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ननद भाभी के सेक्स की मस्त कहानी - Nanad bhabhi ke sex ki mast kahani
ननद भाभी की चूत चुदाई , ननद भाभी के सेक्स की मस्त कहानी - Nanad bhabhi ke sex ki mast kahani , चुद गई , चुदवा ली , चोद दी , चुदवाती हूँ , चोदा चादी और चुदास अन्तर्वासना कामवासना , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
पिछली कहानी में आपने पढ़ा की कुन्ध्ला ने कैसे अपने पति तृष से त्रुती को चुदवाया लेकिन ऐसा करने के पीछे कुन्ध्ला का क्या लालच छिपा था. आइये जाने। कुन्ध्ला जब वापस आई तो पति की तृप्त आंखे देखकर वह समझ गई कि उसने त्रुती की चुदाई मस्त चुदाई का मजा ले लिया है। उसने तृष से पूछ ही लिया – कैसा रहा तुम्हारा मिशन।
पिछली कहानी में आपने पढ़ा की कुन्ध्ला ने कैसे अपने पति तृष से त्रुती को चुदवाया लेकिन ऐसा करने के पीछे कुन्ध्ला का क्या लालच छिपा था. आइये जाने। कुन्ध्ला जब वापस आई तो पति की तृप्त आंखे देखकर वह समझ गई कि उसने त्रुती की चुदाई मस्त चुदाई का मजा ले लिया है। उसने तृष से पूछ ही लिया – कैसा रहा तुम्हारा मिशन।
तृष उसे चूमता हुआ बोला - मेरी जान, चोद चोद कर बेहोश कर दिया साली को, बहुत रो रही थी, दर्द का नाटक खूब किया पर मैने नहीं सुना. क्या मजा आया उस नन्ही चूत को चोदकर." कुन्ध्ला वासना के जोश में घुटने के बल तृष के सामने बैठ गई और उसका रस भरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. लंड पर त्रुती की बुर का पानी और तृष के वीर्य का मिलाजुला मिश्रण लगा था. पूरा साफ़ करके ही वह उठी. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
तृष कपड़े पहन कर ऑफ़िस जाने को तैयार हुआ. उसने अपनी कामुक बीवी से पुछा कि अब वह क्या करेगी? कुन्ध्ला बोली "इस बच्ची की रसीली बुर पहले चूसूंगी जिसमें तुंहारा यह मस्त रस भरा हुआ है. फिर उससे अपनी चूत चुसवाऊंगी. हम लड़कियों के पास मजा करने के लिये बहुत से प्यारे प्यारे अंग है. आज ही सब सिखा दूंगी उसे"
तृष मुस्कराके बोला "बड़ी दुष्ट हो. लड़की को तड़पा तड़पा कर भोगना चाहती हो." कुन्ध्ला बोली. "तो क्या हुआ। अपनी लाड़ली ननद को. ऐसा यौन सुख दूंगी कि वह मेरी दासी हो जायेगी. हफ़्ते भर में चुद चुद कर फ़ुकला हो जायेगी तुंहारी बहन, फ़िर दर्द भी नहीं होगा और खुद ही चुदैल हमसे चोदने की मांग करेगी. पर आज तो उसकी कुवारी गांड मारने का मजा ले लूँ." तृष हंस कर चला गया और कुन्ध्ला ने बड़ी बेताबी से कमरे में घुस कर दरवाजा बंद कर लिया.
त्रुती होश में आ गई थी और पलंग पर लेट कर दर्द से सिसक रही थी. चुदासी की प्यास खत्म होने पर अब उसकी चुदी और भोगी हुई बुर में खूब दर्द हो रहा था. कुन्ध्ला उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी. "क्या हुआ मेरी त्रुती रानी को? नंगी क्यों पड़ी है और यह तेरी टांगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?" बेचारी त्रुती शर्म से रो दी. "भाभी, भैया ने आज मुझे चोद डाला."
कुन्ध्ला आश्चर्य का नाटक करते हुए बोली. "चोद डाला, अपनी ही नन्हीं बहन को? कैसे?" त्रुती सिसकती हुई बोली. "मै गंदी किताब देखती हुई पकड़ी गई तो मुझे सजा देने के लिये भैया ने मेरे कपड़े जबर्दस्ती निकाल दिये, मेरी चूत चूसी और फ़िर खूब चोदा. मेरी बुर फाड़ कर रख दी. गांड भी मारना चाहते थे पर मैने जब खूब मिन्नत की तो छोड़ दिया" कुन्ध्ला ने पलंग पर चढ कर उसे पहले प्यार से चूमा और बोली. "ऐसा? देखूं जरा" त्रुती ने अपनी नाजुक टांगें फैला दी. कुन्ध्ला झुक कर चूत को पास से देखने लगी. कच्ची कमसिन की तरह चुदी हुई लाल लाल कुन्वारी बुर देख कर उसके मुह में पानी भर आया और उसकी खुद की चूत मचल कर गीली होने लगी. वह बोली "त्रुती, डर मत, चूत फ़टी नहीं है, बस थोड़ी खुल गई है. दर्द हो रहा होगा, अगन भी हो रही होगी. फ़ूंक मार कर अभी ठण्डी कर देती हूं तेरी चूत." बिल्कुल पास में मुंह ले जा कर वह फ़ूंकने लगी. त्रुती को थोड़ी राहत मिली तो उसका रोना बन्द हो गया.
फ़ूंकते फ़ूंकते कुन्ध्ला ने झुक कर उस प्यारी चूत को चूम लिया. फ़िर जीभ से उसे दो तीन बार चाटा, खासकर लाल लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फ़ेरी. त्रुती चहक उठी. "भाभी, क्या कर रही हो?"
रहा नहीं गया रानी, इतनी प्यारी जवान बुर देखकर, ऐसे माल को कौन नहीं चूमना और चूसना चाहेगा? क्यों, तुझे अच्छा नहीं लगा?" कुन्ध्ला ने उस की चिकनी छरहरी रानों को सहलाते हुए कहा.
बहुत अच्छा लगा भाभी, और करो ना। त्रुती ने मचल कर कहा. कुन्ध्ला चूत चूसने के लिये झुकती हुई बोली - असल में तुंम्हारे भैया का कोई कुसूर नहीं है. तुम हो ही इतनी प्यारी कि औरत होकर मुझे भी तुम पर चढ़ जाने का मन होता है तेरे भैया तो आखिर मस्त जवान है." अब तक त्रुती काफ़ी गरम हो चुकी थी और अपने चूतड़ उचका उचका कर अपनी बुर कुन्ध्ला के मुंह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी. त्रुती की अधीरता देखकर कुन्ध्ला बिना किसी हिचकिचाहट से उस कोमल बुर पर टूट पड़ी और उसे बेतहाशा चाटने लगी. चाटते चाटते वह उस मादक स्वाद से इतनी उत्तेजित हो गई कि अपने दोनो हाथों से त्रुती की चुदी चूत के सूजे पपोटे फ़ैला कर उस गुलाबी छेद में जीभ अन्दर डालकर आगे पीछे करने लगी. अपनी भाभी की लम्बी गीली मुलायम जीभ से चुदना त्रुती को इतना भाया कि वह तुरन्त एक किलकारी मारकर झड़ गई.
बात यह थी कि त्रुती को भी अपनी सुंदर भाभी बहुत अच्छी लगती थी. अपनी एक दो सहेलियों से उसने स्त्री और स्त्री सम्बन्धो के बारे में सुन रखा था. उसकी एक सहेली तो अपनी मौसी के साथ काफ़ी करम करती थी. त्रुती भी ये सुन सुन कर अपने भाभी के प्रति आकर्षित होकर कब से यह चाहती थी कि भाभी उसे बाहों में लेकर प्यार करे.
अब जब कल्पनानुसार उसकी प्यारी भाभी अपने मोहक लाल ओठों से सीधे उसकी चूत चूस रही थी तो त्रुती जैसे स्वर्ग में पहुंच गई. उसकी चूत का रस कुन्ध्ला की जीभ पर लिपटने लगा और कुन्ध्ला मस्ती से उसे निगलने लगी. बुर के रस और तृष के वीर्य का मिलाजुला स्वाद कुन्ध्ला को अमृत जैसा लगा और वह उसे स्वाद ले लेकर पीने लगी.
अब कुन्ध्ला भी बहुत कामातुर हो चुकी थी और अपनी जांघे रगड़ रगड़ कर स्खलित होने की कोशिश कर रही थी. त्रुती ने हाथो में कुन्ध्ला भाभी के सिर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा लिया और उसके घने लम्बे केशों में प्यार से अपनी उंगलियां चलाते हुए कहा - भाभी, तुम भी नंगी हो जाओ ना, मुझे भी तुंम्हारी चूचियां और चूत देखनी है." कुन्ध्ला उठ कर खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी. उसकी किशोरी ननद अपनी ही बुर को रगड़ते हुए बड़ी बड़ी आंखो से अपनी भाभी की ओर देखने लगी. उसकी खूबसूरत भाभी उसके सामने नंगी होने जा रही थी.
कुन्ध्ला ने साड़ी उतार फ़ेकी और नाड़ा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया. ब्लाउज के बटन खोल कर हाथ ऊपर कर के जब उसने ब्लाउज उतारा तो उसकी स्ट्रैप्लेस ब्रा में कसे हुए उभरे स्तन देखकर त्रुती की चूत में एक बिजली सी दौड़ गई. भाभी कई बार उसके सामने कपड़े बदलती थी पर इतने पास से उसके मचलते हुए मम्मों की गोलाई उसने पहली बार देखी थी. और यह मादक ब्रेसियर भी उसने पहले कभी नहीं देखी थी.
अब कुन्ध्ला के गदराये बदन पर सिर्फ़ सफ़ेद जांघिया और वह टाइट सफ़ेद ब्रा बची थी. त्रुती ने कहा - भाभी यह कन्चुकी जैसी ब्रा तू कहां से लाई? तू तो साक्षात अप्सरा दिखती है इसमे।.
कुन्ध्ला ने मुस्करा कर कहा - एक फ़ैशन मेगेज़ीन में देखकर बनवाई है, तेरे भैया यह देखकर इतने मस्त हो जाते है कि रात भर मुझे चोदते रहते है।
भाभी रुको, इन्हें मै निकालूंगी.कहकर त्रुती कुन्ध्ला के पीछे आकर खड़ी हो गई और उसकी मान्सल पीठ को प्यार से चूमने लगी. फिर उसने ब्रा के हुक खोल दिये और ब्रा उछल कर उन मोटे मोटे स्तनों से अलग होकर गिर पड़ी. उन मस्त पपीते जैसे उरोजों को देख्कर त्रुती अधीर होकर उन्हें चूमने लगी. "भाभी, कितनी मस्त चूचियां है तुंम्हारी. तभी भैया तुंहारी तरफ़ ऐसे भूखों की तरह देखते है।
कुन्ध्ला के चूचक भी मस्त होकर मोटे मोटे काले कड़क जामुन जैसे खड़े हो गये थे. उसने त्रुती के मुंह मे एक निपल दे दिया और उस उत्तेजित किशोरी को भींच कर सीने से लगा लिया. त्रुती आखे बन्द कर के बच्चे की तरह चूची चूसने लगी.
कुन्ध्ला के मुंह से वासना की सिसकारियां निकलने लगीं और वह अपनी ननद को बाहों में भर कर पलंग पर लेट गई. "हाय मेरी प्यारी बच्ची, चूस ले मेरे निपल, पी जा मेरी चूची, तुझे तो मै अब अपनी चूत का पानी भी पिलाऊंगी."
त्रुती ने मन भर कर भाभी की चूचियां चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली - भाभी अब जल्दी से मां बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मै ही पिया करूंगी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना। और फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी.
जरूर पिलाऊंगी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते है. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया - कुन्ध्ला त्रुती के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली.
अपने निपल में उठती मीठी चुभन से कुन्ध्ला निहाल हो गई थी. अपनी पैंटी उसने उतार फ़ेकी और फ़िर दोनों जांघो में त्रुती के शरीर को जकड़कर उसे हचकते हुए कुन्ध्ला अपनी बुर उस की कोमल जांघो पर रगड़ने लगी. कुन्ध्ला के कड़े मदनमणि को अपनी जांघ पर रगड़ता महसूस करके त्रुती अधीर हो उठी।
भाभी, मुझे अपनी चूत चूसने दो ना प्लीज़ – त्रुती ने कहा।
तो चल आजा मेरी प्यारी, जी भर के चूस अपनी भाभी की बुर, पी जा उसका नमकीन पानी - कहकर कुन्ध्ला अपनी मांसल जांघे फैला कर पलंग पर लेट गई. एक तकिया उसने अपने नितम्बों के नीचे रख लिया जिससे उसकी बुर ऊपर उठ कर साफ़ दिखने लगी.
वासना से तड़पती वह कमसिन लड़की अपनी भाभी की टांगों के बीच लेट गई. कुन्ध्ला की रसीली बुर ठीक उसकी आंखो के सामने थी. घनी काली झांटो के बीच की गहरी लकीर में से लाल लाल बुर का छेद दिख रहा था।
हाय भाभी, कितनी घनी और रेशम जैसी झांटे हैं तुम्हारी, काटती नहीं कभी?" उसने बालों में उंगलियां डालते हुए पूछा.
नहीं री, तेरे भैया मना करते हैं, उन्हें घनी झांटे बहुत अच्छी लगती हैं - कुन्ध्ला मुस्कराती हुई बोली।
हां भाभी, बहुत प्यारी हैं, मत काटा करो, मेरी भी बढ़ जाएं तो मैं भी नहीं काटूंगी - त्रुती बोली। उससे अब और न रहा गया. अपने सामने लेटी जवान भरी पूरी औरत की गीली रिसती बुर में उसने मुंह छुपा लिया और चाटने लगी. कुन्ध्ला वासना से कराह उठी और त्रुती का मुंह अपनी झांटो पर दबा कर रगड़ने लगी. वह इतनी गरम हो गई थी कि तुरन्त झड़ गई.
हाय मर गई रे त्रुती प्यारी, तेरे प्यारे मुंह को चोदूं, साली क्या चूसती है तू, इतनी सी बच्ची है फ़िर भी पुरानी रंडी जैसी चूसती है. पैदाइशी चुदैल है तू" दो मिनट तक वह सिर्फ़ हांफ़ते हुए झड़ने का मजा लेती रही. फ़िर मुस्कराकर उसने त्रुती को बुर चूसने का सही अन्दाज सिखाना शुरू किया। उसे सिखाया कि पपोटे कैसे अलग किये जाते हैं, जीभ का प्रयोग कैसे एक चम्मच की तरह रस पीने को किया जाता है और बुर को मस्त करके उसमे से और अमृत निकलने के लिये कैसे क्लाईटोरिस को जीभ से रगड़ा जाता है. आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
थोड़ी ही देर में त्रुती को चूत का सही ढंग से पान करना आ गया और वह इतनी मस्त चूत चूसने लगी जैसे बरसों का ज्ञान हो. कुन्ध्ला पड़ी रही और सिसक सिसक कर बुर चुसवाने का पूरा मजा लेती रही।
चूस मेरी प्यारी, और चूस अपनी भाभी की बुर, जीभ से चोद मुझे, आ ऽ ह ऽ , ऐसे ही रानी ऽ , शा ऽ बा ऽ श."
काफ़ी झड़ने के बाद उसने त्रुती को अपनी बाहों में समेट लिया और उसे चूम चूम कर प्यार करने लगी. त्रुती ने भी भाभी के गले में बाहें डाल दीं और चुम्बन देने लगी. एक दूसरे के होंठ दोनों चुदैलें अपने अपने मुंह में दबा कर चूसने लगीं. कुन्ध्ला ने अपनी जीभ त्रुती के मुंह में डाल दी और त्रुती उसे बेतहाशा चूसने लगी. भाभी के मुख का रसपान उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
कुन्ध्ला अपनी जीभ से त्रुती के मुंह के अन्दर के हर हिस्से को चाट रही थी, उस बच्ची के गाल, मसूड़े, तालू, गला कुछ भी नहीं छोड़ा कुन्ध्ला ने. शैतानी से उसने त्रुती के हलक में अपनी लंबी जीभ उतार दी और गले को अन्दर से चाटने और गुदगुदाने लगी. उस बच्ची को यह गुदगुदी सहन नहीं हुई और वह खांस पड़ी. कुन्ध्ला ने उसके खांसते हुए मुंह को अपने होंठों में कस कर दबाये रखा और त्रुती की अपने मुंह में उड़ती रसीली लार का मजा लेती रही.
आखिर जब कुन्ध्ला ने उसे छोड़ा तो त्रुती का चेहरा लाल हो गया थी. "क्या भाभी, तुम बड़ी हरामी हो, जान बूझ कर ऐसा करती हो। कुन्ध्ला उसका मुंह चूमते हुए हंस कर बोली - तो क्या हुआ रानी? तेरा मुखरस चूसने का यह सबसे आसान उपाय है. मैने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था।
फ़िर उस जवान नारी ने उस किशोरी के पूरे कमसिन बदन को सहलाया और खास कर उसके कोमल छोटे छोटे उरोजों को प्यार से हौले हौले मसला. फिर उसने त्रुती को सिखाया कि कैसे निपलों को मुंह में लेकर चूसा जाता है. बीच में ही वह हौले से उन कोमल निपलों को दांत से काट लेती थी तो त्रुती दर्द और सुख से हुमक उठती थी।
अन्त में उसने त्रुती को हाथ से हस्तमैथुन करना सिखाया."देख त्रुती, हम औरतों को अपनी वासना पूरी करने के लिये लंड की कोई जरूरत नहीं है. लंड हो तो बड़ा मजा आता है पर अगर अकेले हो, तो कोई बात नहीं।
त्रुती भाभी की ओर अपनी बड़ी बड़ी आंखो से देखती हुई बोली "भाभी उस किताब में एक औरत ने एक मोटी ककड़ी अपनी चूत में घुसेड़ रखी थी। कुन्ध्ला हंस कर बोली - हां मेरी रानी बिटिया, ककड़ी, केले, गाजर, मूली, लम्बे वाले बैंगन, इन सब से मुट्ठ मारी जा सकती है. मोटी मोमबत्ती से भी बहुत मजा आता है. धीरे धीरे सब सिखा दूंगी पर आज नहीं. आज तुझे उंगली करना सिखाती हूं. मेरी तरफ़ देख।
कुन्ध्ला रण्डियों जैसी टांगें फ़ैलाकर बैठ गई और अपनी अंगूठे से अपने क्लाईटोरिस को सहलाना शुरू कर दिया. त्रुती ने भी ऐसा ही किया और आनन्द की एक लहर उसकी बुर में दौड़ गई. कुन्ध्ला ने फ़िर बीच की एक उंगली अपनी खुली लाल चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करने लगी.
भाभी की देखा देखी त्रुती भी उंगली से हस्तमैथुन करने लगी. पर उसका अंगूठा अपने क्लिट पर से हट गया. कुन्ध्ला ने उसे समझाया - रानी, उंगली से मुट्ठ मारो तो अंगूठा चलता ही रहना चाहिये अपने मणि पर।
धीरे धीरे कुन्ध्ला ने दो उंगली घुसेड़ लीं और अन्त में वह तीन उंगली से मुट्ठ मारने लगी. फ़चाफ़च फ़चाफ़च ऐसी आवाज उसकी गीली चूत में से निकल रही थी.
त्रुती को लगा कि वह तीन उंगली नहीं घुसेड़ पायेगी पर आराम से उसकी तीनों उंगलियां जब खुद की कोमल बुर में चली गईं तो उसके मुंह से आश्चर्य भरी एक किलकारी निकल पड़ी. कुन्ध्ला हंसने लगी और बोली - अभी अभी भैया के मोटे लंड से चुदी है इसलिये अब तेरी चारों उंगलियां चली जायेंगी अन्दर। वैसे मजा दो उंगली से सबसे ज्यादा आता है।
दोनों अब एक दूसरे को देख कर अपनी अपनी मुट्ठ मारने लगीं. कुन्ध्ला अपने दूसरे हाथ से अपने उरोज दबाने लगी और निपलों को अंगूठे और एक उंगली में लेकर मसलने लगी. त्रुती ने भी ऐसा ही किया और मस्ती में झूंम उठी. अपनी चूचियां खुद ही दबाते हुए दोनों अब लगातार सड़का लगा रही थी.
कुन्ध्ला बीच बीच में अपनी उंगली अपने मुंह में डालकर अपना ही चिपचिपा रस चाट कर देखती और फिर मुट्ठ मारने लगती. त्रुती ने भी ऐसा ही किया तो उसे अपनी खुद की चूत का स्वाद बहुत प्यारा लगा. कुन्ध्ला ने शैतानी से मुस्कराते हुए उसे पास खिसकने और मुंह खोलने को कहा. जैसे ही त्रुती ने अपना मुंह खोला, कुन्ध्ला ने अपने चूत रस से भरी चिपचिपी उंगलियां उसके मुंह में दे दी.
कुन्ध्ला ने भी त्रुती का हाथ खींच कर उसकी उंगलियां मुंह में दबा लीं और चाटने लगी. "यही तो अमृत है जिसके लिये यह सारे मर्द दीवाने रहते हैं. बुर का रस चूसने के लिये साले हरामी मादरचोद मरे जाते हैं. बुर के रस का लालच दे कर तुम इनसे कुछ भी करवा सकती हो. तेरे भैया तो रात रात भर मेरी बुर चूसकर भी नहीं थकते."
कई बार मुट्ठ मारने के बाद कुन्ध्ला बोली - चल छोटी अब नहीं रहा जाता. अब तुझे सिक्सटी - नाईन का आसन सिखाती हूं. दो औरतों को आपस में सम्भोग करने के लिये यह सबसे मस्त आसन है. इसमें चूत और मुंह दोनों को बड़ा सुख मिलता है." कुन्ध्ला अपनी बांई करवट पर लेट गई और अपनी मांसल दाहिनी जांघ उठा कर बोली. "आ मेरी प्यारी बच्ची, भाभी की टांगों में आ जा." त्रुती उल्टी तरफ़ से कुन्ध्ला की निचली जांघ पर सिर रख कर लेट गई. पास से कुन्ध्ला की बुर से बहता सफ़ेद चिपचिपा स्त्राव उसे बिल्कुल साफ़ दिख रहा था और उसमें से बड़ी मादक खुशबू आ रही थी.
कुन्ध्ला ने उसका सिर पकड़ कर उसे अपनी चूत में खींच लिया और अपनी बुर के पपोटे त्रुती के मुंह पर रख दिये. "चुम्बन ले मेरे निचले होंठों को जैसे कि मेरे मुंह का रस ले रही थी। जब त्रुती ने कुन्ध्ला की चूत चूमना शुरू कर दिया तो कुन्ध्ला बोली - अब जीभ अन्दर डाल रानी बिटिया।
त्रुती अपनी जीभ से भाभी को चोदने लगी और उसके रिसते रस का पान करने लगी. कुन्ध्ला ने अब अपनी उठी जांघ को नीचे करके त्रुती का सिर अपनी जांघों मे जकड़ लिया और टांगें साइकिल की तरह चला के उसके कोमल मुंह को सीट बनाकर उसपर मुट्ठ मारने लगी.
भाभी की मांसल जांघों में सिमट कर त्रुती को मानो स्वर्ग मिल गया. त्रुती मन लगा कर भाभी की चूत चूसने लगी. कुन्ध्ला ने बच्ची की गोरी कमसिन टांगें फैला कर अपना मुंह उस नन्ही चूत पर जमा दिया और जीभ घुसेड़ घुसेड़ कर रसपान करने लगी. त्रुती ने भी अपनी टांगों के बीच भाभी का सिर जकड़ लिया और टांगें कैंची की तरह चलाती हुई भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन करने लगी.
दस मिनट तक कमरे में सिर्फ़ चूसने, चूमने और कराहने की अवाजें उठ रही थी. कुन्ध्ला ने बीच में त्रुती की बुर में से मुंह निकालकर कहा - रानी मेरा क्लाईटोरिस दिखता है ना?" त्रुती ने हामी भरी - हां भाभी, बेर जितना बड़ा हो गया है, लाल लाल है। कुन्ध्ला ने कहा - तो उसे मुंह में ले और चाकलेट जैसा चूस, उसपर जीभ रगड़, मुझे बहुत अच्छा लगता है मेरी प्यारी, तेरे भैया तो माहिर हैं इसमे।
कुन्ध्ला ने जोर जोर से साइकिल चला कर आखिर अपनी चूत झड़ा ली और आनन्द की सीत्कारियां भरती हुई त्रुती के रेशमी बालों में अपनी उंगलियां चलाने लगी. त्रुती को भाभी की चूत मे से रिसते पानी को चाटने में दस मिनट लग गये. तब तक वह खुद भी कुन्ध्ला की जीभ से चुदती रही. कुन्ध्ला ने उसका जरा सा मटर के दाने जैसा क्लाईटोरिस मुंह में लेके ऐसा चूसा कि वह किशोरी भी तड़प कर झड़ गई. त्रुती का दिल अपनी भाभी के प्रति प्यार और कामना से भर उठा क्योंकि उसकी प्यारी भाभी अपनी जीभ से उसे दो बार झड़ा चुकी थी. एक दूसरे की बुर को चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही दोनों चुदैल भाभी और ननद कुछ शांत हुई.
थोड़ा सुस्ताने के लिये दोनों रुकीं तब कुन्ध्ला ने पूछा. "त्रुती, मजा आया?" त्रुती हुमक कर बोली "हाय भाभी कितना अच्छा लगता है बुर चूसने और चुसवाने मे।
कुन्ध्ला बोली "अपनी प्यारी प्रेमिका के साथ सिक्सटी - नाइन करने से बढ़कर कोई सुख नहीं है हम जैसी चुदैलों के लिये, कितना मजा आता है एक दूसरे की बुर चूस कर. आह! यह क्रीड़ा हम अब घन्टों तक कर सकते हैं।
भाभी चलो और करते हैं - त्रुती ने अधीरता से फ़रमाइश की और कुन्ध्ला मान गई. ननद भाभी का चूत चूसने का यह कार्यक्रम दो तीन घन्टे तक लगातार चला जब तक दोनों थक कर चूर नहीं हो गई. त्रुती कभी इतनी नहीं झड़ी थी. आखिर लस्त होकर बिस्तर पर निश्चल पड़ गई. दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटकर प्रेमियों जैसे सो गई.
शाम को कुन्ध्ला ने चूम कर त्रुती को उठाया - चल त्रुती, उठ, तेरे भैया के आने का समय हो गया. कपड़े पहन ले नहीं तो नंगा देखकर फ़िर तुझ पर चढ़ पढ़ेंगे। त्रुती घबरा कर उठ बैठी और बोली - भाभी मुझे बचा लो, भैया को मुझे चोदने मत देना, बहुत दुखता है। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
कुन्ध्ला ने उसे डांटा "पर मजे से हचक के हचक के चुदा भी तो रही थी बाद मे, 'हाय भैया, चोदो मुझे' कह कह के". त्रुती शरमा कर बोली. "भाभी बस आज रात छोड़ दो, मेरी बुर को थोड़ा आराम मिल जाये, कल से जो तुम कहोगी, वही करूंगी". "चल अच्छा, आज तेरी चूत नहीं चुदने दूंगी." कुन्ध्ला ने वादा किया और त्रुती खुश होकर उससे लिपट गई।
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