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चाचा की लड़की दक्शु की बुर की चुदाई Chacha ki ladki Dakshu ki bur ki chudai
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मैं अब तक 18 लड़कियों और औरतों को चोद चुका हूँ। मैंने सबसे पहले अपनी चचेरी बहन दक्शु की सील तोड़ी। यह मैंने कैसे किया, यही मैं यहाँ बताने जा रहा हूँ। मैं 20 साल का था, मेरे एक चाचा की लड़की 19 साल की थी। उसका नाम दक्शु है। वह बहुत ही सुन्दर थी, उसका फिगर 32-26-32 था, गली के कई लड़के उसको चोदने की फिराक में रहते थे। उसकी चुच्ची और चूतड़ मानस मार थे। दिखने में गोरी चिट्टी तथा जवानी की भरी हुई और बहुत सुंदर थी। उसके बदन का हर अंग कामुक एवं आकर्षक था। वह एक ब्रह्मांड सुन्दरी लगती थी जिसे एक नज़र देखने के बाद लोगों के लौड़े क़ुतुब मीनार की तरह तन जाते थे।
मैं अब तक 18 लड़कियों और औरतों को चोद चुका हूँ। मैंने सबसे पहले अपनी चचेरी बहन दक्शु की सील तोड़ी। यह मैंने कैसे किया, यही मैं यहाँ बताने जा रहा हूँ। मैं 20 साल का था, मेरे एक चाचा की लड़की 19 साल की थी। उसका नाम दक्शु है। वह बहुत ही सुन्दर थी, उसका फिगर 32-26-32 था, गली के कई लड़के उसको चोदने की फिराक में रहते थे। उसकी चुच्ची और चूतड़ मानस मार थे। दिखने में गोरी चिट्टी तथा जवानी की भरी हुई और बहुत सुंदर थी। उसके बदन का हर अंग कामुक एवं आकर्षक था। वह एक ब्रह्मांड सुन्दरी लगती थी जिसे एक नज़र देखने के बाद लोगों के लौड़े क़ुतुब मीनार की तरह तन जाते थे।
बहुत ही नटखट स्वभाव की, हमेशा हँसती और हंसाती रहती थी। मैं उसकी चूत में अपना लण्ड ठोकना चाहता था। उसकी चूत और चूतड़ों का ध्यान कर के मूठ मारता था और वीर्य की पिचकारी छोड़ता था। मैंने कई बार मौका मिलने पर उसकी चुच्ची दबाई और चूतड़ों पर थपकी भी मारी, लेकिन उसे चौदने का मौका नहीं मिला। मैंने कई बार उससे पूछा कि क्या वह अपनी चूत में मेरा लण्ड बड़वाना चाहती है, तो वह कहती कि वह मेरा लण्ड भी चूसना चाहती है और मेरा वीर्य भी पीना चाहती है। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
हम दोनों में गहरा प्यार हो गया चुका था लेकिन उसकी चूत में लण्ड ठोकने का मौका नहीं मिल रहा था क्योंकि हमारा परिवार बहुत बड़ा था। मैं उसकी मानस मार चूचियों और मटकते हुए चूतड़ों को देख-2 कर तड़पता रहता था… वह भी मेरे प्यार में पागल हो चुकी थी। मौका मिलते ही मेरे लौड़े को दबा देती थी अपने हाथ में पकड़ कर। आखिर एक दिन हमें एक दूसरे में समाने का मौका मिल ही गया। हुआ यह कि हम दोनों बहन-भाई एक ही शहर के कॉलेजों में पढ़ते थे। दक्शु लड़कियों के कॉलेज में और मैं लड़कों के कॉलेज में पढ़ता था।
मैंने उसे कहा- तू घर वालों को कह कि कॉलेज में आते-जाते लड़के मुझे बुरी नजर से देखते हैं और गन्दी-2 फ़ब्तियाँ कसते हैं। इसलिए मेरा रोहतक में रहने का इन्तजाम कर दें। जब तू ऐसा कहेगी तो वे तुम्हें शहर में अकेली रहने की इज़ाजत नहीं देंगे, बल्कि कहेंगे कि तुम दोनों भाई-बहन इकट्ठे शहर में जा कर रहना शुरू करो।
हमारी यह स्कीम काम कर गई और घर वालों ने हमें शहर जाकर रहने की इज़ाजत दे दी। फिर क्या था। मैंने फटाफट शहर में एक मकान किराये पर ले लिया और उसमें रहने के लिए चले गए। जिस दिन हमने शिफ्ट किया उस दिन इतवार था। हम दोनों ख़ुशी से पागल हुए जा रहे थे क्योंकि अब हम दोनों पागल प्रेमी एक दूसरे में समाने जा रहे थे। घर में घुसते ही हम गुत्थम-गुत्था हो गए। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैंने दक्शु को अपनी बाँहों में भर कर छाती से लगा लिया और उसने भी मेरी कस कर कौली भर ली। हम दोनों एक दुसरे को किस करने लगे।10 - 15 मिनट तक यह चलता रहा फिर हमने एक - दुसरे के कपडे उतार दिए और यौन क्रिया में मस्त हो गए। पहले ही दिन मैंने उसे 4 बार चोदा और फिर हम हर दिन इसका मजा लेने लगे।
हमारी यह स्कीम काम कर गई और घर वालों ने हमें शहर जाकर रहने की इज़ाजत दे दी। फिर क्या था। मैंने फटाफट शहर में एक मकान किराये पर ले लिया और उसमें रहने के लिए चले गए। जिस दिन हमने शिफ्ट किया उस दिन इतवार था। हम दोनों ख़ुशी से पागल हुए जा रहे थे क्योंकि अब हम दोनों पागल प्रेमी एक दूसरे में समाने जा रहे थे। घर में घुसते ही हम गुत्थम-गुत्था हो गए। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
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