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नयी चूत की मेहमान नवाजी - Nayi chut ki mehman nawaji
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हादसों के शहर दिल्ली में हम लोगो को रहते हुए तब ढाई साल हो चुके थे. दुबई में ही पला बढ़ा था इसलिए मुझे दिल्ली में सेट होने में टाइम लग गया. यहाँ का कल्चर कुछ अजीब लगता था पहले पहले जहाँ पे लड़कियां भी चूत और लंड वाली गाली देती हैं. मैं इजनेरी के लास्ट इयर में था तब यह हादसा हुआ; यानी यह पिछले साल की बात हैं. मेरे डेड के भुवनेश्वर में एक दोस्त हैं, डेड उन्हें गोविंद कहते हैं और हम लोग उन्हें गोविंद चाचा.
यह गोविंद चाचा अपनी बीवी और 19 साल की बेटी अंजलि को ले के हमारे घर पे आये. वो लोगो की यूके एम्ब्सी में कुछ काम था इसलिए वो लोग यहाँ हमारे घर पे ही ठहरे थे. वैसे भी हमारा घर काफी बड़ा हैं; डेड डायमंड के बिजनेश में ढेरों बटोरते हैं. अंजलि मेरे से एक साल छोटी थी लेकिन उसकी भारी बोड़ी और चौड़ी छातियाँ होने की वजह से वो मुझ से 2-3 साल बड़ी दिखती थी. गोविंद चाचा का काम तो पहले दिन ही ख़त्म हो गया लेकिन मेरे मम डेड ने उन लोगों को बहुत जिद कर के 2-3 दिन और रोक लिया. अंजलि अब तक मेरे से इतनी घुली नहीं थी.
शाम की सिगरेट
शाम को मोम ने मस्त खाना बनाया. 7:30 बजे तो ठंडी की वजह से अँधेरा हो गया था. मैंने अपने बेड के निचे से सिगरेट निकाली और मैं रोज के कार्यक्रम के मुताबिक़ छत पे फूंकने चला गया. पानी की टंकी के पीछे खड़े हुए सिगरेट पीते हुए मुझे कुछ आवाज आई. मैं कान खड़े किये और महसूस किया की आवाज टंकी की दूसरी साइड से आ रहे हैं. मैं धीरे धीरे टंकी की साइड में गया और आवाज अब और भी क्लियर आ रही थी. वो अंजलि थी जो अपने मोबाइल से बातें कर रही थी. और जब मेरे कान में क्लियर आवाज आई तो मैं चौंक गया. वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ फोन सेक्स कर रही थी.
अंजलि, “आह चाटो मेरी चूत को और जोर से आह. डालो अपनी जबान अंदर तक आह और जोर से. मादरचोद बहुत मजा आ रहा हैं मुझे. आह और जोर से दबा मेरे चुंचे और चाट जा मेरी चूत को.”
यह सुन के मेरे लंड में सलवटें पड़ने लगी. अंजलि इतनी ज्यादा खुबसुरत तो नहीं थी लेकिन उसका बदन जरुर सेक्सी था. बड़े बड़े चुंचे, और भारी गांड…मतलब उसके पास वो दो हथियार थे जिस से मर्द और लड़के खुश होते हैं. मेरा लौड़ा उसकी बातें सुन के टाईट हो रहा था. मैंने दीवाल से सर निकाल के देखा की अंजलि ने अपना हाथ अपनी चूत के ऊपर रखा हुआ था. वो अपनी जांघो के बिच में ऊँगली से मसाज कर रही थी और सेक्सी बातें कर रही थी. वो आगे बोली, “आज चोद दे मुझे. मुझे तेरे लंड का पानी दे दे. चोद मादरचोद मुझे आहा आह आह…!”
मुझे फोन से सामने वाले व्यक्ति की आवाज भी आ रही थी; लेकिन वो जरा भी साफ़ नहीं थी; जैसे की मख्खियाँ गुडगुड कर रही हो बस. लेकिन अंजलि जो बोल रही थी वही मेरे लौड़े को टाईट करने के लिए काफी था. मैं दो कदम और आगे बढ़ा और अंजलि से केवल दो कदम ही दूर था. लेकिन अँधेरे की वजह से शायद मुझे देख नहीं पा रही थी. मैंने अपनी साँसों को स्लो कर दिया ताकि उसके आवाज से अंजलि को भनक ना लग जाएँ. अंजलि अब भी बड़ी बड़ी गालियाँ अपने बॉयफ्रेंड को निकाल रही थी और उसका हाथ अभी भी वही चूत के ऊपर थी था.
और तभी मेरा पांव निचे पड़ी हुई पोलीथिन की बेग के ऊपर आ गया. साला पकड़ा गया मैं तो, या यूँ कहें की अंजलि पकड़ी गई फोन सेक्स करते हुए. मैंने उसकी और देखा और वो मेरी तरफ देखने लगी. उसने फोन में कहा, “आंटी मैं आप को बाद में कोल करती हूँ. कोई आया हैं. ठीक हैं मैं मोम को बोलूंगी आप को फोन करने के लिए.”
इतना कह के उसने फोन कट किया और बोली, “अरे अजित तुम कब आयें. मेरी मासी का फोन था. भुवनेशवर में ही रहती हैं.”
मैं समझ गया की यह लड़की को शायद ऐसा लगा की मैं तभी आया. मैं अपने होंठो में हंसा और उसे कहा, “तो आप की आंटी लेस्बियन हैं क्या? या फिर मर्द बनने का रोल-प्ले कर रही थी. या फिर उसे चूत का सौख हैं”
चूत देनी पड़ेंगी मुझे
अंजलि के चहरे का रंग उड़ गया; जैसे उसके मुहं में किसी काले ने अपने सांड जैसे लंड को पेल दिया हो. वो कुछ बोलती उसके पहले ही मैं बोला, “मैं 3-4 मिनिट से तुम्हें सुन रहा था और कहने की जरुरत नहीं हैं की तुम क्या कर रही थी. मैंने सुना हैं वो मादरचोद बहनचोद वाली बातों को.”
अंजलि सन्न रह गई. वो 1 मिनिट के लिए तो कुछ बोल ही नहीं पाई, फिर वो गला साफ़ कर के बोली, “वो मेरा बॉयफ्रेंड था अजित. तुम प्लीज़ मेरे डेड को कुछ मत बताना वरना भुवनेश्वर जाने से पहले ही वो मुझे मार देंगे.”
मैंने उसकी आँखों में आँखे डाली और कहा, “चलो ना कहूँ तो मुझे क्या फायदा हैं इसमें.?”
अंजलि समझ गई की मैं क्या चाहता हूँ लेकिन वो नौटंकी करते हुए बोली, “तुम कहो क्या चाहते हो तुम. चलो मैं तुम्हे आइसक्रीम खिलाती हूँ.”
मैंने अपनी आँखे तंग करते हुए कहा, “मादरचोद मुझे बच्चा समझती हैं क्या जो आईसक्रीम केंडी की लालच दे रही हैं. मुझे तुम्हारी चूत से कम कुछ नहीं चाहियें. बोलो मंजूर हैं तो वरना मैं अभी निचे जा के गोविंद अंकल को तुम्हारी फोन सेक्स गाथा सुनाता हूँ.”
अंजलि कुछ बोली नहीं, लेकिन मैं उसके और भी करीब गया और उसे उठा के कमर की तरफ घुमाया. गांड और छाती को मैंने किसी जोहरी की तरह से देखा और फिर उसकी चुंची के उपर अपना हाथ रखा. वो किसी गुलाम औरत की तरह मुझे जो कर रहा था वो चुपचाप करने दे रही थी. मैंने उसकी टी-शर्ट को कमर के पास के पकड़ा और ऊपर उठाने लगा. अंजलि मेरा सही सपोर्ट कर रही थी. उसने टी-शर्ट आराम से उतर सकें इसलिए अपने हाथ ऊपर उठा लिए…..! अंजलि भी समझ गई थी की उसकी चूत का आज खंडन होना हैं मेरे लौड़े से. मैं भी इस लड़की की चूत लेने के लिए बेताब था; क्यूंकि यह मेरी दिल्ली की पहली चूत को थी…!
अंजलि ने एक सिसकी ली और मुझ से रहा नहीं गया. मैंने उसकी चुंची को पकड़ के उसे कहा, “अरे अभी फोन पे तो मेरी चूत को ऐसे चोद. मेरे साथ ये कर मुझे वो कर ऐसा कह रही थी और यहाँ तो टी-शर्ट उठाने पे ही सिसकियाँ ले रही हैं.”
अंजलि हंस पड़ी और बोली, “कुछ नहीं लेकिन तुम्हारे हाथ बहुत गरम हैं. मैंने पहले सेक्स किया हैं और मुझे पता हैं की इतने गरम हाथ वाले का लंड कितना गरम होंगा.”
अंजलि तो बड़ी चालू लड़की निकली
बड़ी चालू चीज थी साली यह लड़की तो. उसकी यह बात सुन के मेरा मन तो उसकी देसी चूत को मारने के लिए और भी हो गया. मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और उसकी पेंट की और बढ़ गया. अँधेरा काफी था और छत पे कोई शाम के बाद तो आता ही नहीं था. ठंड भी बढ़ने लगी थी धीरे धीरे. लेकिन मेरे और अंजलि के बदन में तो एक आग लगी हुई थी. आग चुदाई की, आग चोदने की और आग एक दुसरे में समा जाने की.
अंजलि की पेंट की बटन को खोल के मैंने बिना ज़िप को खोले हाथ अंदर डाल दिया. उसकी देसी चूत के घने बाल मेरे हाथ को छूने लगे. अंजलि की आह आह निकलने लगी थी. मैंने उसे पीछे से पकड़ा हुआ था और मेरे होंठ उसके होंठो पे थे. उसकी उखड़ी हुई सांस और गरम हुई देसी चूत मेरे लौड़े को खड़ा करने में मेरी और भी मदद कर रहे थे. अंजलि ने अपना हाथ पीछे किया और मेरे लंड को पकड़ा पेंट के ऊपर से ही. मेरा लौड़ा उसके हाथ में आते ही वो बोली, “अरे तुम्हारा लंड तो काफी मोटा और बड़ा हैं. क्या खाते हो इसके लिए.”
मैंने अंजलि की देसी चूत के अंदर ऊँगली की और उसके चूत के अंदर की चिड़िया को हाथ में नचाया. अंजलि ने एक आह और ली और मेरे लंड को जोर से दबा दीया. मैंने समझ गया की उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी क्यूंकि मेरी उंगलिया चिकनी जो हो रही थी. अंजलि मेरे लंड को हलके हलके हाथों से सहलाने लगी. मैंने अंजलि की पेंट की ज़िप खोली और उसकी पेंट को निचे खिंच लिया. उसकी काली पेंटी अब मेरे सामने थी जिसके अंदर उसकी मोटी जांघे और भी सेक्सी लग रही थी. अंजलि ने पेंट को पाँव से निकाला और वो मेरी टांगो के पास बित गई. मेरे लौड़े को उसने अपने हाथो से पकड़ा और उसके ऊपर किस देने लगी. वाऊ यह लड़की को तो पता था की लंड कैसे खुश हॉट हैं. उसने बिना ताकीद के अब मेरे लौड़े को अपने मुहं में ले लिया और वो उसे चूसने लगी. यह लड़की को पता था की लंड चूसते चूसते गोलों को छूने से मर्द और भी उत्तेजित होता हैं; तभी तो वो मेरे लौड़े के डंडे को मुहं में ले रही थी और उसके निचे के नींबू को कभी चाट लेती थी तो कभी दबाती थी. मैं भी अब उत्तेजित हो चूका था काफी और मेरा मन उसकी देसी चूत को चोदने के लिए उतावला हुआ पड़ा था. मैंने अपने लंड को अंजलि के मुहं से निकाला और उसे वही छत की फर्श पे लिटा दिया. अंजलि ने अपनी टाँगे फाड़ दी और चूत का दरवाजा मेरे लिए खोल दिया.
देसी चूत पे काली पेंटी
अंजलि की पेंटी उसकी देसी चूत के ऊपर बिराजमान थी. मैंने एक ही झटके में पेंटी को खिंच डाली और उसकी सेक्सी देसी चूत मेरे सामने थे. मैंने अपने लंड को उसके छेद के ऊपर रखा और एक हल्का सा झटका दिया. गरम चूत के अंदर लंड जाते ही मुझे जैसे की चंदन की ठंडक मिलने लगी. अंजलि भी एक लंबी सिसकी ले के उछल पड़ी क्यूंकि पूरा लंड एक ही झटके में उसकी चूत में डाल दिया था. अंजलि मुझ से लिपट गई और अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी. मेरा लंड उसकी सेक्सी चूत में एकदम टाईट घुसा हुआ था और वो बड़े मजे से अपनी चूत को मजे देने में व्यस्त थी. मैंने अपने होंठ उसके होंठो से लगाये और जोर जोर से उसकी चूत के अंदर अपना लंड अंदर बहार करने लगा. अंजलि भी मेरे हरेक झटके का जवाब अपनी गांड को हिला के दे रही थी. उसकी भारी गांड का झटका मेरे लंड को और भी उत्तेजित कर रहा था जैसे. अंजलि की चूत को 10 मिनिट ऐसे लेट के चोदने के बाद मैंने उसे उल्टा लिटा दिया. उसकी चूत के छेद पे थूंक लगाने के बाद मैंने कुत्तो वाली स्टाइल में उसको लेना चालू कर दिया. वो आह आह करती गई और मेरा तना हुआ लंड उसकी चूत को फाड़ता गया.
अंजलि की गांड अब और भी जोर से हिलने लगी थी और वो मुझे उकसा रही थी उसकी जोरदार चुदाई करने के लिए. मैंने उसकी गांड के ऊपर ताड़ ताड़ चमाट लगाई और अपने लंड को गोलों तक घुसा दिया उसकी देसी चूत के अंदर. अब मेरी सीमा आ गई क्यूंकि इतनी जोरदार चुदाई मेरे साथ आजतक कोई लड़की ने नहीं की थी. अंजलि की चूत के अंदर ही मेरे लंड की मलाई निकल पड़ी और उसने अपनी चूत को जोर से मेरे लंड के ऊपर कस लिया. मैं उसके ऊपर लेट गया और हम दोनों 10 मिनिट तक ऐसे ही लेटे रहें. अंजलि ने मुझे उठाया और वो कपडे पहनने लगी. मैंने उसकी गांड के ऊपर हाथ मारा और उसे रात में मेरे रूम में आने को कहा. अब मेरी नजर उसकी ताज़ी मोटी गांड के ऊपर थी जिसे मैं अपने लंड से हराना चाहता था….! अंजलि हंस के गई और उसकी गांड को मैं देखता रहा. अब मैं बेसब्री से रात के आने की राह देख रहा था; क्यूंकि अंजलि की चूत को चोदने के बाद जैसे मेरा लंड अपनी सबर खो चूका था…!
हादसों के शहर दिल्ली में हम लोगो को रहते हुए तब ढाई साल हो चुके थे. दुबई में ही पला बढ़ा था इसलिए मुझे दिल्ली में सेट होने में टाइम लग गया. यहाँ का कल्चर कुछ अजीब लगता था पहले पहले जहाँ पे लड़कियां भी चूत और लंड वाली गाली देती हैं. मैं इजनेरी के लास्ट इयर में था तब यह हादसा हुआ; यानी यह पिछले साल की बात हैं. मेरे डेड के भुवनेश्वर में एक दोस्त हैं, डेड उन्हें गोविंद कहते हैं और हम लोग उन्हें गोविंद चाचा.
यह गोविंद चाचा अपनी बीवी और 19 साल की बेटी अंजलि को ले के हमारे घर पे आये. वो लोगो की यूके एम्ब्सी में कुछ काम था इसलिए वो लोग यहाँ हमारे घर पे ही ठहरे थे. वैसे भी हमारा घर काफी बड़ा हैं; डेड डायमंड के बिजनेश में ढेरों बटोरते हैं. अंजलि मेरे से एक साल छोटी थी लेकिन उसकी भारी बोड़ी और चौड़ी छातियाँ होने की वजह से वो मुझ से 2-3 साल बड़ी दिखती थी. गोविंद चाचा का काम तो पहले दिन ही ख़त्म हो गया लेकिन मेरे मम डेड ने उन लोगों को बहुत जिद कर के 2-3 दिन और रोक लिया. अंजलि अब तक मेरे से इतनी घुली नहीं थी.
शाम की सिगरेट
शाम को मोम ने मस्त खाना बनाया. 7:30 बजे तो ठंडी की वजह से अँधेरा हो गया था. मैंने अपने बेड के निचे से सिगरेट निकाली और मैं रोज के कार्यक्रम के मुताबिक़ छत पे फूंकने चला गया. पानी की टंकी के पीछे खड़े हुए सिगरेट पीते हुए मुझे कुछ आवाज आई. मैं कान खड़े किये और महसूस किया की आवाज टंकी की दूसरी साइड से आ रहे हैं. मैं धीरे धीरे टंकी की साइड में गया और आवाज अब और भी क्लियर आ रही थी. वो अंजलि थी जो अपने मोबाइल से बातें कर रही थी. और जब मेरे कान में क्लियर आवाज आई तो मैं चौंक गया. वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ फोन सेक्स कर रही थी.
अंजलि, “आह चाटो मेरी चूत को और जोर से आह. डालो अपनी जबान अंदर तक आह और जोर से. मादरचोद बहुत मजा आ रहा हैं मुझे. आह और जोर से दबा मेरे चुंचे और चाट जा मेरी चूत को.”
यह सुन के मेरे लंड में सलवटें पड़ने लगी. अंजलि इतनी ज्यादा खुबसुरत तो नहीं थी लेकिन उसका बदन जरुर सेक्सी था. बड़े बड़े चुंचे, और भारी गांड…मतलब उसके पास वो दो हथियार थे जिस से मर्द और लड़के खुश होते हैं. मेरा लौड़ा उसकी बातें सुन के टाईट हो रहा था. मैंने दीवाल से सर निकाल के देखा की अंजलि ने अपना हाथ अपनी चूत के ऊपर रखा हुआ था. वो अपनी जांघो के बिच में ऊँगली से मसाज कर रही थी और सेक्सी बातें कर रही थी. वो आगे बोली, “आज चोद दे मुझे. मुझे तेरे लंड का पानी दे दे. चोद मादरचोद मुझे आहा आह आह…!”
मुझे फोन से सामने वाले व्यक्ति की आवाज भी आ रही थी; लेकिन वो जरा भी साफ़ नहीं थी; जैसे की मख्खियाँ गुडगुड कर रही हो बस. लेकिन अंजलि जो बोल रही थी वही मेरे लौड़े को टाईट करने के लिए काफी था. मैं दो कदम और आगे बढ़ा और अंजलि से केवल दो कदम ही दूर था. लेकिन अँधेरे की वजह से शायद मुझे देख नहीं पा रही थी. मैंने अपनी साँसों को स्लो कर दिया ताकि उसके आवाज से अंजलि को भनक ना लग जाएँ. अंजलि अब भी बड़ी बड़ी गालियाँ अपने बॉयफ्रेंड को निकाल रही थी और उसका हाथ अभी भी वही चूत के ऊपर थी था.
और तभी मेरा पांव निचे पड़ी हुई पोलीथिन की बेग के ऊपर आ गया. साला पकड़ा गया मैं तो, या यूँ कहें की अंजलि पकड़ी गई फोन सेक्स करते हुए. मैंने उसकी और देखा और वो मेरी तरफ देखने लगी. उसने फोन में कहा, “आंटी मैं आप को बाद में कोल करती हूँ. कोई आया हैं. ठीक हैं मैं मोम को बोलूंगी आप को फोन करने के लिए.”
इतना कह के उसने फोन कट किया और बोली, “अरे अजित तुम कब आयें. मेरी मासी का फोन था. भुवनेशवर में ही रहती हैं.”
मैं समझ गया की यह लड़की को शायद ऐसा लगा की मैं तभी आया. मैं अपने होंठो में हंसा और उसे कहा, “तो आप की आंटी लेस्बियन हैं क्या? या फिर मर्द बनने का रोल-प्ले कर रही थी. या फिर उसे चूत का सौख हैं”
चूत देनी पड़ेंगी मुझे
अंजलि के चहरे का रंग उड़ गया; जैसे उसके मुहं में किसी काले ने अपने सांड जैसे लंड को पेल दिया हो. वो कुछ बोलती उसके पहले ही मैं बोला, “मैं 3-4 मिनिट से तुम्हें सुन रहा था और कहने की जरुरत नहीं हैं की तुम क्या कर रही थी. मैंने सुना हैं वो मादरचोद बहनचोद वाली बातों को.”
अंजलि सन्न रह गई. वो 1 मिनिट के लिए तो कुछ बोल ही नहीं पाई, फिर वो गला साफ़ कर के बोली, “वो मेरा बॉयफ्रेंड था अजित. तुम प्लीज़ मेरे डेड को कुछ मत बताना वरना भुवनेश्वर जाने से पहले ही वो मुझे मार देंगे.”
मैंने उसकी आँखों में आँखे डाली और कहा, “चलो ना कहूँ तो मुझे क्या फायदा हैं इसमें.?”
अंजलि समझ गई की मैं क्या चाहता हूँ लेकिन वो नौटंकी करते हुए बोली, “तुम कहो क्या चाहते हो तुम. चलो मैं तुम्हे आइसक्रीम खिलाती हूँ.”
मैंने अपनी आँखे तंग करते हुए कहा, “मादरचोद मुझे बच्चा समझती हैं क्या जो आईसक्रीम केंडी की लालच दे रही हैं. मुझे तुम्हारी चूत से कम कुछ नहीं चाहियें. बोलो मंजूर हैं तो वरना मैं अभी निचे जा के गोविंद अंकल को तुम्हारी फोन सेक्स गाथा सुनाता हूँ.”
अंजलि कुछ बोली नहीं, लेकिन मैं उसके और भी करीब गया और उसे उठा के कमर की तरफ घुमाया. गांड और छाती को मैंने किसी जोहरी की तरह से देखा और फिर उसकी चुंची के उपर अपना हाथ रखा. वो किसी गुलाम औरत की तरह मुझे जो कर रहा था वो चुपचाप करने दे रही थी. मैंने उसकी टी-शर्ट को कमर के पास के पकड़ा और ऊपर उठाने लगा. अंजलि मेरा सही सपोर्ट कर रही थी. उसने टी-शर्ट आराम से उतर सकें इसलिए अपने हाथ ऊपर उठा लिए…..! अंजलि भी समझ गई थी की उसकी चूत का आज खंडन होना हैं मेरे लौड़े से. मैं भी इस लड़की की चूत लेने के लिए बेताब था; क्यूंकि यह मेरी दिल्ली की पहली चूत को थी…!
अंजलि ने एक सिसकी ली और मुझ से रहा नहीं गया. मैंने उसकी चुंची को पकड़ के उसे कहा, “अरे अभी फोन पे तो मेरी चूत को ऐसे चोद. मेरे साथ ये कर मुझे वो कर ऐसा कह रही थी और यहाँ तो टी-शर्ट उठाने पे ही सिसकियाँ ले रही हैं.”
अंजलि हंस पड़ी और बोली, “कुछ नहीं लेकिन तुम्हारे हाथ बहुत गरम हैं. मैंने पहले सेक्स किया हैं और मुझे पता हैं की इतने गरम हाथ वाले का लंड कितना गरम होंगा.”
अंजलि तो बड़ी चालू लड़की निकली
बड़ी चालू चीज थी साली यह लड़की तो. उसकी यह बात सुन के मेरा मन तो उसकी देसी चूत को मारने के लिए और भी हो गया. मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और उसकी पेंट की और बढ़ गया. अँधेरा काफी था और छत पे कोई शाम के बाद तो आता ही नहीं था. ठंड भी बढ़ने लगी थी धीरे धीरे. लेकिन मेरे और अंजलि के बदन में तो एक आग लगी हुई थी. आग चुदाई की, आग चोदने की और आग एक दुसरे में समा जाने की.
अंजलि की पेंट की बटन को खोल के मैंने बिना ज़िप को खोले हाथ अंदर डाल दिया. उसकी देसी चूत के घने बाल मेरे हाथ को छूने लगे. अंजलि की आह आह निकलने लगी थी. मैंने उसे पीछे से पकड़ा हुआ था और मेरे होंठ उसके होंठो पे थे. उसकी उखड़ी हुई सांस और गरम हुई देसी चूत मेरे लौड़े को खड़ा करने में मेरी और भी मदद कर रहे थे. अंजलि ने अपना हाथ पीछे किया और मेरे लंड को पकड़ा पेंट के ऊपर से ही. मेरा लौड़ा उसके हाथ में आते ही वो बोली, “अरे तुम्हारा लंड तो काफी मोटा और बड़ा हैं. क्या खाते हो इसके लिए.”
मैंने अंजलि की देसी चूत के अंदर ऊँगली की और उसके चूत के अंदर की चिड़िया को हाथ में नचाया. अंजलि ने एक आह और ली और मेरे लंड को जोर से दबा दीया. मैंने समझ गया की उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी क्यूंकि मेरी उंगलिया चिकनी जो हो रही थी. अंजलि मेरे लंड को हलके हलके हाथों से सहलाने लगी. मैंने अंजलि की पेंट की ज़िप खोली और उसकी पेंट को निचे खिंच लिया. उसकी काली पेंटी अब मेरे सामने थी जिसके अंदर उसकी मोटी जांघे और भी सेक्सी लग रही थी. अंजलि ने पेंट को पाँव से निकाला और वो मेरी टांगो के पास बित गई. मेरे लौड़े को उसने अपने हाथो से पकड़ा और उसके ऊपर किस देने लगी. वाऊ यह लड़की को तो पता था की लंड कैसे खुश हॉट हैं. उसने बिना ताकीद के अब मेरे लौड़े को अपने मुहं में ले लिया और वो उसे चूसने लगी. यह लड़की को पता था की लंड चूसते चूसते गोलों को छूने से मर्द और भी उत्तेजित होता हैं; तभी तो वो मेरे लौड़े के डंडे को मुहं में ले रही थी और उसके निचे के नींबू को कभी चाट लेती थी तो कभी दबाती थी. मैं भी अब उत्तेजित हो चूका था काफी और मेरा मन उसकी देसी चूत को चोदने के लिए उतावला हुआ पड़ा था. मैंने अपने लंड को अंजलि के मुहं से निकाला और उसे वही छत की फर्श पे लिटा दिया. अंजलि ने अपनी टाँगे फाड़ दी और चूत का दरवाजा मेरे लिए खोल दिया.
देसी चूत पे काली पेंटी
अंजलि की पेंटी उसकी देसी चूत के ऊपर बिराजमान थी. मैंने एक ही झटके में पेंटी को खिंच डाली और उसकी सेक्सी देसी चूत मेरे सामने थे. मैंने अपने लंड को उसके छेद के ऊपर रखा और एक हल्का सा झटका दिया. गरम चूत के अंदर लंड जाते ही मुझे जैसे की चंदन की ठंडक मिलने लगी. अंजलि भी एक लंबी सिसकी ले के उछल पड़ी क्यूंकि पूरा लंड एक ही झटके में उसकी चूत में डाल दिया था. अंजलि मुझ से लिपट गई और अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी. मेरा लंड उसकी सेक्सी चूत में एकदम टाईट घुसा हुआ था और वो बड़े मजे से अपनी चूत को मजे देने में व्यस्त थी. मैंने अपने होंठ उसके होंठो से लगाये और जोर जोर से उसकी चूत के अंदर अपना लंड अंदर बहार करने लगा. अंजलि भी मेरे हरेक झटके का जवाब अपनी गांड को हिला के दे रही थी. उसकी भारी गांड का झटका मेरे लंड को और भी उत्तेजित कर रहा था जैसे. अंजलि की चूत को 10 मिनिट ऐसे लेट के चोदने के बाद मैंने उसे उल्टा लिटा दिया. उसकी चूत के छेद पे थूंक लगाने के बाद मैंने कुत्तो वाली स्टाइल में उसको लेना चालू कर दिया. वो आह आह करती गई और मेरा तना हुआ लंड उसकी चूत को फाड़ता गया.
अंजलि की गांड अब और भी जोर से हिलने लगी थी और वो मुझे उकसा रही थी उसकी जोरदार चुदाई करने के लिए. मैंने उसकी गांड के ऊपर ताड़ ताड़ चमाट लगाई और अपने लंड को गोलों तक घुसा दिया उसकी देसी चूत के अंदर. अब मेरी सीमा आ गई क्यूंकि इतनी जोरदार चुदाई मेरे साथ आजतक कोई लड़की ने नहीं की थी. अंजलि की चूत के अंदर ही मेरे लंड की मलाई निकल पड़ी और उसने अपनी चूत को जोर से मेरे लंड के ऊपर कस लिया. मैं उसके ऊपर लेट गया और हम दोनों 10 मिनिट तक ऐसे ही लेटे रहें. अंजलि ने मुझे उठाया और वो कपडे पहनने लगी. मैंने उसकी गांड के ऊपर हाथ मारा और उसे रात में मेरे रूम में आने को कहा. अब मेरी नजर उसकी ताज़ी मोटी गांड के ऊपर थी जिसे मैं अपने लंड से हराना चाहता था….! अंजलि हंस के गई और उसकी गांड को मैं देखता रहा. अब मैं बेसब्री से रात के आने की राह देख रहा था; क्यूंकि अंजलि की चूत को चोदने के बाद जैसे मेरा लंड अपनी सबर खो चूका था…!
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