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तीन लंडो से ट्रेन में मनाई सुहागरात - Train me ek sath 3 lund se chut chudai
तीन लंडो से ट्रेन में मनाई सुहागरात - Train me ek sath 3 lund se chut chudai , ट्रेन रेलगाड़ी में चूत चुदाई की कहानियाँ. Train Railgadi Me Chut Chudai ki Kahaniyan , Stories about fucking in running train , ट्रेन से चुदाई तक का सुहाना सफर , Behen Ki Chudayi, Hindi Sex Kahani, Sex in Family , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
मैं आपको अपना एक सच्चा किस्सा बता रही हूँ. मैंने अपनी सुहागरात ट्रेन में मनाई और तीन तीन लड़कों के साथ मनाई . तीनो ने मुझे खूब चोदा जिसमे मेरा हसबैंड कोई नहीं था। मैं अकेली थी और मेरे सामने 3 - 3 लण्ड थे वो भी बड़े मोटे मोटे और तगड़े ? तीनो लण्ड की लम्बाई 8" + और मोटाई भी 5" + थी। मैंने तीनो लण्ड का भर पूर मज़ा लिया। उन्हें पहले अपने मुंह में लिया, अपनी चूँचियों में लिया और फिर अपनी चूत में लिया। आखिर कार मैंने तीनो लण्ड अपनी चूत की भठ्ठी में भून डाला और फिर भुने हुए बैगन की तरह एक एक करके तीनो लण्ड चूत से बाहर निकाला।
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मेरा नाम रुपाली है। मैं २६ साल की थी. मेरी शादी एक दिन पहले ही हुई थी और मैं ट्रेन में मुंबई से कोलकाता सफर कर रही थी। मैं साड़ी पहने हुए बैठी थी। हाथों में मेहंदी थी मांग में सिन्दूर था माथे में बिंदिया थी। मैं एकदम दुल्हन बनी हुई थी। वैसे भी मैं बहुत गोरी हूँ, 5' 5" के कद वाली हूँ, बड़ी बड़ी आँखों वाली, बड़ी बड़ी चूँचियों वाली और बड़े बड़े चूतड़ों वाली हूँ। मस्त मस्त गांड वाली हूँ और मोटी मोटी जाँघों वाली हूँ। मैं अंदर से बहुत बड़ी बुर चोदी हूँ, मादर चोद हूँ मैं और एकदम बिंदास किसी से भी चुदवाने वाली लड़की हूँ। मेरी मोटी मोटी जाँघों के बीच एक मस्त चिकनी चूत है जो उसी रात को सुहागरात में ससुरी चुदने वाली थी। मैंने सोंचा की मैं दुल्हन हो गयी हूँ तो क्या हुआ ? न मैं बदली हूँ और न मेरी बुर चोदी चूत बदली है ?
यह फर्स्ट A / C का कोच था । इसमें चार ही बर्थ होतें हैं। एक बर्थ पर मैं बैठी थी और बाकी तीनो बर्थ पर मेरे हसबैंड के दोस्त बैठे थे। मेरा हसबैंड सजल चक्रवर्ती आया और बोला रुपाली ये मेरे दोस्त हैं रोहित, अभय और सुबोध । तुम्हे घबराने की कोई जरुरत नहीं है। तुम इसी कोच में बैठो मैं उधर दूसरे कोच में बैठा हूँ। मैं मान तो गई लेकिन समझ नहीं पाई की मेरा हसबैंड मुझे छोड़ कर किसी और कोच में क्यों बैठ गया ? मैं अपने सवाल का जबाब ढूंढने लगी। लेकिन फिर सोंचा कोई बात नहीं ऐसा कभी कभी होता है।
मैं भी बिंदास उन तीनो लड़कों से बात करने लगी। मुझे उनके मुंहे से बार बार भाभी कहना बड़ा अच्छा लग रहा था। धीरे धीरे मैं उन लड़कों के लण्ड के बारे में सोंचने लगी। यही की लण्ड कैसे होंगें, देखने में कैसे लगते होंगें, कितने बड़े बड़े होंगें, कितने मोटे होंगें, झांटें होंगीं की नहीं। पेल्हड़ भी किस साइज के होंगें। इन्हे बुर चोदना अच्छी तरह आता होगा की नहीं। मैं तो एक बदचलन लड़की थी ही। मुझे जहाँ कोई लड़का अकेले में मिल जाता था तो मैं सीधे उसके लण्ड पर हमला कर देती थी। फिर वह मुझसे बच कर जा नहीं पाता था और मैं बिना उससे चुदवाये उसे जाने नहीं देती थी। पर यहाँ तो तीन तीन लड़के हैं। मैं कुछ वैसा ही करने की सोंच रही थी। मैं धीरे धीरे मन बना रही थी की आज रात को मैं इन तीनो को नंगा कर दूँगी। अगर ये मरद है भोसड़ी वाले तो मैं इनके लण्ड में आग लगा दूँगी। एक बार जब लण्ड में आग लग जाएगी तो फिर वो लण्ड बिना मेरे मुंह में घुसे और बिना मेरी चूत में घुसे मानेगा नहीं ?
वो तीनो लड़के मेरे सामने वाली बर्थ पर बैठे थे और मेरा ख्याल रख रहे थे। तीनो मेरी सेवा में पूरी तरह समर्पित थे , मैं जो भी कहती थी वे फ़ौरन उसे कर देते और भाभी कह कर मुझसे बातें करने लगते। मैं बार अपना पल्लू बहाने से गिरा देती और बार बार उसे उठा कर फिर उपोयर डाल लेती। फिर मैंने सोंचा की क्यों न मैं कपडे बदल लूँ। मैंने कहा अब मैं कपड़े बदलना चाहती हूँ। मेरे कहते ही वे लोग बाहर चले गए। पहले तो मैं चाहती थी की उन्हीं के सामने कपड़े बदलूँ पर वे चले गए तो मैं रुक गयी। मैंने अपना एक गाउन निकाला उसे पहन लिया और नीचे एकदम नंगी हो गयी। ब्रा भी नहीं पहनी। मैंने अपनी बड़ी बड़ी चूँचियाँ बिलकुल आज़ाद कर दीं । मेरे गाउन में केवल दो बटन थे बस। मैंने उन्हें बुला लिया और वो मेरे सामने फिर बैठ गए। तब तक खाना आ गया और मैंने सबने साथ खाना खाया।
खाना खाते समय मैंने अपने गाउन की एक बटन किसी तरह खोल दी। अब मेरी चूँचियाँ बहुत ज्यादा दिखने लगीं थीं । हां निपल्स अभी छुपे हुए थे । उन तीनो की निगाहें मेरी चूँचियों पर टिक गईं। वे सब बार बार अपना सर इधर उधर घुमा घुमा कर मेरी चूँचियाँ झाँकने लगे। यह देख कर मैं अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। मैंने पैरों में पायल पहन रखी थी। मेरी गोरी गोरी टांगें और गोरे गोरे पंजे भी कम सेक्सी नहीं थे। मैं धीरे धीरे अपनी टाँगे भी दिखाने लगी। कभी कहती ये उठाओ कभी कहती वो उठाओ। मैं ऐसा कह कह कर अपनी चूँचियाँ और टांगें दिखाने लगी। कभी अपनी जाँघे भी दिखाने लगी। जब खाना ख़तम हुआ तो मैंने कहा अब तुम लोग भी अपने अपने कपड़े बदल लो। वो बाहर जाने लगे तो मैंने टोका बाहर क्यों जा रहे हो यहीं बदल लो न ? वो फिर जाने लगे तो मैंने कहा मैं आँखें बंद कर लूंगी तुम यहीं बदल लो। वो फिर जाने लगे तो मैंने मुस्कराते हुए कहा क्या मेरे सामने कपड़े बदलने में तेरी गांड फट रही है ? मर्द हो तो लड़कियों की तरह शर्माते क्यों हो ?
मेरी यह बात तीर की तरह उनके लण्ड पर लगी। उनके लण्ड कसमसाने लगे। खैर वे सब कपड़े लुंगी लुंगी लपेट लपेट कर बदलने लगे और मैं उनके लण्ड की एक झलक पाने के लिए अपनी नज़रें इधर उधर घुमाने लगी। लण्ड झलक तो नहीं मिली लेकिन मैं यह जान गयी की अब ये लोग धीरे धीरे मेरे काबू में आ जायेगें। मैंने फिर तंज कसा और कहा अगर मैं तुम्हारी जगह लड़का होती तो अपनी भाभी के सामने एकदम नंगे होकर कपड़े बदलती ? भाभी अगर मेरा 'लण्ड' देख भी लेती तो क्या हो जाता ? भला कोई देवर अपनी भाभी के सामने नंगा होने में शर्माता है क्या ? अगर शर्माता है तो फिर वह देवर कैसा ? मेरी इस बात ने और मेरे मुंह से निकला शब्द 'लण्ड' ने उनके लण्ड में जबरदस्त आग लगा दी। आग तो मेरी चूत में पहले से ही लगी थी। मैं तो इन तीनो के लण्ड देखने के लिए ब्याकुल हो रही थी.
फिर मैंने कहा रोहित तुम दरवाजा बन कर दो। अब तो कोई बाहर से आएगा नहीं। वह उठा और दरवाजा बंद करके फिर बैठ गया। फिर मैंने थोड़ी और पूंछ तांछ की तो मालूम हुआ की इन तीनो की शादी अभी एक महीने पहले ही हो चुकी है। इससे मुझे और हिम्मत मिली।
मैंने पूंछा - रोहित तुमने अपनी सुहागरात में क्या किया ?
वह बोला - वही किया जो सब लोग करतें हैं।
मैंने कहा - नहीं ऐसे नहीं चलेगा। या तो साफ़ साफ़ मुंह से बताओ नहीं तो करके दिखाओ की तुमने क्या किया ? मैं ऐसे नहीं मानने वाली ? मैं ज़रा खुलने लगी थी । वह थोड़ा शर्माया तो मैंने कहा अरे यार मुझसे शर्मा रहे हो ? अगर तुम इतना अपनी बीवी के सामने शरमाये होंगे तो चोदना तो दूर रहा तुम उसकी एक झांट भी नहीं उखाड़ पाये होंगे ? मेरी इस बात पर सब लोग हंसने लगे।
मैंने कहा - अच्छा अब साफ़ साफ़ बताओ। तुमने अपनी सुहागरात में अपनी बीवी को कितनी बार चोदा ?
वह बोला - सिर्फ एक बार ही ,,,,,,,,,,,?
मैंने कहा - मैं एक लड़की होकर तुमसे खुल कर बात कर रही हूँ और तुम मर्द होकर शर्मा रहे हो। मैं अगर तेरा लण्ड पकड़ लूं तो क्या तू मुझसे शरमाएगा ? शरमाएगा तो तेरा लण्ड खड़ा ही नहीं होगा ? और लण्ड अगर खड़ा नहीं होगा तो फिर चोदेगा कैसे तू ? अब देखो अभय बिलकुल नहीं शर्मा रहा है। मैंने अभय के लण्ड पर हाथ रख कर कहा। बल्कि मैंने उसका लण्ड दबा भी दिया। मैंने दूसरा हाथ सुबोध के लण्ड पर भी रख दिया। रोहित ये सब देख काट उत्तेजित हो गया।
वह बोला - भाभी जी आप तो बहुत बोल्ड हैं ?
मैंने कहा - बोल्ड नहीं हूँगी तो ये बुर चोदी जवानी फुर्र से निकल जाऊंगी। फिर क्या करूंगी ? झांटें गिनूँगी अपनी बैठे बैठे ज़िन्दगी भर ?
तब तक मैंने अपने गाउन की दोनों बटन खोल दीं। मेरी दोनों चूँचियाँ एकदम नंगी हो गयीं उनके सामने। मैंने कहा रोहित तुम अभी मर्द नहीं हो। अब मैं तुम्हे मर्द बनाऊंगी। लो पकड़ो मेरी चूँचियाँ और मस्ती से दबाओ। तब तक मैं अभय और सुबोध के लण्ड बाहर निकालने लगी। रोहित फिर मेरी चूँचियाँ दबाने लगा। धीरे धीरे उसकी शर्म ख़तम होने लगी। तब तक मैंने अभय को नंगा कर दिया। उसका लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी और सुबोध को भी नंगा किया। उसका भी लौड़ा हिला हिला कर खड़ा कर दिया। दोनों लण्ड साले मेरे सामने हिनहिनाने लगे। तब मैंने अपनी चूँचियाँ अभय के मुंह में डाल दीं और रोहित का लौड़ा निकाल लिया। मैंने उसे चूमा चाटा और हिला हिला कर मस्ती करने लगी। मैंने कहा यार रोहित तुम लण्ड से तो जबरदस्त मरद हो। अब शर्माना छोड़ दो और चोदना सीख लो। तब तक मैं भी पूरी तरह नंगी हो चुकी थी। मैंने अपना गाउन उतार कर फेंक दिया था । मेरी छोटी छोटी झांटों वाली चूत सबके सामने नाचने लगी थी ।
मैं अपनी टाँगे फैलाकर बर्थ पर लेट गयी और अभय से कहा मेरे देवर राजा अब तुम मेरी बुर चाटो। वह मुंह डाल मेरी बुर चाटने लगा. मैं रोहित का लण्ड चाटने लगी और दूसरे हाथ से सुबोध का लण्ड सहलाने लगी। मुझे अब आहिस्ते आहिस्ते तीनो मरद का मज़ा एकसाथ मिलने लगा। अभय मेरी बुर अच्छी तरह से चाट रहा था। वह जबान अंदर घुसेड़ कर मेरी बुर चोद रहा था। अगर कोई ग़ैर मरद अपनी जबान से किसी की बीवी की बुर चोदे तो इससे ज्यादा मज़ा उसे किसी और क्रिया में नहीं मिलता।
अब देखो न, मेरी बुर कोई और चाट रहा है, मेरे मुंह में किसी और का लण्ड है, मैं किसी और का लण्ड सहला रही हूँ। ये है पराये मर्दों से चुदवाने का मज़ा ? इससे ज्यादा जवान की मस्ती और क्या हो सकती है। मैं अपने आपको बड़ी सुभाग्य शाली मानती हूँ कि मुझे मेरे मन के तीन तीन मरद मुझे चोदने वाले एक साथ ट्रेन में मिल गए।
मैंने अभय से कहा तुमने मेरी बुर चाटी है अब तुम सबसे पहले अपना लण्ड मेरी चूत में पेलो । अभी तुमने मेरी बुर अपनी जबान से चोदी है अब तुम मेरी बुर अपने लण्ड से चोदो। उसने अपना लण्ड टिका दिया मेरी चूत में और अपनी गांड से जोर लगा कर पेलने लगा अंदर। लण्ड सरसराता हुआ घुस गया अंदर तो मुझे भी बड़ा मज़ा आया और उसे भी। उसका लण्ड मजे का मोटा था। चारों तरफ से चिपक कर घुस रहा था। मैं भी मस्ती से उचक उचक कर चुदवाने लगी। उधर मैं रोहित का लण्ड पकड़े हुए चूस रही थी और सुबोध अपना लण्ड मेरी चूँचियों पर रगड़ रहा था। मुझे तीनो तरफ से मज़ा मिल रहा था। मैं मन में सोंचने लगी की इससे अच्छी मेरी सुहागरात और क्या हो सकती है ? मेरे पास तीन लण्ड थे। तीनो की बनावट अलग अलग थी। तीनो लण्ड के सुपाड़े भी अलग अलग थे। पर लण्ड का साइज लगभग बराबर ही था। तीनो के पेल्हड़ भी अलग अलग तरह के थे। इसीलिए मुझे तीनो का अलग अलग मज़ा खूब मिल रहा था।
मस्ती में मेरे मुंह से कुछ न कुछ निकलने लगा - हाय दईया बड़ा मज़ा आ रहा है -- मुझे खूब चोदो, पूरा पेल दो लण्ड -- फाड़ डालो मेरी बुर चोदी बुर -- तेरे लण्ड की बहन का भोसड़ा -- साला मेरी चूत का कचूमर निकाल रहा है -- हां आ आ ऊ ु हो हो हां हे ो सू चो चूं चा है रे और कितना चोदेगा मुझे, भोसड़ी के -- मैं मर जाऊंगी -- बड़ा मोटा है तेरा लण्ड -- ये साला मेरी माँ का भोसड़ा भी फाड़ डालेगा -- हां हां ऐसे ही चोदो -- मैं तेरी बीवी हूँ यार मुझे चोदो -- रंडी की तरह चोदो मेरी बुर -- ऊँ हां वो हो हीं आ हो रे अच्छी तरह ठोंके रहो लण्ड -- तब तक
रोहित ने पेल दिया लण्ड और मैं अभय का लण्ड चाटने लगी। मुझे कुछ और तरह का मज़ा आने लगा। तब तक सुबोध ने लण्ड मेरे मुंह में घुसा दिया। अभय मेरी चूँचियाँ मसलने लगा. मैं उसका लण्ड हिलाने लगी। धीरे धीरे मेरी चूत अपने मुकाम पर पहुँच रही थी। मैं खलास होने वाली थी। मुझे लगा की ये लोग अब जल्दी ही झड़ जायेंगें। पर किसी ने भी अपना जोश कम नहीं किया। इतने में अचानक मेरी चूत ढीली हो गयी। तब रोहित बोला भाभी अब मैं भी निकलने वाला हूँ। मैं घूम गई और उसका सड़का मारने लगी। उसने अपना सारा वीर्य मेरे मुंह में उड़ेल दिया जिसे मैं बड़ी मस्ती से पी गई. लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी। उसके बाद अभय भी झड़ने लगा तो मैंने उसका भी वीर्य कैच कर लिया। मुझे उसके लण्ड का स्वाद भी अच्छा लगा। आखिर में जब सुबोध जल्दी नहीं निकला तो मैंने उसका सड़का सटासट मारने लगी। १०/१५ बार ऊपर नीचे किया तो लण्ड ने उगल दिया मक्खन जिसे मैं पी गयी। इस तरह तीनो ने मेरे साथ खूब मस्ती की और फिर हम सब एक एक करके बाथ रूम गए और फिर मजे से आकर बैठ गए। खूब चर्चा की, बातें की और हंसी मजाक की. लगभग एक घंटा के बाद जोश फिर उबाल मारने लगा। मैंने इस बार सबसे पहले सुबोध के लण्ड पर हाथ रखा। उसे सहलाने लगी और बोली हाय मेरे देवर राजा अबकी बार तुम पेलो अपना लण्ड मेरी चूत में। मैं इन दोनों के लण्ड मुंह में लूंगी और मज़ा करूंगी। मैं टांगें फैलाकर लेट गयी। सुबोध का लण्ड तन कर खड़ा हो गया। उसने लण्ड मेरी चूत पर टिकाया और एक ही धक्के में पूरा लौड़ा पेल दिया अंदर। लण्ड घुसा तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। मैं यही तो चाहती थी। इधर मैंने अपने दोनों हाथों में एक एक लण्ड पकड़ लिया। मैं दोनों लण्ड बारी बारी से मुंह में घुसेड़ कर चूसने लगी। उधर सुबोध मुझे धकाधक चोदने लगा। उसका लौड़ा मुझे बड़ा मज़ा दे रहा था। मैं तो लण्ड की दीवानी हूँ वह किसी का भी हो ?
उधर ट्रेन अपनी तूफ़ान मेल की तरह चली जा रही थी और इधर तूफ़ान मेल की तरह मेरी चूत चोदी जा रही थी। ये तीनो लड़के मेरी चूत का हलवा बना रहे थे। कुछ देर बाद मैंने कहा सुबोध अब तुम मुझे पीछे से चोदो। मैं उठी और घोड़ी बन गयी। मैंने कहा असुबोध अब लण्ड मेरी बुर में घोड़े की तरह पेल दो। उसने वैसा ही और मैं पीछे झमाझम चुदवाने लगी। मेरे मुंह के आगे रोहित का लण्ड था और हाथ में अभी का लण्ड। मैं तीनो लण्ड का मज़ा एक साथ ले रही थी। थोड़ी देर बाद मैं रोहित के लण्ड पर बैठ गई। लण्ड पूरा अंदर घुसा और मैं उसका लण्ड ही अपनी गांड उठा उठा के चोदने लगी। मैं इस तरह अभय पर बैठी और सुबोध लण्ड पर भी ,. मुझे सबके लण्ड चोदने में भी खूब मज़ा आया।
इस तरह की चुदाई करते करते सवेरे के ४ बज गए। मैं अपनी यह सुहागरात ज़िन्दगी में कभी भूलूंगी नहीं। चुदाई ख़तम होने के बाद हम लोग अपनी अपनी बर्थ पर कपड़े पहन कर लेट गए। कुछ देर के बाद किसी ने दरवाजा खटखटाया। रोहित ने दरवाजा खोला तो वह मेरा हसबैंड सजल चक्रवर्ती था। उसने पूंछा अरे रुपाली अभी उठी नहीं ? अभी आधे घंटे के बाद स्टेशन आने वाला है। रोहित तुम उसे उठा दो प्लीज। वह बोला जी हां मैं अभी भाभी जी को उठा देता हूँ। फिर हम लोग सब तैयार होकर बैठ गए जैसे की रात में कुछ हुआ ही नहीं।
वो तीनो लड़के मेरे सामने वाली बर्थ पर बैठे थे और मेरा ख्याल रख रहे थे। तीनो मेरी सेवा में पूरी तरह समर्पित थे , मैं जो भी कहती थी वे फ़ौरन उसे कर देते और भाभी कह कर मुझसे बातें करने लगते। मैं बार अपना पल्लू बहाने से गिरा देती और बार बार उसे उठा कर फिर उपोयर डाल लेती। फिर मैंने सोंचा की क्यों न मैं कपडे बदल लूँ। मैंने कहा अब मैं कपड़े बदलना चाहती हूँ। मेरे कहते ही वे लोग बाहर चले गए। पहले तो मैं चाहती थी की उन्हीं के सामने कपड़े बदलूँ पर वे चले गए तो मैं रुक गयी। मैंने अपना एक गाउन निकाला उसे पहन लिया और नीचे एकदम नंगी हो गयी। ब्रा भी नहीं पहनी। मैंने अपनी बड़ी बड़ी चूँचियाँ बिलकुल आज़ाद कर दीं । मेरे गाउन में केवल दो बटन थे बस। मैंने उन्हें बुला लिया और वो मेरे सामने फिर बैठ गए। तब तक खाना आ गया और मैंने सबने साथ खाना खाया।
खाना खाते समय मैंने अपने गाउन की एक बटन किसी तरह खोल दी। अब मेरी चूँचियाँ बहुत ज्यादा दिखने लगीं थीं । हां निपल्स अभी छुपे हुए थे । उन तीनो की निगाहें मेरी चूँचियों पर टिक गईं। वे सब बार बार अपना सर इधर उधर घुमा घुमा कर मेरी चूँचियाँ झाँकने लगे। यह देख कर मैं अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। मैंने पैरों में पायल पहन रखी थी। मेरी गोरी गोरी टांगें और गोरे गोरे पंजे भी कम सेक्सी नहीं थे। मैं धीरे धीरे अपनी टाँगे भी दिखाने लगी। कभी कहती ये उठाओ कभी कहती वो उठाओ। मैं ऐसा कह कह कर अपनी चूँचियाँ और टांगें दिखाने लगी। कभी अपनी जाँघे भी दिखाने लगी। जब खाना ख़तम हुआ तो मैंने कहा अब तुम लोग भी अपने अपने कपड़े बदल लो। वो बाहर जाने लगे तो मैंने टोका बाहर क्यों जा रहे हो यहीं बदल लो न ? वो फिर जाने लगे तो मैंने कहा मैं आँखें बंद कर लूंगी तुम यहीं बदल लो। वो फिर जाने लगे तो मैंने मुस्कराते हुए कहा क्या मेरे सामने कपड़े बदलने में तेरी गांड फट रही है ? मर्द हो तो लड़कियों की तरह शर्माते क्यों हो ?
मेरी यह बात तीर की तरह उनके लण्ड पर लगी। उनके लण्ड कसमसाने लगे। खैर वे सब कपड़े लुंगी लुंगी लपेट लपेट कर बदलने लगे और मैं उनके लण्ड की एक झलक पाने के लिए अपनी नज़रें इधर उधर घुमाने लगी। लण्ड झलक तो नहीं मिली लेकिन मैं यह जान गयी की अब ये लोग धीरे धीरे मेरे काबू में आ जायेगें। मैंने फिर तंज कसा और कहा अगर मैं तुम्हारी जगह लड़का होती तो अपनी भाभी के सामने एकदम नंगे होकर कपड़े बदलती ? भाभी अगर मेरा 'लण्ड' देख भी लेती तो क्या हो जाता ? भला कोई देवर अपनी भाभी के सामने नंगा होने में शर्माता है क्या ? अगर शर्माता है तो फिर वह देवर कैसा ? मेरी इस बात ने और मेरे मुंह से निकला शब्द 'लण्ड' ने उनके लण्ड में जबरदस्त आग लगा दी। आग तो मेरी चूत में पहले से ही लगी थी। मैं तो इन तीनो के लण्ड देखने के लिए ब्याकुल हो रही थी.
फिर मैंने कहा रोहित तुम दरवाजा बन कर दो। अब तो कोई बाहर से आएगा नहीं। वह उठा और दरवाजा बंद करके फिर बैठ गया। फिर मैंने थोड़ी और पूंछ तांछ की तो मालूम हुआ की इन तीनो की शादी अभी एक महीने पहले ही हो चुकी है। इससे मुझे और हिम्मत मिली।
मैंने पूंछा - रोहित तुमने अपनी सुहागरात में क्या किया ?
वह बोला - वही किया जो सब लोग करतें हैं।
मैंने कहा - नहीं ऐसे नहीं चलेगा। या तो साफ़ साफ़ मुंह से बताओ नहीं तो करके दिखाओ की तुमने क्या किया ? मैं ऐसे नहीं मानने वाली ? मैं ज़रा खुलने लगी थी । वह थोड़ा शर्माया तो मैंने कहा अरे यार मुझसे शर्मा रहे हो ? अगर तुम इतना अपनी बीवी के सामने शरमाये होंगे तो चोदना तो दूर रहा तुम उसकी एक झांट भी नहीं उखाड़ पाये होंगे ? मेरी इस बात पर सब लोग हंसने लगे।
मैंने कहा - अच्छा अब साफ़ साफ़ बताओ। तुमने अपनी सुहागरात में अपनी बीवी को कितनी बार चोदा ?
वह बोला - सिर्फ एक बार ही ,,,,,,,,,,,?
मैंने कहा - मैं एक लड़की होकर तुमसे खुल कर बात कर रही हूँ और तुम मर्द होकर शर्मा रहे हो। मैं अगर तेरा लण्ड पकड़ लूं तो क्या तू मुझसे शरमाएगा ? शरमाएगा तो तेरा लण्ड खड़ा ही नहीं होगा ? और लण्ड अगर खड़ा नहीं होगा तो फिर चोदेगा कैसे तू ? अब देखो अभय बिलकुल नहीं शर्मा रहा है। मैंने अभय के लण्ड पर हाथ रख कर कहा। बल्कि मैंने उसका लण्ड दबा भी दिया। मैंने दूसरा हाथ सुबोध के लण्ड पर भी रख दिया। रोहित ये सब देख काट उत्तेजित हो गया।
वह बोला - भाभी जी आप तो बहुत बोल्ड हैं ?
मैंने कहा - बोल्ड नहीं हूँगी तो ये बुर चोदी जवानी फुर्र से निकल जाऊंगी। फिर क्या करूंगी ? झांटें गिनूँगी अपनी बैठे बैठे ज़िन्दगी भर ?
तब तक मैंने अपने गाउन की दोनों बटन खोल दीं। मेरी दोनों चूँचियाँ एकदम नंगी हो गयीं उनके सामने। मैंने कहा रोहित तुम अभी मर्द नहीं हो। अब मैं तुम्हे मर्द बनाऊंगी। लो पकड़ो मेरी चूँचियाँ और मस्ती से दबाओ। तब तक मैं अभय और सुबोध के लण्ड बाहर निकालने लगी। रोहित फिर मेरी चूँचियाँ दबाने लगा। धीरे धीरे उसकी शर्म ख़तम होने लगी। तब तक मैंने अभय को नंगा कर दिया। उसका लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी और सुबोध को भी नंगा किया। उसका भी लौड़ा हिला हिला कर खड़ा कर दिया। दोनों लण्ड साले मेरे सामने हिनहिनाने लगे। तब मैंने अपनी चूँचियाँ अभय के मुंह में डाल दीं और रोहित का लौड़ा निकाल लिया। मैंने उसे चूमा चाटा और हिला हिला कर मस्ती करने लगी। मैंने कहा यार रोहित तुम लण्ड से तो जबरदस्त मरद हो। अब शर्माना छोड़ दो और चोदना सीख लो। तब तक मैं भी पूरी तरह नंगी हो चुकी थी। मैंने अपना गाउन उतार कर फेंक दिया था । मेरी छोटी छोटी झांटों वाली चूत सबके सामने नाचने लगी थी ।
मैं अपनी टाँगे फैलाकर बर्थ पर लेट गयी और अभय से कहा मेरे देवर राजा अब तुम मेरी बुर चाटो। वह मुंह डाल मेरी बुर चाटने लगा. मैं रोहित का लण्ड चाटने लगी और दूसरे हाथ से सुबोध का लण्ड सहलाने लगी। मुझे अब आहिस्ते आहिस्ते तीनो मरद का मज़ा एकसाथ मिलने लगा। अभय मेरी बुर अच्छी तरह से चाट रहा था। वह जबान अंदर घुसेड़ कर मेरी बुर चोद रहा था। अगर कोई ग़ैर मरद अपनी जबान से किसी की बीवी की बुर चोदे तो इससे ज्यादा मज़ा उसे किसी और क्रिया में नहीं मिलता।
अब देखो न, मेरी बुर कोई और चाट रहा है, मेरे मुंह में किसी और का लण्ड है, मैं किसी और का लण्ड सहला रही हूँ। ये है पराये मर्दों से चुदवाने का मज़ा ? इससे ज्यादा जवान की मस्ती और क्या हो सकती है। मैं अपने आपको बड़ी सुभाग्य शाली मानती हूँ कि मुझे मेरे मन के तीन तीन मरद मुझे चोदने वाले एक साथ ट्रेन में मिल गए।
मैंने अभय से कहा तुमने मेरी बुर चाटी है अब तुम सबसे पहले अपना लण्ड मेरी चूत में पेलो । अभी तुमने मेरी बुर अपनी जबान से चोदी है अब तुम मेरी बुर अपने लण्ड से चोदो। उसने अपना लण्ड टिका दिया मेरी चूत में और अपनी गांड से जोर लगा कर पेलने लगा अंदर। लण्ड सरसराता हुआ घुस गया अंदर तो मुझे भी बड़ा मज़ा आया और उसे भी। उसका लण्ड मजे का मोटा था। चारों तरफ से चिपक कर घुस रहा था। मैं भी मस्ती से उचक उचक कर चुदवाने लगी। उधर मैं रोहित का लण्ड पकड़े हुए चूस रही थी और सुबोध अपना लण्ड मेरी चूँचियों पर रगड़ रहा था। मुझे तीनो तरफ से मज़ा मिल रहा था। मैं मन में सोंचने लगी की इससे अच्छी मेरी सुहागरात और क्या हो सकती है ? मेरे पास तीन लण्ड थे। तीनो की बनावट अलग अलग थी। तीनो लण्ड के सुपाड़े भी अलग अलग थे। पर लण्ड का साइज लगभग बराबर ही था। तीनो के पेल्हड़ भी अलग अलग तरह के थे। इसीलिए मुझे तीनो का अलग अलग मज़ा खूब मिल रहा था।
मस्ती में मेरे मुंह से कुछ न कुछ निकलने लगा - हाय दईया बड़ा मज़ा आ रहा है -- मुझे खूब चोदो, पूरा पेल दो लण्ड -- फाड़ डालो मेरी बुर चोदी बुर -- तेरे लण्ड की बहन का भोसड़ा -- साला मेरी चूत का कचूमर निकाल रहा है -- हां आ आ ऊ ु हो हो हां हे ो सू चो चूं चा है रे और कितना चोदेगा मुझे, भोसड़ी के -- मैं मर जाऊंगी -- बड़ा मोटा है तेरा लण्ड -- ये साला मेरी माँ का भोसड़ा भी फाड़ डालेगा -- हां हां ऐसे ही चोदो -- मैं तेरी बीवी हूँ यार मुझे चोदो -- रंडी की तरह चोदो मेरी बुर -- ऊँ हां वो हो हीं आ हो रे अच्छी तरह ठोंके रहो लण्ड -- तब तक
उधर ट्रेन अपनी तूफ़ान मेल की तरह चली जा रही थी और इधर तूफ़ान मेल की तरह मेरी चूत चोदी जा रही थी। ये तीनो लड़के मेरी चूत का हलवा बना रहे थे। कुछ देर बाद मैंने कहा सुबोध अब तुम मुझे पीछे से चोदो। मैं उठी और घोड़ी बन गयी। मैंने कहा असुबोध अब लण्ड मेरी बुर में घोड़े की तरह पेल दो। उसने वैसा ही और मैं पीछे झमाझम चुदवाने लगी। मेरे मुंह के आगे रोहित का लण्ड था और हाथ में अभी का लण्ड। मैं तीनो लण्ड का मज़ा एक साथ ले रही थी। थोड़ी देर बाद मैं रोहित के लण्ड पर बैठ गई। लण्ड पूरा अंदर घुसा और मैं उसका लण्ड ही अपनी गांड उठा उठा के चोदने लगी। मैं इस तरह अभय पर बैठी और सुबोध लण्ड पर भी ,. मुझे सबके लण्ड चोदने में भी खूब मज़ा आया।
इस तरह की चुदाई करते करते सवेरे के ४ बज गए। मैं अपनी यह सुहागरात ज़िन्दगी में कभी भूलूंगी नहीं। चुदाई ख़तम होने के बाद हम लोग अपनी अपनी बर्थ पर कपड़े पहन कर लेट गए। कुछ देर के बाद किसी ने दरवाजा खटखटाया। रोहित ने दरवाजा खोला तो वह मेरा हसबैंड सजल चक्रवर्ती था। उसने पूंछा अरे रुपाली अभी उठी नहीं ? अभी आधे घंटे के बाद स्टेशन आने वाला है। रोहित तुम उसे उठा दो प्लीज। वह बोला जी हां मैं अभी भाभी जी को उठा देता हूँ। फिर हम लोग सब तैयार होकर बैठ गए जैसे की रात में कुछ हुआ ही नहीं।
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