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चुदाई का बहुत बड़ा अड्डा है हमारा समाज - Chudai ka adda hai hamara samaaj
चुदाई का बहुत बड़ा अड्डा है हमारा समाज - Chudai ka adda hai hamara samaaj , यहाँ बेटी बाप से बहु ससुर से माँ बेटे से चुदवा लेती है , यहाँ चुदने चोदने चुदवाने पर पाबंदी नहीं है , चुदवाने और चुदने के खेल , चूत गांड बुर चुदवाने और लंड चुसवाने की हिंदी सेक्स पोर्न कहानी.
उन दिनों मैं 21 साल की हो गयी थी। मेरा पूरा बदन जवानी से लबालब भरा हुआ था। मेरे चेहरे पर निखार आ गया था, मेरी चूँचियाँ बड़ी बड़ी हो गईं थीं, मेरी बाहें सेक्सी और खूबसूरत दिखने लगीं थीं, मेरे चूतड़ भी उभर आये थे और मेरी गांड तो बहुत ही सेक्सी दिखती थी। मेरी जांघें मोटी मोटी हो गयीं थीं और मेरी चूत का तो कहना ही क्या ? वह एकदम जवानी से सराबोर हो चुकी थी। उसके चारों तरफ घनी घनी काली काली झांटें उग आईं थीं। मैं उन्हें ट्रिम करती रहती थी।
उन दिनों मैं 21 साल की हो गयी थी। मेरा पूरा बदन जवानी से लबालब भरा हुआ था। मेरे चेहरे पर निखार आ गया था, मेरी चूँचियाँ बड़ी बड़ी हो गईं थीं, मेरी बाहें सेक्सी और खूबसूरत दिखने लगीं थीं, मेरे चूतड़ भी उभर आये थे और मेरी गांड तो बहुत ही सेक्सी दिखती थी। मेरी जांघें मोटी मोटी हो गयीं थीं और मेरी चूत का तो कहना ही क्या ? वह एकदम जवानी से सराबोर हो चुकी थी। उसके चारों तरफ घनी घनी काली काली झांटें उग आईं थीं। मैं उन्हें ट्रिम करती रहती थी।
मैं मुस्लिम समाज में हूँ तो मैंने कई लोगों से सुना है लड़की जब जवान हो जाती है तो उसे सबके लण्ड पकड़ने का हक़ मिल जाता है। चाहे वह लण्ड भाई जान का ही क्यों न हो ? चाहे वह लण्ड अब्बू जान का ही क्यों न हो ? मेरी कई सहेलियां अपने अब्बू का लण्ड पकड़तीं हैं, उसके लण्ड पर बैठतीं हैं और मजे से चुदवातीं भी हैं। इतना ही नहीं मेरी खाला जान की बेटी अपने अब्बू से चुदवाती है और फूफी जान की बेटी भी अपने अब्बू का लण्ड पीती है और फिर अपनी बुर में पेलती भी है। इसलिए मैं अब अपने अब्बू का लण्ड पकड़ने के लिए एकदम तैयार बैठी थी। बस मुझे एक मौके की तलाश थी।.
मेरा नाम है निगार। मेरी अम्मी जान हैं बसीम बेगम और मेरे अब्बू जान का नाम है कमाल अहमद। मेरे भाई जान का नाम ज़हीर और मेरी भाभी का नाम हैं नशीद बेगम.
इस चढ़ती जवानी की उम्र में मैं रात को उठ उठ कर सबकी चुदाई देखने लगी। सबकी नंगी बुर ,नंगी चूँचियाँ और नंगी गांड देखने लगी। सबसे ज्यादा मजेदार बात यह थी की मैं आँखें फाड़ फाड़ कर सबके लण्ड देखने लगी । सबके लण्ड का दीदार करने लगी। मैं जब कोई लण्ड देखती तो मेरी चूत में भयानक आग लग जाती थी। मन करता था की मैं अभी अंदर घुस जाऊं और सबके लण्ड अपने मुंह में भर लूं और सारे लण्ड अपनी चूत में घुसेड़ लूं।
एक दिन मैं अपनी फूफी जान के घर गई थी। रात में वहीं रुक गई। मैं रात में उठ गई यह देखने के लिए की यहाँ क्या चुदाई होती है और अगर होती है तो किस तरह की होती है ? मैंने झाँक कर देखा की फूफी जान का बेटा अपनी बहन की बुर ले रहा है। मैं बड़ी देर तक उसका लण्ड देखती रही। मेरे बदन की आग बढ़ने लगी। लण्ड साला बड़ा मोटा तगड़ा था तो मैं ललचा गई. थोड़ी देर में फूफी जान कमरे में आ गईं। वह बोली बेटा पूरा लण्ड पेल के चोदो अपनी बहन की बुर । मैं समझ गयी की फूफी जान भी इस चुदाई में शामिल हैं। फिर फूफा भी आ गया। वह भी भोसड़ी का नंगा था। उसका लण्ड खड़ा था। मैंने लण्ड देखा तो मेरे मुंह से लार टपकने लगी। लण्ड साला बड़ा भी था और खूबसूरत भी बहुत था। झांटें एकदम साफ़ थीं तो लण्ड और मस्त लग रहा था। तब तक उसकी बेटी ने फूफा का लण्ड पकड़ लिया और उसे मुंह में लेकर चूसने लगी।
इधर फूफा का बेटा फूफी के ऊपर ही चढ़ बैठा और अपना लण्ड फूफी की बुर में पेल दिया। वह मादर चोद अपनी माँ का भोसड़ा चोदने लगा। मैं पहली बार किसी बेटे को अपनी माँ चोदते हुए देख रही थी। उधर फूफा ने भी अपनी बेटी की बुर में लण्ड पेल दिया। वह भी बुर चोदी अपने बाप से ही चुदवाने लगी। यहां भी मैं पहली बार किसी बाप को अपनी ही बेटी चोदते हुए देख रही थी। यह नज़ारा देख कर मैं भी अंदर से बहन चोद बहुत बेशरम हो गयी। मेरा मन हुआ की मैं भी इस चुदाई में शामिल हो जाऊं ? तब तक फूफी जान बोली अरे बेटा देखो निगार कहाँ है बुर चोदी ? उसे भी बुला लो न। उसकी भी बुर चोदो। अब तो वह जवान हो गयी है। उसको मेरे सामने नंगी करो और पेल दो अपना लण्ड उसकी चूत में ? फूफी जान का बेटा मुझे बुलाने के लिए मेरे कमरे की तरफ चल पड़ा तो मैं फ़ौरन कूद कर पलंग पर लेट गयी, उसने मुझे जगाया तो मैंने उसे नंगा देखा. उसका खड़ा लण्ड देखा तो मेरी चूत चुचुहा गई.
मैंने कहा हाय अल्ला ये तेरा लण्ड इतना मोटा ? वह बोला हां निगार चलो तुम्हे मेरी अम्मी बुला रहीं हैं। मैं फूफी के पास पहुँच गयी। वह बोली बेटी निगार मेरे घर में कोई जवान लड़की रात में कपड़े नहीं पहनती। सब नंगी नंगी ही रहतीं हैं ताकि कोई भी अपना लण्ड उसमे घुसा सके। तुम भी नंगी हो जाओ अपने अपने भाई जान का लण्ड पकड़ कर चूसो और फिर उसे अपनी चूत में पेलो। अब तुम औरत बन चुकी हो। लण्ड खाने वाली हो चुकी हो। बुर चुदाने वाली हो चुकी हो। फिर क्या मैं नंगी नंगी भाई जान का लण्ड चाटने लगी। मुझे मज़ा आने लगा। उधर फूफा भोसड़ी का झुक कर मेरी बुर चाटने लगा। फूफा का लण्ड उसकी बेटी चाटने लगी और फूफी दोनों लण्ड के पेल्हड़ सहलाने लगी। वह बोली बेटी निगार हम सब लोग रात में मिल जुल कर चोदा चोदी करतीं हैं ताकि सबको सब तरह का मज़ा मिले। उस दिन मैंने फूफी के बेटे से चुदवाया और फूफा से भी चुदवाया। एक बार नहीं ३ - ३ बार चुदवाया।
एक दिन मेरी अम्मी मुझसे बोली - बेटी निगार, तू अपनी फूफी के घर होकर आ गयी। कैसा लगा तुझे वहां ?
मैंने कहा - हां अम्मी जान आ गयी मैं। वहां मुझे बहुत अच्छा लगा ?
वह बोली - अच्छा यह बताओ की तुझे किसका लण्ड ज्यादा पसंद आया ? फूफा का लण्ड की उसके बेटे का लण्ड ? मैं थोड़ा झिझकी और कुछ देर तक बोली नहीं।
तब अम्मी बोली - अरी निगार मुझे सब मालूम हो गया है। तेरी फूफी जान ने मुझे सब बता दिया है। कुछ छिपाने की कोई जरुरत नहीं है। अब तू पूरी तरह जवान है। शर्माने की कोई जरुरत नहीं है बेटी निगार ? तेरी बुर चोदी माँ का भोसड़ा ? तेरी माँ की नन्द की चूत ? तू वहां से झमाझम चुदवाकर आयी है और यहाँ मुझे बताने में शरमा रही है। एक बात सुन ले तू निगार। जैसी चुदाई तू अपने फूफी जान के घर में देख कर आई है वैसी चुदाई हमारे समाज के हर घर में होती है बेटी। हमारे घर में भी होती है और हमारे पूरे कुनबे में होती है।
आज तूने दोनों बाप बेटे से चुदवा लिया तो मैं बहुत खुश हूँ। मैं तो तेरे फूफा से कई बार चुदवा चुकी हूँ। हां उसके बेटे का लण्ड मैंने अभी तक देखा नहीं है। इसलिए तुमसे पूंछ रही हूँ।
आज तूने दोनों बाप बेटे से चुदवा लिया तो मैं बहुत खुश हूँ। मैं तो तेरे फूफा से कई बार चुदवा चुकी हूँ। हां उसके बेटे का लण्ड मैंने अभी तक देखा नहीं है। इसलिए तुमसे पूंछ रही हूँ।
मैंने कहा - लण्ड तो दोनों ही मुझे पसंद है अम्मी जान। हां भाई जान का लण्ड थोड़ा सख्त ज्यादा है।
अम्मी बोली - किसी दिन उसका लण्ड अपनी अम्मी के भोसड़ा में पेलना बेटी निगार।
मैंने भी बड़ी बेशर्मी से कहा - हां जरूर पेलूँगी और फिर चोदूँगी तेरा बेटी चोद भोसड़ा, अम्मी जान।
वह मुस्कराती हुई चली गयी.
एक दिन रात में मैंने अब्बू जान को भाभी जान की बुर चोदते हुए देखा तो मैं बिना हिचक के अंदर घुस गई। मैंने देखा की मेरी नशीद भाभी जान भी बड़ी मस्त होकर चुदवा रही है। उसे तो अपने ससुर से चुदवाते हुए कोई मलाल नहीं है। तब मैं भी बड़ी बेशर्मी से बोली - हाय अल्ला, अब्बू जान तू भोसड़ी का अपनी ही बहू की बुर चोद रहा है ?
अब्बू के बोलने के पहले ही भाभी जान बोल पड़ी - हाय मेरी नन्द रानी क्या तेरे अब्बू की बहू की बुर में आग नहीं है ? क्या वह जवान नहीं है। क्या उसे बड़े बड़े लण्ड नहीं चाहिए। तेरी चूत में आग हो तो ले तू पेल डले अपने अब्बू का लण्ड अपनी चूत में ?
मैंने कहा - अरे भाभी जान तुझे क्या मालूम की मेरी चूत में कितनी आग है ? मैं तो अपने अब्बू का लण्ड क्या तेरे अब्बू का भी लण्ड पेल लूंगी अपनी चूत में ?
तब तक मेरी अम्मी जान पीछे से बोली - ले बेटी निगार, पेल ले अपनी भाभी के अब्बू नावेद का लण्ड और दिखा दे अपनी भाभी जान को अपनी चूत की आग ?
मैंने जब पीछे मुड़ी तो देखा की अम्मी जान एकदम नंगी नंगी भाभी जान के अब्बू का खड़ा लण्ड मुझे दिखा ती हुई बोल रहीं हैं। उसका लण्ड अब्बू के लण्ड से कुछ ज्यादा ही बड़ा था। अम्मी ने लण्ड मुझे पकड़ा दिया और वह मेरे कपड़े उतारने लगी। फिर मैं भी मादर चोद एकदम नंगी हो गयी। मैं लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी और अम्मी उसके पेल्हड़। मेरी चूत बुरी तरह गीली हो चुकी थी। , लण्ड के आने जाजे का रास्ता एकदम चिकना हो चुका था। तभी अम्मी जान ने लण्ड पकड़ कर मेरी चूत में पेल दिया। मैं भी मजे से भाभी के अब्बू से चुदवाने लगी। मैं भी उसी तरह चुदवाने लगी जैसे मेरे अब्बू से चुदवा रही थी। अम्मी जान बीच में बैठी बैठी दोनों लण्ड के पेल्हड़ सहला रहीं थीं। वह भी मौज़ में थी। वह कभी मेरी बुर के लण्ड निकाल कर चाट लेती कभी अपनी बहू की बुर के लण्ड निकाल कर चाट लेती। उसे भी उतना ही मज़ा आ रहा था जितना की हम दोनों को। मैं चुदाई के साथ साथ बड़ी बेशरम भी हो चुकी थी।
मैंने कहा - भोसड़ी के अब्बू जान ले देख ? ये है तेरी बेटी की बुर और वह है तेरी बहू की चूत ? तेरी बहू की चूत भी चुद रही है और तेरी बेटी की बुर भी।
मैं भी गांड से धक्के पे धक्के मारे जा रही थी। भाभी का अब्बू भी साला मुझे पागलों की तरह चोदे जा रहा था। मेरा अब्बू भी मार चोद अपनी बहू को अपनी बीवी समझ कर धकाधक चोदे जा रहा था। हम दोनों की चुदाई की आवाज़ सबको बड़ी अच्छी लग रही थी। मैं और मस्त होती जा रही थी।
मैंने कहा - अम्मी जान, ये है तेरी बहू की नन्द की बुर ?
उधर से भाभी जान बोली - नन्द रानी, ये है तेरी माँ की बहू की चूत ?
मैंने इतने में नावेद का लण्ड अपनी चूत से निकाल कर अपनी अम्मी के भोसड़ा में पेल दिया। नावेद भकाभक मेरी माँ का भोसड़ा चोदने लगा।
तब अम्मी जान बोली - बेटी ये है तेरी भाभी की सास का भोसड़ा ?
फिर वह अपनी बहू की तरफ मुंह करके बोली - देख बहू ये है तेरी नन्द की माँ की चूत ?
इतने में अब्बू ने लण्ड भाभी की बुर से निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया। मैं अब्बू का लण्ड मस्ती से चाटने चूसने लगी। मुझे सच में बड़ा मज़ा आने लगा। मैंने सुना था की आजकल की लड़कियां अपने अब्बू का लण्ड पीती हैं। आज मैं खुद अपने अब्बू का लण्ड पी रही हूँ। अब्बू ने फिर लण्ड मेरी चूत में पेल दिया। लण्ड जैसे ही अंदर घुसा वैसे ही मेरे मुंह से निकला उई माँ मर गयी मैं। फट गयी मेरी बुर। बाप रे बड़ा मोटा है लण्ड। वाओ मज़ा भी बहुत आ रहा है और दर्द भी बहन चोद हो रहा है। थोड़ी देर में मज़ा ही मज़ा आने लगा और दर्द गया अपनी माँ चुदाने। मैं सारी दुनियां भूल कर अपने अब्बू से धकापेल चुदवाने लगी।
मैंने कहा - अब्बू जान फाड़ डालो मेरी बुर। खूब कस कस के चोदो मेरी बुर। खूब पटक पटक के चोदो मुझे।
बड़ी बेरहमी से चोदो मुझे। मैं इस समय रंडी हूँ बहन चोद ? छिनार हूँ मैं भोसड़ी वाली ? चुदक्कड़ हूँ मैं बुर
चोदी। मेरे मन में जो भी आ रहा था वह सब मैं बके जा रही थी। क्योंकि चुदाई में मुझे ज़न्नत का मज़ा मिल रहा था। मुझे लण्ड के अलावा दुनिया की कोई और चीज अच्छी नहीं लग रही थी। मैं नीचे थी और अब्बू मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोद रहा था। उधर भाभी का अब्बू मेरी अम्मी चोद रहा था। मेरी भाभी जान बीच में बैठ कर दोनों लण्ड हम दोनों की चूत में घुसेड़ रही थीं। क्योंकि चिकनाहट की ाज़ह से लण्ड बार बार चूत के बाहर फिलहाल जाता था। कुछ देर के बाद अब्बू चित लेट गया तो मैं उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गयी। लण्ड मेरी चूत में घुस गया और मैं अपने चूतड़ उठा उठा के उसके लण्ड पर पटकने लगी। मैं उसका लौड़ा ही चोदने लगी। इसे वह बहुत खुश हुआ और अम्मी भी मुझे देख कर बड़ी मस्त हो गयीं। वह भी भाभी के अब्बू का लण्ड चोदने लगीं। मैंने कहा देख अब्बू जान आज मैं तेरे लण्ड पे बैठी हूँ। मैं जानती हूँ की जाने कितनी लड़कियां तेरे लण्ड पर बैठ चुकी हैं। कल ही मेरी सहेली बरखा कह रही थी की यार मैं तेरे अब्बू के लण्ड पर उस दिन बैठी थी तो बड़ा मज़ा आया था। मैं उसे लण्ड पर औइर बैठना चाहती हूँ। मेरी खाला जान की बेटी की बुर तुम चोदते हो। खाला का भोसड़ा भी चोदते हो। खाला की देवरानी और जेठानी भी तुमसे चुदवाती हैं। तेरे लण्ड की कहानी मुझे सब मालूम हो गयी है। आज मैं तेरा लण्ड भून डालूंगी अब्बू जान अपनी चूत में घुसेड़ कर।
तब तक अम्मी जान ने भाभी के अब्बू का लण्ड भाभी की बुर में ही घुसेड़ दिया। अब मेरे सामने मेरी भाभी भी अपने अब्बू से चुदवाने लगीं। बहू भी चोदो, बेटी भी चोदो, बहू की सास भी चोदो, बेटी की माँ भो चोदो, बेटी की सास चोदो और बहू की माँ चोदो। ऐसा होता है हमारे समाज में। चुदाई का बहुत बड़ा अड्डा है हमारा समाज। चुदाई का ऐसा मज़ा आपको कहीं और नहीं मिलेगा।
०=०=०=०=०=०= समाप्त
एक दिन रात में मैंने अब्बू जान को भाभी जान की बुर चोदते हुए देखा तो मैं बिना हिचक के अंदर घुस गई। मैंने देखा की मेरी नशीद भाभी जान भी बड़ी मस्त होकर चुदवा रही है। उसे तो अपने ससुर से चुदवाते हुए कोई मलाल नहीं है। तब मैं भी बड़ी बेशर्मी से बोली - हाय अल्ला, अब्बू जान तू भोसड़ी का अपनी ही बहू की बुर चोद रहा है ?
अब्बू के बोलने के पहले ही भाभी जान बोल पड़ी - हाय मेरी नन्द रानी क्या तेरे अब्बू की बहू की बुर में आग नहीं है ? क्या वह जवान नहीं है। क्या उसे बड़े बड़े लण्ड नहीं चाहिए। तेरी चूत में आग हो तो ले तू पेल डले अपने अब्बू का लण्ड अपनी चूत में ?
मैंने कहा - अरे भाभी जान तुझे क्या मालूम की मेरी चूत में कितनी आग है ? मैं तो अपने अब्बू का लण्ड क्या तेरे अब्बू का भी लण्ड पेल लूंगी अपनी चूत में ?
तब तक मेरी अम्मी जान पीछे से बोली - ले बेटी निगार, पेल ले अपनी भाभी के अब्बू नावेद का लण्ड और दिखा दे अपनी भाभी जान को अपनी चूत की आग ?
मैंने जब पीछे मुड़ी तो देखा की अम्मी जान एकदम नंगी नंगी भाभी जान के अब्बू का खड़ा लण्ड मुझे दिखा ती हुई बोल रहीं हैं। उसका लण्ड अब्बू के लण्ड से कुछ ज्यादा ही बड़ा था। अम्मी ने लण्ड मुझे पकड़ा दिया और वह मेरे कपड़े उतारने लगी। फिर मैं भी मादर चोद एकदम नंगी हो गयी। मैं लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी और अम्मी उसके पेल्हड़। मेरी चूत बुरी तरह गीली हो चुकी थी। , लण्ड के आने जाजे का रास्ता एकदम चिकना हो चुका था। तभी अम्मी जान ने लण्ड पकड़ कर मेरी चूत में पेल दिया। मैं भी मजे से भाभी के अब्बू से चुदवाने लगी। मैं भी उसी तरह चुदवाने लगी जैसे मेरे अब्बू से चुदवा रही थी। अम्मी जान बीच में बैठी बैठी दोनों लण्ड के पेल्हड़ सहला रहीं थीं। वह भी मौज़ में थी। वह कभी मेरी बुर के लण्ड निकाल कर चाट लेती कभी अपनी बहू की बुर के लण्ड निकाल कर चाट लेती। उसे भी उतना ही मज़ा आ रहा था जितना की हम दोनों को। मैं चुदाई के साथ साथ बड़ी बेशरम भी हो चुकी थी।
मैंने कहा - भोसड़ी के अब्बू जान ले देख ? ये है तेरी बेटी की बुर और वह है तेरी बहू की चूत ? तेरी बहू की चूत भी चुद रही है और तेरी बेटी की बुर भी।
मैं भी गांड से धक्के पे धक्के मारे जा रही थी। भाभी का अब्बू भी साला मुझे पागलों की तरह चोदे जा रहा था। मेरा अब्बू भी मार चोद अपनी बहू को अपनी बीवी समझ कर धकाधक चोदे जा रहा था। हम दोनों की चुदाई की आवाज़ सबको बड़ी अच्छी लग रही थी। मैं और मस्त होती जा रही थी।
मैंने कहा - अम्मी जान, ये है तेरी बहू की नन्द की बुर ?
उधर से भाभी जान बोली - नन्द रानी, ये है तेरी माँ की बहू की चूत ?
मैंने इतने में नावेद का लण्ड अपनी चूत से निकाल कर अपनी अम्मी के भोसड़ा में पेल दिया। नावेद भकाभक मेरी माँ का भोसड़ा चोदने लगा।
तब अम्मी जान बोली - बेटी ये है तेरी भाभी की सास का भोसड़ा ?
फिर वह अपनी बहू की तरफ मुंह करके बोली - देख बहू ये है तेरी नन्द की माँ की चूत ?
इतने में अब्बू ने लण्ड भाभी की बुर से निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया। मैं अब्बू का लण्ड मस्ती से चाटने चूसने लगी। मुझे सच में बड़ा मज़ा आने लगा। मैंने सुना था की आजकल की लड़कियां अपने अब्बू का लण्ड पीती हैं। आज मैं खुद अपने अब्बू का लण्ड पी रही हूँ। अब्बू ने फिर लण्ड मेरी चूत में पेल दिया। लण्ड जैसे ही अंदर घुसा वैसे ही मेरे मुंह से निकला उई माँ मर गयी मैं। फट गयी मेरी बुर। बाप रे बड़ा मोटा है लण्ड। वाओ मज़ा भी बहुत आ रहा है और दर्द भी बहन चोद हो रहा है। थोड़ी देर में मज़ा ही मज़ा आने लगा और दर्द गया अपनी माँ चुदाने। मैं सारी दुनियां भूल कर अपने अब्बू से धकापेल चुदवाने लगी।
मैंने कहा - अब्बू जान फाड़ डालो मेरी बुर। खूब कस कस के चोदो मेरी बुर। खूब पटक पटक के चोदो मुझे।
तब तक अम्मी जान ने भाभी के अब्बू का लण्ड भाभी की बुर में ही घुसेड़ दिया। अब मेरे सामने मेरी भाभी भी अपने अब्बू से चुदवाने लगीं। बहू भी चोदो, बेटी भी चोदो, बहू की सास भी चोदो, बेटी की माँ भो चोदो, बेटी की सास चोदो और बहू की माँ चोदो। ऐसा होता है हमारे समाज में। चुदाई का बहुत बड़ा अड्डा है हमारा समाज। चुदाई का ऐसा मज़ा आपको कहीं और नहीं मिलेगा।
०=०=०=०=०=०= समाप्त
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