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चाची को घर में नंगा देखकर चोदा - Chachi ko ghar mein nangi dekh choda
चाची को घर में नंगा देखकर चोदा , चाची की मस्त चुदाई - Chachi ko ghar mein nangi dekh choda , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
मेरा नाम गोपाल है मैं दिल्ली में रहता हूं, मेरी उम्र 23 वर्ष है और मैं कॉलेज की पढ़ाई कर रहा हूं। मेरे माता-पिता गांव में ही रहते हैं और बचपन से ही मैं अपने चाचा चाची के साथ रहता हूं क्योंकि मेरे माता-पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए मेरे चाचा मुझे अपने साथ दिल्ली ले आए और बचपन से ही मैं उनके साथ रह रहा हूं। मेरे चाचा अच्छी कंपनी में नौकरी पर है और उन्होंने काफी समय पहले ही दिल्ली में अपना घर बना लिया था। उनका लड़का अभी स्कूल में पढ़ रहा है।
मेरे चाचा का व्यवहार बहुत ही अच्छा है और वह बहुत ही सज्जन व्यक्ति हैं, वह कई बार मेरे माता-पिता को कुछ पैसे भी दे देते हैं। उन्होंने ही मेरा कॉलेज में दाखिला करवाया और मुझे एक अच्छी शिक्षा दी, यदि मैं अपने माता-पिता के साथ गांव में रहता तो शायद मैं अपने जीवन में कुछ भी नहीं कर सकता क्योंकि हमारे गांव में पढ़ने की पूरी व्यवस्था नहीं है इसलिए मेरे चाचा मुझे अपने साथ शहर ले आए थे।
मेरी एक बहन भी है जिसकी अब शादी की उम्र हो चुकी है लेकिन मेरे पिताजी ने अभी तक उसके लिए कोई लड़का नहीं देखा क्योंकि हमारी स्थिति ऐसी नहीं है कि हम उसकी शादी धूम धाम से करवा पाएं, मुझे भी कई बार लगता है कि मैं यदि किसी अच्छी कंपनी में नौकरी लग जाता तो मैं उन्हें पैसे देता और मेरी बहन की शादी हो जाती लेकिन अभी मेरा कॉलेज चल रहा है और जैसे ही मेरा कॉलेज पूरा हो जाएगा उसके बाद मैं किसी कंपनी में नौकरी कर लूंगा।
कॉलेज में ही मेरी एक गर्लफ्रेंड है जिसका नाम वंदना है, उसके और मेरे रिलेशन को दो वर्ष हो चुके हैं। वह हमारे क्लास में ही पड़ती है और वह मुझे बहुत सपोर्ट करती है। उसे जब मेरी स्थिति के बारे में पता चला तो उसके बाद से उसका लगाओ मुझसे कुछ ज्यादा ही हो गया और मुझे जब भी कोई समस्या होती है या जब मैं अपने आपको अकेला महसूस करता हूं तो उस वक्त वंदना मेरे साथ ही रहती है या मैं उसे फोन कर दिया करता हूं। एक बार मेरे माता-पिता दिल्ली आये और उस वक्त मैं अपने कॉलेज गया हुआ था। जब मैं कॉलेज से लौटा तो मैं अपने माता-पिता को देखा, मैं उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ। मैंने उनसे पूछा कि आज आप इतने समय बाद शहर कैसे आ गए, वह कहने लगे कि हमें तुमसे मिलने का बहुत मन हो रहा था इसलिए हम लोग शहर आ गए।
मुझे भी मेरे चाचा ने नहीं बताया कि तुम्हारे माता पिता आ रहे हैं लेकिन जब मैं उनसे मिला तो मैं बहुत खुश हुआ। मैंने उस दिन अपने माता-पिता से बहुत बात की और उनसे अपनी बहन के बारे में भी पूछा, वह मुझसे कहने लगे कि उसकी शादी की उम्र हो चुकी है लेकिन अभी तक हमने उसके लिए कोई लड़का नहीं देखा और कुछ समय बाद ही हम लोग उसके लिए रिश्ता देखना शुरू कर देंगे। मेरे चाचा कहने लगे यदि आपको कोई अच्छा लड़का मिलता है तो वह आप देख लीजिए, जितना भी शादी का खर्चा होगा वह सब मैं उठा लूंगा लेकिन मेरे पिताजी अब उनसे और मदद नहीं लेना चाहते थे इसीलिए उन्होंने उन्हें साफ मना कर दिया उन्होंने कहा कि पहले ही तुमने हम पर इतने एहसान किए हैं, गोपाल को भी तुम अपने साथ बचपन में ही शहर ले आये और उसके बाद उसका पढ़ाई का खर्चा भी तुम उठा रहे हो
अब हम लोग तुमसे और एहसान नहीं लेना चाहते। यह सब हमें तुम्हारे लिए करना चाहिए था परंतु तुम ही हमारे लिए इतना कुछ कर रहे हो। मेरी चाची कहने लगी कि यह तो इनका फर्ज बनता है यदि यह आपके लिए कुछ नहीं करेंगे तो और करेगा। मेरी चाची भी बहुत अच्छी हैं और मैं उनके साथ बचपन से ही रह रहा हूं, उन्होंने मुझे कभी भी मेरी मां की कमी महसूस नहीं होने दी हालांकि वह खुले विचारों की हैं परंतु उसके बावजूद भी उनके अंदर अभी भी बहुत संस्कार हैं। मेरे माता-पिता कुछ दिनों तक दिल्ली में ही रहने वाले थे इसलिए मैं उस दौरान अपने कॉलेज नहीं गया और वंदना का फोन मुझे आया और वह कहने लगी कि तुम आजकल कॉलेज क्यों नहीं आ रहे हो, मैंने उसे कहा कि मेरे माता-पिता गांव से आए हैं हैं इसलिए मैं उनके साथ ही हूं जब वह लोग चले जाएंगे उसके बाद ही मैं कॉलेज जाऊंगा। वह मेरी बातों को समझ गयी और कहने लगी कि तुम अपने माता पिता के साथ समय व्यतीत करो क्योंकि तुम उनसे काफी समय बाद मिल रहे हो। वंदना मेरी हर भावनाओं को समझती है और उसे मेरी हर एक बात अच्छी लगती है क्योंकि मैं भी उसे हमेशा ही समझाता रहता हूं और जिस प्रकार से वंदना का मेरे लिए प्रेम है वह मुझे बहुत अच्छा लगता है।
अब मैं अपने माता पिता के साथ ही समय बिता रहा था और वह लोग भी बहुत खुश थे। मैं उन्हें अपने साथ घुमाने भी ले गया और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब वह लोग मेरे साथ थे। मेरे पिताजी कहने लगे कि हमें तुम्हारे साथ समय बिता कर बहुत अच्छा लगा, इतने समय बाद हम लोग तुम्हारे साथ रहे। वह कहने लगे कि अब हम लोगों को गांव जाना पड़ेगा क्योंकि तुम्हारी बहन भी घर में अकेली है और काफी दिन हम लोगों को यहां पर रहते हुए हो गए हैं। मैंने उन लोगों की टिकट करवा दी और उसके बाद मैं उन्हें स्टेशन छोड़ने के लिए गया।
जब मैं उन्हें स्टेशन छोड़ने गया तो मुझे बहुत बुरा लग रहा था, मेरी आंखों में आंसू थे, इतने समय बाद मैं अपने माता पिता के साथ बहुत अच्छे से रहा था लेकिन जब वह लोग चले गए तो उस दिन मैं घर पर ही था और उस दिन मैं अपने बारे में सोच रहा था कि मैं जल्दी से अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर लू और उसके बाद किसी अच्छी जगह पर मैं नौकरी लग जाऊं तो मुझे बहुत खुशी होगी। मुझे उस दिन बहुत अकेलापन महसूस हो रहा था इसलिए मैंने वंदना को फोन कर दिया और जब मैंने वंदना को फोन किया तो उससे उस दिन मैंने काफी देर तक बात की।
उससे बात कर के मुझे बहुत अच्छा महसूस होता था इसलिए मैं उसी से ज्यादा बात करता था। वह मुझे कहने लगी कि तुम चिंता मत करो तुम्हारे साथ सब अच्छा होगा, जब तुम्हारा कॉलेज पूरा हो जाएगा तो तुम्हारी अच्छी नौकरी लग जाएगी। मुझे पता था कि वह हमेशा ही मेरे साथ है इसलिए मुझे किसी भी प्रकार की चिंता नहीं होती थी। मैं उस दिन घर पर ही था, मेरी चाची मुझे कहने लगी कि तुम शाम को मेरे साथ बाजार चलना, वहां से कुछ सामान लेकर आना है।
मैंने उन्हें कहा ठीक है आप मुझे बता देना जब आपको जाना होगा, मैं आपके साथ चलूंगा क्योंकि उस दिन मैं घर पर ही था तो मैं सोचने लगा की मैं अपने कॉलेज का कुछ काम पूरा कर लेता हूं उसके बाद शाम को मैं अपनी चाची के साथ बाजार चला जाऊंगा। मैं अपने कॉलेज का काम कर रहा था, थोड़ी देर बाद मेरे कॉलेज का काम पूरा हो गया तो उसके बाद मैं बैठकर टीवी देख रहा था। जब मैं टीवी देख रहा था उस वक्त मेरी चाची मेरे पास आई और कहने लगी कि हम लोगों को बाजार चल लेना चाहिए, हम लोग वहां से जल्दी वापस आ जाएंगे। अब मैं अपनी चाची के साथ बाजार चला गया, जब मैं उनके साथ सामान ले रहा था तो मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन वह हर जगह जो भी सामान लेती तो उस पर वह बारगेनिंग करती और उसके बाद हम लोगों ने सारा सामान ले लिया। मेरी चाची कहने लगी कि हम लोग
अब घर चलते हैं, हम लोगों ने घर का सारा सामान ले लिया था और हम लोग घर वापस लौट आए। उस दिन मेरे चाचा का फोन आया और वह कहने लगे कि मुझे आज ऑफिस से आने में देरी हो जाएगी इसलिए तुम लोग खाना खा लेना और सो जाना, हम लोग जब घर पहुंच गए तो मैं अपने कमरे में आराम कर रहा था। मैं अपने कमरे में ही बैठा हुआ था और मेरी चाची अपने कमरे में कपड़े चेंज कर रही थी लेकिन मुझे नहीं पता था कि वह कपड़े चेंज कर रही हैं। मैं जैसे ही उनके कमरे में गया तो वह नंगी थी।
मैंने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया लेकिन वह दरवाजे को खोलते हुए मेरे पास आ गई और कहने लगी कि क्या तुमने सब कुछ देख रहा है। मैंने उन्हें कहा कि हां मैंने आपके पूरे बदन को देख लिया। वह मेरे पास ही बैठ गई और मेरे बदन को सहलाने लगी। मैंने उनके बड़े बड़े स्तनों पर हाथ रखा तो वह पूरे मूड में आ चुकी थी और मैं भी पूरे मूड में था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब उन्होंने मेरे लंड को निकालते हुए अपने मुंह में ले लिया। जैसे ही मेरा लंड उनके मुंह में गया तो मुझे अच्छा लगने लगा। मेरे लंड को वह अपने मुंह के अंदर तक लेने लगी वह बहुत अच्छे से मेरे लंड को अपने मुंह में ले रही थी और मुझे भी बहुत खुशी हो रही थी जब वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर तक लेती जाती।
मैंने उनकी बडी बडी गांड को चाटना शुरू कर दिया और जब मैंने उनकी गांड पर हाथ लगाया तो मुझे बहुत अच्छा लगा। मैने काफी देर तक उनकी योनि को चाटा लेकिन उनकी योनि से चिपचिपा पदार्थ बाहर आने लगा। मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था मैंने जैसे ही अपने लंड उनकी योनि डाला तो उनकी पूरी गर्मी बाहर आ गई और मुझे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा। मैं उन्हें बड़ी तेज गति से झटके दिए जा रहा था मेरे अंदर की उत्तेजना भी जाग रही थी मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। जब मेरा लंड उनकी चूतड़ों से टकरा रहा था
वह मेरा पूरा साथ दे रही थी और अपनी चूतड़ों को मुझसे मिला रही थी। उनकी चूतडे इतनी मोटी थी उनकी चूतडे जब मेरे लंड से टकराती तो उनसे गर्मी निकल जाती। मैं उनकी चूत को बर्दाश्त नहीं कर पाया जैसे ही मेरा वीर्य गिरने वाला था तो मैंने अपने लंड को बाहर निकलते हुए उनकी गांड पर गिरा दिया उन्होंने सारे माल को अपनी गांड पर लगा दिया। उसके बाद से मेरा जब भी मन होता है तो मैं अपनी चाची को अच्छे से चोदता हूं और वह भी मुझसे बहुत खुश रहती हैं।
मेरा नाम गोपाल है मैं दिल्ली में रहता हूं, मेरी उम्र 23 वर्ष है और मैं कॉलेज की पढ़ाई कर रहा हूं। मेरे माता-पिता गांव में ही रहते हैं और बचपन से ही मैं अपने चाचा चाची के साथ रहता हूं क्योंकि मेरे माता-पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए मेरे चाचा मुझे अपने साथ दिल्ली ले आए और बचपन से ही मैं उनके साथ रह रहा हूं। मेरे चाचा अच्छी कंपनी में नौकरी पर है और उन्होंने काफी समय पहले ही दिल्ली में अपना घर बना लिया था। उनका लड़का अभी स्कूल में पढ़ रहा है।
मेरे चाचा का व्यवहार बहुत ही अच्छा है और वह बहुत ही सज्जन व्यक्ति हैं, वह कई बार मेरे माता-पिता को कुछ पैसे भी दे देते हैं। उन्होंने ही मेरा कॉलेज में दाखिला करवाया और मुझे एक अच्छी शिक्षा दी, यदि मैं अपने माता-पिता के साथ गांव में रहता तो शायद मैं अपने जीवन में कुछ भी नहीं कर सकता क्योंकि हमारे गांव में पढ़ने की पूरी व्यवस्था नहीं है इसलिए मेरे चाचा मुझे अपने साथ शहर ले आए थे।
मेरी एक बहन भी है जिसकी अब शादी की उम्र हो चुकी है लेकिन मेरे पिताजी ने अभी तक उसके लिए कोई लड़का नहीं देखा क्योंकि हमारी स्थिति ऐसी नहीं है कि हम उसकी शादी धूम धाम से करवा पाएं, मुझे भी कई बार लगता है कि मैं यदि किसी अच्छी कंपनी में नौकरी लग जाता तो मैं उन्हें पैसे देता और मेरी बहन की शादी हो जाती लेकिन अभी मेरा कॉलेज चल रहा है और जैसे ही मेरा कॉलेज पूरा हो जाएगा उसके बाद मैं किसी कंपनी में नौकरी कर लूंगा।
कॉलेज में ही मेरी एक गर्लफ्रेंड है जिसका नाम वंदना है, उसके और मेरे रिलेशन को दो वर्ष हो चुके हैं। वह हमारे क्लास में ही पड़ती है और वह मुझे बहुत सपोर्ट करती है। उसे जब मेरी स्थिति के बारे में पता चला तो उसके बाद से उसका लगाओ मुझसे कुछ ज्यादा ही हो गया और मुझे जब भी कोई समस्या होती है या जब मैं अपने आपको अकेला महसूस करता हूं तो उस वक्त वंदना मेरे साथ ही रहती है या मैं उसे फोन कर दिया करता हूं। एक बार मेरे माता-पिता दिल्ली आये और उस वक्त मैं अपने कॉलेज गया हुआ था। जब मैं कॉलेज से लौटा तो मैं अपने माता-पिता को देखा, मैं उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ। मैंने उनसे पूछा कि आज आप इतने समय बाद शहर कैसे आ गए, वह कहने लगे कि हमें तुमसे मिलने का बहुत मन हो रहा था इसलिए हम लोग शहर आ गए।
मुझे भी मेरे चाचा ने नहीं बताया कि तुम्हारे माता पिता आ रहे हैं लेकिन जब मैं उनसे मिला तो मैं बहुत खुश हुआ। मैंने उस दिन अपने माता-पिता से बहुत बात की और उनसे अपनी बहन के बारे में भी पूछा, वह मुझसे कहने लगे कि उसकी शादी की उम्र हो चुकी है लेकिन अभी तक हमने उसके लिए कोई लड़का नहीं देखा और कुछ समय बाद ही हम लोग उसके लिए रिश्ता देखना शुरू कर देंगे। मेरे चाचा कहने लगे यदि आपको कोई अच्छा लड़का मिलता है तो वह आप देख लीजिए, जितना भी शादी का खर्चा होगा वह सब मैं उठा लूंगा लेकिन मेरे पिताजी अब उनसे और मदद नहीं लेना चाहते थे इसीलिए उन्होंने उन्हें साफ मना कर दिया उन्होंने कहा कि पहले ही तुमने हम पर इतने एहसान किए हैं, गोपाल को भी तुम अपने साथ बचपन में ही शहर ले आये और उसके बाद उसका पढ़ाई का खर्चा भी तुम उठा रहे हो
अब हम लोग तुमसे और एहसान नहीं लेना चाहते। यह सब हमें तुम्हारे लिए करना चाहिए था परंतु तुम ही हमारे लिए इतना कुछ कर रहे हो। मेरी चाची कहने लगी कि यह तो इनका फर्ज बनता है यदि यह आपके लिए कुछ नहीं करेंगे तो और करेगा। मेरी चाची भी बहुत अच्छी हैं और मैं उनके साथ बचपन से ही रह रहा हूं, उन्होंने मुझे कभी भी मेरी मां की कमी महसूस नहीं होने दी हालांकि वह खुले विचारों की हैं परंतु उसके बावजूद भी उनके अंदर अभी भी बहुत संस्कार हैं। मेरे माता-पिता कुछ दिनों तक दिल्ली में ही रहने वाले थे इसलिए मैं उस दौरान अपने कॉलेज नहीं गया और वंदना का फोन मुझे आया और वह कहने लगी कि तुम आजकल कॉलेज क्यों नहीं आ रहे हो, मैंने उसे कहा कि मेरे माता-पिता गांव से आए हैं हैं इसलिए मैं उनके साथ ही हूं जब वह लोग चले जाएंगे उसके बाद ही मैं कॉलेज जाऊंगा। वह मेरी बातों को समझ गयी और कहने लगी कि तुम अपने माता पिता के साथ समय व्यतीत करो क्योंकि तुम उनसे काफी समय बाद मिल रहे हो। वंदना मेरी हर भावनाओं को समझती है और उसे मेरी हर एक बात अच्छी लगती है क्योंकि मैं भी उसे हमेशा ही समझाता रहता हूं और जिस प्रकार से वंदना का मेरे लिए प्रेम है वह मुझे बहुत अच्छा लगता है।
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जब मैं उन्हें स्टेशन छोड़ने गया तो मुझे बहुत बुरा लग रहा था, मेरी आंखों में आंसू थे, इतने समय बाद मैं अपने माता पिता के साथ बहुत अच्छे से रहा था लेकिन जब वह लोग चले गए तो उस दिन मैं घर पर ही था और उस दिन मैं अपने बारे में सोच रहा था कि मैं जल्दी से अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर लू और उसके बाद किसी अच्छी जगह पर मैं नौकरी लग जाऊं तो मुझे बहुत खुशी होगी। मुझे उस दिन बहुत अकेलापन महसूस हो रहा था इसलिए मैंने वंदना को फोन कर दिया और जब मैंने वंदना को फोन किया तो उससे उस दिन मैंने काफी देर तक बात की।
उससे बात कर के मुझे बहुत अच्छा महसूस होता था इसलिए मैं उसी से ज्यादा बात करता था। वह मुझे कहने लगी कि तुम चिंता मत करो तुम्हारे साथ सब अच्छा होगा, जब तुम्हारा कॉलेज पूरा हो जाएगा तो तुम्हारी अच्छी नौकरी लग जाएगी। मुझे पता था कि वह हमेशा ही मेरे साथ है इसलिए मुझे किसी भी प्रकार की चिंता नहीं होती थी। मैं उस दिन घर पर ही था, मेरी चाची मुझे कहने लगी कि तुम शाम को मेरे साथ बाजार चलना, वहां से कुछ सामान लेकर आना है।
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मैंने उनकी बडी बडी गांड को चाटना शुरू कर दिया और जब मैंने उनकी गांड पर हाथ लगाया तो मुझे बहुत अच्छा लगा। मैने काफी देर तक उनकी योनि को चाटा लेकिन उनकी योनि से चिपचिपा पदार्थ बाहर आने लगा। मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था मैंने जैसे ही अपने लंड उनकी योनि डाला तो उनकी पूरी गर्मी बाहर आ गई और मुझे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा। मैं उन्हें बड़ी तेज गति से झटके दिए जा रहा था मेरे अंदर की उत्तेजना भी जाग रही थी मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। जब मेरा लंड उनकी चूतड़ों से टकरा रहा था
वह मेरा पूरा साथ दे रही थी और अपनी चूतड़ों को मुझसे मिला रही थी। उनकी चूतडे इतनी मोटी थी उनकी चूतडे जब मेरे लंड से टकराती तो उनसे गर्मी निकल जाती। मैं उनकी चूत को बर्दाश्त नहीं कर पाया जैसे ही मेरा वीर्य गिरने वाला था तो मैंने अपने लंड को बाहर निकलते हुए उनकी गांड पर गिरा दिया उन्होंने सारे माल को अपनी गांड पर लगा दिया। उसके बाद से मेरा जब भी मन होता है तो मैं अपनी चाची को अच्छे से चोदता हूं और वह भी मुझसे बहुत खुश रहती हैं।
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