौड़ी ? यहाँ आ न मेरे पास। मैं अपने कमरे में बैठी हूँ। जल्दी आ भोसड़ी वाली यहाँ ? आप परेशान न हो दोस्तों, अम्मी मुझसे गालियों से ही बात करतीं हैं। मैं भी कम नहीं हूँ और फिर मेरे दिमाग में तो कहानियों का ख़ुमार सवार था मैंने भी कह दिया हां हां आ रही हूँ, गांड में इतना दम क्यों कर रही हो,अम्मी ?
मैंने अपना लैपटॉप बंद किया और उसके पास जाने लगी। मैं जैसे ही उसके कमरे में घुसी तो देखा वह अपनी बड़ी बड़ी चूंचियां खोले हुए एक सोफा पर बैठीं हैं। उसके दोनों तरफ दो लड़के नंगे नंगे बैठे हैं। अम्मी ने एक लन्ड दाहिने हाथ में लिया है और दूसरा लन्ड बाएं हाथ में लिया हुआ है। लन्ड दोनों साले फुफकार रहें हैं। घोड़ों की तरह हिनहिना रहे हैं लन्ड। दोनों की झांटें बनी हुई हैं। पेल्हड़ भी चिकने हैं। लन्ड का सुपाड़ा चमक रहा है। इतने खूबसूरत, सेक्सी और हॉट लन्ड मैं पहली बार देख रही थी। मेरी नज़र तो बहुत देर तक उन दोनों लन्ड पर ही टिकी रही। एक तो मैं कहानी पढ़कर गरम हो चुकी थी दूसरे ये लन्ड देख कर तो मेरी चूत का बाजा बजा जा रहा था। उन दोनों के मुंह पर अम्मी के कपड़ा डाल रखा था। मैं पहचान ही नहीं पा रही थी के ये भोसड़ी वाले हैं कौन ? मैंने ऐसे लन्ड तो कभी देखे नहीं हैं ।
अम्मी ने दोनों लन्ड मुझे दिखाते हुए कहा बेटी तमन्ना बता की ये किसके लन्ड हैं ? ठीक से देख ले इन्हें फिर याद कर के बता इनके नाम ? ले पकड़ के देख ले दोनों लन्ड। वह आगे बोली बेटी तमन्ना असल में मैं "चुदाई" की कहानियां पढ़ रही थी। मेरा भोसड़ा उसी बीच खुल गया। कहानियां इतनी गरम थीं की मेरी चूंचियां भी बहन चोद फुदक कर बाहर आ गयीं। मैं बहुत गरम हो चुकी थी। तब तक ये दोनों आ गए। मेरे ऊपर वासना सवार थी और मैंने उसी जोश में आकर इन दोनों के लन्ड बड़ी बेशर्मी से पकड़ लिया। चूँकि उस समय मैं लन्ड चूसने के लिए तड़प रही थी। मैंने मौके के फायदा उठाया , फिर सोंचा की क्यों न तमन्ना को बुला लूँ ? उसके साथ लन्ड का मज़ा लूटू तो और अच्छा रहेगा। इसलिए मैंने तुम्हे बुला लिया बेटी। अब बताओ न जल्दी से की ये लन्ड हैं किसके ?
मैंने एक लन्ड पकड़ लिया और पहचानने की कोशिश कर रही थी की कौन है ये लड़का ? किसका है ये लन्ड ? फिर दूसरा भी लन्ड पकड़ा पर पहचान नहीं पायी। मैंने कहा अम्मी मैंने ऐसा कोई भी लन्ड पहले कभी नहीं पकड़ा और कभी नहीं देखा। अब तुम ही बताओ की मादर चोद हैं कौन ? तब तक अम्मी ने एक का कपड़ा हटा दिया। मैंने कहा वाओ, तुम शैफ अली तू मेरा देवर यहाँ क्या मेरी माँ चोदने आया है। अरे मैं तेरी भाभी हूँ। तेरे लन्ड पर मेरा हक़ है। तूने मुझे न मेरी ससुराल में अपना लन्ड पकड़ाया और न यहाँ मेरे माईके में ? तेरा दिल साला मेरी माँ पर आ गया। अम्मी बोली अरी तमन्ना शायद तू नहीं जानती तेरा यह देवर दूर के रिस्ते में मेरा बहनोई लगता है। अब मैं अपने बहनोई का लन्ड तो छोड़ नहीं सकती न ?
तब तक शैफ बोला अरे तमन्ना भाभी मैं आपकी शादी के तुरंत बाद दुबई चला गया था। मैं वहां था ही नहीं तो फिर कुछ दिखाने का सवाल ही नहीं था। और आज जब मैं यहाँ तुमसे मिलने आया हूँ तो पहले ये मेरी बड़ी साली नज़र आ गयीं। इसने मुझे न कुछ करने दिया और न कुछ बोलने दिया। सीधे अपना हाथ मेरे लन्ड पर रख दिया और कहा अब मैं तेरे लन्ड का मज़ा लेकर ही छोड़ूंगी। मैं उसकी बातें उसका लन्ड चाट चाट कर सुन रही थी और लन्ड को चारों तरफ से घुमा घुमा कर देख भी रही थी।
थोड़ी में अम्मी ने दूसरे का भी मुंह दिखा दिया। मैं उसे देख कर बोली हाय अम्मी ये तो मेरा नंदोई है यार। इसका नाम समी है. मैं तो इससे एक बार ही मिली थी। उसके बाद यह कहाँ गायब हो गया मुझे पता ही नहीं चला। मैं तो मन से यही सोंच रही थी की अबकी बार जब ससुराल जाऊंगी तो अपने नंदोई का लन्ड जरूर पकड़ूँगी। पर तू भोसड़ी का यहाँ मेरी माँ की बुर लेने आ गया है ? तब तकअम्मी ने कहा नहीं नहीं बेटी ऐसा नहीं है। ये आया नही है बल्कि मैंने इसे बुलाया है। कहानियों ने मेरे मन में तुरंत लन्ड पकड़ने की इच्छा जगा दी तो सबसे पहले मैंने इसे फोन किया। जानती हो क्यों ? क्योंकि ये मेरे गाँव के रिस्ते से मेरा देवर लगता है। मैंने अभी तक इसका लन्ड पकड़ा नहीं था। आज मेरा दिल इसके लन्ड पर आ गया तो मैंने इसे फोन करके बुला लिया। हुआ ये की शैफ अली पहले आ गया और ये बाद में। अब इसका लौड़ा मुझे तो पसंद है बेटी ? तुम बताओ तुम्हे कैसा लग रहा है इसका लन्ड ?
मैंने कहा अम्मी वैसे तो लौड़ा मुझे भी बहुत पसंद आ गया है। अब ये मेरी चूत में जरूर घुसेगा। मैं अब इससे बिना चुदाये रह नहीं सकती। पर ये कैसा इत्तिफाक है की जो मेरा देवर है वही तेरा बहनोई है और जो मेरा नंदोई है वह तेरा देवर है ? वह बोली हम लोगों के बनबे में शादी तो नदीकी रिस्ते में हो जाता है और इसीलिए रिस्ते दरों की संख्या बढ़ती जाती हैं। सब लोग आस पास के रिश्तों के लोग ही होते हैं तो एक एक आदमी और एक एक औरत कई कई रिश्तों में आ जाती है। इसीलिए चोदने और चुदाने का ज़रिया निकल आता है। अब मैं अपने बहनोई से चुदवाऊँगी और तुम भी उससे चुदवाओगी क्योंकि वो तेरा देवर है। तो फिर एक साथ ही क्यों न चुदवा लो। वो मेरी बुर में भी लन्ड पेले और तेरी बुर में भी। इसी तरह मेरा देवर मेरी बुर भी चोदे और तेरी बुर भी चोदे। रिस्ता का रिस्ता और मज़ा का मज़ा ?
इसलिए हमारे कुनबे में माँ बेटी, सास बहू, नन्द भौजाई, देवरानी जेठानी सब साथ मिल कर चुदवाती है और खूब मज़ा लूटती हैं। बस फिर क्या मैं अपने नंदोई समी का लन्ड चूसने लगी और अम्मी अपने बहनोई शैफ अली का लन्ड ? लन्ड साले दोनों मस्त थे और मोटे तगड़े थे। यह कहना मुश्किल था की कौन सा लन्ड छोटा है और कौन सा बड़ा ? मैं लन्ड चूसते चूसते दूसरे हाथ से शैफ अली के पेल्हड़ सहलाने लगी और उधर अम्मी भी दूसरे हाथ से समी के पेल्हड़ सहलाने लगी। वैसे एक बार पहले भी हम दोनों एक ही लन्ड से चुदवा चुकी हैं। वही लन्ड मेरी बुर में भी घुसता था और अम्मी की बुर में भी। इसलिए हम दोनों में कोई फर्क नहीं था। आज तो ज्यादा ही मज़ा आ रहा है। तब तक मेरी चूत भठ्ठी बन चुकी थी। मैंने समी का लन्ड घुसेड़ ही लिया और चुदाना शुरू कर दिया। उधर मेरे आमने अम्मी भी शैफ अली से चुदाने लगीं। हम दोनों आमने आमने थीं. चोदने वालों के मुंह भी आसने सामने थे। वो दोनों मुस्कराकर बड़े मजे से चोद रहे थे।
हमारी मस्ती का ठिकाना न था। इससे ज्यादा आज़ादी से चुदाई और क्या हो सकती है ?
अचानक उन दोनों ने जाने क्या आँखों आँखों में इशारा किया की समी ने लन्ड निकाल कर मम्मी की बुर में घुसा दिया और शैफ अली ने लन्ड अम्मी की बुर से निकाल कर मेरी बुर में घुसेड़ दिया। इस तरह लन्ड की अदला बदली हो गयी तो मज़ा बहन चोद दूना हो गया। अम्मी मस्ती से बोली अरी तमन्ना तू मादर चोद अपनी माँ का भोसड़ा चुदा रही हो ? मैंने भी उसी मस्ती से जबाब दिया हां बिलकुल चुदा रही हूँ क्योंकि मेरी माँ का भोसड़ा साला लन्ड खाने में बड़ा उस्ताद है। और तू भी तो अपनी बेटी की बुर चुदा रही है नुज़हत (मेरी अम्मी) . और सुनो नुज़हत अगर मेरी माँ का भोसड़ा बड़ा मादर चोद है तो तेरी बेटी की बुर भी बड़ी मादर चोद है। हम लोगों की गालियों से लन्ड साले और सख्त हो गए और फिर ज्यादा तेजी से चोदने लगे।
मुझे मज़ा आने लगा और मैं बोलने लगी हाय मेरे राजा खूब चोदो मुझे। बड़ा अच्छा लग रहा है। यार अब तुम यहाँ भी चोदो और वहां मेरी ससुराल में भी चोदो। मुझे भी चोदो मेरी माँ भी चोदो। यार गज़ब के लौड़े हैं तुम लोगों के। वाओ, पूरा घुसेड़ दो लन्ड। उधर अम्मी भी बोली हाय दईया लाउड तो साला मोटा होता जा रहा है। हाय रे चोदने की रफ़्तार और बड़ा दे न ? कितना मस्त लौड़ा है तेरा। हाय अल्ला, अब जल्दी जल्दी आना और चोदना मुझे। तुम लोगों की तो लाटरी खुल गयी बहन चोद। बेटी भी चोदो और बेटी की माँ भी चोदो। लौड़ा अंदर घुसेड़ के चोदो। हाय रे बड़ा मज़ा आ रहा है। फिर हमने पीछे से चुदवाया और लन्ड पर बैठ कर चुदवाया। बाद में दोनों एक एक करके लन्ड झड़ने लगे और हमने झड़ते हुए लन्ड चाटे।
जैसे ही चुदाई ख़तम हुई वैसे ही मेरे फोन की घंटी बज उठी। मैंने देखा तो उसमे सूफिया का नाम था। सूफिया मेरी खाला की बेटी है। मैं बोली हाय सूफिया बोल . वह बोली यार मैं अभी तेरे पास आ रही हूँ। मैंने कहा ठीक है आजा। दरवाजा खुला है अंदर आ जाना। तब तक मैं बाथ में जाकर धो धा कर बाहर आ गयी। हम सब नंगी ही बैठी थी। वो साले भी नंगे नंगे ही थे और बाथ रूम चले गए। तब तक सूफिया आ गयी। वह बोली हाय दईया तुम लोग क्या कर थीं तमन्ना ? मैंने जबाब दिया यार मैं अपनी माँ चुदा रही थी। वह बोली हाय अल्ला, तू तो बहुत बड़ी मादर चोद निकली यार तमन्ना। उसने फिर कहा और खाला जान आप क्या कर रहीं थीं ? वह बोली मैं अपनी बेटी चुदा रही थी। इतने में वो दोनों भी बाहर आ गए। सूफिया बोली बाप रे बाप दो दो लन्ड और तुम भी दो ? इसका मतलब तुम लोगों ने खूब मज़ा लूटा है। वैसे में भी अपनी माँ चुदा कर आ रही हूँ। मैंने कहा तो फिर बैठ न और बता की तूने किससे अपनी माँ चुदवाई ? वह अपना किस्सा सुनाने लगी इसी बीच मैंने उसके हाथ में शैफ अली का लन्ड पकड़ा दिया। उधर अम्मी ने उसके कपड़े खोलकर उसे भी नंगी कर दिया। सूफिया लन्ड हिलाते हिलाते बोलने लगी :-
यार इन "चुदाई" की कहानियों ने मेरी गांड में दम कर रखा है। मैं इसकी कहानियां पढ़ती जरूर हूँ फिर चाहे जो हो जाये। इत्तिफाक से मेरी अम्मी भी इसकी कहानियां पढ़ती है और हर रोज़ पढ़ती हैं। बस हम दोनों में इन्ही का ख़ुमार रहता है और मन करता है की मैं भी वैसा ही करूँ जैसा इन कहानियों में लिखा है। उस दिन रात में ११ बजे थे। मैं कहानियां पढ़ रही थी तभी किसी काम से बाहर आ गयी। मुझे अम्मी ने देख लिया तो बोली अरी सोफिया यहाँ आ न मेरे पास। मैं उसके कमरे में चली गयी। मैंने देखा की अम्मी किसी का लन्ड हिला रहीं हैं। उसकी चूंचियां तो खुलीं है लेकिन वह पेटीकोट पहने हैं। मैंने लन्ड देखा तो मेरी लार टपकने लगी। मैंने सोंचा अगर ये लन्ड मुझे मिल जाए तो मैं वहीँ करूं जो कहानी में लिखा है। मैं इसे अपनी बुर में भी पेल लूँ और अम्मी की बुर में भी पेल दूं। खैर मैं जब नजदीक गयी तो अम्मी मुझे लन्ड दिखाते हुए कहा देखो बेटी सूफिया ये लन्ड पहचानती हो ? अगर पहचानती हो तो बताओ भला किसका है लन्ड ? और नजदीक आकर देखो न ?
मैंने उसे देखा तो ध्यान से पर समझ नहीं सकी। उसका बदन पूरा ढका था। मैंने कहा अम्मी मैं इस लन्ड को नहीं जानती ? मैंने इसे पहले कभी नहीं देखा ? अगर देखा होता तो फ़ौरन पहचान लेती ? तब तक लन्ड और हिनहिनाने लगा था। फिर अम्मी ने उसकी चादर हटा दी। मैं चौक पड़ी और बोली अरे ससुर जी आप ? आप यहाँ मेरी अम्मी के पास वह भी नंगे नंगे ? क्या तुम मेरी माँ चोदोगे ? और अगर तुम मरी माँ चोदना ही था तो मुझसे कह दिया होता मैं ठीक चुदवा लेती अपनी माँ ? इसमें कौन सी बात है ? और यहाँ आने के बाद भी तूने मुझे नहीं पूंछा ? वह बोला सूफिया बहू मैं तो तेरे पास ही आ रहा था लेकिन तेरी अम्मी ने मुझे रोक लिया और मुझे नंगा कर दिया। फिर अम्मी बोली सूफिया मैंने इसे नंगा इसलिए किया की ये मेरा जीजा लगता है। अब जीजा का लन्ड साली नहीं लेगी तो कौन लेगी ? ये तो मेरे सगे जीजा का भाई है तो फिर जीजा ही हुआ न ? लो बेटी तुम भी पकड़ कर देखो लन्ड। मैं जोश में थी ही। मैंने लन्ड पकड़ लिया।
लन्ड मेरे हाथ में आते ही और उछलने लगा।
सूफिया समी का लन्ड पकड़े हुए कहानी सुना रही थी। लन्ड उसका तन कर खड़ा हो गया। सूफिया ने उस मुंह में डाला और थोड़ी देर तक चूस कर बोली - फिर मैं यह समझ गयी की ये लन्ड मेरी अम्मी की बुर चोदेगा और मेरी भी बुर चोदेगा। ससुर का लन्ड और मोटा होगा यह मैंने कभी सोंचा नहीं था। मेरी चूत बहुत गरम हो गयी थी। तभी अम्मी ने लन्ड मेरी चूत पर रख दिया और उसके चूतड़ दबा दिया। लन्ड दनदनाता हुआ पूरा का पूरा घुस गया मेरी चूत में. तब अम्मी बोली ले पहले तू अपनी बहू की बुर चोद ले फिर बाद में चोदना अपनी साली की बुर।अम्मी की यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी और मैं अपनी दोनों टांगें फैलाकर चुदवाने लगी। अम्मी उसके पेल्हड़ सहलाने लगीं। उसकी गांड पर हाथ फिराने लगी। यार तमन्ना मुझे ससुर से चुदवाने में खूब मज़ा आ रहा था। मैं बोली ससुर जी तेरा लन्ड तो बड़ा जबरदस्त है। वह बोला अरे वाह यही बात तो मेरी बड़ी बहू भी कहती है। मैंने कहा हाय दईया तो तुम मेरी जेठानी की भी बुर लेते हो ससुर जी। वह बोला है बिलकुल। अब वह प्यार से देती है बुर तो मैं भी प्यार से लेता हूँ बुर।
तब तक इधर मैंने भी समी का लन्ड सूफिया की चूत में पेल दिया। वह मस्ती से चुदवाने लगी।
वह फिर बोली यार तमन्ना उसके बाद मैं उठी और लन्ड सटाक से अम्मी की के भोसड़ा में घुसेड़ दिया। फिर क्या मैं भी बड़ी बेशर्मी से चुदवाने लगी अपनी माँ का भोसड़ा ? वह समझ रही थी की मैं जीजा से चुदवा रही हूँ और मैं समझ रही थी की वह मेरे ससुर से चुदवा रही है। तब तक इधर समी ने चोद चोद सूफिया की चूत का भरता बना दिया और मैं उधर शैफ अली का लौड़ा अम्मी के भोसड़ा में घुसेड़े हुए अपनी माँ चुदाने में जुटी थी। दोनों लन्ड भकाभक बुर चोदने में मशगूल थे।
फिर मैं अपनी ससुराल चली गयी।
मेरी नन्द दौड़ी दौड़ी मेरे पास आयी और बोली अरे भाभी अच्छा किया की आज तुम आ गयी हो।
ऐसा क्या हुआ की मेरे आने से तेरे चेहरे की रौनक बढ़ गयी।
भाभी मुझे अभी अभी मालूम हुआ की मेरा ससुर आ रहा है। उसके साथ मेरा नंदोई भी है।
तब तो बड़ी अच्छी बात है। उनके खैरमकदम की तैयारी कर ली तूने ?
वही तो कर रही हूँ भाभी। मैं चाहती हूँ की उनकी खैरमकदम के साथ साथ उनके लन्ड की भी खैरमकदम करूँ!
क्या मतलब ज़रा साफ साफ़ कहो ?
अरे भाभी मेरे ससुर का लौड़ा मादर चोद बड़ा जबरदस्त है। मैं उसे आज रात को तेरी चूत में पेलूँगी और नंदोई का लन्ड मैं अपनी चूत में पेलूँगी। मैंने ससुर से तो तो चुदवाया है मगर अपने नंदोई से नहीं ?
पर मैंने तो न तेरे ससुर से चुदवाया और न तेरे नंदोई से।
वही तो कह रही हूँ भाभी की आज रात को तुम दोनों से चुदवाओ। अम्मी अपने माईके गयीं हैं। अगर वह होती तो मेरे ससुर का लन्ड वो पहले अपने भोसड़ा में घुसा लेती। तुम जानती नहीं हो भाभी की तेरी सास कितनी बड़ी चुदक्कड़ है। बहुत बड़ी छिनार है तेरी सास, भाभी ?
छिनार तो तू भी है भोसड़ी वाली ? गैर मर्दों से अपनी बुर चुदवाती घुमाती है तू।
अब छिनार की बेटी तो छिनार ही होगी न भाभी ? इसमें कौन सी खास बात है। और तू भी तो छिनार है। तेरी बुर भी छिनार है भाभी।अपने माईके में ही अपने ससुर से चुदवा कर आ रही हो तुम ?
अरी मेरी नन्द रानी। देख सच बात तो यह है की हर बीवी बहन चोद छिनार होती है। हर बीवी अंदर से रंडी होती है। हर बीवी को पराये मर्दों के लन्ड अच्छे लगते हैं। जिसको नहीं अच्छे लगते वो भोसड़ी की बीवी होती ही नहीं, औरत होती ही नहीं ? औरत है तो वह पराये मर्दों से चुदवायेगी जरूर।
बस रात में जब वो दोनों आये तो उन्हें देख कर मेरी चूत में आग लग गयी बहन चोद ?
रात को नन्द मेरे पास आयी और बोली भाभी मैं आपकी चूत देखना चाहती हूँ। मैंने कहा अरे यार तू क्या कह रही है ? अभी तो तू मेरी चूत अपने ससुर और नंदोई को दिखाने वाली थी और अब तू देखेगी ? ये कौन सी बात हुई ? वह बोली अरे भाभी मैं देखना चाहती हूँ की तेरी झांटें हैं की नहीं ? अगर झांटें हैं तो मैं अभी बनाकर तेरी चूत चिकनी कर दूं क्योंकि मेरा ससुर और नंदोई दोनों माँ के लौड़े चूत चाटते हैं। उन्हें चूत की झांटें बिलकुल पसंद नहीं ? इतने में मैंने अपना घाघरा उठाया और उसे चूत दिखा कर कहा ले देख ले मेरी चूत। मैं झांटें हंमेशा साफ़ रखती हूँ। फिर वह चली गयी और थोड़ी देर बाद अपने ससुर को लेकर आ गयी। उसने मेरे सामने अपने ससुर के कपड़े उतारे और उसका पैजामा खोल कर फेंक दिया। वह एकदम नंगा हो गया और उसका लन्ड पकड़ कर हिलाने लगी। मैं उसे बड़े चाव से देख रही थी। लन्ड जब टन टना कर खड़ा हो गया तो वह बोली लो भाभी अब पकड़ो मेरे ससुर का लन्ड और चोदो मेरे सामने इसका लन्ड।
मुझे लन्ड पकड़ा कर वह गयी और अपने नंदोई को लेकर आ गयी। उसे भी मेरे सामने नंगा कर दिया और लन्ड हिला हिला कर देखने लगी। वह बोली हाय भाभी देखो न इसका भी लौड़ा बड़ा मजे दार दिख रहा है। मैंने कहा हां अगर यह चोदने में भी अच्छा है तो मज़ा आ जायेगा। फिर मैं उसके ससुर का लन्ड चाटने लगी और वह अपने नंदोई का लन्ड। थोड़ी देर में उसने मुझे नंगी कर दिया और मैंने उसे ? १० मिनट में मैंने उसके ससुर का लन्ड अपनी चूत में पेला और चुदवाने लगी। मेरे बगल में मेरी नन्द अपने नंदोई से चुदवाने लगी।
इस तरह मेरा ससुराल के लोगों से चुदाने का खाता खुल गया। बस एक ही महीने में मैंने सबके लन्ड मुंह में भी लिया और फिर अपनी बुर में भी लिया।
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