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तीन पति और तीन पत्नियां सामूहिक चुदाई - 3 Pati aur 3 Patniyan huyi samuhik chudai
तीन पति और तीन पत्नियां सामूहिक चुदाई - 3 Pati aur 3 Patniyan huyi samuhik chudai , मस्त और जबरदस्त चुदाई , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
मैं जब २५ साल की हुई तो मेरी नौकरी एक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर एक डिग्री कॉलेज में लग गयी, मैं सीधे मुंबई चली गयी और नौकरी ज्वाइन कर ली। वहां मेरी काजल मौसी रहती थीं मैं भी उन्ही के साथ रहने लगी। मौसी मुझसे दो साल बड़ी हैं बस ? मैं उसे कहती जरूर हूँ मौसी पर मानती हूँ अपनी दोस्त ? शादी न उसकी हुई थी और न मेरी ? उसकी भी चूत में आग लगी थी और मेरी भी चूत में ? उसे भी लण्ड की जरुरत थी और मुझे भी। मैं भी मौसी की तरह ब्लू फिल्म देखने की शौक़ीन थी और हिंदी सेक्स की कहानियां पढ़ने की भी। हम दोनों में खूब जमने लगी। कहानियां पढ़ते पढ़ते एक बार मेरे हाथ "sex" की कहानियां लग गयीं। मैं तो कहानियों के शीर्षक पढ़ पढ़ कर मस्त हो गयी। मेरी चूत बहन चोद गीली हो गयी. लण्ड की फोटो देख देख कर मुंह में पानी आ गया। मैं चुदासी हो गयी। मैं अपनी चूँचियाँ मसलन लगी और चूत पर हाथ फिराने लगी। थोड़ी देर में ऊँगली भी घुसेड़ दी चूत में। मैं तो आधी नंगी हो चुकी थी। तभी मौसी कमरे में आ गयी। उसने मुझे देखा तो वह दंग रह गयी और बोली अरे पूजा तू भोसड़ी की क्या पढ़ रही है माँ की लौड़ी ? वह भी कहानियां पढ़ने लगी तो उसने मेरी चूत पर हाथ लगा दिया। मैं उसकी चूँचियाँ दबाने लगी और कहा अरे मौसी देखो न कितनी गरम गरम कहानियां है बहन चोद ? लिखने वाला भोसड़ी का बड़ा हरामी होगा। और अगर लिखने वाली कोई लड़की है तो उसकी माँ का भोसड़ा ? उसकी बहन की बुर ? बुर चोदी इतनी गन्दी गन्दी कहानियां लिखती है की पढ़ते ही गांड फट जाती है।
मौसी बोली हाय दईया पूजा अब तू मेरी चूत में कोई लौड़ा घुसा दे ? चोद ले मेरी बुर ? यार एक नहीं दो दो लण्ड पेल दे मेरी बुर में ? मौसी भी नंगी हो गयी। मैंने उसकी चूत और चूँचियाँ पहली बार देखीं। उसने भी मुझे पहली बार नंगी देखा। हम दोनों एक दूसरे के आगे बिलकुल नंगी थीं और एक के बाद कहानियां नंगी नंगी पढ़ने लगीं। कहानी ख़तम होते ही मैं मौसी की बुर चाटने लगी और मौसी मेरी बुर। हम दोनों अपनी अपनी चूँचियाँ भी लड़ाने लगीं। मौसी अपनी चूँचियाँ मेरी चूँचियों पर रगड़ने लगीं और मैं अपनी चूँचियाँ उसकी चूँचियों पर। हम लोग लेस्बियन नहीं हैं पर लण्ड न होने की वज़ह से यह सब होने लगा।
मैंने कहा - अरे मेरी मौसी जी, तू भोसड़ी की यहाँ मुंबई ने दो साल से है अभी तक कोई लण्ड का इंतज़ाम नहीं कर पायी ? गांड मराती रही हो क्या तुम यहाँ ?
वह बोली - अरे पूजा मेरे कॉलेज के कुछ लड़के हैं जिन पर मेरी नज़र है पर आजतक मैं उनके लण्ड नहीं पकड़ पाई ?
मैंने पूंछा - तेरी गांड फटती है क्या लण्ड पकड़ने में मौसी ? अच्छा बताओ कौन कौन हैं वो मादर चोद लड़के ?
वह बोली - रोहित, रोहन, पीटर और इक़बाल।
मैंने कहा - वाओ, चार चार लकड़े ऐसे हैं जिनको तू पसंद करती है और अभी तक किसी का भी लण्ड नहीं पकड़ आयी तुम ? हद है मौसी ? कब तक गाजर, मूली, बैंगन से काम चलाती रहेगी तू बहन चोद ? अब तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
मैं सोंचने लगी की मुंबई में लण्ड की कमी कहाँ हैं ? पैसा फेंको तमाशा देखो। एक से एक बेहतर लण्ड इस शहर में मौजूद हैं। जरूरत है बस लण्ड ढूंढने की। मैं दूसरे दिन उठी और कार लेकर २/३ फाइव स्टार होटल में पहुँच गयी। मैं पढ़ी लिखी हूँ। लड़कों को एम् बी ए में पढ़ाती हूँ। मैं कुछ भी कर सकती हूँ। मैं एक बड़े होटल में चली गयी और वहां के मैनेजर से मिली ? इत्तिफाक से वहां की मैनेजर एक महिला थी। मैं उससे बातें करने लगी। मैंने कहा मैडम हम दो जवान लड़कियां एक ही फ्लैट में रहतीं हैं और अभी अनमैरिड हैं। आप तो जानती है की जवानी में मर्दों की जरुरत पड़ती है। आप तो लोगों की जरूरतें पूरी करती हैं । हमारी भी जरुरत पूरी कर दीजिये ?
वह बोली - आपको कैसे और कितने लण्ड चाहिए ? मैं तुम्हारे घर पहुंचा दूँगी।
मैंने अपना पता और फोन नम्बर दे दिया।
मैंने कहा - हमें ३ देशी लण्ड चाहिए बड़े भी हों और मोटे भी ? उम्र २० से ४० की हो। गोरे चिट्टे और हैंडसम हों। वह बोली - कितने दिन के लिए चाहिए।
मैंने कहा - फिलहाल एक रात के लिए।
वह बोली - ठीक आज ही रात को ८ बजे पहुँच जायेंगें। उनका कोड वर्ड होगा "मोटा गन्ना" ?
फिर मैं घर वापस आ गई।
मैंने मौसी से कहा - आज चुदेगी तेरी बुर, मौसी जी ? वह बोली - कौन चोदेगा मेरी बुर, पूजा ? मैंने कहा - मैं चोदूँगी और कौन ? वह बड़ी जोर से हंसी और बोली - तू भोसड़ी की कैसे चोदेगी मेरी बुर ? तू क्या अपनी चूँचियों से चोदेगी मेरी बुर ? अरे चोदने के लिए लण्ड चाहिए लण्ड पूजा रानी ? मैंने कहा - मैं लण्ड पेल कर ही तेरी बुर चोदूँगी मेरी काजल मौसी। तू बस देखती जा ? वह मजाक में बोली - अच्छा तो तू कोई जादू करेगी क्या बहन चोद ? तू क्या कहीं से किसी बाबा जी का लण्ड निकालेगी ? और फिर वही लण्ड पेलेगी मेरी चूत में ? भगवान् करे तेरी इच्छा पूरी हो ? अगर ऐसा हुआ तो फिर मैं भी चोदूँगी तेरी बुर और घुसेड़ दूँगी वही लण्ड तेरी बूर चोदी बुर में भोसड़ी की पूजा ?
हम दोनों ये सब बातें कर ही रहीं थीं, तभी किसी ने दरवाजा झटझटया। मैंने खोला सामने तीन लड़के खड़े थे। एक बोला हम लोग पूजा मेम से मिलने आएं हैं। मैंने कहा मैं ही पूजा हूँ। एक बोला - मोटा गन्ना ? बस मैं समझ गयी और उन्हें अंदर कमरे में बैठा दिया। मैंने काजल मौसी को बुलाया और कहा मौसी देखो जिनका इंतज़ार था वो सब आ गए। मौसी उन्हें देख कर भौचक्की रह गयीं। फिर वो लोग बोले - मैं बादल हूँ, ये शेरू है और ये थापा। मैंन तीनो को देख कर अनुमान लगा लिया की इनके लण्ड बड़े बड़े तो होंगें ही। पर ये जो थापा है ये नाटा लड़का है ? अगर इसका लौड़ा भी नाटा हुआ तो मज़ा नहीं आएगा। लेकिन मैं कुछ बोली नहीं और तुरंत सबके लिए एक ड्रिंक्स का सेट लगा दिया। हम सब पांचो लोग दारू पीने लगे।
एक सिप लिया ही था की फिर किसी ने दरवाजा पीटा। मैंने दरवाजा खोला तो बोली वाओ, रोली बुआ तू ? बिना बताये अचानक सब ठीक तो है न बुआ जी ? वह बोली हां सब ठीक है। मैं तो तुझे सरप्राईज़ देना चाहती थी सो दे दिया। मैंने उसे अंदर बुलाया। मौसी में कहा यार रोली तू बहुत सही मौके से आ गयी. ले दारू पी ले पहले फिर बाद में कपड़े बदलना ? मैंने मजाक में कहा बुआ कपड़े चाहो तो खोल कर रख दो। हम भी कपड़े उतारने ही वाली हैं। मुझे तो घर में नंगी रहने में ज्यादा मज़ा आता है। वह बोली वाओ, तू भोसड़ी की इन लोगों के सामने गन्दी गन्दी बातें कर रहीं हैं ? मैंने कहा अरे बुआ ये सब मेरे दोस्त हैं। इनसे क्या छुपाना ? बुआ हैरत भरी निगाहों से मुझे देखने लगी। मैंने कहा अरे बुआ जी, चिंता न करो मैं इन लोगों को भी नंगा कर दूँगी ? वह बोली पूजा तू बुर चोदी अपनी आदत से बाज़ नहीं आएगी। तेरी माँ की चूत ? तब तक मौसी बोल पड़ी पूजा, तेरी माँ की नन्द की बुर ? बुआ ने तड़ाक से जबाब दिया - पूजा, तेरी माँ की बहन का भोसड़ा ? बस फिर सब लोग ठहाका मार कर हंसने लगे।
हमने बुआ को भी दारू पार्टी में शामिल कर लिया। बुआ मुझसे एक साल बड़ी हैं और मौसी से एक साल छोटी। लेकिन बुआ बहुत ही मजाकिया हैं हंसमुख हैं और गालियां देने में गन्दी गन्दी बातें करने में माहिर हैं। अब चुदवाने में कितनी तेज हैं यह अभी बाद में पता चलेगा ? बातें खूब जम कर होने लगीं। नशा भी चढ़ने लगा। बुआ तो बड़े ही जोश में आ गईं।
अब वो लोग इन दोनों के बूब्स देख देख कर मस्त होने लगे। तब मैंने भी अपनी ब्रा खोल दी और मेरे भी बूब्स छलक पड़े। काजल मौसी शेरू के कपड़े उतारने लगीं उसे केवल चड्ढी में लाकर खड़ा कर दिया। फिर अपना पेटीकोट उतारा और अपनी छोटी छोटी झांटों वाली चूत सबको दिखा दी। फिर क्या सबके लण्ड में जबरदस्त उछाल आ गया। शेरू की मौसी ने जैसे ही चड्ढी उतारी वैसे ही उसका लण्ड फनफना उठा। तब तक रोली बुआ ने भी थापा को नंगा कर दिया और अपनी चिकनी बिना झांट की चूत उसके सामने कर दी। बुआ थापा का लण्ड हिला हिला कर मज़ा लेने लगीं। लण्ड बहन चोद बढ़ने लगा। इधर मेरे हाथ में बादल का लण्ड तन कर खड़ा हो गया। मौसी ने तो शेरू का लण्ड हिला हिला कर उसे शेर बना दिया और वह गुर्राने लगा। बस थोड़ी देर में ही हम तीनो नंगी हो गयीं और वो तीनो लड़के भी नंगे हो गए। मुझे थापा का लण्ड सबसे बड़ा लग रहा था। मैं सोंचने लगी की क्या नाटे आदमी का लण्ड इतना बड़ा हो सकता है ? मैंने यह बात मौसी से पूंछा तो वह बोली लण्ड की लम्बाई चौड़ाई का उस आदमी के लम्बाई चौड़ाई से कुछ लेना देना नहीं है। छोटे आदमी का लण्ड बड़ा हो सकता है बड़े आदमी का लण्ड छोटा हो सकता है।
मैं तो बादल का लण्ड पीने लगी। बुआ ने भी थापा का लण्ड मुंह में डाल कर चूसने लगीं और मौसी भी शेरू का लण्ड जबान निकाल निकाल कर चाटने लगीं। हम तीनो आस पास ही थीं। तो मैं शेरू के पेल्हड़ सहलाने लगी, मौसी थापा के पेल्हड़ और बुआ बादल के पेल्हड़ सहलाने लगी। इसका भी एक नया मज़ा है। मुंह में एक लण्ड और हाथ में किसी और के पेल्हड़ ? इसी तरह शेरू मेरी बुर पर हाथ फिराने लगा, बादल रोली की बुर और थापा मौसी की बुर सहलाने लगा। सामूहिक चुदाई में ही इस तरह की अदला बदली संभव होती है। बुआ ने कहा - हाय दईया थापा का लौड़ा तो बहुत मोटा है यार और बड़ा भी है। नेपाली लण्ड इतना बड़ा होगा ? यह मैं आज पहली बार देख रही हूँ।
मौसी ने कहा - रोली तू बुर चोदी कितने लण्ड पकड़ चुकी है अब तक ?
रोली ने मजाक में कहा - मेरी चूत में जितनी झांटें है मैं उतने लण्ड पकड़ चुकी हूँ। ले गिन ले मेरी झांटें ?
मैंने कहा - तेरी तो बुर चोदी झांटें ही नहीं हैं तो गिनू क्या तेरी गांड के बाल ?
तब तक मौसी बोली - अरे पूजा इसकी तो गांड में भी बाल नहीं है।
ये सब हंसी मजाक हो रही थी तभी शेरू ने मौसी की बुर चोदना शुरू कर दिया। इधर बादल भी मुझे चोदने लगा और थापा ने लण्ड बुआ की चूत में पेल दिया।
रोली ने कहा - कुछ भी हो यार ये सब साले बड़ी अच्छी तरह से बुर चोद रहें हैं।
फिर मैंने सबको हकीकत बताई और कहा - लो सुनो बुआ और मौसी जी, ये तीन के तीनो प्रोफ़ेशनल फकर्स हैं मौसी ? ये कोई मेरे दोस्त नहीं हैं। ये भोसड़ी वाले पेशेवर चोदू हैं। बड़े बड़े घरानो ने सबकी बुर चोदने जातें हैं। मैंने इन्हे एक होटल से मंगवाया है। यह मुंबई है बुआ जी यहाँ बुर चोदने वालों की कमी नहीं है। इतने में सबने चोदने की रफ़्तार तेज कर दी। मौसी चुदवाते हुए बोली - अरी पूजा तू तो बहन चोद बड़ी तेज निकली। पेशेवर चोदने वालों को बुला लिया तूने ? मैंने कहा - और नहीं तो क्या ? मेरी मौसी की बुर कोई साधारण आदमी तो चोद ही नहीं सकता ? यही हाल बुआ की बुर का भी है। देखो न कैसे थापा उसकी बुर का कचूमर निकाल रहा है। बुआ की बुर अब खलास होने ही वाली है। मौसी ने कहा यार बुर तो मेरी भी खलास होने वाली है। आज सच में बड़ा मज़ा आ रहा है चुदाई में ? इस तरह उन तीनो ने हम तीनो की चूत का बाजा खूब बजाया और हमने भी बड़े प्रेम से बजवाया। उसके बाद हम तीनो किसी न किसी को फांस कर लातीं और उससे अपनी अपनी बुर चुदवाती उसका झड़ता हुआ लौड़ा पीतीं और उसको अपनी अपनी बुर भी चटवाती। पहले खूब मजे से शराब पीती, फिर लण्ड पीती और फिर मजे से एक दूसरे के सामने भकाभक चुदवाती। हम लोगों के दिन बड़ी मस्ती से गुज़रने लगे। हम सब खूब एन्जॉय करने लगीं।
कुछ ऐसा संयोग हुआ की हम तीनो की शादी तीन महीने के अंतराल में हो गयी और हम सब अपनी अपनी ससुराल में सुहागरात मनाने चली गयीं। हमने एक दूसरे की शादी भी अटेंड की, एक दूसरे के हसबैंड से मिलीं और खूब एन्जॉय भी किया लेकिन कोई ऐसा मौक़ा नहीं आया जहाँ बैठ कर अपने मन की बातें कर पातीं। शादी के बाद सुहागरात भी हुई और फिर कुछ दिन बाद हम तीनो अपने अपने काम पर लौट आयीं। हमारे हस्बैंड्स भी अपने आपने काम पर चले गए।
मैंने कहा - मौसी यह बताओ की मौसा जी का लण्ड कैसा है ?
वह बोली - मैं बताऊंगी तो तू उस पर भी सवाल दागना शुरू कर देगी। मैं तुझे उसका लौड़ा दिखा ही देती हूँ। मैंने मोबाइल पर अपने पति के लण्ड की फोटो दिखा दी।
मैंने कहा - वाओ, क्या मस्त लौड़ा है तेरे मरद का काजल मौसी ? लेकिन ऐसे मज़ा नहीं आया। मैं तो हाथ में लेकर देखूंगी तेरे मरद का लौड़ा मौसी जी।
वह बोली - तू हाथ में नहीं अपने मुंह में ले लेना तेरे हसबैंड का लण्ड, अपनी बुर में ले लेना और अपनी माँ की भोसड़ा में पेल कर देख लेना। तब तक बुआ आ गयीं।
मैंने कहा - बुआ जी फूफा का लण्ड कितना बड़ा है ? उसके लण्ड का साइज क्या है। बुर अच्छी तरह चोद्ता है न गांड तो नहीं मारता ?
बुआ ने कहा - गांड तो मैं तेरी मरूंगी भोसड़ी की पूजा। और सुन मेरे पति का लण्ड जब तेरी बुर में घुसेगा तो तेरे मुंह से निकला आएगा। तेरी माँ का भोसड़ा फाड़ डालेगा तेरे फूफा जी का लण्ड ?
मैंने कहा - बुआ जी पहले मेरी चूत फड़वा दो फिर मेरी माँ का भोसड़ा फड़वाना ?
मौसी ने कहा - बुर चोदी पूजा तूने अपनी मरद के लौड़े के बारे में कुछ नहीं बनाया ?
मैंने कहा - मैं बताऊंगी नहीं दिखाऊंगी अपने पति का लण्ड तुम दोनों को। पेलूँगी उसका लण्ड तुम दोनों की चूत में। मैं पहले ही उसे बता चुकी हूँ की तुम जिस दिन मुंबई आना उस दिन मेरी मौसी की चूत और मेरी बुआ की बुर चोदना।
इसी तरह हम सबकी बातें होतीं रहीं। फिर हम सबने यह निश्चित किया की इस शनिवार को हमारे हसबैंड्स आयेगें और एक हफ्ते हमारे साथ रहेगें। जब शनिवार आया तो हमने उनके वेलकम के लिए पूरा इंतज़ाम किया .सबसे पहले मेरा हसबैंड रोहन आया, फिर मौसी का हसबैंड संजय आया और बाद में बुआ का हसबैंड अनिल आ गया। हम सब एक बार फिर एक दूसरे से मिले। शाम को हम लोग एक ड्रिंक पार्टी में बैठ गए। तीन पति और तीन पत्नियां। हंसी खुशी का माहैल था। हम तीनो ने नीचे एक एक घाघरा पहना था और ऊपर हमारी चूँचियाँ बिलकुल नंगीं थीं उन्हें छिपाने के लिए हमने एक एक चुन्नी ऊपर से ओढ़ ली थी। तीनो मरद भी नंगे बदन बैठे थे क्योंकि गर्मी का मौसम था। हां हां नीचे उन लोगों ने लुंगी लगा रखी थी। दारु शुरू हो चुकी थी तो फिर बातें भी मजे दार होने लगीं। उधर नशा भी बढ़ने लगा। मैंने कहा संजय मौसा आज तुम बहुत स्मार्ट और हैंडसम लग रहे हो मुझे। मेरी तो नियत तुम ख़राब हो रही है। वह भी मस्ती से बोला पूजा नियत तो मेरी ख़राब है तुम पर पूजा। तुम तो बहुत ही खूबसूरत हो और तेरा ये गोरा बदन मुझे बहुत परेशां कर रह है। अगर मुझसे कोई गलती हो जाये तो बुरा मत मानना ? मैंने कहा अरे मौसा जी तो गलती कर लो न ? मना किस भोसड़ी वाली ने किया तुम्हे ? ऐसा कह कर मैं उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी। तब उसका भी हाथ मेरी चूँचियों तक पहुँच गया। मैंने कहा ठीक से पकड़ो न मेरी चूँचियाँ ? उसने और जोर से दबा दीं। उधर काजल मौसी ने अनिल फूफा का लण्ड लुंगी के ऊपर से दबा कर कहा अब इसे भी निकाल कर दिखा दो मुझे ? कब तक छिपाते रहोगे इसे। रोली बुआ ने तो मेरे पति रोहन से साफ साफ़ कह दिया यार रोहन अब मैं तेरे लण्ड का दर्शन करूंगी। निकालो न अपना ये भोसड़ी का लण्ड ? अंदर बेकार ही पड़ा है न ? बाहर आएगा तो कुछ काम करेगा। रोली बुआ ने मेरे पति की लुंगी खोल कर फेंक दी और उसे नंगा कर दिया। उसका लण्ड पकड़ा तो लण्ड साला तन कर खड़ा हो गया। तब मैं भी सनजय मौसा का लौड़ा निकाल चुकी थी और मौसी भी संजय के लण्ड से खुले आम खेलने लगीं। इसी बीच हम तीनो की चुन्नी खुल गयीं और हमारी चूंकियाँ एकदम नंगी हो गयीं। हम तीनो एक दूसरे के पति का लण्ड चूमने चाटने लगीं।
मैंने अपना घाघरा उतारा तो उन लोगों ने भी उतार दिया। अब हम सब मदर चोद नंगी हो गयीं। हमने दो दिन पहले ही झांटें बनायीं थीं तो आज हलकी हलकी छांटें भी हाँ सबकी दिखने लगीं थीं। जिससे चूत की खूबसूरती बढ़ गयी थी।
मैंने कहा - काजल मौसी तेरे पति का लण्ड तो मुझे पसंद आ गया। साला बड़ा मोटा है सख्त भी।
मौसी बोली - बड़ा प्यारा लौड़ा है रोली तेरे मरद का ? अब तो ये मस्ती से मेरी बुर लेगा।
रोली बुआ ने कहा - पूजा तेरे मियां का लौड़ा मुझे पसंद आ गया है। अब मैं तुमसे ज्यादा तेरे मियां से चुदवाया करुँगी।
मैंने कहा - तो फिर बैठ जाओ न मेरे पति के लण्ड पर बुआ जी।
रोली बुआ सच में मेरे पति के लण्ड पर बैठ गयीं और अपनी गांड उठा उठा के लण्ड चोदने लगीं। उधर संजय मौसा ने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और फूफा काजल मौसी की बुर लेने लगा। इस तरह तीनो मरद एक दूसरे की बीवी चोदने लगे और हम तीनो बीवियां एक दूसरे के पति से चुदवाने लगीं। मैंने कहा मौसा जी बड़ा मज़ा आ रहा है , मुझे खूब चोदो। मेरी चूत फाड़ डालो, पूरा लौड़ा घुसेड़ दो अपना। उधर मौसी बोल रहीं थी हाय मेरे अनिल राजा मुझे अपनी बीवी समझ कर चोदो। पटक पटक कर चोदो मुझे। मुझे तेरा लौड़ा बड़ा अच्छा लग रहा है। चाहो तो मेरी गांड भी मार लो। अब मैं पूरी तरह तेरी ही हूँ। रोली बुआ कह रहीं थी हाय मेरे रोहन राजा मेरी बुर अच्छी तरह से ले लो। घुसेड़ दो अपना ये मस्ताना लण्ड और चोद डालो मेरी बुर चोदी बुर ? चीथड़े उड़ा दो मेरी चूत के ? आगे से चोदो, पीछे से चोदो, अगल बगल से चोदो, हर तरफ से चोदो जैसे चाहो वैसे चोदो। मैं समझ गयी की सबको खूब मज़ा आ रहा है।
इस तरह दोस्तों, हम लोग एक दूसरे के पति से पूरे हफ्ते चुदवाती रहीं और खूब एन्जॉय करती रहीं।
मैं जब २५ साल की हुई तो मेरी नौकरी एक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर एक डिग्री कॉलेज में लग गयी, मैं सीधे मुंबई चली गयी और नौकरी ज्वाइन कर ली। वहां मेरी काजल मौसी रहती थीं मैं भी उन्ही के साथ रहने लगी। मौसी मुझसे दो साल बड़ी हैं बस ? मैं उसे कहती जरूर हूँ मौसी पर मानती हूँ अपनी दोस्त ? शादी न उसकी हुई थी और न मेरी ? उसकी भी चूत में आग लगी थी और मेरी भी चूत में ? उसे भी लण्ड की जरुरत थी और मुझे भी। मैं भी मौसी की तरह ब्लू फिल्म देखने की शौक़ीन थी और हिंदी सेक्स की कहानियां पढ़ने की भी। हम दोनों में खूब जमने लगी। कहानियां पढ़ते पढ़ते एक बार मेरे हाथ "sex" की कहानियां लग गयीं। मैं तो कहानियों के शीर्षक पढ़ पढ़ कर मस्त हो गयी। मेरी चूत बहन चोद गीली हो गयी. लण्ड की फोटो देख देख कर मुंह में पानी आ गया। मैं चुदासी हो गयी। मैं अपनी चूँचियाँ मसलन लगी और चूत पर हाथ फिराने लगी। थोड़ी देर में ऊँगली भी घुसेड़ दी चूत में। मैं तो आधी नंगी हो चुकी थी। तभी मौसी कमरे में आ गयी। उसने मुझे देखा तो वह दंग रह गयी और बोली अरे पूजा तू भोसड़ी की क्या पढ़ रही है माँ की लौड़ी ? वह भी कहानियां पढ़ने लगी तो उसने मेरी चूत पर हाथ लगा दिया। मैं उसकी चूँचियाँ दबाने लगी और कहा अरे मौसी देखो न कितनी गरम गरम कहानियां है बहन चोद ? लिखने वाला भोसड़ी का बड़ा हरामी होगा। और अगर लिखने वाली कोई लड़की है तो उसकी माँ का भोसड़ा ? उसकी बहन की बुर ? बुर चोदी इतनी गन्दी गन्दी कहानियां लिखती है की पढ़ते ही गांड फट जाती है।
मौसी बोली हाय दईया पूजा अब तू मेरी चूत में कोई लौड़ा घुसा दे ? चोद ले मेरी बुर ? यार एक नहीं दो दो लण्ड पेल दे मेरी बुर में ? मौसी भी नंगी हो गयी। मैंने उसकी चूत और चूँचियाँ पहली बार देखीं। उसने भी मुझे पहली बार नंगी देखा। हम दोनों एक दूसरे के आगे बिलकुल नंगी थीं और एक के बाद कहानियां नंगी नंगी पढ़ने लगीं। कहानी ख़तम होते ही मैं मौसी की बुर चाटने लगी और मौसी मेरी बुर। हम दोनों अपनी अपनी चूँचियाँ भी लड़ाने लगीं। मौसी अपनी चूँचियाँ मेरी चूँचियों पर रगड़ने लगीं और मैं अपनी चूँचियाँ उसकी चूँचियों पर। हम लोग लेस्बियन नहीं हैं पर लण्ड न होने की वज़ह से यह सब होने लगा।
मैंने कहा - अरे मेरी मौसी जी, तू भोसड़ी की यहाँ मुंबई ने दो साल से है अभी तक कोई लण्ड का इंतज़ाम नहीं कर पायी ? गांड मराती रही हो क्या तुम यहाँ ?
वह बोली - अरे पूजा मेरे कॉलेज के कुछ लड़के हैं जिन पर मेरी नज़र है पर आजतक मैं उनके लण्ड नहीं पकड़ पाई ?
मैंने पूंछा - तेरी गांड फटती है क्या लण्ड पकड़ने में मौसी ? अच्छा बताओ कौन कौन हैं वो मादर चोद लड़के ?
वह बोली - रोहित, रोहन, पीटर और इक़बाल।
मैंने कहा - वाओ, चार चार लकड़े ऐसे हैं जिनको तू पसंद करती है और अभी तक किसी का भी लण्ड नहीं पकड़ आयी तुम ? हद है मौसी ? कब तक गाजर, मूली, बैंगन से काम चलाती रहेगी तू बहन चोद ? अब तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
मैं सोंचने लगी की मुंबई में लण्ड की कमी कहाँ हैं ? पैसा फेंको तमाशा देखो। एक से एक बेहतर लण्ड इस शहर में मौजूद हैं। जरूरत है बस लण्ड ढूंढने की। मैं दूसरे दिन उठी और कार लेकर २/३ फाइव स्टार होटल में पहुँच गयी। मैं पढ़ी लिखी हूँ। लड़कों को एम् बी ए में पढ़ाती हूँ। मैं कुछ भी कर सकती हूँ। मैं एक बड़े होटल में चली गयी और वहां के मैनेजर से मिली ? इत्तिफाक से वहां की मैनेजर एक महिला थी। मैं उससे बातें करने लगी। मैंने कहा मैडम हम दो जवान लड़कियां एक ही फ्लैट में रहतीं हैं और अभी अनमैरिड हैं। आप तो जानती है की जवानी में मर्दों की जरुरत पड़ती है। आप तो लोगों की जरूरतें पूरी करती हैं । हमारी भी जरुरत पूरी कर दीजिये ?
वह बोली - आपको कैसे और कितने लण्ड चाहिए ? मैं तुम्हारे घर पहुंचा दूँगी।
मैंने अपना पता और फोन नम्बर दे दिया।
मैंने कहा - हमें ३ देशी लण्ड चाहिए बड़े भी हों और मोटे भी ? उम्र २० से ४० की हो। गोरे चिट्टे और हैंडसम हों। वह बोली - कितने दिन के लिए चाहिए।
मैंने कहा - फिलहाल एक रात के लिए।
वह बोली - ठीक आज ही रात को ८ बजे पहुँच जायेंगें। उनका कोड वर्ड होगा "मोटा गन्ना" ?
फिर मैं घर वापस आ गई।
मैंने मौसी से कहा - आज चुदेगी तेरी बुर, मौसी जी ? वह बोली - कौन चोदेगा मेरी बुर, पूजा ? मैंने कहा - मैं चोदूँगी और कौन ? वह बड़ी जोर से हंसी और बोली - तू भोसड़ी की कैसे चोदेगी मेरी बुर ? तू क्या अपनी चूँचियों से चोदेगी मेरी बुर ? अरे चोदने के लिए लण्ड चाहिए लण्ड पूजा रानी ? मैंने कहा - मैं लण्ड पेल कर ही तेरी बुर चोदूँगी मेरी काजल मौसी। तू बस देखती जा ? वह मजाक में बोली - अच्छा तो तू कोई जादू करेगी क्या बहन चोद ? तू क्या कहीं से किसी बाबा जी का लण्ड निकालेगी ? और फिर वही लण्ड पेलेगी मेरी चूत में ? भगवान् करे तेरी इच्छा पूरी हो ? अगर ऐसा हुआ तो फिर मैं भी चोदूँगी तेरी बुर और घुसेड़ दूँगी वही लण्ड तेरी बूर चोदी बुर में भोसड़ी की पूजा ?
हम दोनों ये सब बातें कर ही रहीं थीं, तभी किसी ने दरवाजा झटझटया। मैंने खोला सामने तीन लड़के खड़े थे। एक बोला हम लोग पूजा मेम से मिलने आएं हैं। मैंने कहा मैं ही पूजा हूँ। एक बोला - मोटा गन्ना ? बस मैं समझ गयी और उन्हें अंदर कमरे में बैठा दिया। मैंने काजल मौसी को बुलाया और कहा मौसी देखो जिनका इंतज़ार था वो सब आ गए। मौसी उन्हें देख कर भौचक्की रह गयीं। फिर वो लोग बोले - मैं बादल हूँ, ये शेरू है और ये थापा। मैंन तीनो को देख कर अनुमान लगा लिया की इनके लण्ड बड़े बड़े तो होंगें ही। पर ये जो थापा है ये नाटा लड़का है ? अगर इसका लौड़ा भी नाटा हुआ तो मज़ा नहीं आएगा। लेकिन मैं कुछ बोली नहीं और तुरंत सबके लिए एक ड्रिंक्स का सेट लगा दिया। हम सब पांचो लोग दारू पीने लगे।
एक सिप लिया ही था की फिर किसी ने दरवाजा पीटा। मैंने दरवाजा खोला तो बोली वाओ, रोली बुआ तू ? बिना बताये अचानक सब ठीक तो है न बुआ जी ? वह बोली हां सब ठीक है। मैं तो तुझे सरप्राईज़ देना चाहती थी सो दे दिया। मैंने उसे अंदर बुलाया। मौसी में कहा यार रोली तू बहुत सही मौके से आ गयी. ले दारू पी ले पहले फिर बाद में कपड़े बदलना ? मैंने मजाक में कहा बुआ कपड़े चाहो तो खोल कर रख दो। हम भी कपड़े उतारने ही वाली हैं। मुझे तो घर में नंगी रहने में ज्यादा मज़ा आता है। वह बोली वाओ, तू भोसड़ी की इन लोगों के सामने गन्दी गन्दी बातें कर रहीं हैं ? मैंने कहा अरे बुआ ये सब मेरे दोस्त हैं। इनसे क्या छुपाना ? बुआ हैरत भरी निगाहों से मुझे देखने लगी। मैंने कहा अरे बुआ जी, चिंता न करो मैं इन लोगों को भी नंगा कर दूँगी ? वह बोली पूजा तू बुर चोदी अपनी आदत से बाज़ नहीं आएगी। तेरी माँ की चूत ? तब तक मौसी बोल पड़ी पूजा, तेरी माँ की नन्द की बुर ? बुआ ने तड़ाक से जबाब दिया - पूजा, तेरी माँ की बहन का भोसड़ा ? बस फिर सब लोग ठहाका मार कर हंसने लगे।
हमने बुआ को भी दारू पार्टी में शामिल कर लिया। बुआ मुझसे एक साल बड़ी हैं और मौसी से एक साल छोटी। लेकिन बुआ बहुत ही मजाकिया हैं हंसमुख हैं और गालियां देने में गन्दी गन्दी बातें करने में माहिर हैं। अब चुदवाने में कितनी तेज हैं यह अभी बाद में पता चलेगा ? बातें खूब जम कर होने लगीं। नशा भी चढ़ने लगा। बुआ तो बड़े ही जोश में आ गईं।
- वह बोली - बादल ये पूजा मेरी भतीजी है और काजल की भांजी है। ये तुम्हारी दोस्त है न ?
- बादल बोला - हां हां यह मेरी दोस्त है।
- बुआ - तेरी दोस्त है तो तूने कभी इसे नंगी देखा है बादल ?
- बादल - नहीं अभी तक तो नहीं देखा ?
- बुआ - तो फिर ये तेरी दोस्त कैसी है जो तेरे सामने नंगी नहीं हो सकती ? अच्छा तुम कभी नंगे हुए हो पूजा के आगे ?
- बादल - मैं तो कभी नहीं हुआ ?
- बुआ - तो क्या तुम गांड मरा रहे हो अपनी इतने दिनों से ? ऐसी दोस्ती किस काम की ? अच्छा चलो अब मुझे सही सही बताओ ? पूजा तुम्हे बुर देती है अपनी की नहीं ? क्योंकि मैं तो अपने दोस्तों को बुर देती हूँ और बड़े शौक से देती हूँ।
- बादल - मैंने कभी लिया नहीं यार ?
- बुआ - अच्छा तूने कभी अपना लौड़ा इसे दिया है ?
- तब तक मैंने कहा - अरे बुआ जी ये क्या तुम सब ऊँट पटांग पूंछे जा रही हो ? इतने गंदे गंदे सवाल कर रही हो ?
- बुआ - ये सब तुम्हे गंदे गंदे सवाल नज़र आ रहें हैं। मैं जवान हूँ। तुम जवान हो, यहाँ बैठे हुए सभी लोग जवान हैं। इस उम्र में लण्ड, चूत, बुर, भोसड़ा की बात नहीं करूंगी तो क्या सूरदास और मीरा बाई के भजन गाऊँगी ?
- मौसी - तो फिर बुर देने की बात क्यों कर रही हो, रोली ?
- बुआ - अरे यार बुर तो मैं भी नहीं देती किसी को ? लेकिन बुर देने की बात तो कर सकती हूँ न ? लण्ड लेने की बात तो कर सकती हूँ न । एन्जॉय तो कर सकती हूँ न । तेरी गांड में दम हो तो तू भी कर ?
- मौसी - मैं बातें कम करती हूँ काम ज्यादा करती हूँ।
- बुआ - इसका मतलब तू लण्ड की बात नहीं करती लण्ड सीधा अपने मुंह में और अपनी बुर में घुसा लेती है। तेरी माँ का भोसड़ा ? तू तो बहुत खतनाक है यार । चुपके चुपके किसी का भी लौड़ा घुसा लेगी तू अपनी चूत में।
अब वो लोग इन दोनों के बूब्स देख देख कर मस्त होने लगे। तब मैंने भी अपनी ब्रा खोल दी और मेरे भी बूब्स छलक पड़े। काजल मौसी शेरू के कपड़े उतारने लगीं उसे केवल चड्ढी में लाकर खड़ा कर दिया। फिर अपना पेटीकोट उतारा और अपनी छोटी छोटी झांटों वाली चूत सबको दिखा दी। फिर क्या सबके लण्ड में जबरदस्त उछाल आ गया। शेरू की मौसी ने जैसे ही चड्ढी उतारी वैसे ही उसका लण्ड फनफना उठा। तब तक रोली बुआ ने भी थापा को नंगा कर दिया और अपनी चिकनी बिना झांट की चूत उसके सामने कर दी। बुआ थापा का लण्ड हिला हिला कर मज़ा लेने लगीं। लण्ड बहन चोद बढ़ने लगा। इधर मेरे हाथ में बादल का लण्ड तन कर खड़ा हो गया। मौसी ने तो शेरू का लण्ड हिला हिला कर उसे शेर बना दिया और वह गुर्राने लगा। बस थोड़ी देर में ही हम तीनो नंगी हो गयीं और वो तीनो लड़के भी नंगे हो गए। मुझे थापा का लण्ड सबसे बड़ा लग रहा था। मैं सोंचने लगी की क्या नाटे आदमी का लण्ड इतना बड़ा हो सकता है ? मैंने यह बात मौसी से पूंछा तो वह बोली लण्ड की लम्बाई चौड़ाई का उस आदमी के लम्बाई चौड़ाई से कुछ लेना देना नहीं है। छोटे आदमी का लण्ड बड़ा हो सकता है बड़े आदमी का लण्ड छोटा हो सकता है।
मैं तो बादल का लण्ड पीने लगी। बुआ ने भी थापा का लण्ड मुंह में डाल कर चूसने लगीं और मौसी भी शेरू का लण्ड जबान निकाल निकाल कर चाटने लगीं। हम तीनो आस पास ही थीं। तो मैं शेरू के पेल्हड़ सहलाने लगी, मौसी थापा के पेल्हड़ और बुआ बादल के पेल्हड़ सहलाने लगी। इसका भी एक नया मज़ा है। मुंह में एक लण्ड और हाथ में किसी और के पेल्हड़ ? इसी तरह शेरू मेरी बुर पर हाथ फिराने लगा, बादल रोली की बुर और थापा मौसी की बुर सहलाने लगा। सामूहिक चुदाई में ही इस तरह की अदला बदली संभव होती है। बुआ ने कहा - हाय दईया थापा का लौड़ा तो बहुत मोटा है यार और बड़ा भी है। नेपाली लण्ड इतना बड़ा होगा ? यह मैं आज पहली बार देख रही हूँ।
मौसी ने कहा - रोली तू बुर चोदी कितने लण्ड पकड़ चुकी है अब तक ?
रोली ने मजाक में कहा - मेरी चूत में जितनी झांटें है मैं उतने लण्ड पकड़ चुकी हूँ। ले गिन ले मेरी झांटें ?
मैंने कहा - तेरी तो बुर चोदी झांटें ही नहीं हैं तो गिनू क्या तेरी गांड के बाल ?
तब तक मौसी बोली - अरे पूजा इसकी तो गांड में भी बाल नहीं है।
ये सब हंसी मजाक हो रही थी तभी शेरू ने मौसी की बुर चोदना शुरू कर दिया। इधर बादल भी मुझे चोदने लगा और थापा ने लण्ड बुआ की चूत में पेल दिया।
रोली ने कहा - कुछ भी हो यार ये सब साले बड़ी अच्छी तरह से बुर चोद रहें हैं।
फिर मैंने सबको हकीकत बताई और कहा - लो सुनो बुआ और मौसी जी, ये तीन के तीनो प्रोफ़ेशनल फकर्स हैं मौसी ? ये कोई मेरे दोस्त नहीं हैं। ये भोसड़ी वाले पेशेवर चोदू हैं। बड़े बड़े घरानो ने सबकी बुर चोदने जातें हैं। मैंने इन्हे एक होटल से मंगवाया है। यह मुंबई है बुआ जी यहाँ बुर चोदने वालों की कमी नहीं है। इतने में सबने चोदने की रफ़्तार तेज कर दी। मौसी चुदवाते हुए बोली - अरी पूजा तू तो बहन चोद बड़ी तेज निकली। पेशेवर चोदने वालों को बुला लिया तूने ? मैंने कहा - और नहीं तो क्या ? मेरी मौसी की बुर कोई साधारण आदमी तो चोद ही नहीं सकता ? यही हाल बुआ की बुर का भी है। देखो न कैसे थापा उसकी बुर का कचूमर निकाल रहा है। बुआ की बुर अब खलास होने ही वाली है। मौसी ने कहा यार बुर तो मेरी भी खलास होने वाली है। आज सच में बड़ा मज़ा आ रहा है चुदाई में ? इस तरह उन तीनो ने हम तीनो की चूत का बाजा खूब बजाया और हमने भी बड़े प्रेम से बजवाया। उसके बाद हम तीनो किसी न किसी को फांस कर लातीं और उससे अपनी अपनी बुर चुदवाती उसका झड़ता हुआ लौड़ा पीतीं और उसको अपनी अपनी बुर भी चटवाती। पहले खूब मजे से शराब पीती, फिर लण्ड पीती और फिर मजे से एक दूसरे के सामने भकाभक चुदवाती। हम लोगों के दिन बड़ी मस्ती से गुज़रने लगे। हम सब खूब एन्जॉय करने लगीं।
कुछ ऐसा संयोग हुआ की हम तीनो की शादी तीन महीने के अंतराल में हो गयी और हम सब अपनी अपनी ससुराल में सुहागरात मनाने चली गयीं। हमने एक दूसरे की शादी भी अटेंड की, एक दूसरे के हसबैंड से मिलीं और खूब एन्जॉय भी किया लेकिन कोई ऐसा मौक़ा नहीं आया जहाँ बैठ कर अपने मन की बातें कर पातीं। शादी के बाद सुहागरात भी हुई और फिर कुछ दिन बाद हम तीनो अपने अपने काम पर लौट आयीं। हमारे हस्बैंड्स भी अपने आपने काम पर चले गए।
मैंने कहा - मौसी यह बताओ की मौसा जी का लण्ड कैसा है ?
वह बोली - मैं बताऊंगी तो तू उस पर भी सवाल दागना शुरू कर देगी। मैं तुझे उसका लौड़ा दिखा ही देती हूँ। मैंने मोबाइल पर अपने पति के लण्ड की फोटो दिखा दी।
मैंने कहा - वाओ, क्या मस्त लौड़ा है तेरे मरद का काजल मौसी ? लेकिन ऐसे मज़ा नहीं आया। मैं तो हाथ में लेकर देखूंगी तेरे मरद का लौड़ा मौसी जी।
वह बोली - तू हाथ में नहीं अपने मुंह में ले लेना तेरे हसबैंड का लण्ड, अपनी बुर में ले लेना और अपनी माँ की भोसड़ा में पेल कर देख लेना। तब तक बुआ आ गयीं।
मैंने कहा - बुआ जी फूफा का लण्ड कितना बड़ा है ? उसके लण्ड का साइज क्या है। बुर अच्छी तरह चोद्ता है न गांड तो नहीं मारता ?
बुआ ने कहा - गांड तो मैं तेरी मरूंगी भोसड़ी की पूजा। और सुन मेरे पति का लण्ड जब तेरी बुर में घुसेगा तो तेरे मुंह से निकला आएगा। तेरी माँ का भोसड़ा फाड़ डालेगा तेरे फूफा जी का लण्ड ?
मैंने कहा - बुआ जी पहले मेरी चूत फड़वा दो फिर मेरी माँ का भोसड़ा फड़वाना ?
मौसी ने कहा - बुर चोदी पूजा तूने अपनी मरद के लौड़े के बारे में कुछ नहीं बनाया ?
मैंने कहा - मैं बताऊंगी नहीं दिखाऊंगी अपने पति का लण्ड तुम दोनों को। पेलूँगी उसका लण्ड तुम दोनों की चूत में। मैं पहले ही उसे बता चुकी हूँ की तुम जिस दिन मुंबई आना उस दिन मेरी मौसी की चूत और मेरी बुआ की बुर चोदना।
इसी तरह हम सबकी बातें होतीं रहीं। फिर हम सबने यह निश्चित किया की इस शनिवार को हमारे हसबैंड्स आयेगें और एक हफ्ते हमारे साथ रहेगें। जब शनिवार आया तो हमने उनके वेलकम के लिए पूरा इंतज़ाम किया .सबसे पहले मेरा हसबैंड रोहन आया, फिर मौसी का हसबैंड संजय आया और बाद में बुआ का हसबैंड अनिल आ गया। हम सब एक बार फिर एक दूसरे से मिले। शाम को हम लोग एक ड्रिंक पार्टी में बैठ गए। तीन पति और तीन पत्नियां। हंसी खुशी का माहैल था। हम तीनो ने नीचे एक एक घाघरा पहना था और ऊपर हमारी चूँचियाँ बिलकुल नंगीं थीं उन्हें छिपाने के लिए हमने एक एक चुन्नी ऊपर से ओढ़ ली थी। तीनो मरद भी नंगे बदन बैठे थे क्योंकि गर्मी का मौसम था। हां हां नीचे उन लोगों ने लुंगी लगा रखी थी। दारु शुरू हो चुकी थी तो फिर बातें भी मजे दार होने लगीं। उधर नशा भी बढ़ने लगा। मैंने कहा संजय मौसा आज तुम बहुत स्मार्ट और हैंडसम लग रहे हो मुझे। मेरी तो नियत तुम ख़राब हो रही है। वह भी मस्ती से बोला पूजा नियत तो मेरी ख़राब है तुम पर पूजा। तुम तो बहुत ही खूबसूरत हो और तेरा ये गोरा बदन मुझे बहुत परेशां कर रह है। अगर मुझसे कोई गलती हो जाये तो बुरा मत मानना ? मैंने कहा अरे मौसा जी तो गलती कर लो न ? मना किस भोसड़ी वाली ने किया तुम्हे ? ऐसा कह कर मैं उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी। तब उसका भी हाथ मेरी चूँचियों तक पहुँच गया। मैंने कहा ठीक से पकड़ो न मेरी चूँचियाँ ? उसने और जोर से दबा दीं। उधर काजल मौसी ने अनिल फूफा का लण्ड लुंगी के ऊपर से दबा कर कहा अब इसे भी निकाल कर दिखा दो मुझे ? कब तक छिपाते रहोगे इसे। रोली बुआ ने तो मेरे पति रोहन से साफ साफ़ कह दिया यार रोहन अब मैं तेरे लण्ड का दर्शन करूंगी। निकालो न अपना ये भोसड़ी का लण्ड ? अंदर बेकार ही पड़ा है न ? बाहर आएगा तो कुछ काम करेगा। रोली बुआ ने मेरे पति की लुंगी खोल कर फेंक दी और उसे नंगा कर दिया। उसका लण्ड पकड़ा तो लण्ड साला तन कर खड़ा हो गया। तब मैं भी सनजय मौसा का लौड़ा निकाल चुकी थी और मौसी भी संजय के लण्ड से खुले आम खेलने लगीं। इसी बीच हम तीनो की चुन्नी खुल गयीं और हमारी चूंकियाँ एकदम नंगी हो गयीं। हम तीनो एक दूसरे के पति का लण्ड चूमने चाटने लगीं।
मैंने अपना घाघरा उतारा तो उन लोगों ने भी उतार दिया। अब हम सब मदर चोद नंगी हो गयीं। हमने दो दिन पहले ही झांटें बनायीं थीं तो आज हलकी हलकी छांटें भी हाँ सबकी दिखने लगीं थीं। जिससे चूत की खूबसूरती बढ़ गयी थी।
मैंने कहा - काजल मौसी तेरे पति का लण्ड तो मुझे पसंद आ गया। साला बड़ा मोटा है सख्त भी।
मौसी बोली - बड़ा प्यारा लौड़ा है रोली तेरे मरद का ? अब तो ये मस्ती से मेरी बुर लेगा।
रोली बुआ ने कहा - पूजा तेरे मियां का लौड़ा मुझे पसंद आ गया है। अब मैं तुमसे ज्यादा तेरे मियां से चुदवाया करुँगी।
मैंने कहा - तो फिर बैठ जाओ न मेरे पति के लण्ड पर बुआ जी।
रोली बुआ सच में मेरे पति के लण्ड पर बैठ गयीं और अपनी गांड उठा उठा के लण्ड चोदने लगीं। उधर संजय मौसा ने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और फूफा काजल मौसी की बुर लेने लगा। इस तरह तीनो मरद एक दूसरे की बीवी चोदने लगे और हम तीनो बीवियां एक दूसरे के पति से चुदवाने लगीं। मैंने कहा मौसा जी बड़ा मज़ा आ रहा है , मुझे खूब चोदो। मेरी चूत फाड़ डालो, पूरा लौड़ा घुसेड़ दो अपना। उधर मौसी बोल रहीं थी हाय मेरे अनिल राजा मुझे अपनी बीवी समझ कर चोदो। पटक पटक कर चोदो मुझे। मुझे तेरा लौड़ा बड़ा अच्छा लग रहा है। चाहो तो मेरी गांड भी मार लो। अब मैं पूरी तरह तेरी ही हूँ। रोली बुआ कह रहीं थी हाय मेरे रोहन राजा मेरी बुर अच्छी तरह से ले लो। घुसेड़ दो अपना ये मस्ताना लण्ड और चोद डालो मेरी बुर चोदी बुर ? चीथड़े उड़ा दो मेरी चूत के ? आगे से चोदो, पीछे से चोदो, अगल बगल से चोदो, हर तरफ से चोदो जैसे चाहो वैसे चोदो। मैं समझ गयी की सबको खूब मज़ा आ रहा है।
इस तरह दोस्तों, हम लोग एक दूसरे के पति से पूरे हफ्ते चुदवाती रहीं और खूब एन्जॉय करती रहीं।
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