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नई नई बीवियां चोदा करो बाबू जी मजा आएगा - Dusron ki Patniyan deti hai jyada majaa
- उस दिन मेरी कामवाली ने मेरा लण्ड चूमते हुए कहा बाबू जी इतना बढ़िया लण्ड है तेरा तो फिर तुम लोगों की बीवियां क्यों नहीं चोदते?
- मैंने कहा - अरे बबली, भला मुझसे कौन चुदवायेगा अपनी बीवी ?
- वह बोली - अरे बाबू जी, यह सच है की कोई अपनी बीवी दूसरे से नहीं चुदवाता लेकिन यह भी सच है की बीवियां बुर चोदी खुद ही दूसरों से चुदवाती हैं और खूब चुदवाती हैं। मैंने इस मोहल्ले में कई बीवियों को पराये मर्दों से चुदवाते हुए देखा है। कई बीवियों के लिए तो लण्ड का इंतज़ाम मैं ही करती हूँ। ये बीवियां खास तौर से खूबसूरत बीवियां ऊपर से बड़ी भोली भाली लगती हैं लेकिन अंदर से भोसड़ी वाली सब की सब ग़ैर मर्दों के लण्ड अपनी बुर में घुसेड़तीं हैं। यहाँ कोई भी ऐसी बीवी नहीं है बाबू जी, जो २/३ मर्दों से चुदवाती न हो ?
- तो क्या तुम किसी बीवी की दिलवा सकता हो मुझे, बबली ?
- हां बाबू जी, मैं दिलाऊंगी तुम्हे नई नई बीवियों की बुर ? तुम नई नई बीवियों की बुर चोदना और खूब मज़ा लेना ? बस मेरी एक शर्त है, बाबू जी ?
- क्या शर्त है तेरी, बबली ?
- इसके लिए मैं तुमसे पैसा भी लूंगी और तेरा लण्ड भी लूंगी।
- मुझे मंजूर है, बबली।
उसने पहले बर्तन साफ़ किया और फिर वह झाडूं लगाने लगी। उसने देखा की मैं फिर सो गया हूँ. उसने चारों तरफ से देखा की मैं सच में सो रहा हूँ। पर मेरा लण्ड बहन चोद जग रहा था। वह तो आधे से अधिक मेरी लुंगी के बाहर भी निकल आया था। लण्ड का सुपाड़ा तो एकदम बाहर निकला हुआ था। बबली की निगाह जब मेरे लण्ड पर पड़ी तो वह थोड़ा रुक गयी और लण्ड बड़ी देर तक देखती रही। उसका भी मन लण्ड पर आ गया। वह ब्लाउज़ के ऊपर से ही अपनी चूँचियाँ मसलने लगी। मैं कनखियों से देख रहा था। फिर उसने अपनी चूँचियाँ बाहर निकाली तो मेरे लण्ड में जबरदस्त उछाल आ गया। लण्ड बहन चोद सरक कर आगे बढ़ गया। बबली का मन हो रहा था की वह लण्ड पकड़ ले पर वह खड़ी खड़ी जाने क्या सोंचने लगी ? फिर वह झुकी और लुंगी का एक कोना धीरे से उठाया। कोना उठाते ही मेरा लण्ड एकदम नंगा नंगा उसकी आँखों के सामने आ गया। वह खड़ा लण्ड देखकर अपने होंठ चाटने लगी।
मैं समझ गया की बबली गरमा गयी है। अब मेरा मन था की वह लण्ड जल्दी से जल्दी पकड़ ले। मेरा लण्ड साला और फुफकारने लगा। उधर वह बैठ गयी और धीरे से हाथ बढ़ाया और आहिस्ते से लण्ड अपनी उंगलियों से उठाया। उसने अपने होंठ लण्ड के सुपाड़ा पर छुवाया और मस्ती से एक चुम्मी ली। मेरे पूरे बदन में करंट लग गया। मेरा लण्ड और तन गया। उसने लण्ड धीरे से मुठ्ठी में लिया और हौले हौले सहलाने लगी। मैं कनखियों से उसकी चूँचियाँ ताकने लगा। वह लण्ड ऊपर नीचे करने लगी। फिर उसने स्पीड बढ़ा दी और जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करने लगी। उसे शायद यह मालूम हो गया की मैं जग रहा हूँ। वह बोली - हाय दईया बाबू जी तेरा लण्ड तो बड़ा मोटा है और लंबा भी खूब है ? बड़ा प्यारा लग रहा है तेरा लण्ड ? उसके मुंह से लण्ड सुनकर मेरा लण्ड साला और तन गया। बस मैं उठ बैठा और सीधे उसकी बड़ी बड़ी चूँचियों पर हमला बोल दिया। मैंने उसके ऊपर के कपड़े खोल डाले। उसका पेटीकोट खोल डाला। उसे पूरी नंगी कर दिया और उसकी छोटी छोटी झांटों वाली चूत पर हाथ फेरने लगा। मैंने कहा बबली तेरी चूत तो मक्खन मलाई है। तेरी चूँचियाँ तो बहुत ही सख्त और मस्त है यार ? तू भोसड़ी की बहुत खूबसूरत है मेरी जान ?
इतना सब कुछ हुआ लेकिन उसने कहीं मेरा लण्ड नहीं छोड़ा। उसने प्यार से एक बार लण्ड चूमा और फिर पेल्हड़ चूमे और फिर सुपाड़ा मुंह में भर लिया। वह बड़े मजे से लण्ड चूसने लगी और मैं उसके नंगे बदन का मज़ा लेने लगा। फिर उसने मेरा लण्ड आधे से अधिक अपने मुंह में घुसेड़ लिया। बार बार लण्ड मुंह से निकालती और फिर मुंह में घुसेड़ लेती। मुझे में वाकई बड़ा मज़ा आने लगा। मैं भी उसका मुंह चूत समझ कर चोदने लगा। वह भी एन्जॉय करने लगी।
- मैंने पूंछा - बबली तुमने यह सब कहाँ से सीखा ? मुझे तो बड़ा अच्छा लग रहा है।
- वह बोली मैंने ब्लू फिल्मों से सीखा है बाबू जी।
- तुम्हे ब्लू फिल्म देखने का मौक़ा कहाँ मिलता है ?
- वह बोली मैं जहाँ जहाँ काम करती हूँ वहां वहां या तो साहेब मुझे ब्लू फिल्म दिखा देतें है और या फिर उनकी बीवियां दिखा देतीं हैं।
- अरे वाह तो तुम दोनों से खुली हुई हो।
- वह बोली जब मेम नहीं होतीं हैं तो साहेब मुझे ब्लू फिल्म दिखाता है और जब साहेब घर के बाहर चला जाता है तो मेम साहिबा दिखा देतीं हैं।
- तो तुम साहेब का लण्ड भी पकड़ती होगी ?
- हां हां खूब पकड़ती हूँ, मुंह में भी लेती हूँ लण्ड और बुर में भी।
- और जब साहेब चले जातें है तो फिर तम्हे लण्ड कहाँ से मिलता है ?
- साहेब के जाने के बाद बीवियां बुर चोदी गैर मर्दों से चुदवाने लगतीं है और मैं उस चुदाई में साथ देती हूँ। गैर मर्दों के लण्ड मेम की बुर चोदी बुर में घुसेड़ती हूँ। बीच बीच में लण्ड अपनी भी बुर में घुसेड़ लेती हूँ।
- तो इसका मतलब है की बीवियां छुप छुप कर पराये मर्दों से चुदवाती हैं।
- जी बाबू जी, ऐसी कोई बीवी नहीं है बुर चोदी जो अपने मियां से छुप छुप कर ग़ैरों से चुदवाती न हो और इसमें सबसे ज्यादा मैं मदद करती हूँ।
- तुम कैसे मदद करती हो, बबली ?
- मैं इन सब बीवियों के लिए लण्ड का इंतज़ाम करती हूँ ?
- तुम कैसे इंतज़ाम करती हो लण्ड का यार ?
- देखो साहेब मैं कई जगह काम करती हूँ। मैं इन्ही लोगों की अदला बदली करती रहती हूँ। इसका लण्ड उसकी बीवी की बुर में और उसका लण्ड इसकी बीवी की बुर में डालती रहती हूँ। मैं भी खुश, साहेब भी खुश और मेम साहिबा भी खुश ?
- बड़ी चालाक हो यार तुम बबली ?
दूसरे दिन जब वह आयी तो मैंने अंदर से दरवाजा बंद करके सीधे उसे अपनी तरफ खींच कर चिपका लिया और उसकी मस्त मस्त चूँचियाँ मसलने लगा। वह बोली अरे समर बाबू मुझे काम तो कर लेने दो ? फिर बाद में चोद लेना। मैंने कहा नहीं मैं पहले चोदूँगा काम तुम बाद में कर लेना ? मैंने उसके कपड़े उतारना शुरू कर दिया। नंगी कर डाला उसे और मैंने भी अपनी लुंगी खोल कर फेंक दी। मेरा लण्ड तो साला खड़ा ही था। बबली ने हाथ बढाकर लण्ड पकड़ लिया और बोली हाय दईया देखो न कितना बेताब हो रहा है बिचारा मेरी बुर चोदने के लिए ? उसने झुक कर लण्ड चूमा और लण्ड का सुपाड़ा चाटा। मैंने उसे ज़मीन पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ बैठा। मैंने लण्ड उसके मुंह पर रख दिया और अपना मुंह उसकी चूत पर। हम दोनों अब 69 बन कर मज़ा लेने लगे। मजे की बात यह थी की न उसकी झांटें थीं और न मेरी। मैं उसकी बुर चाटने लगा और वह मेरा लण्ड ? वह इतनी मस्ती से लण्ड चाट रही थी की मुझसे ज्यादा रुका नहीं गया और मैंने घूम कर लण्ड उसकी चूत पर टिका दिया।
मैंने एक धक्का दिया तो लण्ड सरसराता हुए उसकी चूत में घुस गया । चूत तो उसकी चुदी हुई थी पर टाइट थी तो मज़ा आया। फिर मैंने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी और मजे से चोदने लगा। वह भी मस्त होके चुदवाने लगी। मैंने जोर पकड़ लिया और धक्के जल्दी जल्दी मारने लगा। वह भी मस्ती में कुछ न कुछ बोलने लगी - हाय मेरे राजा मुझे खूब चोदो लौड़ा पूरा हुआ घुसा दो। फाड़ डालो मेरी बुर. चोद लो मेरी माँ की बिटिया की बुर ? हाय रे बड़ा बेरहम लौड़ा है तेरा, बाबू जी। बड़ा मज़ा आ रहा है। ऐसा लौड़ा तो लाल कोठी वाले बाबू जी का भी नहीं है। आज लग रहा है की मैं किसी मरद से चुदवा रही हूँ। बाबू जी और चोदो मुझे मैं तुझे नयी नयी बुर दिलवाऊंगी। कई बीवियों की बुर दिलवाऊंगी। कभी किसी दिन मेरी माँ का भोसड़ा भी चोद लेना ? मेरी मौसी की चूत भी मेरी ही चूत की तरह है। मैं तेरा लण्ड उसकी चूत में भी पेल दूँगी। वह भी बुर चोदी चुदवाने में बड़ी अव्वल है। उसके मियां का लण्ड मैं उसके सामने अपनी बुर में लेती हूँ। बाबू जी, तेरा लौड़ा मेरी चूत का भरता बना रहा है। हलुआ बना दिया तेरे लण्ड ने मेरी चूत का ?
थोड़ी देर में वह बोली बाबू जी मैं तो बहन चोद खलास हो गयी हूँ। मैंने कहा खलास तो मैं भी होने वाला हूँ बबली। वह बोली नहीं बाबू जी मैं तुझे खलास करूंगी। वह घूम गयी और लण्ड मुठ्ठी में भर लिया। वह लण्ड के आगे अपना मुंह फैलाकर दनादन सड़का मारने लगी। मुझे तो चोदने से ज्यादा उससे सड़का मरवाने में मज़ा आ रहा था। बस दो मिनट में ही मैं झड़ गया और तब उसने बड़े प्यार से मेरा झड़ता हुआ लण्ड पिया।
दो दिन के लिए मैं बाहर चला गया और जब वापस आया तो मैंने उसे बुला लिया। वह आयी और काम करने लगी तभी उसका फोन बज उठा। वह बोली जी मेम मैं। उसने स्पीकर ओंकार दिया। उधर से आवाज़ आयी अरी बबली अब तो वह आ गया होगा। आज रात को उसे ले आ मेरे पास। मेरा हसबैंड दो दिन के लिए टूर पर गया है। बबली बोली हां मेम आपका काम हो जायेगा। फोन बंद हुआ तो वह बोली चलो बाबू जी आज रात को मैं तुम्हे एक नयी बुर दिलाऊंगी। मैं शाम को आऊँगी और तुम्हे उसके पास ले चलूंगी। वह जब शाम को आयी तो मैं उसे देख कर चकित रह गया। वह बनी ठनी थी और बेहद खूबसूरत लग रही थी। वह मुझे थोड़ी दूर ले गयी और फिर एक गघर में घुस गयी। मैं अंडा गया तो मुझे एक नयी बीवी मिली। वह सुन्दर भी थी और हॉट भी। बाबू जी ये है मिसेज रितिका चौधरी एक बंगाली बीवी। उसने मुझे एक सोफा पर बैठा दिया। फिर ड्रिंक्स का सेट लग गया और हम तीनो शराब पीने लगे।
बबली ने बताया की रितिका की शादी अभी एक साल पहले ही हुई है। उसे पराये मरद के लण्ड से बेहद प्यार है। मैं उसका साथ देती हूँ और लण्ड का इंतज़ाम करती हूँ। रितिका जब थोड़ा नशे में आई तो वह अपनी बड़ी बड़ी चूँचियाँ थोड़ा थोड़ा दिखाने लगी। इतने में बबली उठी और रितिका के कपड़े खोलने लगी। खोलते समय बोली रितिका मेम जो बीवी पराये मरद से चुदवाने के लिए तैयार है उस बुर चोदी को नंगी होने में शर्म क्यों आ रही है ? रितिका की चूँचियाँ जैसे ही खुली तो उन्हें देख कर मेरे लण्ड में करंट लग गया। लण्ड साला अंदर ही अंदर खड़ा हो गया। उसके बाद जब बबली ने उसका पेटीकोट खोला तो उसकी मस्तानी छोटी छोटी झांटों वाली चूत मेरे सामने नाचने लगी। मैं चूत देख कर पागल हो गया। फिर बबली भी अपने कपड़े खोल कर नंगी हो गयी। वह आगे बढ़ी और मुझे भीं नंगा कर दिया। मेरा लण्ड जब बाहर आया तो बबली ने उसे पकड़ा और रितिका को दिखाती हुई बोली - लो मेम साहेब पकड़ के देखो बाबू जी का लण्ड ? है न तेरे मियां के लण्ड से बड़ा लण्ड बाबू जी का ? वह बोली तुझे कैसे मालूम मेरे मियां का लण्ड ? बबली ने बात बदल दी और कहा की नहीं मेरा मतलब अब तुम बताओ की बाबू जी का लण्ड बड़ा है की तेरे मियां का लण्ड ? रितिका ने कहा - बबली, मेरे मियां का लण्ड तो तेरे बाबू जी के लण्ड से छोटा है । इसका लण्ड बड़ा भी है और मोटा भी ?
बबली ने मन में कहा - अरे रितिका मेम जब तू बाहर चली जाती है तो मैं तेरे मियां से चुदवाती हूँ। इसलिए मैं तेरे मियां के लण्ड के बारे में सब कुछ जानती हूँ।
रितिका मेरा लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी, चूमने चाटने लगी और पेल्हड़ चूमने लगी। उसकी मस्ती बढ़ने लगी और मेरी भी। मैं उसके पूरे नंगे बदन पर हाथ फिराने लगा ख़ास तौर से उसकी चूँचियों पर, उसके चूतड़ों पर और मस्तानी गांड पर। रितिका तो मेरे लण्ड पर ऐसे जुट गयी जैसे की उसे आज पहली बार कोई लण्ड मिला हो । वह बोली - बबली आज मैं शादी के बाद पहली बार किसी पराये मरद का लण्ड चूस रही हूँ। मुझे रितिका लण्ड चूसना बड़ा अच्छा लग रहा था। मैं भी उसकी चूत चाटने लगा। मैंने जबान उसकी चूत में घुसेड़ कर चाटने लगा बल्कि जबान से उसकी बुर चोदने लगा। उसे मज़ा आया तो वह बोली हाय समर बाबू मेरे पति ने कभी मेरी बुर इतनी अच्छी तरह से नहीं चाटी जितनी अच्छी तरह से तुम चाट रहे हो ? मैंने कहा रितिका भाभी तुम भी मेरा लण्ड बहुत अच्छी तरह से चाट रहो हो। वह बोली अब तो मैं तेरा लण्ड चाटती रहूंगी। तेरे घर आकर तेरा लण्ड चाटूँगी समर बाबू। फिर मैं भी ज्यादा मस्ती में आ गया और लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। मैंने धकाधक चोदने लगा रितिका की बुर। वह भी अपनी गांड उठा के चुदवाने लगी। मैं धक्के पे धक्का मारे जा रहा था और वह बर्दास्त करती हुई चुदवाये चली जा रही थी।
बबली मेरे पेल्हड़ सहला रही थी और वह बीच बीच में लण्ड उसकी चूत से निकाल कर चाट भी लेती थी। रितिका बोली बबली तू भी इससे चुदवाती है न ? बबली ने कहा हां मेम साहेब चुदवाती हूँ। मुझे तो बाबू जी का लण्ड बहुत पसंद है। रितिका ने मेरा लण्ड बबली की बुर में घुसेड़ कर कहा बबली अब तू चुदवा मैं ज़रा पेशाब करके आती हूँ। वह पेशाब करने गई तो मैं बबली की बुर मजे से चोदने लगा। वह जब वापस आयी तो बबली ने लण्ड उसकी चूत में फिर पेल दिया। मुझे तो दोनों को एक साथ चोदने में बड़ा अच्छा लग रहा था। इस तरह मैंने रितिका को पीछे से भी चोदा और उसे अपने लण्ड पर बैठा कर भी चोदा। रितिका ने मुझे रात में रोक लिया और मैंने फिर रात में उसे तीन बार चोदा।
एक दिन इसी तरह बबली मुझे मिसेज पूजा घोष के पास ले गयी। वह भी एक बंगाली बीवी थी और रितिका से ज्यादा खूबसूरत और बड़ी बड़ी चूँचियों वाली थी। हम तीनो जब शराब पीने बैठे तो पूजा भाभी ने अपनी चूँचियाँ खोल रखीं थीं। पहला पैग जब उसने मुंह में लगाया तो उसका हाथ मेरे लण्ड पर चला गया। उसने मेरी पैंट खोली और लौड़ा बाहर निकाल कर बोली बबली मैं शराब के साथ लण्ड पीती हूँ। फिर वह मुझसे बोली समर बाबू तुम भी शराब के साथ मेरी चूँची पियो। मैं सच में अपनी जबान निकाल कर उसके निपल्स चाटने लगा। तब तक बबली भी अपने कपड़े उतार चुकी थी।
- लण्ड पकड़ते ही पूजा बोली - वाओ, तेरा लण्ड तो बड़ा मोटा है बहन चोद ? इब्राहिम अंकल के लण्ड से भी बड़ा है तेरा लण्ड समर बाबू। ये तो मेरी चूत जरूर फाड़ डालेगा। बबली तूने अपनी बुर फड़वाई अपने बाबू जी से ?
- बबली बोली - हां मेम साहेब मैं तो फड़वा चुकी हूँ २/३ बार अपनी बुर।
- पूजा - तूने अपनी माँ का भोसड़ा फड़वाया की नहीं ?
- बबली - नहीं मेम साहेब अभी तो नहीं फड़वाया ?
- वाओ तो इतने दिनों से तू अपनी गांड मरा रही थी क्या ? इतना बढ़िया लण्ड तूने अभी तक अपनी माँ की चूत मे पेला नहीं ?
- बबली - वास्तव में मुझे अभी तक माँ चुदाने का मौक़ा ही नहीं मिला। अभी तो मैं आप सबकी चूत की सेवा रही हूँ।
- पूजा - तेरी माँ की बहन का भोसड़ा ? यार मैं तो समर बाबू के लण्ड की दीवानी हो गयी हूँ। ये तो मेरे मौसा के लण्ड से भी मोटा है। इसका सुपाड़ा तो तोप का गोला है बहन चोद। आज मेरी चूत को असली मज़ा आएगा।
फिर मैंने एक दिन रानी मुखर्जी की बुर ली. एक दिन श्वेता घोषाल की बुर में लौड़ा पेला और एक दिन रुपाली बनर्जी की बुर चोदी। ये सब मुझसे बारी बारी से धकाधक चुदवाने लगीं। कभी मैं इनके घर जाता और इन्हे चोद कर आता और कभी ये मेरे घर आतीं और चुदवाकर वापस जातीं।
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