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मेरी मकान मालकिन की जबरदस्त चुदाई - Meri makaan malkin ki jabardast chudai
मेरी मकान मालकिन की जबरदस्त चुदाई - Meri makaan malkin ki jabardast chudai , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
यह बात सन 2011 की है. उस समय मैं गाँधीनगर में नौकरी करता था। मैंने वहां एक कमरा किराए पर लिया था। मेरा कमरा दूसरी मंज़िल पर था। रोज़ सवेरे मैं नौकरी पर निकल जाता था और शाम को देर से आता था। मेरे मकान मलिक की बीवी करीब 35 साल की थी जो दिखने में ग़ज़ब की थी। मकान मालकिन का फ़ीगर 38-30-40 के लगभग होगा। उसका भरा हुआ बदन देख कर मेरे लण्ड में आग सी लग जाती थी। मकान मालिक एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करता था और हर रोज शाम को देर से आता था। देखने में वह अधेड़ उम्र का लगता था जैसे बिल्कुल झड़ गया हो।
यह बात सन 2011 की है. उस समय मैं गाँधीनगर में नौकरी करता था। मैंने वहां एक कमरा किराए पर लिया था। मेरा कमरा दूसरी मंज़िल पर था। रोज़ सवेरे मैं नौकरी पर निकल जाता था और शाम को देर से आता था। मेरे मकान मलिक की बीवी करीब 35 साल की थी जो दिखने में ग़ज़ब की थी। मकान मालकिन का फ़ीगर 38-30-40 के लगभग होगा। उसका भरा हुआ बदन देख कर मेरे लण्ड में आग सी लग जाती थी। मकान मालिक एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करता था और हर रोज शाम को देर से आता था। देखने में वह अधेड़ उम्र का लगता था जैसे बिल्कुल झड़ गया हो।
मकान से थोड़ी सी दुरी पर एक होटल था मैं उस होटल पर खाना खाने के बाद अपने कमरे पर आ जाता था. शाम को देरी से आने के कारण मकान में रहने वाले अन्य लोगो से मेरी मुलाकात कम ही हो पाती थी. रविवार के दिन मेरी छुट्टी रहती थी. इसलिए मैं अपना समय बिताने के लिए अपने साथ काम करने वाले कर्मचारियों के यहाँ चला जाता था या पार्क में घूमकर अथवा टीवी देखकर अपना समय बिताता था. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
एक रविवार शाम को जब मैं कमरे में जाने के लिए सीढ़ियों से चढ़ने लगा तो नीचे ही मकान मालकिन ने मुझे चाय पर निमंत्रण दिया। मैंने पहले तो ना कर दी लेकिन फिर उसके आग्रह करने पर मैंने चाय के लिए हाँ कर दी। उसके बाद जब भी मैं कमरे पर जल्दी आ जाता तो मकान मालकिन किसी ना किसी बहाने मुझे बुला लेती थी. बातों – बातों में मैं उससे मजाक में कुछ भी बोल देता तो मकान मालकिन कभी नाराज नहीं होती थी. एक दिन उसने मुझे बुलाया और जब दरवाज़ा खोला तो मैं उसको देख कर दंग रह गया। उसने एक बहुत ही पतला सा गाऊन पहन रखा था जिसमें से उसकी चड्डी साफ साफ दिखाई दे रही थी।
मैंने उसे कहा - भाभी जी ! आज तो बहुत गर्मी है!
यह कहकर मैंने पंखा चला दिया।
मकान मालकिन ने कहा- हाँ, आज गर्मी तो बहुत है इसलिए मैंने भी यह नया गाऊन पहन ही लिया!
मैंने कहा- यह गाऊन तो बहुत ही अच्छा है !
यह बात सुन कर वो खुश हो गई और बोली- अब मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ!
और इतना बोलकर वो रसोई में चली गई। मैंने उसे रसोई में जाते देखा तो दंग रह गया। उसने गाउन के नीचे कोई ब्रा भी नहीं पहन रखी थी। मैंने सोचा शायद गर्मी ज़यादा है इसलिए पतला सा गाऊन पहना होगा।
मेरा लण्ड यह देखकर बिना आर्डर ही खड़ा हो गया और लोहे से भी ज़्यादा सख़्त हो गया था। मैंने सोचा कि आज कुछ बात आगे बढ़ा ली जाए।
भाभी जी चाय लेकर आ गई और हम दोनों ने बातें शुरू कर दी।
भाभी जी आज कुछ ज्यादा ही रोमांटिक लग रही थी उसने पूछा- आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की ?
मैंने कहा- भाभी जी, पहले मैं ज़िंदगी में कुछ बन जाऊं फिर शादी करूँगा। फिलहाल तो मैं अपने करियर पर ध्यान दे रहा हूँ।
भाभी जी बोली- यह पैसे कमाने के चक्कर में कहीं तुम्हारी उमर ना ढल जाए! फिर कोई लड़की भी नहीं मिलेगी।
मैं बोला- भाभी जी, यह तो मेरी किस्मत है, अगर कोई लड़की नहीं मिलती तो कोई बात नहीं !
भाभी जी बोली- नहीं, अभी तुम्हारी उमर ज़्यादा नहीं है और फिर शरीर की ज़रूरत का भी तो तुम्हें ही ख्याल रखना है !
यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और बोला- भाभी जी, शरीर की ज़रूरत पूरी करने के लिए तो मैं खुद ही कोशिश करता हूँ!
भाभी जी बोली- देखो, यह जो तुम बात कर रहे हो, उससे तुम्हारा शरीर कमज़ोर हो जाएगा और फिर शादी के बाद कुछ नहीं कर सकोगे।
भाभी जी की बात सुनकर मैं चौंक गया और मैंने सोचा कि लोहा गरम है, लगता है कि आज काम बन ही जाएगा।
मैं बोला- भाभी जी, आप ही बताइए कि मैं क्या करूँ ? फिलहाल तो मैं अपने हाथ से ही काम चला लेता हूँ।
यह सुनकर वो हसने लगी और मुझे कातिल नजरों से देखती हुई बोली – हट गंदे कहीं के.
मैं बोला – भाभी जी मैं तो अपनी सच्चाई बता रहा हूँ।
भाभी जी बोली - तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं बोला- भाभी जी, इतना समय नहीं है कि कोई गर्लफ्रेंड बनाई जाए और फिर मैं फिलहाल अपने करियर की तरफ़ ध्यान दे रहा हूँ।
भाभी जी बोली- चलो कोई बात नहीं, तुम कभी कभार अपने दिल की बात तो मुझसे कर लिया करो। इससे तुम्हारा मन भी हल्का हो जाएगा और तुम्हारा ध्यान भी बंट जाएगा।
फिर मैंने पूछा- भाभी जी और सुनाओ! भैया तो बहुत काम करते हैं! दिन रात पैसे कमाने में लगे रहते हैं, वो तो आपका बहुत ही ख्याल रखते हैं।
यह सुनकर भाभी जी बोली- अब क्या बताऊं तुमको! वो पैसे तो बहुत कमाते है लेकिन एक औरत को पैसे के अलावा कुछ और भी चाहिए। बस मैं भी तुम्हारी तरह ही हूँ, सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है मेरे पास, बस अधूरी सी बनकर रह गई हूँ। इन पैसो का क्या करूँगी जब मेरा कोई ख्याल ही नहीं रखता।
मैंने हिम्मत कर के बोला- भाभी जी, हम लोग ऐसा क्यों नहीं करते कि एक दूसरे का ध्यान रखें, मेरा मतलब हम लोग दोस्त भी तो बन सकते हैं ना?
भाभी जी बोली- अच्छा, अब दोस्त भी बोलते हो और भाभी भी कहते हो? आज के तुम मुझे सिर्फ जानू कह कर बुलाओ तो मुझे विश्वास होगा की तुम मेरे सच्चे दोस्त हो!
मैंने कहा- अच्छा जानू, चलो अब से हम दोस्त हो गये हैं।
यह कह कर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे प्यार से दबा दिया। वह मेरी इस हरकत से गरम सी हो रही थी।
मैंने कहा- जानू, तुम बहुत सुंदर हो और मैं तो तुम्हारी वजह से ही इस घर में रहता हूँ, नहीं तो मैं अपने ऑफ़िस के पास भी रह सकता था। इतने दिनों से बस अपने दिल की बात दिल में रख कर घूम रहा था। बहुत दिल करता था कि आपसे आ कर दोस्ती की बात करूँ लेकिन कभी हिम्मत ही नहीं होती थी। मेरी नज़र में तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत हो और मैं हमेशा तुम्हारे पति को बहुत ही खुशनसीब समझता हूँ जिसे तुम्हारे जैसी औरत मिली है। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
वह यह सब सुनकर बहुत खुश हुई और बोली- अच्छा अब उनके आने का समय हो गया है, तुम चाय ख़त्म करो और ऊपर अपने कमरे में जाओ। मैं तुमसे कल बात करूँगी।
अगली सुबह लगभग साढ़े पाँच बजे मेरे दरवाजे की घंटी बजी और मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा कि वो बाहर खड़ी है। वो मुझे अर्धनगन अवस्था में देख कर मुस्कुरा कर गुड मॉर्निंग बोलकर छत पर चली गई। मुझे कुछ समझ नहीं आया और जब वो नीचे जा रही थी तो उसे मैंने अपने कमरे में खींच लिया।
वो बोली- मैं तो सुबह सुबह छत पर पानी देखने के बहाने आई थी, सोचा कि तुमसे बात हो जाएगी, लेकिन तुम तो सोए हुए थे।
मैं बोला- कोई बात नहीं प्रिय, आज मैं दिन में जल्दी आ जाऊंगा।
इतना सुनकर वो बोली- मैं तुम्हें तुम्हारे ऑफ़िस में फ़ोन करूँगी, फिर तुम आ जाना।
मैं ऑफ़िस में एक ज़रूरी काम में व्यस्त था कि मेरे फोन की घण्टी बजी और उधर से आवाज़ आई- वो घर पर नहीं हैं, पास की किसी शादी में गए है तुम जल्दी से आ जाओ। मैंने जल्दी जल्दी अपना काम ख़त्म किया और घर पहुँच गया।
वो बोली- तुम अपने कमरे में जाओ, मैं अभी आती हूँ।
कुछ देर बाद वो मेरे में आ गई। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों पर अपने होंठ चिपका दिए। उसने साड़ी और ब्लाउज़ पहन रखा था और वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए और वो सिसकियाँ भरने लगी। फिर मैंने उसके बालों में हाथ फेरना शुरु किया और उसके कान पर मैंने प्यार से अपनी जीभ फेर दी। उसने मेरे शरीर को ज़ोर से अपने हाथों से पकड़ लिया. मैंने धीरे धीरे उसके ब्लाउज़ में हाथ डाला और अपना चेहरा ब्लाउज़ के ऊपर रख दिया।
वो बोली- ज़रा धीरज से काम लो ! यह सब तुम्हें ही मिलेगा !
मैंने उसका ब्लाउज़ और साड़ी उतार दी और अपनी कमीज़ भी निकाल दी। फिर उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी ब्रा भी निकाल दी और उसके मम्मे चूसने लगा। वो अब मेरा साथ भरपूर दे रही थी और उसने मेरे लण्ड को ज़ोर से दबा दिया और हिलाने लगी।
मैं बोला- इतनी ज़ोर से हिलाओगी तो सब माल तो ऐसे ही निकल जाएगा !
मैंने उसकी चूची चूसना शुरू किया और अपने हाथ से उसकी पैन्टी निकाल दी और हाथ उसकी चूत पर फेरना शुरू कर दिया। उसने मेरी अंडरवीयर निकाल दी और मेरे लण्ड को प्यार से सहलाने लगी। मैंने उसकी चूची से अपना मुँह हटाया और उसकी नाभि को चाटना शुरू किया। वह अब बहुत गरम हो चुकी थी। मैंने फिर धीरे धीरे अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और उसे चाटने लगा। उस की सिसकी निकल गई और उसने अपनी टाँगें फैला दी जिससे मैं उसकी चूत को अच्छी तरह से चाट सकूँ। उस की योनि से नमकीन स्वाद आ रहा था।
वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ ले रही थी और वो बोली- अब से यह तुम्हारी है, इसका जो भी और जैसे भी इस्तेमाल करना है तुम कर सकते हो। मेरी बरसों की आग को तुम ही बुझा सकते हो।
मैंने अब अपना लण्ड उसके मुँह की तरफ किया और उसने अपने मुँह में ले लिया और चाटने लगी। थोड़ी देर चूसने के बाद उसने मेरा लण्ड मुँह से बाहर निकाला और बोली" अब मुझसे नहीं रहा जाता, अब डाल दो इसे मेरे अंदर और मेरी प्यास बुझा दो। मुझे शांत कर दो मेरे हीरो।
मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रखा और एक धक्के में मेरा मोटा लंड उसकी चूत में चला गया। उसकी जैसे चीख सी निकल गई और बोली- ज़रा धीरे धीरे मेरे राजा ! इसका मज़ा लेना है तो धीरे धीरे इसे अंदर डालो और फिर जब पूरा चला जाए फिर ज़ोर ज़ोर से इसे अंदर बाहर करो।
मैंने अपने लण्ड को धीरे धीरे उसकी चूत में डाला और फ़िर एक ज़ोर से धक्का पेल दिया और मेरा मोटा लंड उसकी चूत में सारा चला गया।
वो बोली- आ उउई ऊफफफ्फ़ हमम्म्मम आआ मेरे राजा डाल दो अंदर पूरा का पूरा ! यह चूत तुम्हारी है, फाड़ दो इसे ! आअहह ऊऊऊऊओ आआहह ज़ोर से और ज़ोर से !
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत पर वार करने लगा। मैंने उसके मम्मे मुँह में लिए और अपनी स्पीड और भी बढ़ा दी। लगभग दस मिनट के बाद हम दोनों की आह निकली और हम दोनों झड़ गये। उसने मुझे एक ज़ोर से पप्पी दी और हम लोग बाथरूम में साफ होने के लिए चले गये। थोड़ी देर बाद हमने फिर से किस करना शुरू किया और इस बार उस ने मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। मैं पांच मिनट बाद में फिर से तैयार हो गया चुदाई करने के लिए। मैंने इस बार उस को उल्टा लिटा दिया और उसके मम्मे को पीछे से पकड़ कर अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। दोस्तो, इस पोज़िशन में लंड सीधा योनि में घुस जाता है और औरत को बहुत ही मज़ा आता है।
मेरी इस हरकत से उस की चीख निकल गई, वो बोली- आहह उउफफफफ्फ़ अफ ऊहह आआ ऊ हह आअहह बहुत दर्द हो रहा है, ऐसे लगता है कि तुमने अपना लंड सीधा मेरे पेट में ही घुसा दिया है। ज़रा धीरे धीरे करो ना ! आहह बहुत मज़ा आ रहा है. अब तुम अपनी स्पीड बढ़ा सकते हो।
मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसे पेलना शुरू किया और अपने घस्से ज़ोर ज़ोर से मारने लगा लेकिन मेरा झड़ने का कोई हिसाब नहीं बन रहा था। मैंने उससे कहा - लगता है कि मुझे समय लगेगा झड़ने के लिये।
वो बोली - कोई बात नहीं। तुम लगे रहो, जब समय आएगा तब झड़ जाना !
मैंने उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके ऊपर चढ़ गया। उसकी सिसकिया तेज़ हो रही थी, मैंने काफ़ी कोशिश की पर मेरा लण्ड झड़ने को तैयार नहीं था। फिर मैंने सोचा कि अगर मेरा लंड एक टाइट सी चीज़ में जाए तो शायद यह झड़ जाए। मैंने अपने लण्ड को चूत से निकला उसकी गांड पर उसे फेरना शुरू किया। वो शायद मेरा इशारा समझ रही थी, वो बोली- क्या इरादा है? मेरी कुँवारी गांड मारने का इरादा है क्या? यह तो तुम्हारी ही है लेकिन ज़रा प्यार से इस्तेमाल करना क्योंकि यह अभी बिल्कुल कुँवारी है।
मैंने झटक से उसके गांड पर सुपारा रखा और ज़ोर से पेल दिया। मेरा मोटा लंड उसकी गांड में सिर्फ़ दो इन्च जाकर फँस गया और उसकी चीख निकल गई, बोली- उफ़फ्फ़ आहह! निकाल दो इसे बाहर! बहुत दर्द हो रहा है, मर गई ...एयेए हह आ आ आ! आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैंने अपना लंड घबराकर बाहर निकाला और फिर धीरे धीरे उसे अंदर डालना शुरू किया, साथ में मैं अपने हाथ से उसके मम्मे दबा रहा था जिससे उसकी गरमी और बढ़ती जा रही थी। मैंने लगभग चार इन्च लण्ड घुसा दिया था और फिर एक बार ज़ोर से झटका मारा और पूरा का पूरा लौड़ा उसकी गाण्ड में घुस गया। वो अब मेरा भरपूर साथ दे रही थी। मैंने उसको ज़ोर ज़ोर से पेलना शुरू किया और उसकी टाइट गांड में मेरा लण्ड बहुत मज़े से चुदाई कर रहा था। फिर मैं कुछ देर बाद उसकी गांड में ही झड़ गया।
उस दिन के बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता था हम चुदाई करने लगे।
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