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आगे से देवर चूत चोदे, पीछे से जीजू मारे गांड - Devar kare chut ki chudai Jiju maare gand
आगे से देवर चूत चोदे, पीछे से जीजू मारे गांड - Devar kare chut ki chudai Jiju maare gand , मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
वो रात मैं कभी भूल नहीं सकती जिस रात को मैं नंगी नंगी सोफा पर बैठी हुई अपने देवर का लण्ड चाट रही थी। रात के १२ बजे थे। उस दिन घर पर केवल हम दो ही लोग थे। न मुझे बिस्तर पर नींद आ रही थी और न मेरे देवर को। वह करवटें बदल रहा था और मैं भी। मेरी चूत ने मुझे परेशान कर रखा था। उधर उसका लण्ड भी उत्पात मचा रखा था। गर्मी के दिन थे। बदन पर एक भी कपड़ा सहन नहीं हो रहा था। मैं उठी और देवर के कमरे में चली गयी। मेरी चूँचियाँ लगभग खुली हुई थीं। उन्हें देख कर देवर के लण्ड की आग भड़क उठी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर कहा अब इन्हे अच्छी तरह दिखा दो न मुझे भाभी । फिर उसने मेरी चूँचियाँ नंगी कर दीं और उन्हें चूमने लगा। प्यार से दबाने लगा मेरी मस्त मस्त चूँचियाँ। मैंने भी कहा हाय दईया ज़रा आहिस्ते आहिस्ते दबाओ देवर जी मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ। इसी बीच मैंने उसका लण्ड ऊपर से दबा दिया और कहा हाय रे ये तो बहन चोद पहले से ही खड़ा है। अब मुझे भी दिखाओ न अपना लण्ड, देवर जी । मेरे मुंह से गाली सुनकर और 'लण्ड' सुनकर उसके मर्दानगी जग उठी और उसने अपनी लुंगी खोल कर फेंक दी. वह मेरे सामने बिलकुल नंगा हो गया। अब मेरी आँखों के सामने उसका लण्ड अपना सिर उठा कर हिनहिनाने लगा। मैंने उसे पकड़ा, चूमा और जबान निकाल कर चाटने लगी।
मेरा नाम ललिता है मैं २८ साल की हूँ, शादी शुदा हूँ। मैं छरहरी बदन की हूँ, मेरी चूँचियाँ बड़ी बड़ी हैं और खूबसूरत होने के साथ साथ मैं बहुत छिनार प्रकृति की बीवी हूँ। छिनार उसे कहते हैं जो पराये मर्दों से चुदवाती है और मुझे सबसे ज्यादा सुख पराये मर्दों से चुदवाने में ही मिलता है। मैं कोई भी ऐसा मौक़ा नहीं छोड़ती जिसमें मुझे पराये मरद से चुदवाने की गुंजाईस हो ? अगर चुदवाने का मौक़ा नहीं मिलता तो मैं लण्ड मुंह में लेकर चूस लेती हूँ और सड़का मार कर लण्ड पी लेती हूँ। जबसे मैं लण्ड पी रही हूँ तबसे मेरी सेहत ठीक रहती है, मेरी खूबसूरती बढ़ गयी है, मेरे चेहरे पर चमक आ गयी है और मेरी चूँचियाँ भी बड़ी बड़ी हो गयीं हैं। मुझे तो लण्ड पीने के कई फायदे मिल चुके हैं और मिलते रहतें हैं। इसलिए मैं लण्ड जरूर पीती हूँ। लण्ड पीने का मतलब है लण्ड का वीर्य पीना। जी हां मैं झड़ते हुए लण्ड का वीर्य पीती हूँ। वीर्य का एक एक बूँद रस पी जाती हूँ और फिर लण्ड का सुपाड़ा चाट चाट कर उसे एकदम चिकना कर देती हूँ।
मैं बुरी तरह से देवर का लण्ड चाटने लगी। साथ साथ उसके पेल्हड़ भी चाटने चूमने लगी। लण्ड पर झांटों का नामोनिशान नहीं था इसलिए मुझे लण्ड बड़ा भी लग रहा था और खूबसूरत भी। मैं खूबसूरत लण्ड बहुत पसंद करती हूँ. मैं ऐसा कोई लण्ड पसंद नहीं करती जिसका सुपाड़ा खुलता न हो ? कई ऐसे लण्ड होतें हैं जिनका सुपाड़ा नहीं खुलता। हालांकि उसका हल्का सा ऑपरेशन करवा कर सुपाड़ा खोला जा सकता है पर लोग शायद ऐसा नहीं करते ? मैं उन्हें सलाह देती हूँ की वो किसी डॉक्टर के पास जाकर अपने लण्ड का सुपाड़ा खुलवा लें। लण्ड का मज़ा उसके सुपाड़े में ही होता है। सुपाड़ा ही लण्ड की असली खूबसूरती है और ताकत भी। सुपाड़ा को लण्ड का टोपा भी कहा जाता है और कुछ लोग इसे लण्ड का माथा भी कहते हैं। हर एक लण्ड का सुपाड़ा अलग अलग होता है। इसीलिए हम लड़कियों को तरह तरह के लण्ड पकड़ने की इच्छा बनी रहती है। ऐसे ही लड़कियों की चूँचियाँ भी अलग अलग होतीं हैं जिन्हे देखने के लिए और दबाने के लिए लड़के हमेशा उत्साहित रहतें हैं।
मेरा देवर शिवा मुझसे २ साल छोटा है। हैंडसम है, गोरा चिट्टा है और अच्छी कद काठी का है। उसकी शादी भी हो चुकी है पर वह मेरी चूत में चक्कर में ही रहता है। मैं भी उसके लण्ड के चक्कर इधर उधर घूमा करती हूँ। आज मुझे एक बेहतरीन मौका मिल गया। मैंने सोंच लिया की आज मैं रात भर खूब जम कर चुदवाऊंगी। मैं थोड़ा घूमी तो उसने अपना मुंह मेरी दोनों टांगों पर अपना मुंह घुसेड़ दिया। मैं उसका मतलब समझ गयी। वह मेरी बिना झांट की चिकनी बुर चाटने लगा। मुझे बुर चटवाने में वाकई बड़ा मज़ा आता है। मैं बहुत ज्यादा गरम हो गयी। मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था। मैंने कहा शिवा अब पेल दो अपना लण्ड मेरी चूत में। चोद डालो मेरी बुर चोदी बुर ? मेरी चूत का सारा गुमान चूर चूर कर दो मेरा देवरा राजा ? तेरा लण्ड बहन चोद मोटा भी है और ताकतवर भी।
वह राशन पानी लेकर मेरे ऊपर चढ़ बैठा और पूरा लौड़ा एक ही धक्के में पेल दिया। मैं बस उई माँ कह कर रह गयी। वह मुझे पूरे में जोश से चोदने लगा और मैं भी उसका साथ देते हुए चुदवाने लगी। सच बता रहगी हूँ दोस्तों, की मैंने इतनी उन्मुक्त होकर पहले कभी नहीं चुदवाया। आज मुझे अपने देवर पर गर्व है और उसके लण्ड पर गर्व है। मैं उससे ज्यादा उसके लण्ड से प्यार करने लगी हूँ। वह बोला भाभी आज मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है। इतना मज़ा मुझे पहली किसी की बुर चोदने में नहीं आया। वह ऐसा बोल बोल कर धक्के पे धक्का लगाए जा रहा था। मैं उसके धक्के को बर्दास्त करती जा रही थी। लण्ड साला अंदर घुस कर बड़ी दूर तक चोट कर रहा था। आज मेरी बुर भी ससुरी मस्त हो गयी। मैं चाहती हूँ की इसी तरह के लड़के आएं और मुझे चोदें।
मैंने चुदवाते चुदवाते पूंछ भी लिया की शिवा तेरे दोस्त भी होंगें जिनके लण्ड तेरे लण्ड की तरह मोटे तगड़े होगें। वह बोला हां भाभी दोस्त तो हैं पर उनके लण्ड के बारे में मुझे नहीं मालूम ? मैंने कहा तुम उन सबको मुझसे मिलवा दो। मुझे जिसका लण्ड पसंद आएगा मैं उससे चुदवाती रहूंगी बाकी को भूल जाऊंगी। मैं चाहती हूँ की तुम अपने दोस्तों से मेरी बुर चुदवाओ और तुम भी इसी बहाने उनकी बीवियां चोदो और उनकी भाभियाँ चोदो। फिर देखो कितना मज़ा आता है ? फिर वह मुझे पीछे से डॉगी स्टाइल में चोदने लगा और मैं भी मजे से कुतिया की तरह चुदवाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उसे नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ बैठी। बैठते ही लण्ड मेरी चूत में घुस गया और मैं झुक कर उसका लण्ड मर्दों की तरह चोदने लगी। लण्ड चोदना मैंने ब्लू फिल्म से सीखा है। इसमें मुझे खूब मज़ा आता है।
मैं तो कहती हूँ की चोदना केवल मर्दों को ही नहीं आता, औरतों को भी आता है चोदना। और केवल चूत ही नहीं चोदी जाती, लण्ड भी चोदे जातें हैं।
जब वह झड़ने लगा तो मैंने मुंह खोल दिया और सारा वीर्य अपने मुँह मे ही गिरवा लिया। मुझे लण्ड पीने का भी जबरदस्त शौक है।
एक दिन मेरा रोहन जीजा आ गया। वह भी मस्त जवान और हैंडसम आदमी है और मेरे देवर से दो साल बड़ा है। मैंने उसे तीन साल पहले उसकी शादी में ही देखा था। लेकिन आज वह मुझे ज्यादा हैंडसम लग रहा था। बस मेरी नियत डोल गयी। मैंने मन बना लिया की आज रात को मैं इसका लण्ड जरूर पकड़ूँगी ? गर्मी के दिन थे। मैंने भी छोटे कपड़े पहने हुई थी। उसे छत पर सोने की आदत थी। वह उस दिन छत पर ही सो रहा था। मैं सवेरे सवेरे छत पर पहुँच गयी। मैंने देखा की जीजा का लण्ड चादर के अंदर तम्बू बनाकर खड़ा है। बस मेरी चूत की आग भड़क उठी। मेरा मन लण्ड पकड़ने का हो गया। सबसे पहले मैंने छत का दरवाजा बंद किया ताकि घर का कोई भी आदमी छत पर न आ सके और मैं इत्मीनान से लण्ड का मज़ा ले सकूं ? मैंने अपनी छोटी सी ब्रा खोल कर फेंकी दी। मेरी दोनों चूँचियाँ एकदम नंगी हो गयीं। मैं इधर उधर से लण्ड देखने की कोशिश करने लगी।
जब नहीं दिखा तो चादर का एक कोना धीरे से उठाया। मुझे थोड़ा हिस्सा दिखा। मालूम हुआ की लण्ड की झांटें बहुत छोटी छोटी हैं। शायद उसने २/३ दिन पहले ही अपनी झांटें बनाईं होंगीं। मैंने और हिम्मत की तो चादर लण्ड के ऊपर से गिरा दिया। अब लण्ड का मुझे पूरा दर्शन हो गया। मैं मस्त हो गयी और जबान से लण्ड का टोपा छू लिया। टोपा बहन चोद पूरा का पूरा बाहर था और बड़ा खूबसूरत लग रहा था। मैंने धीरे से हाथ बढ़ाया और लण्ड मुठ्ठी में ले लिया और हौले हौले ऊपर नीचे करने लगी। मेरे हिसाब से लण्ड का साइज ८" x ५" होगा ? इस साइज का लण्ड बहुत अच्छा होता है। लण्ड की गर्माहट मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। मैंने कई बार लण्ड ऊपर नीचे किया पर जीजा बहन चोद टस के मस नहीं हुआ। मैंने फिर सख्ती से लण्ड पकड़ा और हिलाया। मैं समझा की अब वह जग जायेगा। पर वह फिर भी नहीं उठा बल्कि उसने अपनी गांड से थोड़ा जोर लगाया तो लण्ड और ताव में आ गया।
मैं समझ गयी की वह जग गया है पर मस्ती कर रहा है। मैंने इतने में लण्ड का सुपाड़ा अपने मुंह में ले लिया और अपने होठों से दबा लिया। मैं अंदर ही अंदर लण्ड के टोपा के चारों ओर जबान घुमाने लगी तब उसकी सिसकारी निकली और उसने मुझे अपनी तरफ घसीट लिया। वह बोला हाय मेरी जान ललिता लण्ड पूरा ले लो अपने मुंह में, प्लीज। मैंने कहा जीजू भोसड़ी के अभी तक नाटक कर रहे थे। लो तुम मेरी चूत चाटो मैं तेरा लण्ड चाटती हूँ। मैंने अपना पेटीकोट उतार कर फेंका और चूत उसके मुंह पर रख दी। मुझे जीजा का लण्ड चाटने चूसने में। उधार वह भी मेरी चूत का मज़ा लेने लगा। मैं समझ गयी की अब मेरे सम्बन्ध जीजा से बन गएँ हैं। मैं जब चाहूंगी इससे चुदवा लूंगी और आगे भी चुदवाया करूंगी।
मैं फिर उसके ऊपर से उतरी और उसकी टांगों के बीच बैठ गयी जैसे औरतें चकिया पीसने बैठतीं हैं। मैंने लण्ड मुठ्ठी में लिया और सड़का मारने लगी। मुझे सड़का मारना बड़ा अच्छा लगता है। मैं लण्ड से मस्ती भी करने लगी। मैं लण्ड से बोली - हाय मेरे लण्ड महराज तू तो भोसड़ी का बहुत बड़ा हरामजादा है। अपनी साली की बुर चोदना चाहता है। मेरी बहन की बुर में घुस कर तेरा पेट नहीं भरा मादर चोद ? अब तू मेरी दीदी की बहन की बुर लेना चाहता है। मैं आज तेरी गांड मारूंगी ? तू मुझे बहुत प्यारा लग रहा है, यार । लण्ड राजा, तेरी बहन की बुर ? मैंने २/३ थप्पड़ प्यार से लण्ड पर जड़ दिया तो वह और हिनहिनाने लगा। मैं बीच बीच में लण्ड की चुम्मी भी लेती जा रही थी। मेरा लण्ड से प्यार करने का यही तरीका है। इसी तरह की अल्लम गल्लम बातें मुंह से निकाल रही थी और सड़का भी मार रही थी। तभी अचानक लण्ड ने वीर्य उगलना शुरू कर दिया जिसे मैंने अपंने मुंह में ले लिया। मैं उसे पूरा पी गयी। और लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी। मुझे लण्ड पीना बहुत अच्छा लगता है।
दूसरे दिन शिवा मेरे पास आया और बोला भाभी एक ख़ुशी की बात है। तुम्हारे लिए मैंने एक लण्ड ढूंढ लिया है। मैं तो यह सुनकर वाकई उछल पड़ी।
वह बोला :- भाभी वो है मेरा दोस्त सुल्लू। मुझे उसके लण्ड के बारे में उसकी भाभी से पता चला। वह कह रही थी की शिवा तेरे लण्ड के जैसा मेरे भी देवर का लण्ड है। इतना ही बड़ा और इतना ही मोटा ?
मैंने कहा :- उसने तेरा लण्ड कैसे और कब देख लिया बरखुरदार शिवा ?
उसने बताया :- अरे भाभी मैं उसके घर गया तो मिला पर हां उसकी भाभी मिल गयीं । घर में कोई और नहीं था। भाभी की बड़ी बड़ी चूँचियाँ झाँक रहीं थीं। मैंने कह दिया भाभी आपकी चूँचियाँ तो बहुत बड़ी बड़ी हैं क्या मैं पकड़ कर देख लूं। मैं समझा की वह मुझे डांट कर भगा देगीं। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। बल्कि बोली शिवा तुम इन्हे पकड़ कर देख लो मैं मना नहीं करूंगी ? लेकिन फिर मैं भी तेरा पकड़ कर देखूँगी। यह बात सुनकर मेरा लण्ड साला अंदर ही अंदर खड़ा हो गया। मैंने बोला हां हां जरूर देख लेना भाभी ? उसने अपनी ब्रा खोल दी और मुझे चूँचियाँ दिखाती हुई बोली लो पकड़ो इन्हे। मैं सच में दबाने लगा चूँचियाँ तो मज़ा आने लगा। फिर उसने मेरी पैंट खोल दी मुझे नंगा कर दिया और मेरा लण्ड पकड़ कर हिलाने लगीं। मैंने उसकी चूत देखी उसकी गांड देखी उसके चूतड़ देखे और उसकी मोटी मोटी जाँघे देखी। मज़ा तो आया भाभी पर तेरी खूबसूरती के आगे वह थोड़ी फीकी लगी।
मैंने कहा :- ये बताओ तुमने उसकी बुर चोदी की नहीं ?
वह बोला :- नहीं भाभी बिलकुल नहीं चोदी। उसने लण्ड का सड़का मारा और मजे से मेरा लण्ड पिया। जाते समय वह बोली शिवा तुम २/३ दिन बाद आना। तब तक मेरा पति बाहर चला जायेगा और सुल्लू भी आ जायेगा। तब तुम दोनों मिलकर मुझे चोदना। फिर मैं चला आया। अब मैं सुल्लू के आते ही पहले तुम्हे चुदवाऊंगा फिर मैं उसकी भाभी चोदूँगा।
तब तक जीजा आ गया वह बोला ललिता मुझे अब दो दिन और रुकना पड़ेगा क्योंकि मेरे काम में दो दिन लगेंगें। मैंने कहा अरे जीजू ये तेरा ही घर है। जब तक चाहो तब तक रुको ? शाम को कुछ ऐसा हुआ की घर में केवल मैं, मेरा देवर और मेरा जीजा ही रह गया बाकी लोग सब एक शादी में दो दिन के लिए चल गए। मैंने शिवा को इशारा किया तो वह एक बोतल शराब की ले आया। वह बोला तेरा जीजा है तो फिर कैसे होगी चुदाई ? मैंने कहा वह क्या करेगा भोसड़ी का ? ज्यादा से ज्यादा मेरी झांटें उखाड़ेगा और क्या करेगा। अगर उसके लण्ड में ताकत होगी वह भी मुझे चोद लेगा ? लेकिन आज रात को तुम मुझे जम कर चोदोगे। मैं तुमसे रात भर चुदवाऊंगी। वह बाज़ार गया और एक स्कॉच लेकर आ गया। मैंने डिंक्स का इंतज़ाम किया। देवर और जीजा के साथ मैं शराब पीने लगी। आज मैं दोनों से चुदवाने के लिए बेताब थी। बीच में जब देवर बाथ रूम गया तो जीजा बोला ललिता तेरे देवर के रहते मैं कैसे तुम्हे चोदूंगा ? मैंने कहा अरे जीजा जी देवर के सामने क्या तुम्हे शर्म आएगी मुझे चोदने में ? क्या तुम इतने शर्मीले हो ? वह भोसड़ी का बैठा रहेगा। अगर वह मर्द होगा तो अपना लण्ड खोल कर खड़ा हो जायेगा। लेकिन तुम मुझे चोदते रहना ?
मैंने दोनों को इसी तरह का झांसा दिया।
मैंने बस पेटीकोट पहन था। ऊपर एक चुन्नी डाल ली थी जो बार बार नीचे गिर जाती थी और मैं गिरा भी देती थी। एक एक गिलास शराब जब ख़तम हुई और दूसरा गिलास जब शुरू हुआ तो मेरी चुन्नी फिर गिर पड़ी। मैंने उसे गुस्से में उतार कर फेंकते हुए कहा अरी जा बुर चोदी अपनी माँ चुदा भोसड़ी वाली ? अब मैं तुझे नहीं उठाऊंगी। मेरी गालियां सुन कर दोनों बहुत मस्त हो गए। दोनों की निगाहें फिर मेरी चूँचियों पर टिक गयीं। मैंने कहा जीजा जी तुम बहन चोद कपड़े पहने क्यों बैठे हो ? नंगे होने में तेरी गांड फटती है क्या ? और तुम माँ के लौड़े शिवा अपना लण्ड अभी तक लाकर में क्यों रखे बैठे हो ? खोलो न इसे। बाहर निकालो न इसे मैं भी तो देखूं की तुम मरद हो की नहीं ? मैंने उसका लण्ड ऊपर से दबा कर कहा। मैं फिर बोली देखो जीजा जी मैं अगर नंगी हूँ तो तुम लोगों को भी नंगा होना पड़ेगा।
अचानक देवर ने कहा भाभी अभी तुम्हारी चूत तो छिपी ही बैठी है। मैंने बड़ी बेशर्मी से पेटीकोट खोलते हुए कहा ले देख ले मेरी चूत। तू भी देख ले जीजू मेरी चूत ? ले मेरी गांड भी देख ले। मैं घूम भी गयी। मैं फिर उन दोनों को नंगा करने लगी। जब दोनों लण्ड मेरे हाथ में आये तो मैं सोफा पर बैठ गयी। एक तरफ देवर दूसरी तरफ जीजा बीच में मैं ? मैंने कहा लो तुम लोग मेरी एक एक चूँची पियो मैं तब तक तुम लोगों के लण्ड सहलाती हूँ। फिर क्या दोनों मेरे बूब्स मजे से दबाने लगे और चूसने चाटने भी लगे। मैं भी दोनों खड़े लण्ड का मज़ा एक साथ लेने लगी। थोड़ी देर तक लण्ड सहलाने के बाद मैं एक एक करके लण्ड चाटने चूसने लगी। कभी शिवा का लण्ड चाटती तो कभी जीजा का लण्ड ? कभी जीजा का लण्ड चूसती तो कभी देवर का लण्ड। मुझे दोनों लण्ड जबरदस्त पसंद आ गए। वो दोनों बीच बीच में मेरी चूत भी सहलाने लगते और मेरे पूरे नंगे बदन पर हाथ फिराने लगते। फिर मैं आगे बढ़ी और अपनी टांगें फैलाकर चित लेट गयी। मेरे ऊपर मेरा देवर चढ़ गया। उसने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और चोदने लगा। मैं जीजा का लण्ड चाटने लगी। मेरा पूरा बदन हिल रहा था। मेरी चूँचियाँ तो जैसे नाच रही हों। उन्हें देख कर शिवा भोसड़ी का और तेज तेज चोदने लगा। थोड़ी देर में जीजा ने लण्ड मेरी बुर में पेला और वह चोदने लगा। शिवा ने लण्ड मेरे मुंह में घुसेड़ दिया। मुझे इस अदला बदली से और मज़ा आने लगा। मैं लगातार ५ मिनट तक ऐसे ही चुदवाती रही।
फिर मैंने देवर को नीचे लिटाया और मैं ऊपर चढ़ गयी। उसका लण्ड चोदने लगी। मैं धक्के पे धक्के लगाने लगी। पीछे मेरी गांड खुली हुई थी। जीजा भोसड़ी का उसे देखता रहा और फिर अपना लण्ड पेल दिया मेरी गांड में ? मैंने कहा उई माँ ! मेरी गांड फाड़ोगे क्या जीजू ? तेरी माँ की चूत, तूने पहले तो कभी मेरी गांड नहीं मारी ? तो फिर आज क्यों ? तब तक लण्ड साला अंदर घुस चुका था। अब आगे से मेरा देवर मुझे चोदने लगा और पीछे से मेरा जीजू ? इन दोनों ने जगह अदल बदल कर मेरी चूत और गांड का बाजा खूब बजाया।
एक दिन शिवा दौड़ा दौड़ा मेरे पास आया और बोला भाभी सुल्लू आ गया है। कहो तो आज भी प्रोग्राम रख लूं ? मैंने कहा माँ के लौड़े शिवा तुझे बड़ी जल्दी है अपनी भाभी की बुर चुदवाने की ? अभी दो दिन तक मैं चुदवा नहीं सकती। उसके बाद लेकर आना उसे तब मैं देखूँगी की उसके लण्ड में कितनी दम है...
वो रात मैं कभी भूल नहीं सकती जिस रात को मैं नंगी नंगी सोफा पर बैठी हुई अपने देवर का लण्ड चाट रही थी। रात के १२ बजे थे। उस दिन घर पर केवल हम दो ही लोग थे। न मुझे बिस्तर पर नींद आ रही थी और न मेरे देवर को। वह करवटें बदल रहा था और मैं भी। मेरी चूत ने मुझे परेशान कर रखा था। उधर उसका लण्ड भी उत्पात मचा रखा था। गर्मी के दिन थे। बदन पर एक भी कपड़ा सहन नहीं हो रहा था। मैं उठी और देवर के कमरे में चली गयी। मेरी चूँचियाँ लगभग खुली हुई थीं। उन्हें देख कर देवर के लण्ड की आग भड़क उठी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर कहा अब इन्हे अच्छी तरह दिखा दो न मुझे भाभी । फिर उसने मेरी चूँचियाँ नंगी कर दीं और उन्हें चूमने लगा। प्यार से दबाने लगा मेरी मस्त मस्त चूँचियाँ। मैंने भी कहा हाय दईया ज़रा आहिस्ते आहिस्ते दबाओ देवर जी मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ। इसी बीच मैंने उसका लण्ड ऊपर से दबा दिया और कहा हाय रे ये तो बहन चोद पहले से ही खड़ा है। अब मुझे भी दिखाओ न अपना लण्ड, देवर जी । मेरे मुंह से गाली सुनकर और 'लण्ड' सुनकर उसके मर्दानगी जग उठी और उसने अपनी लुंगी खोल कर फेंक दी. वह मेरे सामने बिलकुल नंगा हो गया। अब मेरी आँखों के सामने उसका लण्ड अपना सिर उठा कर हिनहिनाने लगा। मैंने उसे पकड़ा, चूमा और जबान निकाल कर चाटने लगी।
मेरा नाम ललिता है मैं २८ साल की हूँ, शादी शुदा हूँ। मैं छरहरी बदन की हूँ, मेरी चूँचियाँ बड़ी बड़ी हैं और खूबसूरत होने के साथ साथ मैं बहुत छिनार प्रकृति की बीवी हूँ। छिनार उसे कहते हैं जो पराये मर्दों से चुदवाती है और मुझे सबसे ज्यादा सुख पराये मर्दों से चुदवाने में ही मिलता है। मैं कोई भी ऐसा मौक़ा नहीं छोड़ती जिसमें मुझे पराये मरद से चुदवाने की गुंजाईस हो ? अगर चुदवाने का मौक़ा नहीं मिलता तो मैं लण्ड मुंह में लेकर चूस लेती हूँ और सड़का मार कर लण्ड पी लेती हूँ। जबसे मैं लण्ड पी रही हूँ तबसे मेरी सेहत ठीक रहती है, मेरी खूबसूरती बढ़ गयी है, मेरे चेहरे पर चमक आ गयी है और मेरी चूँचियाँ भी बड़ी बड़ी हो गयीं हैं। मुझे तो लण्ड पीने के कई फायदे मिल चुके हैं और मिलते रहतें हैं। इसलिए मैं लण्ड जरूर पीती हूँ। लण्ड पीने का मतलब है लण्ड का वीर्य पीना। जी हां मैं झड़ते हुए लण्ड का वीर्य पीती हूँ। वीर्य का एक एक बूँद रस पी जाती हूँ और फिर लण्ड का सुपाड़ा चाट चाट कर उसे एकदम चिकना कर देती हूँ।
मैं बुरी तरह से देवर का लण्ड चाटने लगी। साथ साथ उसके पेल्हड़ भी चाटने चूमने लगी। लण्ड पर झांटों का नामोनिशान नहीं था इसलिए मुझे लण्ड बड़ा भी लग रहा था और खूबसूरत भी। मैं खूबसूरत लण्ड बहुत पसंद करती हूँ. मैं ऐसा कोई लण्ड पसंद नहीं करती जिसका सुपाड़ा खुलता न हो ? कई ऐसे लण्ड होतें हैं जिनका सुपाड़ा नहीं खुलता। हालांकि उसका हल्का सा ऑपरेशन करवा कर सुपाड़ा खोला जा सकता है पर लोग शायद ऐसा नहीं करते ? मैं उन्हें सलाह देती हूँ की वो किसी डॉक्टर के पास जाकर अपने लण्ड का सुपाड़ा खुलवा लें। लण्ड का मज़ा उसके सुपाड़े में ही होता है। सुपाड़ा ही लण्ड की असली खूबसूरती है और ताकत भी। सुपाड़ा को लण्ड का टोपा भी कहा जाता है और कुछ लोग इसे लण्ड का माथा भी कहते हैं। हर एक लण्ड का सुपाड़ा अलग अलग होता है। इसीलिए हम लड़कियों को तरह तरह के लण्ड पकड़ने की इच्छा बनी रहती है। ऐसे ही लड़कियों की चूँचियाँ भी अलग अलग होतीं हैं जिन्हे देखने के लिए और दबाने के लिए लड़के हमेशा उत्साहित रहतें हैं।
मेरा देवर शिवा मुझसे २ साल छोटा है। हैंडसम है, गोरा चिट्टा है और अच्छी कद काठी का है। उसकी शादी भी हो चुकी है पर वह मेरी चूत में चक्कर में ही रहता है। मैं भी उसके लण्ड के चक्कर इधर उधर घूमा करती हूँ। आज मुझे एक बेहतरीन मौका मिल गया। मैंने सोंच लिया की आज मैं रात भर खूब जम कर चुदवाऊंगी। मैं थोड़ा घूमी तो उसने अपना मुंह मेरी दोनों टांगों पर अपना मुंह घुसेड़ दिया। मैं उसका मतलब समझ गयी। वह मेरी बिना झांट की चिकनी बुर चाटने लगा। मुझे बुर चटवाने में वाकई बड़ा मज़ा आता है। मैं बहुत ज्यादा गरम हो गयी। मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था। मैंने कहा शिवा अब पेल दो अपना लण्ड मेरी चूत में। चोद डालो मेरी बुर चोदी बुर ? मेरी चूत का सारा गुमान चूर चूर कर दो मेरा देवरा राजा ? तेरा लण्ड बहन चोद मोटा भी है और ताकतवर भी।
वह राशन पानी लेकर मेरे ऊपर चढ़ बैठा और पूरा लौड़ा एक ही धक्के में पेल दिया। मैं बस उई माँ कह कर रह गयी। वह मुझे पूरे में जोश से चोदने लगा और मैं भी उसका साथ देते हुए चुदवाने लगी। सच बता रहगी हूँ दोस्तों, की मैंने इतनी उन्मुक्त होकर पहले कभी नहीं चुदवाया। आज मुझे अपने देवर पर गर्व है और उसके लण्ड पर गर्व है। मैं उससे ज्यादा उसके लण्ड से प्यार करने लगी हूँ। वह बोला भाभी आज मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है। इतना मज़ा मुझे पहली किसी की बुर चोदने में नहीं आया। वह ऐसा बोल बोल कर धक्के पे धक्का लगाए जा रहा था। मैं उसके धक्के को बर्दास्त करती जा रही थी। लण्ड साला अंदर घुस कर बड़ी दूर तक चोट कर रहा था। आज मेरी बुर भी ससुरी मस्त हो गयी। मैं चाहती हूँ की इसी तरह के लड़के आएं और मुझे चोदें।
मैंने चुदवाते चुदवाते पूंछ भी लिया की शिवा तेरे दोस्त भी होंगें जिनके लण्ड तेरे लण्ड की तरह मोटे तगड़े होगें। वह बोला हां भाभी दोस्त तो हैं पर उनके लण्ड के बारे में मुझे नहीं मालूम ? मैंने कहा तुम उन सबको मुझसे मिलवा दो। मुझे जिसका लण्ड पसंद आएगा मैं उससे चुदवाती रहूंगी बाकी को भूल जाऊंगी। मैं चाहती हूँ की तुम अपने दोस्तों से मेरी बुर चुदवाओ और तुम भी इसी बहाने उनकी बीवियां चोदो और उनकी भाभियाँ चोदो। फिर देखो कितना मज़ा आता है ? फिर वह मुझे पीछे से डॉगी स्टाइल में चोदने लगा और मैं भी मजे से कुतिया की तरह चुदवाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उसे नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ बैठी। बैठते ही लण्ड मेरी चूत में घुस गया और मैं झुक कर उसका लण्ड मर्दों की तरह चोदने लगी। लण्ड चोदना मैंने ब्लू फिल्म से सीखा है। इसमें मुझे खूब मज़ा आता है।
मैं तो कहती हूँ की चोदना केवल मर्दों को ही नहीं आता, औरतों को भी आता है चोदना। और केवल चूत ही नहीं चोदी जाती, लण्ड भी चोदे जातें हैं।
जब वह झड़ने लगा तो मैंने मुंह खोल दिया और सारा वीर्य अपने मुँह मे ही गिरवा लिया। मुझे लण्ड पीने का भी जबरदस्त शौक है।
एक दिन मेरा रोहन जीजा आ गया। वह भी मस्त जवान और हैंडसम आदमी है और मेरे देवर से दो साल बड़ा है। मैंने उसे तीन साल पहले उसकी शादी में ही देखा था। लेकिन आज वह मुझे ज्यादा हैंडसम लग रहा था। बस मेरी नियत डोल गयी। मैंने मन बना लिया की आज रात को मैं इसका लण्ड जरूर पकड़ूँगी ? गर्मी के दिन थे। मैंने भी छोटे कपड़े पहने हुई थी। उसे छत पर सोने की आदत थी। वह उस दिन छत पर ही सो रहा था। मैं सवेरे सवेरे छत पर पहुँच गयी। मैंने देखा की जीजा का लण्ड चादर के अंदर तम्बू बनाकर खड़ा है। बस मेरी चूत की आग भड़क उठी। मेरा मन लण्ड पकड़ने का हो गया। सबसे पहले मैंने छत का दरवाजा बंद किया ताकि घर का कोई भी आदमी छत पर न आ सके और मैं इत्मीनान से लण्ड का मज़ा ले सकूं ? मैंने अपनी छोटी सी ब्रा खोल कर फेंकी दी। मेरी दोनों चूँचियाँ एकदम नंगी हो गयीं। मैं इधर उधर से लण्ड देखने की कोशिश करने लगी।
जब नहीं दिखा तो चादर का एक कोना धीरे से उठाया। मुझे थोड़ा हिस्सा दिखा। मालूम हुआ की लण्ड की झांटें बहुत छोटी छोटी हैं। शायद उसने २/३ दिन पहले ही अपनी झांटें बनाईं होंगीं। मैंने और हिम्मत की तो चादर लण्ड के ऊपर से गिरा दिया। अब लण्ड का मुझे पूरा दर्शन हो गया। मैं मस्त हो गयी और जबान से लण्ड का टोपा छू लिया। टोपा बहन चोद पूरा का पूरा बाहर था और बड़ा खूबसूरत लग रहा था। मैंने धीरे से हाथ बढ़ाया और लण्ड मुठ्ठी में ले लिया और हौले हौले ऊपर नीचे करने लगी। मेरे हिसाब से लण्ड का साइज ८" x ५" होगा ? इस साइज का लण्ड बहुत अच्छा होता है। लण्ड की गर्माहट मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। मैंने कई बार लण्ड ऊपर नीचे किया पर जीजा बहन चोद टस के मस नहीं हुआ। मैंने फिर सख्ती से लण्ड पकड़ा और हिलाया। मैं समझा की अब वह जग जायेगा। पर वह फिर भी नहीं उठा बल्कि उसने अपनी गांड से थोड़ा जोर लगाया तो लण्ड और ताव में आ गया।
मैं समझ गयी की वह जग गया है पर मस्ती कर रहा है। मैंने इतने में लण्ड का सुपाड़ा अपने मुंह में ले लिया और अपने होठों से दबा लिया। मैं अंदर ही अंदर लण्ड के टोपा के चारों ओर जबान घुमाने लगी तब उसकी सिसकारी निकली और उसने मुझे अपनी तरफ घसीट लिया। वह बोला हाय मेरी जान ललिता लण्ड पूरा ले लो अपने मुंह में, प्लीज। मैंने कहा जीजू भोसड़ी के अभी तक नाटक कर रहे थे। लो तुम मेरी चूत चाटो मैं तेरा लण्ड चाटती हूँ। मैंने अपना पेटीकोट उतार कर फेंका और चूत उसके मुंह पर रख दी। मुझे जीजा का लण्ड चाटने चूसने में। उधार वह भी मेरी चूत का मज़ा लेने लगा। मैं समझ गयी की अब मेरे सम्बन्ध जीजा से बन गएँ हैं। मैं जब चाहूंगी इससे चुदवा लूंगी और आगे भी चुदवाया करूंगी।
मैं फिर उसके ऊपर से उतरी और उसकी टांगों के बीच बैठ गयी जैसे औरतें चकिया पीसने बैठतीं हैं। मैंने लण्ड मुठ्ठी में लिया और सड़का मारने लगी। मुझे सड़का मारना बड़ा अच्छा लगता है। मैं लण्ड से मस्ती भी करने लगी। मैं लण्ड से बोली - हाय मेरे लण्ड महराज तू तो भोसड़ी का बहुत बड़ा हरामजादा है। अपनी साली की बुर चोदना चाहता है। मेरी बहन की बुर में घुस कर तेरा पेट नहीं भरा मादर चोद ? अब तू मेरी दीदी की बहन की बुर लेना चाहता है। मैं आज तेरी गांड मारूंगी ? तू मुझे बहुत प्यारा लग रहा है, यार । लण्ड राजा, तेरी बहन की बुर ? मैंने २/३ थप्पड़ प्यार से लण्ड पर जड़ दिया तो वह और हिनहिनाने लगा। मैं बीच बीच में लण्ड की चुम्मी भी लेती जा रही थी। मेरा लण्ड से प्यार करने का यही तरीका है। इसी तरह की अल्लम गल्लम बातें मुंह से निकाल रही थी और सड़का भी मार रही थी। तभी अचानक लण्ड ने वीर्य उगलना शुरू कर दिया जिसे मैंने अपंने मुंह में ले लिया। मैं उसे पूरा पी गयी। और लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी। मुझे लण्ड पीना बहुत अच्छा लगता है।
दूसरे दिन शिवा मेरे पास आया और बोला भाभी एक ख़ुशी की बात है। तुम्हारे लिए मैंने एक लण्ड ढूंढ लिया है। मैं तो यह सुनकर वाकई उछल पड़ी।
वह बोला :- भाभी वो है मेरा दोस्त सुल्लू। मुझे उसके लण्ड के बारे में उसकी भाभी से पता चला। वह कह रही थी की शिवा तेरे लण्ड के जैसा मेरे भी देवर का लण्ड है। इतना ही बड़ा और इतना ही मोटा ?
मैंने कहा :- उसने तेरा लण्ड कैसे और कब देख लिया बरखुरदार शिवा ?
उसने बताया :- अरे भाभी मैं उसके घर गया तो मिला पर हां उसकी भाभी मिल गयीं । घर में कोई और नहीं था। भाभी की बड़ी बड़ी चूँचियाँ झाँक रहीं थीं। मैंने कह दिया भाभी आपकी चूँचियाँ तो बहुत बड़ी बड़ी हैं क्या मैं पकड़ कर देख लूं। मैं समझा की वह मुझे डांट कर भगा देगीं। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। बल्कि बोली शिवा तुम इन्हे पकड़ कर देख लो मैं मना नहीं करूंगी ? लेकिन फिर मैं भी तेरा पकड़ कर देखूँगी। यह बात सुनकर मेरा लण्ड साला अंदर ही अंदर खड़ा हो गया। मैंने बोला हां हां जरूर देख लेना भाभी ? उसने अपनी ब्रा खोल दी और मुझे चूँचियाँ दिखाती हुई बोली लो पकड़ो इन्हे। मैं सच में दबाने लगा चूँचियाँ तो मज़ा आने लगा। फिर उसने मेरी पैंट खोल दी मुझे नंगा कर दिया और मेरा लण्ड पकड़ कर हिलाने लगीं। मैंने उसकी चूत देखी उसकी गांड देखी उसके चूतड़ देखे और उसकी मोटी मोटी जाँघे देखी। मज़ा तो आया भाभी पर तेरी खूबसूरती के आगे वह थोड़ी फीकी लगी।
मैंने कहा :- ये बताओ तुमने उसकी बुर चोदी की नहीं ?
वह बोला :- नहीं भाभी बिलकुल नहीं चोदी। उसने लण्ड का सड़का मारा और मजे से मेरा लण्ड पिया। जाते समय वह बोली शिवा तुम २/३ दिन बाद आना। तब तक मेरा पति बाहर चला जायेगा और सुल्लू भी आ जायेगा। तब तुम दोनों मिलकर मुझे चोदना। फिर मैं चला आया। अब मैं सुल्लू के आते ही पहले तुम्हे चुदवाऊंगा फिर मैं उसकी भाभी चोदूँगा।
तब तक जीजा आ गया वह बोला ललिता मुझे अब दो दिन और रुकना पड़ेगा क्योंकि मेरे काम में दो दिन लगेंगें। मैंने कहा अरे जीजू ये तेरा ही घर है। जब तक चाहो तब तक रुको ? शाम को कुछ ऐसा हुआ की घर में केवल मैं, मेरा देवर और मेरा जीजा ही रह गया बाकी लोग सब एक शादी में दो दिन के लिए चल गए। मैंने शिवा को इशारा किया तो वह एक बोतल शराब की ले आया। वह बोला तेरा जीजा है तो फिर कैसे होगी चुदाई ? मैंने कहा वह क्या करेगा भोसड़ी का ? ज्यादा से ज्यादा मेरी झांटें उखाड़ेगा और क्या करेगा। अगर उसके लण्ड में ताकत होगी वह भी मुझे चोद लेगा ? लेकिन आज रात को तुम मुझे जम कर चोदोगे। मैं तुमसे रात भर चुदवाऊंगी। वह बाज़ार गया और एक स्कॉच लेकर आ गया। मैंने डिंक्स का इंतज़ाम किया। देवर और जीजा के साथ मैं शराब पीने लगी। आज मैं दोनों से चुदवाने के लिए बेताब थी। बीच में जब देवर बाथ रूम गया तो जीजा बोला ललिता तेरे देवर के रहते मैं कैसे तुम्हे चोदूंगा ? मैंने कहा अरे जीजा जी देवर के सामने क्या तुम्हे शर्म आएगी मुझे चोदने में ? क्या तुम इतने शर्मीले हो ? वह भोसड़ी का बैठा रहेगा। अगर वह मर्द होगा तो अपना लण्ड खोल कर खड़ा हो जायेगा। लेकिन तुम मुझे चोदते रहना ?
मैंने दोनों को इसी तरह का झांसा दिया।
मैंने बस पेटीकोट पहन था। ऊपर एक चुन्नी डाल ली थी जो बार बार नीचे गिर जाती थी और मैं गिरा भी देती थी। एक एक गिलास शराब जब ख़तम हुई और दूसरा गिलास जब शुरू हुआ तो मेरी चुन्नी फिर गिर पड़ी। मैंने उसे गुस्से में उतार कर फेंकते हुए कहा अरी जा बुर चोदी अपनी माँ चुदा भोसड़ी वाली ? अब मैं तुझे नहीं उठाऊंगी। मेरी गालियां सुन कर दोनों बहुत मस्त हो गए। दोनों की निगाहें फिर मेरी चूँचियों पर टिक गयीं। मैंने कहा जीजा जी तुम बहन चोद कपड़े पहने क्यों बैठे हो ? नंगे होने में तेरी गांड फटती है क्या ? और तुम माँ के लौड़े शिवा अपना लण्ड अभी तक लाकर में क्यों रखे बैठे हो ? खोलो न इसे। बाहर निकालो न इसे मैं भी तो देखूं की तुम मरद हो की नहीं ? मैंने उसका लण्ड ऊपर से दबा कर कहा। मैं फिर बोली देखो जीजा जी मैं अगर नंगी हूँ तो तुम लोगों को भी नंगा होना पड़ेगा।
अचानक देवर ने कहा भाभी अभी तुम्हारी चूत तो छिपी ही बैठी है। मैंने बड़ी बेशर्मी से पेटीकोट खोलते हुए कहा ले देख ले मेरी चूत। तू भी देख ले जीजू मेरी चूत ? ले मेरी गांड भी देख ले। मैं घूम भी गयी। मैं फिर उन दोनों को नंगा करने लगी। जब दोनों लण्ड मेरे हाथ में आये तो मैं सोफा पर बैठ गयी। एक तरफ देवर दूसरी तरफ जीजा बीच में मैं ? मैंने कहा लो तुम लोग मेरी एक एक चूँची पियो मैं तब तक तुम लोगों के लण्ड सहलाती हूँ। फिर क्या दोनों मेरे बूब्स मजे से दबाने लगे और चूसने चाटने भी लगे। मैं भी दोनों खड़े लण्ड का मज़ा एक साथ लेने लगी। थोड़ी देर तक लण्ड सहलाने के बाद मैं एक एक करके लण्ड चाटने चूसने लगी। कभी शिवा का लण्ड चाटती तो कभी जीजा का लण्ड ? कभी जीजा का लण्ड चूसती तो कभी देवर का लण्ड। मुझे दोनों लण्ड जबरदस्त पसंद आ गए। वो दोनों बीच बीच में मेरी चूत भी सहलाने लगते और मेरे पूरे नंगे बदन पर हाथ फिराने लगते। फिर मैं आगे बढ़ी और अपनी टांगें फैलाकर चित लेट गयी। मेरे ऊपर मेरा देवर चढ़ गया। उसने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और चोदने लगा। मैं जीजा का लण्ड चाटने लगी। मेरा पूरा बदन हिल रहा था। मेरी चूँचियाँ तो जैसे नाच रही हों। उन्हें देख कर शिवा भोसड़ी का और तेज तेज चोदने लगा। थोड़ी देर में जीजा ने लण्ड मेरी बुर में पेला और वह चोदने लगा। शिवा ने लण्ड मेरे मुंह में घुसेड़ दिया। मुझे इस अदला बदली से और मज़ा आने लगा। मैं लगातार ५ मिनट तक ऐसे ही चुदवाती रही।
फिर मैंने देवर को नीचे लिटाया और मैं ऊपर चढ़ गयी। उसका लण्ड चोदने लगी। मैं धक्के पे धक्के लगाने लगी। पीछे मेरी गांड खुली हुई थी। जीजा भोसड़ी का उसे देखता रहा और फिर अपना लण्ड पेल दिया मेरी गांड में ? मैंने कहा उई माँ ! मेरी गांड फाड़ोगे क्या जीजू ? तेरी माँ की चूत, तूने पहले तो कभी मेरी गांड नहीं मारी ? तो फिर आज क्यों ? तब तक लण्ड साला अंदर घुस चुका था। अब आगे से मेरा देवर मुझे चोदने लगा और पीछे से मेरा जीजू ? इन दोनों ने जगह अदल बदल कर मेरी चूत और गांड का बाजा खूब बजाया।
एक दिन शिवा दौड़ा दौड़ा मेरे पास आया और बोला भाभी सुल्लू आ गया है। कहो तो आज भी प्रोग्राम रख लूं ? मैंने कहा माँ के लौड़े शिवा तुझे बड़ी जल्दी है अपनी भाभी की बुर चुदवाने की ? अभी दो दिन तक मैं चुदवा नहीं सकती। उसके बाद लेकर आना उसे तब मैं देखूँगी की उसके लण्ड में कितनी दम है...
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