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दीदी की जेठानी की तड़पती चूत को चोदा Didi ki jethani ki tadpati chut ko choda
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हैल्लो फ्रेंड्स मेरा नाम नरवेज है और मेरी उम्र 21 साल, लम्बाई 5.9 इंच है। दोस्तों मैं आज आप सभी के सामने इस साईट पर अपनी पहली कहानी लेकर आया हूँ.. वैसे मैंने इस साईट पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ी बहुत है.. लेकिन लिखने की कोशिश पहली बार की है और यह कहानी मेरी दीदी की जेठानी जो कि एक विधवा है उनके साथ हुई घटना है। तो यह बात उस वक़्त की है जब मेरी दादी जी की म्रत्यु हो गई तो मैं घर गया हुआ था और घर पर उस समय बहुत ही दुःख का माहोल था और घर पर बहुत से रिश्तेदार भी मौजूद थे जो कि माँ और पापा को समझा रहे थे और मुझे भी दिलासा दे रहे थे.. क्योंकि वो वक्त बहुत मुश्किल होता है। मेरी दीदी की जेठानी भी मेरी दीदी के साथ ही कई दिन तक हमारे घर का काम संभालने के लिए हमारे घर में ही रही.
हैल्लो फ्रेंड्स मेरा नाम नरवेज है और मेरी उम्र 21 साल, लम्बाई 5.9 इंच है। दोस्तों मैं आज आप सभी के सामने इस साईट पर अपनी पहली कहानी लेकर आया हूँ.. वैसे मैंने इस साईट पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ी बहुत है.. लेकिन लिखने की कोशिश पहली बार की है और यह कहानी मेरी दीदी की जेठानी जो कि एक विधवा है उनके साथ हुई घटना है। तो यह बात उस वक़्त की है जब मेरी दादी जी की म्रत्यु हो गई तो मैं घर गया हुआ था और घर पर उस समय बहुत ही दुःख का माहोल था और घर पर बहुत से रिश्तेदार भी मौजूद थे जो कि माँ और पापा को समझा रहे थे और मुझे भी दिलासा दे रहे थे.. क्योंकि वो वक्त बहुत मुश्किल होता है। मेरी दीदी की जेठानी भी मेरी दीदी के साथ ही कई दिन तक हमारे घर का काम संभालने के लिए हमारे घर में ही रही.
मैं हमेशा उन्हे दीदी कहकर पुकारता था। मेरी उनके साथ बहुत बनती थी और हम हमेशा एक दूसरे के साथ बहुत मज़ाक भी करते थे और जब भी मैं गावं जाता था तो वो इधर उधर की बातें मेरी गर्ल फ्रेंड के बारे में (जो कि अभी तक मेरी कोई भी नहीं है) कहकर हमेशा मुझे चिड़ाती थी। फिर एक बार तो बातों बातों में उन्होंने मुझे अचानक से किस कर दिया। मैं तो बहुत चकित रह गया था और फिर उन्होंने हंसी हंसी में उसी समय उस बात को टाल भी दिया। तभी से मुझे उन पर बहुत शक होने लगा.. कि इस साली रंडी के दिमाग़ में शायद कुछ चल रहा है.. लेकिन मैं उस वक्त कुछ कर ना सका.. लेकिन एक बहुत अच्छे मौके की तलाश में था जो कि मुझे अब मिलने वाला था.. लेकिन जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। तो अब मुझे घर पर आए हुए पूरे 11 दिन के ऊपर हो चुके थे और इस बीच मैंने उन्हें बहुत छेड़ा और उनके इधर उधर हाथ भी मारे.. लेकिन वो कुछ नहीं कहती थी.. उल्टा मुझे भी वो छेड़ दिया करती थी। फिर 12 दिन के बाद दादी जी का जब क्रियाकर्म खत्म हुआ तो इस बीच तक मैं नीचे ही सोता था। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
हमारे घर में दो बेडरूम और एक गेस्ट रूम है और मैं अपने रूम में ही सोता था.. तो उसी रात को माँ ने विदिता से कहा कि वो भी मेरे कमरे में सो जाए क्योंकि उस समय बारिश का मौसम था और थोड़ी बहुत ठंड भी थी। तो माँ ने एक बड़ा मोटा चादर हम दोनों को दे दिया और कहा कि अगर रात को जरूरत लगे तो काम में ले लेना। मैं तो बहुत ही खुश था और इस कारण से मेरा लंड महाराज ख़ुशी से तनकर खड़ा था और ऐसा एहसास मुझे पहले कभी महसूस नहीं हुआ था। फिर सभी दरवाज़े बंद करके वो कमरे में आई और आकर मेरे साईड में लेट गई और उसने मुझसे कहा कि सो गये क्या? मैं तो उसी पल का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था.. मैंने झट से उन्हे जकड़ लिया और मेरी तरफ खींच लिया.. मानो आज मेरे ऊपर कामदेव ने कृपा की हो.. वो मना करने लगी कि माँ जाग जाएगी और यह सब ठीक नहीं है.. लेकिन उन्होंने ज़्यादा दबाव से नहीं कहा था। तो मैंने थोड़ा ज़ोर देकर कहा कि कुछ नहीं होगा और कोई नहीं जागेगा। मैं तो बस तुम्हे पकड़ कर सोना चाहता हूँ.. लेकिन वो कहाँ जानती थी कि मैं क्या पकड़ कर सोना चाहता हूँ और बस थोड़ी ही देर में विदिता ने विरोध करना बंद कर दिया और मेरे हाथ के ऊपर अपने हाथ को रखा और सोने का नाटक करने लगी। तभी मैंने सोचा कि हाथ साफ करने का यह बहुत अच्छा मौका है और मैंने अपना हाथ खींचकर उसकी साड़ी के अंदर उसके पेटीकोट पर ले गया और कसकर पकड़ लिया वो और फिर थोड़ी सी मेरे बदन से चिपक गई और कहने लगी कि कोई जान जाएगा.. घर पर बहुत से लोग है और माँ उठ जाएगी।
तो मैंने उसे थोड़ा समझाया तो वो मान गई और फिर मैं अपना हाथ धीरे धीरे ऊपर लेता गया और आखिरकार उसके रसीले आम को मैंने आज पकड़ ही लिया और मेरे बदन में एक अजीब सा करंट दौड़ गया और उसका रोम रोम सिहर उठा.. शायद पहली बार ऐसा ही होता है। तो वो मना करने लगी.. लेकिन मैं अब कहाँ मानने वाला था मैंने वैसे ही उसके बूब्स को पकड़ रखा था और थोड़ी देर के बाद मैंने एक एक करके ऊपर के दोनों हुक खोल दिए और हाथ को पूरा अंदर घुसा दिया.. वो मानो जन्नत की कोई हसीन चीज़ मेरे हाथ लग गई थी। इससे पहले मैंने बहुत सारी ब्लू फिल्म देखी है और मुझे पता था कि मुझे अब इसके आगे क्या करना है.. तो मैंने विदिता के बूब्स को सहलाना, मसलना शुरू कर दिया। तो वो अपनी दोनों आँखें बंद किए हुई थी और कुछ बडबडा रही थी.. शायद वो मोन कर रही थी.. लेकिन मैंने उस तरफ ज्यादा ध्यान ना देते हुए बाकी के बचे हुए कपड़े भी खोल डाले और ब्लाउज को उतार फेंका.. वो क्या नज़ारा था.. आज तक जो बूब्स मैंने सपने में देखे थे आज वही असली मेरे सामने थे और मैं खुद पर कंट्रोल नहीं कर सका और बूब्स पर टूट पड़ा.. उसके भूरे निप्पल एकदम से सख्त हो चुके थे और इस बीच विदिता ने मुझे हटाया और मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए।
फिर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ कि चलो आख़िरकार साली माँ की लौड़ी जो इतने दिनों से मुझे परेशान किए हुई थी आज मेरे सामने आधी नंगी होकर लेटी हुई है और बहुत जोरों से हमारी किस चल रही थी.. मैं उसकी जीभ चूस रहा था और वो मेरी जीभ चूस रही थी। फिर मैंने उसे नीचे बेड पर धक्का देकर लेता दिया और उसके सिर से लेकर पेट तक चूमने लगा.. विदिता बस मोन किए जा रही थी आअहह बस करो नरवेज आहह मैं मर जाउंगी.. प्लीज बस करो और फिर मैं कहाँ रुकने वाला था। एक हाथ से उसके बूब्स को दबाए जा रहा था और इधर उसकी जीभ को चाटे जा रहा था। मुझे उसकी जीभ चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था और वो तो मानो बिन पानी की मछली की तरह छटपटा रही थी। फिर मैंने उसके निप्पल को मुहं में भरा और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। तो विदिता कहने लगी कि खा जा इसे चबा डाल.. मैंने बहुत दिनों से तेरे लिए ही सम्भाल कर रखे थे.. दबा और ज़ोर से दबा.. चूस ले इन्हें.. दबा दबाकर चूस ले इन्हें। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
फिर मुझे उसकी ज़ोर ज़ोर की आवाजों से बहुत डर लगने लगा कि कहीं मेरी माँ ना सुन ले तो इसलिए मैंने उसके मुहं को एक कपड़े से बांध दिया, उसने ही मुझे ऐसा करने को कहा था और मैंने अपने काम को जारी रखा और बूब्स चूस चूसकर निप्पल के ऊपर मेरे दाँत के निशान हो गए थे। तो झट से उसने मेरी पेंट के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ लिया और दबाने लगी.. तो मैंने उसे पेंट को उतारने को कहा और उसने झट से उठकर पेंट को नीचे कर दिया और अंडरवियर के अंदर छुपे हुए लंड को निकालकर बड़े गौर से देखने लगी। मेरा लंड लगभग 6 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है और कोई भी चूत को संतुष्ट करने के लिए एकदम ठीक है और उसे देखते ही उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी और उसे पता था कि यह मेरा पहला टाईम है इसलिए वो कोई जल्दी ना करते हुए धीरे धीरे लंड को ऊपर नीचे करने लगी और वो बहुत सीखी हुई खिलाड़ी थी।
फिर मैं अपने कंट्रोल से बाहर जा रहा था और मैंने उसे और ज़ोर से लंड को हिलाने को कहा तो उसने और तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया और 4-5 मिनट के बाद में झड़ गया और यह जो लम्हा था यारों क्या बताऊँ.. जैसे मुझे स्वर्ग का सुख मिल गया हो.. लेकिन मुझे क्या पता था कि यह तो बस शुरुवात है। फिर सारे वीर्य को उसने अपने हाथ से साफ किया और आज से पहले कभी मेरा इतना सारा वीर्य कभी नहीं निकला था और उसके बाद उसने मुझे फिर किस करना शुरू कर दिया और मैं भी धीरे धीरे मूड में आने लगा था और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा.. लेकिन इस बार मेरा लंड मुझे कुछ ज़्यादा बड़ा और फूला हुआ लग रहा था। तो विदिता ने इस बात पर गौर किया और मैं समझ गया कि मुझे आगे क्या करना है।
फिर मैंने झट से उसे लेटाया और उसके सुंदर भूरे बूब्स को मसलने लगा.. तो वो मोन करने लगी आअहह नरवेज कुछ करो.. नरवेज जल्दी करो और सहा नहीं जाता। तो मैं धीरे धीरे उसके पैरों तक पहुंच गया और चूमने चाटने लगा। फिर धीर धीरे साड़ी को उठाता गया और किस करता रहा और देर ना करते हुए मैंने साड़ी को उसकी कमर तक उठा दिया और पेटिकोट, साड़ी को निकाल कर फेंक दिया.. वो क्या गजब लग रही थी.. मुझे मेरी आँखों पर तो यकीन ही नहीं हो रहा था.. उसकी पेंटी पहले से ही पूरी भीगी हुई थी शायद उसने पानी छोड़ दिया हो और वो बहुत शरमा रही थी और वो अपने दोनों हाथों से उसकी पेंटी को छुपा रही थी। फिर मैंने उसके हाथों को चूमा और अपनी जगह से हटा दिया और फिर मैंने उसकी एक साईड से जांघो को बहुत चाटा और चूमा फिर उसकी पेंटी को निकाल कर फेंक दिया और मैंने देखा कि उसकी चूत पर हल्के हल्के भूरे बाल थे.. शायद 1-2 दिन पहले ही कटे होंगे और मैंने उसके ऊपर लगे हुए जूस को साफ किया और चूत के ऊपर हल्का सा किस करते ही उसने मुझसे कहा कि यह गंदा है.. लेकिन मैंने कहा कि मैं इसे टेस्ट करना चाहता हूँ और वो बड़ी मुश्किल से मानी। तों फिर और क्या था मैं टूट पड़ा उसकी चूत के ऊपर की तरफ किस करता रहा और धीरे से अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.. वाह उसकी चूत क्या गरम थी अहह एकदम भट्टी जैसी गरम और फिर मैं चूत को चूमता गया और धीरे धीरे उंगली को आगे पीछे करके चोदता गया।
फिर वो मेरे सर को उसकी चूत पर दबाए जा रही थी.. शायद उसे मज़ा आने लगा था और मुझे भी उसके जूस का टेस्ट एकदम मलाई के जैसा लग रहा था.. लेकिन थोड़ा नमकीन भी था। फिर उसके बाद मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर डाल दिया तो वो सिहर उठी और उसने अपना पानी मेरे मुहं पर छोड़ दिया और फिर मुझे खींचकर मेरे मुहं पर लगा हुआ जूस चाटने लगी और देर ना करते हुए उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के पास ले गई और मुझे धक्का लगाने को कहा। तो मैंने एक ही बार में आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत में डाल दिया.. तो वो चिल्ला उठी उउईईइ माँ मार डाला रे साले कमीने बहनचोद थोड़ा धीरे धीरे कर.. ऐसे तो मेरी चूत फट जाएगी। फिर मैंने ध्यान दिया कि उसकी चुत बहुत टाईट थी शायद वो बहुत दिनों से चुदवा नहीं रही थी। फिर एक धक्का और पूरा का पूरा लंड उसकी चूत के अंदर..
विदिता : चोदो जान और अह्ह्ह ज़ोर से चोदो आआअहह उफ्फ्फ।
मैं : हाँ जान यह लो मेरा लंड.. यह कहकर मैं और जोरों से चोदने लगा।
विदिता : फाड़ डाल इसे.. फाड़ डालो बहुत अहह परेशान किया हुआ था इसने मुझे अहहूंम्म आज इसे फाड़ ही डालो।
फिर मैं अपनी जितनी ताक़त थी सभी को मिलाकर उसे चोदने पर तुला हुआ था और हम दोनों का शरीर पसीने में मानो डूबा हुआ था और उसके बाद मैंने उसके पैरों को अपने कंधे पर लेकर उसे चोदना शुरू किया और अब विदिता भी मेरा बहुत अच्छा साथ दे रही थी और करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मेरा निकलने वाला था और इस बीच उसने जाने कितनी बार अपना पानी मुझ पर छोड़ा होगा और फिर मैंने उससे पूछा कि कहाँ पर छोड़ू? तो उसने मुझे अंदर ही छोड़ने को कहा तो एक मिनट के बाद मैंने अपना सारा माल उसकी चूत के अंदर डाल दिया। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
विदिता : हाँ मेरे राजा बना दे मुझे आज अपनी रंडी और आज से मैं तेरी हूँ जब चाहे तब मुझे चोदना और यह कह कर मुझे अपने गले से लगा लिया और फिर एक घंटे के बाद हम दोनों उठे और बाथरूम से साफ होकर आए और एक दूसरे से चिपक कर सो गये और वो मेरा लंड पकड़े हुई थी और मैं उसके बब्स को अगले तीन, चार दिन तक मैंने उसे दिन रात बहुत चोदा, फिर वो मेरी बहन के साथ अपने घर चली गई।।
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