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शीला एक गरम भाभी की चुदाई - Sheela ek garam bhabhi ki chudai
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भाभी की हिलती दूकान मैंने अंगने में देखी शिला भाभी को मैंने पहली बार उनकी शादी के तिन दिन बाद देखा जब वो अंगने में झाड़ू लगा रही थी. इस सेक्सी भाभी को देख मेरे दिमाग में पहला ख्याल यही आया था की कुंदन भैया सही में किस्मत वाले है, क्या हॉट बीवी मिली है इन्हें. मैं कोलेज काल से ही भाभियों और आंटियो के प्रत्ये दिलचस्पी रखता था और मेरे मोबाइल में हमेंशा इसके रिलेटेड क्लिप्स ही होते थे. मेरी उम्र 24 की हो चली थी, घर वाले कई लड़कियां दिखा चुके थे पर मुझे अभी तक कोई जमी नहीं थी.
फ़िलहाल मेरा वक्त गर्म भाभी, लडकियां देख के हाथ से और कभी कभी बाजू के शहर जा के वहाँ की एक बड़ी उम्र की रंडी की चूत से चल जाता था. मैं कितने दिनों से किसी को पटाने के जुगाड़ में था क्यूंकि शहर जा चोदने का काम महंगा था. शिला भाभी झाड़ू लगा रही थी और मैं पीछे से इस गर्म भाभी की हिलती दूकान को देख रहा था. कसदार थी भाभी की दूकान. (दूकान तो समझते हो ना आप लोग). शिला भाभी से मेरा फॉर्मल इंट्रो भी नहीं हुआ ठा क्यूंकि उसका पति कुंदन एक नंबर का पढ़ाकू था उसने बी.कोम. कर रखा था और आये दिनों वो कोई ना कोई एक्जाम देता रहता था नौकरी के लिए. गर्म भाभी की गांड देख मेरा लंड सच में खड़ा हो गया और मैं मनोमन सोचने लगा की किसी तिकडम से इस भाभी की चुदाई का अवसर मिल जाएँ तो बस काम काम हो जाएं. अनुपमा से सेटिंग की बात की
शिला भाभी को मैं कुछ दिनों तक ताक देता रहा, सुबह जब में बरामदे में खड़ा ब्रश करता तो वो अक्सर मुझे अपने घर के बाहर कपडे धोते या बर्तन मांजते दिख जाती थी. मैं इस गर्म भाभी को ताड़ता रहेता था. वह भी कभी कभी एक नजर देख लेती थी. एक दो बार मैंने उसे स्माइल दे दी थी. पहले उसने स्माइल का कोई जवाब नहीं दिया लेकिन बाद में उसकी तरफ से मुझे हल्का हल्का स्माइल प्रतिभाव के तौर पर मिलता दिखने लगा था. पर बात इतनी आसान नहीं थी, महोल्ले में चुदाई का अवसर आना थोडा टेढ़ा काम था क्यूंकि साले कुछ बुढढे बरसात में भी अपनी खटिया बहार निकाल सोते थे. मुझे फिर अनुपमा का ख्याल आया.
अनुपमा भी हमारे महोल्ले की ही भाभी थी लेकिन वो मेरे घर से कुछ घर छोड़ के रहेती थी. अनुपमा मेरे दोस्त रसिक से चुदवाती थी.. उसका पति कबीर एक कारखाने में काम करता था और रसिक कभी कभी तो उसके पति की नाईट शिफ्ट होने पर जल्दी सुबह तक अनुपमा के घर में ही रहके उसे ठोकता था. मैंने मनोमन सोचा की ऐसे भी अनुपमा मेरे से बिंदास्त बातें करती है और उसने मुझे मजाक में कहा भी था की कुछ काम हो तो बताना. मैंने सोचा चलो देखते हैं की काम करती हैं या नहीं. मैंने अनुपमा का नंबर रसिक से लिया और उसे शाम को मिलने बुलाया. सब्जी मंडी के पास वाली गली में एक पानीपुरी के ठेले के पास वो मुझ से मिली. मैंने अनुपमा भाभी को गर्म भाभी शिला और उसके सेक्सी शरीर के बारे में बताया. अनुपमा भाभी हंस पड़ी. अरे गर्म भाभी तो अनुपमा की क्लासमेट निकली
मैंने अनुपमा भाभी को हँसते देख अपने गुस्से पर मुश्किल से कंट्रोल कर सका, मैंने कहाँ की हंस क्यूँ रही हो भाभी. अनुपमा बोली, अरे शिला मेरी सखी हैं हम लोग एक से सात कक्षा तक साथ में पढ़े थे. अनुपमा भाभी ने मुझे यह भी बताया की शिला उसके सेक्स जीवन में दुखी हैं और मेरे चांसिस है. उसने कहा की कुंदन पूरा दिन पढाई करता है और रात को भी वो किताबो से निकलता नहीं हैं. मैंने अनुपमा भाभी से कहा की कुछ भी करो एक बार मिलने का प्रबंध करा दो मैं आपका अहेसान नहीं भूलूंगा. अनुपमा भाभी ने मेरा नंबर लिया और मुझे कुछ दिन रुकने के लिए कहा.
3-4 दिन बीतें होंगे इस बात को और शाम के वक्त मुझे अनुपमा भाभी के फोन से रिंग आई, मैंने फोन उठाया और भाभी बोली की उसने गर्म भाभी को समझाया है लेकिन वोह इस गाँव में कुछ करने के लिए तैयार नहीं हैं. क्यूंकि गाँव छोटा हैं और पकडे जाने का पूरा डर हैं. अनुपमा भाभी ने मुझे बताया की वो मेरा सेटिंग करा देंगी. उसने मुझे बताया की वोह गाँव के बहार इस गर्म भाभी को लेके आएगी लेकिन मुझे सब कुछ एक घंटे के भीतर सब कुछ निपटाना पड़ेगा. इसका मतलब साफ़ था की अनुपमा भाभी ने गर्म भाभी शिला से चुदाई की ही बात की थी और वोह इस पर तैयार हुई थी. साला मुझे तो लगा की सेटिंग फिर बातें और यह सब में कुछ दिन लग जाएंगे. दोनों भाभी गेस्ट हाउस आ गई, रसिक भी साथ में था
अनुपमा भाभी ने मुझे अगले शनिवार को बाजू वाले शहर छपरा बुलाया और उसने मुझे किसी श्याम गेस्ट हाउस पर आने को बोला था. मुझे उसके फोन के बाद रसिक का फोन आया और उसने बोला की वो भी आएगा और उसने मुझे गेस्ट हाउस का रास्ता भी बताया. मैं शनिवार की बेसब्री से राह देखने लगा, गर्म भाभी की नजरो में भी अब उत्साह मुझे अब अपने बरामदे में खड़े रहने पर साफ़ नजर आता था. आखिर कार शनिवार आ ही गया और मैंने अपने समय पे बाइक उठाई और मैं छपरा जाने के लिए निकल पड़ा. मुझे श्याम गेस्ट हाउस ढूंढने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. यह एक चुदाई स्पेशियल जगह ही लग रही थी क्यूंकि यहाँ रुम के नाम पर सिर्फ चार दीवारें और एक पलंग मात्र था.
मैंने रूम में जा के सिगरेट सुलगाई.. कुछ 2 बजे होंगे की अनुपमा भाभी की कॉल आई, उसने मुझे कहा की वो लोग 15 मिनट में पहुंचेंगे वहाँ. पीछे से किसी की खी खी हंसने की आवाज भी आ रही थी, शायद वो मेरी गर्म भाभी शिला थी.. उसकी चूत पर मुझे आप अपने लंड की मोहर जो लगानी थी हंसी तो आएगी ही ना. थोड़ी देर में ही वोह दोनों आ पहुंची और कुछ पांच मिनिट बाद रसिक भी आ गया. रसिक के आते ही अनुपमा भाभी उसके साथ अलग कमरे में चुदाई के लिए चल दी. अकेले में शिला भाभी की जवानी फूटी
अनुपमा भाभी और रसिक के जाते ही जैसे की शिला शेर हो गई और उसने मेरे पासआके सीधे मेरे होंठो पर चुम्मा दे दिया. ना हाय ना हल्लो सीधे चलो. मुझे शिला भाभी का अंदाज बहुत अच्छा लगा और मैं भी उसके होंठो को अपने होंठो से लगा के उसकी घेरी लाल लिपस्टिक ख़राब करने लगा. भाभी ने मेरे कंधे पर रखे हुए हाथो को मेरी कमर पर लगा दिया और मुझे अपनी तरफ खींचने लगी. गर्म भाभी की सेक्सी चुंचिया मुझे अड़ने लगी. मैंने अपने हाथ भाभी के बालो में डाले और मैं भाभी की झुल्फो से खेलने लगा. मेरे होंठ अभी भी भाभी के होंठो पर ही लगे थे.
शिला भाभी ने हाथ को अब सीधा मेरे लंड के उपर रख दिया और वोह हलके हलके मेरे लंड को जैसे की मसाज देने लगी. मेरा लंड फूलने लगा था और मुझे भाभी की सांसो में तेजी दिखने लगी. मैने भाभी के मुहं से अपना मुहं हटाया और भाभी की साड़ी खोलने लगा. गर्म भाभी बोली, चूड़ी खरीदने के बहाने से आई हूँ मैं, जल्दी करना हैं, जो भी करो. मैंने फट से गर्म भाभी की साडी खोल दी और अंदर उसके ब्लाउज को भी उतार फेंका. भाभी के बड़े बड़े स्तन मेरे हाथ में खेलने लगे और मैंने उन्हें दबा दबा के लाल कर दिया. शिला भाभी ने तुरंत मेरी पेंट खोल दी और मेरे लंड को बहार कर दिया. क्या चूसती हैं ये भाभियाँ
शिला भाभी ने लौड़े को सीधा अपने मुहं में ले लिया और वोह उसे जोर से चूसने लगी. उसने पूरा के पूरा लंड मुहं में इस तरह भरा था जैसे की यह दुनिया का आखरी लंड हो. उसके गले तक मेरा लंड घुसा पड़ा था और यह गर्म भाभी उसे मस्त चूस दे रही थी. शिला लौड़े को तल तक चूस रही थी और उसके हाथ मेरे गोटो को दबा रहे थे. मुझे जो सुख मिल रहा था वो मैं शब्दों में बिलकुल बयान नहीं कर सकता. मैं अपनी आँखे बंध कर के उपर देख रहा था. मैंने उसका सर अब हाथ में लिया और उसे मैं अपने लंड के झटके मुहं में देने लगा. शिला भाभी दांत से लौड़े को बचाते हुए मस्त चूस दिए जा रही थी. मुझे लगा की अगर यह गर्म भाभी ऐसे ही लंड चुस्ती रही तो मेरा वीर्य निकल जाएंगा.
मैंने उसे सर से पकड़ के उठाया और लंड उसके मुहं से बहार कर दिया. उसके इतने मस्त चूसने से ल;लौड़ा पूरा लाल हो चूका था एयर उसमे कंपन आ रही थी. सच में यह भाभियाँ और आंटियाँ लंड चूसने की मशीन होती हैं और इनके जैसा लंड क्यों नहीं चूस सकता. पिछवाडा पकड़ अगवाड़े मैं लंड घुसा दिया
मुझे अब इस गर्म भाभी की चूत को ले लेने की असीम इच्छा हो गई थी, उसने लंड मस्त चूसा था जिस से लंड भी मस्त खड़ा हो चूका था. शिला भाभी अपनी चूत मेरे सामने फैला के पलंग में लेट गई. मैंने अपने लंड को सीधे उसके चूत के होल के उपर रखा और एक धीमा झटका देते ही मेरा पूरा लंड उसकी भोसड़ी में बहने लगा. चूत की गर्मी सच में बहुत बढ़िया होती हैं लंड के लिए. मेरे झटकों से शिला भाभी हीलने लगी और मेरा लंड उसकी सेक्सी चूत के अंदर बहार हो रहा था.
शिला भाभी को भी चुदाई का नशा चढने लगा था और वो मुझे पकड़ के अपनी तरफ खिंच लेती थी जिस से उसकी चूत के अंदर तक लौड़ा घुस सके. मैंने भी भाभी की गांड को दोनों तरफ से पकड़ ली और मैं उसे जोर जोर से ठोकने लगा. शिला भाभी की अह अहह आह आह निकलने लगी और मैं वही उत्साह से उसे ठोकने लगा. इसी इंटेंसिटी से गर्म भाभी की चूत में मैं अपना लंड देता रहा और भाभी भी अपनी गांड हिला हिला मुझ से चुदती रही. भाभी की चुदाई करे मुझे कुछ 7-8 मिनिट हो चुकी थी और लंड अभी भी झरने का नाम नहीं ले रहा था.
गर्म भाभी शिला की चूत से मैंने लंड निकाला और उसे उल्टा लिटा दिया. भाभी अपनी गांड को उठा की लेट गई थी. मैंने अब उसकी चूत के अंदर पीछे से डौगी स्टाइल में लंड दे दिया. भाभी की चूत में अब थोड़ी सख्ती लगी और मेरा लंड भी अब और गहराइयों को छू रहा था. भाभी आगे पीछे होने लगी और मैं ऊपर निचे. चसचस की आवाजे चुदाई से निकलने लगी और भाभी के मुहं से आह आह ओह ओह निकलने लगा था. दोनों आवाजो का संगम बहुत ही कामुक था और मैं भाभी को जोर से डंडा दे रहा था. तभी मुझे लगा की जैसे की लंड के अंदर एक अजीब सा तनाव आ गया और मुझे लगा की सारा लहू लौड़े की तरफ बहने लगा हैं.
भाभी ने भी तभी अपनी चूत के मसल को टाईट कर लिए. एक सन्न सा हुआ और मेरा सारा वीर्य निकल के गर्म भाभी की सेक्सी चूत को भरने लगा. मैंने भाभी की गांड को पकडे हुए अपने वीर्य की धारा को उनकी चूत में छोड़ दिया. मैंने जैसे ही लंड को बहार निकाला भाभी ने सीधे हो के उसे मुहं में भर लिया. वैसे तो सारा वीर्य उसकी चूत में निकल ही चूका था, फिर भी लंड के उपर चिपका थोडा बहुत वीर्य इस गर्म भाभी ने अपनी जीभ से गटक लिया. सच में भाभी का यह कामुक रूप देखने वाला था.
हम लोगो ने कपडे पहने और मैंने रसिक को मिस कोल दी, रसिक ने मुझे कोल की और बोला की आजाओ बाहर. हम बहार गए तो देखा की अनुपमा भाभी और रसिक तैयार थे जाने के लिए. मैंने इन दोनों भाभियों को ऑटो में बिठाया और अपनी बाइक के ऊपर रसिक को बिठा के हम दोनों गाँव की तरफ निकल पड़े. इस चुदाई के बाद तो गर्म भाभी मुझ से बहुत खुल गई. अब जब में घर से उसे ब्रश करते हुए देखता हूँ तो कभी कभी वो नखरे कर के मुझे बताती हैं. मैं हफ्ते महीने में अनुपमा भाभी से बात कर के इस गर्म भाभी की चुदाई का जुगाड़ कर लेता हूँ
भाभी की हिलती दूकान मैंने अंगने में देखी शिला भाभी को मैंने पहली बार उनकी शादी के तिन दिन बाद देखा जब वो अंगने में झाड़ू लगा रही थी. इस सेक्सी भाभी को देख मेरे दिमाग में पहला ख्याल यही आया था की कुंदन भैया सही में किस्मत वाले है, क्या हॉट बीवी मिली है इन्हें. मैं कोलेज काल से ही भाभियों और आंटियो के प्रत्ये दिलचस्पी रखता था और मेरे मोबाइल में हमेंशा इसके रिलेटेड क्लिप्स ही होते थे. मेरी उम्र 24 की हो चली थी, घर वाले कई लड़कियां दिखा चुके थे पर मुझे अभी तक कोई जमी नहीं थी.
फ़िलहाल मेरा वक्त गर्म भाभी, लडकियां देख के हाथ से और कभी कभी बाजू के शहर जा के वहाँ की एक बड़ी उम्र की रंडी की चूत से चल जाता था. मैं कितने दिनों से किसी को पटाने के जुगाड़ में था क्यूंकि शहर जा चोदने का काम महंगा था. शिला भाभी झाड़ू लगा रही थी और मैं पीछे से इस गर्म भाभी की हिलती दूकान को देख रहा था. कसदार थी भाभी की दूकान. (दूकान तो समझते हो ना आप लोग). शिला भाभी से मेरा फॉर्मल इंट्रो भी नहीं हुआ ठा क्यूंकि उसका पति कुंदन एक नंबर का पढ़ाकू था उसने बी.कोम. कर रखा था और आये दिनों वो कोई ना कोई एक्जाम देता रहता था नौकरी के लिए. गर्म भाभी की गांड देख मेरा लंड सच में खड़ा हो गया और मैं मनोमन सोचने लगा की किसी तिकडम से इस भाभी की चुदाई का अवसर मिल जाएँ तो बस काम काम हो जाएं. अनुपमा से सेटिंग की बात की
शिला भाभी को मैं कुछ दिनों तक ताक देता रहा, सुबह जब में बरामदे में खड़ा ब्रश करता तो वो अक्सर मुझे अपने घर के बाहर कपडे धोते या बर्तन मांजते दिख जाती थी. मैं इस गर्म भाभी को ताड़ता रहेता था. वह भी कभी कभी एक नजर देख लेती थी. एक दो बार मैंने उसे स्माइल दे दी थी. पहले उसने स्माइल का कोई जवाब नहीं दिया लेकिन बाद में उसकी तरफ से मुझे हल्का हल्का स्माइल प्रतिभाव के तौर पर मिलता दिखने लगा था. पर बात इतनी आसान नहीं थी, महोल्ले में चुदाई का अवसर आना थोडा टेढ़ा काम था क्यूंकि साले कुछ बुढढे बरसात में भी अपनी खटिया बहार निकाल सोते थे. मुझे फिर अनुपमा का ख्याल आया.
अनुपमा भी हमारे महोल्ले की ही भाभी थी लेकिन वो मेरे घर से कुछ घर छोड़ के रहेती थी. अनुपमा मेरे दोस्त रसिक से चुदवाती थी.. उसका पति कबीर एक कारखाने में काम करता था और रसिक कभी कभी तो उसके पति की नाईट शिफ्ट होने पर जल्दी सुबह तक अनुपमा के घर में ही रहके उसे ठोकता था. मैंने मनोमन सोचा की ऐसे भी अनुपमा मेरे से बिंदास्त बातें करती है और उसने मुझे मजाक में कहा भी था की कुछ काम हो तो बताना. मैंने सोचा चलो देखते हैं की काम करती हैं या नहीं. मैंने अनुपमा का नंबर रसिक से लिया और उसे शाम को मिलने बुलाया. सब्जी मंडी के पास वाली गली में एक पानीपुरी के ठेले के पास वो मुझ से मिली. मैंने अनुपमा भाभी को गर्म भाभी शिला और उसके सेक्सी शरीर के बारे में बताया. अनुपमा भाभी हंस पड़ी. अरे गर्म भाभी तो अनुपमा की क्लासमेट निकली
मैंने अनुपमा भाभी को हँसते देख अपने गुस्से पर मुश्किल से कंट्रोल कर सका, मैंने कहाँ की हंस क्यूँ रही हो भाभी. अनुपमा बोली, अरे शिला मेरी सखी हैं हम लोग एक से सात कक्षा तक साथ में पढ़े थे. अनुपमा भाभी ने मुझे यह भी बताया की शिला उसके सेक्स जीवन में दुखी हैं और मेरे चांसिस है. उसने कहा की कुंदन पूरा दिन पढाई करता है और रात को भी वो किताबो से निकलता नहीं हैं. मैंने अनुपमा भाभी से कहा की कुछ भी करो एक बार मिलने का प्रबंध करा दो मैं आपका अहेसान नहीं भूलूंगा. अनुपमा भाभी ने मेरा नंबर लिया और मुझे कुछ दिन रुकने के लिए कहा.
3-4 दिन बीतें होंगे इस बात को और शाम के वक्त मुझे अनुपमा भाभी के फोन से रिंग आई, मैंने फोन उठाया और भाभी बोली की उसने गर्म भाभी को समझाया है लेकिन वोह इस गाँव में कुछ करने के लिए तैयार नहीं हैं. क्यूंकि गाँव छोटा हैं और पकडे जाने का पूरा डर हैं. अनुपमा भाभी ने मुझे बताया की वो मेरा सेटिंग करा देंगी. उसने मुझे बताया की वोह गाँव के बहार इस गर्म भाभी को लेके आएगी लेकिन मुझे सब कुछ एक घंटे के भीतर सब कुछ निपटाना पड़ेगा. इसका मतलब साफ़ था की अनुपमा भाभी ने गर्म भाभी शिला से चुदाई की ही बात की थी और वोह इस पर तैयार हुई थी. साला मुझे तो लगा की सेटिंग फिर बातें और यह सब में कुछ दिन लग जाएंगे. दोनों भाभी गेस्ट हाउस आ गई, रसिक भी साथ में था
अनुपमा भाभी ने मुझे अगले शनिवार को बाजू वाले शहर छपरा बुलाया और उसने मुझे किसी श्याम गेस्ट हाउस पर आने को बोला था. मुझे उसके फोन के बाद रसिक का फोन आया और उसने बोला की वो भी आएगा और उसने मुझे गेस्ट हाउस का रास्ता भी बताया. मैं शनिवार की बेसब्री से राह देखने लगा, गर्म भाभी की नजरो में भी अब उत्साह मुझे अब अपने बरामदे में खड़े रहने पर साफ़ नजर आता था. आखिर कार शनिवार आ ही गया और मैंने अपने समय पे बाइक उठाई और मैं छपरा जाने के लिए निकल पड़ा. मुझे श्याम गेस्ट हाउस ढूंढने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. यह एक चुदाई स्पेशियल जगह ही लग रही थी क्यूंकि यहाँ रुम के नाम पर सिर्फ चार दीवारें और एक पलंग मात्र था.
मैंने रूम में जा के सिगरेट सुलगाई.. कुछ 2 बजे होंगे की अनुपमा भाभी की कॉल आई, उसने मुझे कहा की वो लोग 15 मिनट में पहुंचेंगे वहाँ. पीछे से किसी की खी खी हंसने की आवाज भी आ रही थी, शायद वो मेरी गर्म भाभी शिला थी.. उसकी चूत पर मुझे आप अपने लंड की मोहर जो लगानी थी हंसी तो आएगी ही ना. थोड़ी देर में ही वोह दोनों आ पहुंची और कुछ पांच मिनिट बाद रसिक भी आ गया. रसिक के आते ही अनुपमा भाभी उसके साथ अलग कमरे में चुदाई के लिए चल दी. अकेले में शिला भाभी की जवानी फूटी
अनुपमा भाभी और रसिक के जाते ही जैसे की शिला शेर हो गई और उसने मेरे पासआके सीधे मेरे होंठो पर चुम्मा दे दिया. ना हाय ना हल्लो सीधे चलो. मुझे शिला भाभी का अंदाज बहुत अच्छा लगा और मैं भी उसके होंठो को अपने होंठो से लगा के उसकी घेरी लाल लिपस्टिक ख़राब करने लगा. भाभी ने मेरे कंधे पर रखे हुए हाथो को मेरी कमर पर लगा दिया और मुझे अपनी तरफ खींचने लगी. गर्म भाभी की सेक्सी चुंचिया मुझे अड़ने लगी. मैंने अपने हाथ भाभी के बालो में डाले और मैं भाभी की झुल्फो से खेलने लगा. मेरे होंठ अभी भी भाभी के होंठो पर ही लगे थे.
शिला भाभी ने हाथ को अब सीधा मेरे लंड के उपर रख दिया और वोह हलके हलके मेरे लंड को जैसे की मसाज देने लगी. मेरा लंड फूलने लगा था और मुझे भाभी की सांसो में तेजी दिखने लगी. मैने भाभी के मुहं से अपना मुहं हटाया और भाभी की साड़ी खोलने लगा. गर्म भाभी बोली, चूड़ी खरीदने के बहाने से आई हूँ मैं, जल्दी करना हैं, जो भी करो. मैंने फट से गर्म भाभी की साडी खोल दी और अंदर उसके ब्लाउज को भी उतार फेंका. भाभी के बड़े बड़े स्तन मेरे हाथ में खेलने लगे और मैंने उन्हें दबा दबा के लाल कर दिया. शिला भाभी ने तुरंत मेरी पेंट खोल दी और मेरे लंड को बहार कर दिया. क्या चूसती हैं ये भाभियाँ
शिला भाभी ने लौड़े को सीधा अपने मुहं में ले लिया और वोह उसे जोर से चूसने लगी. उसने पूरा के पूरा लंड मुहं में इस तरह भरा था जैसे की यह दुनिया का आखरी लंड हो. उसके गले तक मेरा लंड घुसा पड़ा था और यह गर्म भाभी उसे मस्त चूस दे रही थी. शिला लौड़े को तल तक चूस रही थी और उसके हाथ मेरे गोटो को दबा रहे थे. मुझे जो सुख मिल रहा था वो मैं शब्दों में बिलकुल बयान नहीं कर सकता. मैं अपनी आँखे बंध कर के उपर देख रहा था. मैंने उसका सर अब हाथ में लिया और उसे मैं अपने लंड के झटके मुहं में देने लगा. शिला भाभी दांत से लौड़े को बचाते हुए मस्त चूस दिए जा रही थी. मुझे लगा की अगर यह गर्म भाभी ऐसे ही लंड चुस्ती रही तो मेरा वीर्य निकल जाएंगा.
मैंने उसे सर से पकड़ के उठाया और लंड उसके मुहं से बहार कर दिया. उसके इतने मस्त चूसने से ल;लौड़ा पूरा लाल हो चूका था एयर उसमे कंपन आ रही थी. सच में यह भाभियाँ और आंटियाँ लंड चूसने की मशीन होती हैं और इनके जैसा लंड क्यों नहीं चूस सकता. पिछवाडा पकड़ अगवाड़े मैं लंड घुसा दिया
मुझे अब इस गर्म भाभी की चूत को ले लेने की असीम इच्छा हो गई थी, उसने लंड मस्त चूसा था जिस से लंड भी मस्त खड़ा हो चूका था. शिला भाभी अपनी चूत मेरे सामने फैला के पलंग में लेट गई. मैंने अपने लंड को सीधे उसके चूत के होल के उपर रखा और एक धीमा झटका देते ही मेरा पूरा लंड उसकी भोसड़ी में बहने लगा. चूत की गर्मी सच में बहुत बढ़िया होती हैं लंड के लिए. मेरे झटकों से शिला भाभी हीलने लगी और मेरा लंड उसकी सेक्सी चूत के अंदर बहार हो रहा था.
शिला भाभी को भी चुदाई का नशा चढने लगा था और वो मुझे पकड़ के अपनी तरफ खिंच लेती थी जिस से उसकी चूत के अंदर तक लौड़ा घुस सके. मैंने भी भाभी की गांड को दोनों तरफ से पकड़ ली और मैं उसे जोर जोर से ठोकने लगा. शिला भाभी की अह अहह आह आह निकलने लगी और मैं वही उत्साह से उसे ठोकने लगा. इसी इंटेंसिटी से गर्म भाभी की चूत में मैं अपना लंड देता रहा और भाभी भी अपनी गांड हिला हिला मुझ से चुदती रही. भाभी की चुदाई करे मुझे कुछ 7-8 मिनिट हो चुकी थी और लंड अभी भी झरने का नाम नहीं ले रहा था.
गर्म भाभी शिला की चूत से मैंने लंड निकाला और उसे उल्टा लिटा दिया. भाभी अपनी गांड को उठा की लेट गई थी. मैंने अब उसकी चूत के अंदर पीछे से डौगी स्टाइल में लंड दे दिया. भाभी की चूत में अब थोड़ी सख्ती लगी और मेरा लंड भी अब और गहराइयों को छू रहा था. भाभी आगे पीछे होने लगी और मैं ऊपर निचे. चसचस की आवाजे चुदाई से निकलने लगी और भाभी के मुहं से आह आह ओह ओह निकलने लगा था. दोनों आवाजो का संगम बहुत ही कामुक था और मैं भाभी को जोर से डंडा दे रहा था. तभी मुझे लगा की जैसे की लंड के अंदर एक अजीब सा तनाव आ गया और मुझे लगा की सारा लहू लौड़े की तरफ बहने लगा हैं.
भाभी ने भी तभी अपनी चूत के मसल को टाईट कर लिए. एक सन्न सा हुआ और मेरा सारा वीर्य निकल के गर्म भाभी की सेक्सी चूत को भरने लगा. मैंने भाभी की गांड को पकडे हुए अपने वीर्य की धारा को उनकी चूत में छोड़ दिया. मैंने जैसे ही लंड को बहार निकाला भाभी ने सीधे हो के उसे मुहं में भर लिया. वैसे तो सारा वीर्य उसकी चूत में निकल ही चूका था, फिर भी लंड के उपर चिपका थोडा बहुत वीर्य इस गर्म भाभी ने अपनी जीभ से गटक लिया. सच में भाभी का यह कामुक रूप देखने वाला था.
हम लोगो ने कपडे पहने और मैंने रसिक को मिस कोल दी, रसिक ने मुझे कोल की और बोला की आजाओ बाहर. हम बहार गए तो देखा की अनुपमा भाभी और रसिक तैयार थे जाने के लिए. मैंने इन दोनों भाभियों को ऑटो में बिठाया और अपनी बाइक के ऊपर रसिक को बिठा के हम दोनों गाँव की तरफ निकल पड़े. इस चुदाई के बाद तो गर्म भाभी मुझ से बहुत खुल गई. अब जब में घर से उसे ब्रश करते हुए देखता हूँ तो कभी कभी वो नखरे कर के मुझे बताती हैं. मैं हफ्ते महीने में अनुपमा भाभी से बात कर के इस गर्म भाभी की चुदाई का जुगाड़ कर लेता हूँ
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