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बाप बदल कर चुदाई करने वाली चुदास लड़कियां - Baap ki adla badli me chudwayi
रिदा और निदा दो पक्की सहेलियां थीं। दोनों एक ही मोहल्ले में रहतीं थीं। इनकी एक और कॉलेज की सहेलियां थीं यास्मीन । तीनो लड़कियां खूब मज़ा करती थीं साथ साथ घूमती फिरतीं थीं और घंटों बातें किया करतीं थीं। बातो में अधिक तर बातें चुदाई की होतीं थीं। लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा, गांड और झांट की होतीं थीं। आपस में प्यार से एक दूसरे को गालियां भी खूब देतीं थीं और खूब एन्जॉय करतीं थीं। तीनों ही लगभग 21 /22 साल की उमर की थीं और मस्त जवान लड़कियां थीं। मजे की बात यह थी की तीनों लड़कियां कॉलेज के लड़कों के लण्ड पकड़ती थीं। कुछ टीचरों के भी लण्ड पकड़तीं थीं और उनसे चुदवाती भी थीं। लण्ड मुंह में लेतीं थीं और अक्सर मुठ्ठ मार कर लण्ड पीती थीं। इसके अलावा वे सब अपने अपने घरों और कुनबों में भी लोगों के लण्ड पकड़तीं थीं, लण्ड चाटती, चूमती और चूसतीं थीं और मस्ती से चुदवाती भी थीं। फिर कॉलेज आकर एक दूसरे को अपनी अपनी चुदाई के किस्से सुनाया करतीं थीं। अच्छी बात यह थी की इनमे से कोई भी झूंठ नहीं बोलती थी। सच्चे किस्से सुनाया करतीं थीं। गप्पे नहीं हाँकतीं थीं।
वैसे इनके यहाँ बुर्का पहनने का रिवाज़ है लेकिन इनमे से कोई भी बुर्का नहीं पहनती थी। हां हां यह जरूर था कभी किसी खास मौकों पर ही ये लोग बुर्का पहनतीं थीं। वह खास मौक़ा जानते हो क्या होता था ? जब इनको चुपके चुपके किसी लड़के का लण्ड चूसना होता था तो वे लड़कों को बुर्का पहनाकर उन्हें बाथ रूम ले जातीं थी और वहां से सड़का मार लण्ड पीकर ही वापस आतीं थीं। लड़कों को घर बुलाने में भी बुर्का का इस्तेमाल करतीं थीं। कभी कभी अपनी बुर चटवाने और चूँचियाँ मसलवाने में भी बुर्का इस्तेमाल करतीं थीं। क्योंकि बुर्का के नीचे ये लड़कियां बिलकुल नंगी रहती थीं।
एक दिन यास्मीन ने अपना सच्चा किस्सा बताया।
वह बोली :- देखो यार मेरे घर में मेरा अब्बू है मेरी अम्मी जान हैं, एक बड़ा भाई है उसकी शादी हो चुकी है तो घर में भाभी जान भी हैं। मेरा एक ओटा भाई भी है पर वह अभी 16 का है। हम सब लोग रात में नीचे फर्श पर ही सोते हैं। और एक साथ सोते हैं। हां जो मेरा छोटा भाई है वह अलग बच्चों वाले कमरे में ही सोता है। सबके साथ उसे सोने का मौक़ा तब मिलेगा जब वह 18 साल का हो जायेगा। शुरू शुरू में एक दिन मैं रात में उठी तो देखा अब्बू भाभी जान के साथ लिपटा हुआ है। अम्मी उस दिन थीं नहीं और भाई जान भी कहीं बाहर गया था। अब्बू भाभी की चूँच्यं धीरे धीरे मसल रहा था। मैं चुपचाप लेटी हुई देख रही थी लेकिन ऐसा नाटक कर रही थी की जैसे मैं खूब गहरी नींद सो रही हूँ। मैं धीरे से अपनी कनखियों से सब देख रही थी की क्या हो रहा है। जब मैंने भाभी जान को बिलकुल नंगी देखा तो मेरी भी चूत की आग भड़क उठी। अब्बू उसकी चूत सहलाने लगा और भाभी उसका लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। मेरी निगाह जब अब्बू के टन टनाते हुए लण्ड पर पड़ी तो मैं जैसे होश खो बैठी। इतना बड़ा और मोटा लण्ड तो मैंने कभी ख़्वाब में भी नहीं सोंचा था।
लण्ड देख कर मैं बुरी तरह ललचा गयी और मेरी चूत भी गीली हो गई। मेरा मन हुआ की मैं अभी ये नाटक वटक छोड़ दूँ और सीधे अब्बू जान का लण्ड पकड़ कर अपने मुंह में घुसेड़ लूँ। तब तक भाभी जान अब्बू का लण्ड मुंह में डाल कर ऐसे चूसने लगीं जैसे की वह अपने शौहर का लण्ड चूस रहीं हों। मैंने मन में कहा बुर चोदी भाभी भी भोसड़ी वाली बड़ी बेशरम है। अपने ही अब्बू का लौड़ा चाट रही है बहन चोद ? इसे बिलकुल भी शर्म नहीं आ रही है ? इसकी माँ का भोसड़ा ? मेरे मुंह में अब्बू के लिए भी गालियां भरी थीं। मादर चोद अब्बू भी हरामजादा अपनी ही बहू की बुर में लण्ड पेलने के लिए एकदम तैयार है ? मेरा अब्बू बेटी चोद बहुत बड़ा चोदू लग रहा है मुझे। थोड़ी देर में वही होने लगा जो मैं सोंच रही थी. अब्बू ने लण्ड पेल ही दिया भाभी जान की बुर में और बोला बहू तेरी बुर बड़ी मजेदार है, टाइट भी है और मलाईदार भी। मैंने मन में कहा मलाईदार और टाइट तो मेरी भी चूत है अब्बू जान तो फिर तू मेरी चूत में क्यों नहीं पेल देता लण्ड ? अम्मी जान जब आयीं तो मैंने सारा किस्सा अम्मी जान को बता दिया। वह बोली अरी पगली अगर तू इतनी दीवानी थी तो पकड़ लेती अपने अब्बू का लण्ड। इसमें कोई गुनाह थोड़ो ही है। ये सब हमारे समाज में जायज़ माना जाता है बेटी , चूत की आग बुझाने के लिए लण्ड चाहिए बेटी लण्ड और वह लण्ड अब्बू का क्या किसी का भी हो सकता है ? उस दिन तो मेरी हिम्मत गज़ब की खुल गयी।
दूसरे दिन मेरी खाला की बेटी अदा आ गयी और फूफी जान का बेटा अनस। उधर मेरा भाई जान भी आ गया। रात को फिर वही बिस्तर। अम्मी जान नहीं थीं। रात को इस बार अदा के ऊपर हाथ मारना शुरू कर दिया। अनस भाभी के ऊपर चढ़ बैठा और भाई जान ने मुझे पकड़ लिया। मैं फिर बड़ी बेशरमी से भाई जान का लण्ड चूसने लगी। फिर उसने लण्ड मेरी बुर में पेला और मैं चुदवाने लगी। अब्बू भी बड़े जोर शोर से अदा की बुर चोदने लगा। भाभी जान अनस से चुदवाने लगीं। बस कुछ देर बार मैंने अब्बू का लण्ड पकड़ लिया। वह नहीं लेकिन उसके लण्ड ने सब कुछ बोल दिया। मेरे पकड़ते ही उसका लण्ड तन कर और फनफना उठा। फिर मैंने भी खूब मस्ती से चुदवाया। अदा ने फिर भाई जान से चुदवा लिया। मुझे सच में अब्बू का लण्ड बहुत ही पसंद आया और अब मैं उसे किसी की भी चूत में पेल सकती हूँ।
निदा बोली - तो फिर पेल दो न अपने अब्बू का लण्ड मेरी चूत में यार ?
उसकी इस बात पर हम तीनो खूब खिलखिलाकर हंसने लगीं।
रिदा ने कहा - अच्छा अब मेरी कहानी सुनो। वह सुनाने लगी :-
हमारे यहाँ भी घर में फर्श पर ही लेटने का रिवाज़ है। लेकिन एक दिन जब मैं घर आई तो देखा की मेरी खाला किसी से बातें कर रहीं हैं। बातें कुछ मजेदार और मसालेदार हो रहीं थी। तो मैं भी झाँक कर देखने लगी। मैंने देखा की खाला एकदम नंगी अपनी दोनों टांगें फैलाये हुए लेटीं हैं। उसके ऊपर मेरा अब्बू चढ़ा हुआ है। वह खाला जान का भोसड़ा चोद रहा है और खाला बोल रही है जीजू आज तो तेरा लण्ड बड़ा खूंखार लग रहा है। साला अंदर तक मेरा भोसड़ा फाड़ रहा है। उसकी यह बात सुन कर मैं अंदर घुस गयी। मैं खाला जान से खुई हुई थी। मुझे न तो झिझक आयी और न ही शर्म। खाला जान ने मुझे देख लिया तो उसने कहा अरे रिदा इधर आ न मेरे पास। तो माँ की लौड़ी दूर से क्यों देख रही है। अब्बू को भी मालूम हो गया की मैं कमरे में आ गई हूँ पर उसने चुदाई रोकी नहीं बल्कि चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी। खाला ने फिर कहा आ न भोसड़ी की ? झिझकती क्यों हैं ? अब तो तू पूरी जवान हो गयी है। पूरी बन औरत चुकी है तू और तेरी ये बुर चोदी बुर ? अब तू अपनी बुर क्या अपनी माँ का भोसड़ा भी चुदवाने वाली हो गयी है।
खाला जान की बातें मुझे उत्तेजित कर रहीं थीं। मुझे उकसा रही थीं। मैं आगे बढ़ी। तब तक एक और आदमी बाथ रूम से निकला। वह भी मादर चोद नंगा था। उसका भी लण्ड खड़ा था। मैं लण्ड देख कर हैरान रह गयी और ललचा भी गई। मैंने मन में कहा खुदा ने जाने कितने तरह के लण्ड बना दिए हैं ? इस साले का लौड़ा तो बड़ा मोटा तगड़ा था। खाला बोली रिदा ले आरिफ अंकल का लण्ड पकड़ ले। मैंने बात मान ली और हाथ बढ़ा कर लण्ड पकड़ ही लिया। मैं लण्ड को मुठ्ठी में लेकर ऊपर नीचे करने लगी। मेरी नज़र अब्बू के लण्ड पर भी थी। मुझे दोनों लण्ड भा गये। खाला के इशारे पर अंकल ने मुझे नंगी कर दिया और मैं नंगी नंगी लण्ड चाटने और चूसने लगी। मैं बीच बीच में मैं पेल्हड़ भी चूमने चाटने लगी। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। कुछ देर बाड़खाला बोली यार आरिफ अब चोद ले मेरी बहन की बिटिया की बुर मेरे सामने ? मैं इसके सामने चुदवा रही हूँ ये मेरे सामने चुदवायेगी। मैंने सोंचा की ठीक चोद लो मुझे अंकल। आज तो मुझे अब्बू से भी चुदवाने का मौक़ा मिलेगा ही ? मैं भी मस्ती से खाला की ही तरह भकर भकर अंकल से चुदवाने लगी।
10 मिनट के बाद खाला ने अंकल का लण्ड मेरी चूत से निकाल कर खुद चाटने लगी और दूसरे हाथ से अब्बू का लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
मैंने कहा - अरे खाला जान ये क्या कर रही हो ? मैं और अब्बू से ,,,,,,,,,, ? न न बाबा न ?
वह बोली - माँ की लौड़ी, भोसड़ी वाली, मादर चोद रिदा, अपने अब्बू के सामने उसके दोस्त से चुदवा सकती है तू और अपने अब्बू से चुदवाने में तेरी गांड फट रही है ? चल जल्दी से लगा धक्का नीचे से और पेलवा ले लण्ड जैसे मैंने पेलवा लिया था। मेरा मन तो था ही मैं भी अपनी गांड उठा उठा कर जोर से धक्के लगाने लगी और चुदाई का मज़ा लेने लगी।
सबने रिदा की कहानी सुनकर बड़ा एन्जॉय किया।
यास्मीन ने कहा - यार निदा अब तू भी अपनी कहानी सुना दे।
निदा सुनाने लगी :- मैंने अपने अब्बू की कई कहानियां सुनी थीं। उसके लण्ड की भी कई कहानियां मुझे चोरी छिपे सुनने को मिल गयीं थीं। मैं इस नतीजे पर पहुंची थी की मेरा अब्बू साला बहुत बड़ा चोदू है और चूत का बहुत बड़ा गुलाम है। वह हमेशा किसी न कसी की चूत पर घात लगाए बैठा रहता है और मौक़ा पाते ही पेल देता है अपना लण्ड उसकी चूत में। उसे लड़कियां चोदने का बड़ा शौक है और नयी नयी बीवियों का हलाला करने का तो जबरदस्त शौक है। एक दिन रात में मैंने देखा की मेरी फूफी की बेटी मेरे अब्बू का लण्ड एकदम नंगी नंगी चाट रही है। उसे देख कर मेरी झांटें सुलगने लगीं। मुझे जलन होने लगी की अब्बू है मेरा और मज़ा ये बुर चोदी ले रही है मेरेअब्बू के लण्ड का ? ख़ैर मैं अपनी चूत सहलाती हुई सब देखने लगी।
एक दिन किसी की बीवी अब्बू के पास आ गयी। वह बहुत खूबसूरत थी। उसकी चूँचियाँ भी बड़ी बड़ी थीं और उसके चूतड़ भी बड़े बड़े थे। वह बोली अंकल जी मैं आपसे हलाला करवाने आयी हूँ। आज मैं रात भर आपके साथ अपनी बीवी बन कर रहूंगी और फिर तुमसे तलाक लेकर मैं अपने पहले वाले शौहर के पास चली जाऊंगी। अब्बू उसे देख कर बहुत खुश हुआ और उसकी नियत बुरी तरह ख़राब हो गयी। वह तुरंत मान गया और रात में उसके साथ अपने कमरे में लेट गया। मैं भी खिड़की से उसे रात भर देखती रही। पहले तो उसने अब्बू के एक एक करके कपड़े उतारे, उसे पूरी तरह नंगी किया और उसकी चूचियां मसलने लगा। उसकी चूत पर भी हाथ फिराने लगा। उसकी गांड पर भी हाथ फेरने लगा। फिर वह औरत अब्बू को नंगा करके उसका लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगी। मैंने उस दिन अब्बू का लण्ड पूरा का पूरा देखा तो मैं दंग रह गई। वह औरत पहले तो अब्बू का लण्ड चूसती रही और फिर चूत में पेलवा कर चुदवाने लगी।
इधर मेरी झांटें यह सब देख कर सुलगने लगीं। दूसरे दिन अब्बू ने उसे तलाक नहीं दिया बल्कि कहा की मैं २/३ तक तुम्हे और चोदूंगा तब तलाक दूंगा। उस दिन मुझे अब्बू की नियत का सच मालूम हुआ। उसने उस औरत को एक हफ्ते तक रह रोज़ चोदा तब कहीं जाकर उसने तलाक दिया। फिर मैं फूफी की बेटी से मिली।
यास्मीन बोली - यार एक बात है की हम तीनो के अब्बू के लण्ड बहुत मोटे तगड़े हैं तो फिर हम तीनो मिलकर एक साथ एक दूसरे के अब्बू से क्यों न चुदवायें ? उनके लण्ड का मज़ा क्यों न लूटें ? यानी तेरा अब्बू मुझे चोदे और मेरा अब्बू तुझे चोदे।
निदा बोली - हां यार मैं तो तैयार हूँ। मैं तो अपने अब्बू का लण्ड तुम दोनों की चूत में घुसा दूँगी।
रिदा ने कहा - तो मैं कहाँ पीछे रहने वाली हूँ। मेरा अब्बू तो तुम लोगों की बुर चोद चोद कर ढीली कर देगा।
इस चुदाई के लिए शनिवार का दिन चुना गया। उस दिन यास्मीन अपने अब्बू अनवर को लेकर आ गयी। उधर निदा अपने अब्बू अंजुम के साथ आ गई और रिदा अपने अब्बू मसूद के साथ आकर बैठ गयी। तीनो के अब्बू लड़कियां चोदने में तो अव्वल हैं हीं और उन्हें जब अपनी बेटी की सहेलियों की बुर चोदने का मौक़ा मिल रहा है तो उसे कौन बेवकूफ़ छोड़ेगा ? यही सोंच कर वे तीनो तैयार हो गए और अपनी अपनी बेटी के साथ दूसरों की बेटियां चोदने के लिए आ गए।
तीनो लोग एक दूसरे को जानते ही थे। यास्मीन सबके सामने अपने अब्बू को नंगा करने लगी। उसे देख कर रिदा और निदा भी अपने अपने अब्बू के कपड़े उतारने लगीं। देखते ही देखते तीनो अब्बू नंगे हो गए। तीनो बेटियां अपने अपने अब्बू का लण्ड हिलाने लगीं, चूमने और चाटने लगीं। तब तक तीनो बेटियां भी नंगी हो गयीं। वे सब एक दूसरे की बेटी नंगी देख कर और उत्तेजित होने लगे। बेटियां भी एक दूसरे के अब्बू का लण्ड देख देख कर गरम होने लगीं। इतने में यास्मीन ने अपने अब्बू का लण्ड निदा को पकड़ा दिया, निदा ने अपने अब्बू का लण्ड रिदा को पकड़ा दिया और रिदा ने अपने अब्बू का लण्ड यास्मीन के हाथों को सौंप दिया। तीनो बेटियां एक दूसरे के अब्बू का लण्ड पाकर बेहद खुश हो गईं। उधर अब्बू भी अपना अपना लण्ड दूसरे की बेटी के हाथ में पाकर मस्त हो गए. तीनो बेटियों लण्ड मुंह में डाल कर चूसने लगीं। थोड़ी देर तक ये तीनो बेटियां नंगी नंगी एक दूसरे के अब्बू का लण्ड पेल्हड़ थामे हुए चूसती रहीं, चाटती रहीं और चूमती रहीं। आज पहली बार इन्हे लण्ड चूसने के सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा था। यास्मीन बोली यार एक बात है अकेले में किसी का लण्ड चूसा तो क्या चूसा ? मज़ा तो तब है जब सबके सामने खुल्लम खुल्ला सबके लण्ड चूसो और नंगी नंगी लण्ड चूसो। इतने में अंजुम ने रिदा की चूत में घुसा दिया लण्ड। वह मसूद की बिटिया की बुर चोदने लगा। उधर अनवर ने निदा की चूत में लण्ड पेला और अंजुम की बिटिया चोदने लगा। और तब मसूद ने लण्ड अनवर की बेटी यास्मीन की बुर में पेल दिया और उसे धकाधक चोदने लेगा। तीनो मरद बहन चोद एक दूसरे की बेटी चोदने में जुट गए। . जितनी मस्ती से ये लोग एक दूसरे के बेटी चोद रहे थे उतनी ही मस्ती से ये बेटियां भी एक दूसरे के अब्बू से गचागच चुदवा रहीं थीं। न किसी को कोई शर्म और न का किसी भोसड़ी वाले का डर ? कुछ देर तक चोदने के बाद मसूद बोला - यार अनवर मुझे तेरी बेटी की बुर चोदने में उतना ही मज़ा आ रहा है जितना मज़ा मुझे तेरी बीवी की बुर चोदने में आता है।
अनवर ने कहा - हां यार तू बिलकुल सच कह रहा है। मुझे भी निदा की बुर चोदने में लगता है की ये बुर उसकी नहीं बल्कि उसकी माँ की बुर है। बिलकुल एक ही जैसा मज़ा है यार। आज बेटी की बुर चोद रहा हूँ कल इसकी माँ का भोसड़ा चोदा रहा था।
अंजुम ने कहा - हां यार मैं भी रिदा की माँ का भोसड़ा चोदता हूँ। आज पहली बार उसकी बेटी की बुर ले रहा हूँ।मुझे तो सच में ज़न्नत का मज़ा आ रहा है।
यास्मीन धक्का लगाती हुई बोली - तुम लोग भोसड़ी वालों बहुत बड़े हरामजादे हो। एक दूसरे की बीवी चोदते हो और आज एक दूसरे की बेटी चोद रहे हो ? कल एक दूसरे की बहू भी चोदोगे।
अनवर बोला - क्यों नहीं चोदूंगा। अपनी बहू चुदवाऊंगा तो दूसरे की बहू चोदूंगा। बहुओं की चूत भी बड़ी गरमागरम होती है।
तब उधर से निदा बोली - अच्छा हुआ, तुमने यह बात बता दी। हमारी जब शादियां हो जायेंगीं तो हम भी अपने अपने ससुर से चुदवाया करूंगी और फिर एक दूसरे के ससुर का लण्ड एक दूसरे की बुर में पेला करूंगी ।
इस तरह खूब मस्ती भरी बातें कर कर के ये तीनो बेटियां रात भर एक दूसरे से के अब्बू से झमाझम चुदवाती रहीं।
०=०=०=०=० समाप्त
वैसे इनके यहाँ बुर्का पहनने का रिवाज़ है लेकिन इनमे से कोई भी बुर्का नहीं पहनती थी। हां हां यह जरूर था कभी किसी खास मौकों पर ही ये लोग बुर्का पहनतीं थीं। वह खास मौक़ा जानते हो क्या होता था ? जब इनको चुपके चुपके किसी लड़के का लण्ड चूसना होता था तो वे लड़कों को बुर्का पहनाकर उन्हें बाथ रूम ले जातीं थी और वहां से सड़का मार लण्ड पीकर ही वापस आतीं थीं। लड़कों को घर बुलाने में भी बुर्का का इस्तेमाल करतीं थीं। कभी कभी अपनी बुर चटवाने और चूँचियाँ मसलवाने में भी बुर्का इस्तेमाल करतीं थीं। क्योंकि बुर्का के नीचे ये लड़कियां बिलकुल नंगी रहती थीं।
एक दिन यास्मीन ने अपना सच्चा किस्सा बताया।
वह बोली :- देखो यार मेरे घर में मेरा अब्बू है मेरी अम्मी जान हैं, एक बड़ा भाई है उसकी शादी हो चुकी है तो घर में भाभी जान भी हैं। मेरा एक ओटा भाई भी है पर वह अभी 16 का है। हम सब लोग रात में नीचे फर्श पर ही सोते हैं। और एक साथ सोते हैं। हां जो मेरा छोटा भाई है वह अलग बच्चों वाले कमरे में ही सोता है। सबके साथ उसे सोने का मौक़ा तब मिलेगा जब वह 18 साल का हो जायेगा। शुरू शुरू में एक दिन मैं रात में उठी तो देखा अब्बू भाभी जान के साथ लिपटा हुआ है। अम्मी उस दिन थीं नहीं और भाई जान भी कहीं बाहर गया था। अब्बू भाभी की चूँच्यं धीरे धीरे मसल रहा था। मैं चुपचाप लेटी हुई देख रही थी लेकिन ऐसा नाटक कर रही थी की जैसे मैं खूब गहरी नींद सो रही हूँ। मैं धीरे से अपनी कनखियों से सब देख रही थी की क्या हो रहा है। जब मैंने भाभी जान को बिलकुल नंगी देखा तो मेरी भी चूत की आग भड़क उठी। अब्बू उसकी चूत सहलाने लगा और भाभी उसका लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। मेरी निगाह जब अब्बू के टन टनाते हुए लण्ड पर पड़ी तो मैं जैसे होश खो बैठी। इतना बड़ा और मोटा लण्ड तो मैंने कभी ख़्वाब में भी नहीं सोंचा था।
लण्ड देख कर मैं बुरी तरह ललचा गयी और मेरी चूत भी गीली हो गई। मेरा मन हुआ की मैं अभी ये नाटक वटक छोड़ दूँ और सीधे अब्बू जान का लण्ड पकड़ कर अपने मुंह में घुसेड़ लूँ। तब तक भाभी जान अब्बू का लण्ड मुंह में डाल कर ऐसे चूसने लगीं जैसे की वह अपने शौहर का लण्ड चूस रहीं हों। मैंने मन में कहा बुर चोदी भाभी भी भोसड़ी वाली बड़ी बेशरम है। अपने ही अब्बू का लौड़ा चाट रही है बहन चोद ? इसे बिलकुल भी शर्म नहीं आ रही है ? इसकी माँ का भोसड़ा ? मेरे मुंह में अब्बू के लिए भी गालियां भरी थीं। मादर चोद अब्बू भी हरामजादा अपनी ही बहू की बुर में लण्ड पेलने के लिए एकदम तैयार है ? मेरा अब्बू बेटी चोद बहुत बड़ा चोदू लग रहा है मुझे। थोड़ी देर में वही होने लगा जो मैं सोंच रही थी. अब्बू ने लण्ड पेल ही दिया भाभी जान की बुर में और बोला बहू तेरी बुर बड़ी मजेदार है, टाइट भी है और मलाईदार भी। मैंने मन में कहा मलाईदार और टाइट तो मेरी भी चूत है अब्बू जान तो फिर तू मेरी चूत में क्यों नहीं पेल देता लण्ड ? अम्मी जान जब आयीं तो मैंने सारा किस्सा अम्मी जान को बता दिया। वह बोली अरी पगली अगर तू इतनी दीवानी थी तो पकड़ लेती अपने अब्बू का लण्ड। इसमें कोई गुनाह थोड़ो ही है। ये सब हमारे समाज में जायज़ माना जाता है बेटी , चूत की आग बुझाने के लिए लण्ड चाहिए बेटी लण्ड और वह लण्ड अब्बू का क्या किसी का भी हो सकता है ? उस दिन तो मेरी हिम्मत गज़ब की खुल गयी।
दूसरे दिन मेरी खाला की बेटी अदा आ गयी और फूफी जान का बेटा अनस। उधर मेरा भाई जान भी आ गया। रात को फिर वही बिस्तर। अम्मी जान नहीं थीं। रात को इस बार अदा के ऊपर हाथ मारना शुरू कर दिया। अनस भाभी के ऊपर चढ़ बैठा और भाई जान ने मुझे पकड़ लिया। मैं फिर बड़ी बेशरमी से भाई जान का लण्ड चूसने लगी। फिर उसने लण्ड मेरी बुर में पेला और मैं चुदवाने लगी। अब्बू भी बड़े जोर शोर से अदा की बुर चोदने लगा। भाभी जान अनस से चुदवाने लगीं। बस कुछ देर बार मैंने अब्बू का लण्ड पकड़ लिया। वह नहीं लेकिन उसके लण्ड ने सब कुछ बोल दिया। मेरे पकड़ते ही उसका लण्ड तन कर और फनफना उठा। फिर मैंने भी खूब मस्ती से चुदवाया। अदा ने फिर भाई जान से चुदवा लिया। मुझे सच में अब्बू का लण्ड बहुत ही पसंद आया और अब मैं उसे किसी की भी चूत में पेल सकती हूँ।
निदा बोली - तो फिर पेल दो न अपने अब्बू का लण्ड मेरी चूत में यार ?
उसकी इस बात पर हम तीनो खूब खिलखिलाकर हंसने लगीं।
रिदा ने कहा - अच्छा अब मेरी कहानी सुनो। वह सुनाने लगी :-
हमारे यहाँ भी घर में फर्श पर ही लेटने का रिवाज़ है। लेकिन एक दिन जब मैं घर आई तो देखा की मेरी खाला किसी से बातें कर रहीं हैं। बातें कुछ मजेदार और मसालेदार हो रहीं थी। तो मैं भी झाँक कर देखने लगी। मैंने देखा की खाला एकदम नंगी अपनी दोनों टांगें फैलाये हुए लेटीं हैं। उसके ऊपर मेरा अब्बू चढ़ा हुआ है। वह खाला जान का भोसड़ा चोद रहा है और खाला बोल रही है जीजू आज तो तेरा लण्ड बड़ा खूंखार लग रहा है। साला अंदर तक मेरा भोसड़ा फाड़ रहा है। उसकी यह बात सुन कर मैं अंदर घुस गयी। मैं खाला जान से खुई हुई थी। मुझे न तो झिझक आयी और न ही शर्म। खाला जान ने मुझे देख लिया तो उसने कहा अरे रिदा इधर आ न मेरे पास। तो माँ की लौड़ी दूर से क्यों देख रही है। अब्बू को भी मालूम हो गया की मैं कमरे में आ गई हूँ पर उसने चुदाई रोकी नहीं बल्कि चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी। खाला ने फिर कहा आ न भोसड़ी की ? झिझकती क्यों हैं ? अब तो तू पूरी जवान हो गयी है। पूरी बन औरत चुकी है तू और तेरी ये बुर चोदी बुर ? अब तू अपनी बुर क्या अपनी माँ का भोसड़ा भी चुदवाने वाली हो गयी है।
खाला जान की बातें मुझे उत्तेजित कर रहीं थीं। मुझे उकसा रही थीं। मैं आगे बढ़ी। तब तक एक और आदमी बाथ रूम से निकला। वह भी मादर चोद नंगा था। उसका भी लण्ड खड़ा था। मैं लण्ड देख कर हैरान रह गयी और ललचा भी गई। मैंने मन में कहा खुदा ने जाने कितने तरह के लण्ड बना दिए हैं ? इस साले का लौड़ा तो बड़ा मोटा तगड़ा था। खाला बोली रिदा ले आरिफ अंकल का लण्ड पकड़ ले। मैंने बात मान ली और हाथ बढ़ा कर लण्ड पकड़ ही लिया। मैं लण्ड को मुठ्ठी में लेकर ऊपर नीचे करने लगी। मेरी नज़र अब्बू के लण्ड पर भी थी। मुझे दोनों लण्ड भा गये। खाला के इशारे पर अंकल ने मुझे नंगी कर दिया और मैं नंगी नंगी लण्ड चाटने और चूसने लगी। मैं बीच बीच में मैं पेल्हड़ भी चूमने चाटने लगी। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। कुछ देर बाड़खाला बोली यार आरिफ अब चोद ले मेरी बहन की बिटिया की बुर मेरे सामने ? मैं इसके सामने चुदवा रही हूँ ये मेरे सामने चुदवायेगी। मैंने सोंचा की ठीक चोद लो मुझे अंकल। आज तो मुझे अब्बू से भी चुदवाने का मौक़ा मिलेगा ही ? मैं भी मस्ती से खाला की ही तरह भकर भकर अंकल से चुदवाने लगी।
10 मिनट के बाद खाला ने अंकल का लण्ड मेरी चूत से निकाल कर खुद चाटने लगी और दूसरे हाथ से अब्बू का लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
मैंने कहा - अरे खाला जान ये क्या कर रही हो ? मैं और अब्बू से ,,,,,,,,,, ? न न बाबा न ?
वह बोली - माँ की लौड़ी, भोसड़ी वाली, मादर चोद रिदा, अपने अब्बू के सामने उसके दोस्त से चुदवा सकती है तू और अपने अब्बू से चुदवाने में तेरी गांड फट रही है ? चल जल्दी से लगा धक्का नीचे से और पेलवा ले लण्ड जैसे मैंने पेलवा लिया था। मेरा मन तो था ही मैं भी अपनी गांड उठा उठा कर जोर से धक्के लगाने लगी और चुदाई का मज़ा लेने लगी।
सबने रिदा की कहानी सुनकर बड़ा एन्जॉय किया।
यास्मीन ने कहा - यार निदा अब तू भी अपनी कहानी सुना दे।
निदा सुनाने लगी :- मैंने अपने अब्बू की कई कहानियां सुनी थीं। उसके लण्ड की भी कई कहानियां मुझे चोरी छिपे सुनने को मिल गयीं थीं। मैं इस नतीजे पर पहुंची थी की मेरा अब्बू साला बहुत बड़ा चोदू है और चूत का बहुत बड़ा गुलाम है। वह हमेशा किसी न कसी की चूत पर घात लगाए बैठा रहता है और मौक़ा पाते ही पेल देता है अपना लण्ड उसकी चूत में। उसे लड़कियां चोदने का बड़ा शौक है और नयी नयी बीवियों का हलाला करने का तो जबरदस्त शौक है। एक दिन रात में मैंने देखा की मेरी फूफी की बेटी मेरे अब्बू का लण्ड एकदम नंगी नंगी चाट रही है। उसे देख कर मेरी झांटें सुलगने लगीं। मुझे जलन होने लगी की अब्बू है मेरा और मज़ा ये बुर चोदी ले रही है मेरेअब्बू के लण्ड का ? ख़ैर मैं अपनी चूत सहलाती हुई सब देखने लगी।
एक दिन किसी की बीवी अब्बू के पास आ गयी। वह बहुत खूबसूरत थी। उसकी चूँचियाँ भी बड़ी बड़ी थीं और उसके चूतड़ भी बड़े बड़े थे। वह बोली अंकल जी मैं आपसे हलाला करवाने आयी हूँ। आज मैं रात भर आपके साथ अपनी बीवी बन कर रहूंगी और फिर तुमसे तलाक लेकर मैं अपने पहले वाले शौहर के पास चली जाऊंगी। अब्बू उसे देख कर बहुत खुश हुआ और उसकी नियत बुरी तरह ख़राब हो गयी। वह तुरंत मान गया और रात में उसके साथ अपने कमरे में लेट गया। मैं भी खिड़की से उसे रात भर देखती रही। पहले तो उसने अब्बू के एक एक करके कपड़े उतारे, उसे पूरी तरह नंगी किया और उसकी चूचियां मसलने लगा। उसकी चूत पर भी हाथ फिराने लगा। उसकी गांड पर भी हाथ फेरने लगा। फिर वह औरत अब्बू को नंगा करके उसका लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगी। मैंने उस दिन अब्बू का लण्ड पूरा का पूरा देखा तो मैं दंग रह गई। वह औरत पहले तो अब्बू का लण्ड चूसती रही और फिर चूत में पेलवा कर चुदवाने लगी।
इधर मेरी झांटें यह सब देख कर सुलगने लगीं। दूसरे दिन अब्बू ने उसे तलाक नहीं दिया बल्कि कहा की मैं २/३ तक तुम्हे और चोदूंगा तब तलाक दूंगा। उस दिन मुझे अब्बू की नियत का सच मालूम हुआ। उसने उस औरत को एक हफ्ते तक रह रोज़ चोदा तब कहीं जाकर उसने तलाक दिया। फिर मैं फूफी की बेटी से मिली।
- मैंने कहा - तू बुर चोदी बहुत चालक है यार ? तू मेरे अब्बू का लण्ड पीती है ?
- वह बोली - हां यार पीती तो हूँ। लण्ड है ही इतना बढ़िया तो पीने का मन करता है।
- तू लण्ड पीती ही नहीं ? तू तो उसका लण्ड अपनी चूत में पेल कर चुदवाती भी है।
- हां यार सच है मैं तेरे अबू से चुदवाती हूँ। जानती हो क्यों ? क्योंकि मेरी अम्मी जान तेरे अब्बू से चुदवाती है। उसने ही एक दिन तेरे अब्बू का लण्ड मुझे पकड़ा दिया था और लण्ड मेरे मुंह में घुसा दिया। मैं भी जोश आ गई और बहुत ज्यादा गरम हो गई थी इसलिए मैं अम्मी के सामने ही तेरे अब्बू से चुदवाने लगी।
- हाय दईया तो तेरा अब्बू अपनी बहन की बुर चोदता है ?
- हां यार चोदता है। मेरी अम्मी जान कहती हैं की बेटी जब चूत में आग लगी हो तो भाई जान से चुदवाने में कोई हर्ज़ नहीं है । हमारे समाज में सब जायज़ है। तुझे बुरा लग रहा है तो तू मेरे अब्बू से चुदवा ले। उसका भी लौड़ा तेरे अब्बू के लौड़े की ही तरह है।
- हां यार मैं पहले अपने अब्बू से चुदवाऊंगी फिर तेरे अब्बू से।
- तो फिर चल मेरे साथ मैं खुद तेरे अब्बू का लण्ड तेरी चूत में पेल दूँगी।
यास्मीन बोली - यार एक बात है की हम तीनो के अब्बू के लण्ड बहुत मोटे तगड़े हैं तो फिर हम तीनो मिलकर एक साथ एक दूसरे के अब्बू से क्यों न चुदवायें ? उनके लण्ड का मज़ा क्यों न लूटें ? यानी तेरा अब्बू मुझे चोदे और मेरा अब्बू तुझे चोदे।
निदा बोली - हां यार मैं तो तैयार हूँ। मैं तो अपने अब्बू का लण्ड तुम दोनों की चूत में घुसा दूँगी।
रिदा ने कहा - तो मैं कहाँ पीछे रहने वाली हूँ। मेरा अब्बू तो तुम लोगों की बुर चोद चोद कर ढीली कर देगा।
इस चुदाई के लिए शनिवार का दिन चुना गया। उस दिन यास्मीन अपने अब्बू अनवर को लेकर आ गयी। उधर निदा अपने अब्बू अंजुम के साथ आ गई और रिदा अपने अब्बू मसूद के साथ आकर बैठ गयी। तीनो के अब्बू लड़कियां चोदने में तो अव्वल हैं हीं और उन्हें जब अपनी बेटी की सहेलियों की बुर चोदने का मौक़ा मिल रहा है तो उसे कौन बेवकूफ़ छोड़ेगा ? यही सोंच कर वे तीनो तैयार हो गए और अपनी अपनी बेटी के साथ दूसरों की बेटियां चोदने के लिए आ गए।
तीनो लोग एक दूसरे को जानते ही थे। यास्मीन सबके सामने अपने अब्बू को नंगा करने लगी। उसे देख कर रिदा और निदा भी अपने अपने अब्बू के कपड़े उतारने लगीं। देखते ही देखते तीनो अब्बू नंगे हो गए। तीनो बेटियां अपने अपने अब्बू का लण्ड हिलाने लगीं, चूमने और चाटने लगीं। तब तक तीनो बेटियां भी नंगी हो गयीं। वे सब एक दूसरे की बेटी नंगी देख कर और उत्तेजित होने लगे। बेटियां भी एक दूसरे के अब्बू का लण्ड देख देख कर गरम होने लगीं। इतने में यास्मीन ने अपने अब्बू का लण्ड निदा को पकड़ा दिया, निदा ने अपने अब्बू का लण्ड रिदा को पकड़ा दिया और रिदा ने अपने अब्बू का लण्ड यास्मीन के हाथों को सौंप दिया। तीनो बेटियां एक दूसरे के अब्बू का लण्ड पाकर बेहद खुश हो गईं। उधर अब्बू भी अपना अपना लण्ड दूसरे की बेटी के हाथ में पाकर मस्त हो गए. तीनो बेटियों लण्ड मुंह में डाल कर चूसने लगीं। थोड़ी देर तक ये तीनो बेटियां नंगी नंगी एक दूसरे के अब्बू का लण्ड पेल्हड़ थामे हुए चूसती रहीं, चाटती रहीं और चूमती रहीं। आज पहली बार इन्हे लण्ड चूसने के सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा था। यास्मीन बोली यार एक बात है अकेले में किसी का लण्ड चूसा तो क्या चूसा ? मज़ा तो तब है जब सबके सामने खुल्लम खुल्ला सबके लण्ड चूसो और नंगी नंगी लण्ड चूसो। इतने में अंजुम ने रिदा की चूत में घुसा दिया लण्ड। वह मसूद की बिटिया की बुर चोदने लगा। उधर अनवर ने निदा की चूत में लण्ड पेला और अंजुम की बिटिया चोदने लगा। और तब मसूद ने लण्ड अनवर की बेटी यास्मीन की बुर में पेल दिया और उसे धकाधक चोदने लेगा। तीनो मरद बहन चोद एक दूसरे की बेटी चोदने में जुट गए। . जितनी मस्ती से ये लोग एक दूसरे के बेटी चोद रहे थे उतनी ही मस्ती से ये बेटियां भी एक दूसरे के अब्बू से गचागच चुदवा रहीं थीं। न किसी को कोई शर्म और न का किसी भोसड़ी वाले का डर ? कुछ देर तक चोदने के बाद मसूद बोला - यार अनवर मुझे तेरी बेटी की बुर चोदने में उतना ही मज़ा आ रहा है जितना मज़ा मुझे तेरी बीवी की बुर चोदने में आता है।
अनवर ने कहा - हां यार तू बिलकुल सच कह रहा है। मुझे भी निदा की बुर चोदने में लगता है की ये बुर उसकी नहीं बल्कि उसकी माँ की बुर है। बिलकुल एक ही जैसा मज़ा है यार। आज बेटी की बुर चोद रहा हूँ कल इसकी माँ का भोसड़ा चोदा रहा था।
अंजुम ने कहा - हां यार मैं भी रिदा की माँ का भोसड़ा चोदता हूँ। आज पहली बार उसकी बेटी की बुर ले रहा हूँ।मुझे तो सच में ज़न्नत का मज़ा आ रहा है।
यास्मीन धक्का लगाती हुई बोली - तुम लोग भोसड़ी वालों बहुत बड़े हरामजादे हो। एक दूसरे की बीवी चोदते हो और आज एक दूसरे की बेटी चोद रहे हो ? कल एक दूसरे की बहू भी चोदोगे।
अनवर बोला - क्यों नहीं चोदूंगा। अपनी बहू चुदवाऊंगा तो दूसरे की बहू चोदूंगा। बहुओं की चूत भी बड़ी गरमागरम होती है।
तब उधर से निदा बोली - अच्छा हुआ, तुमने यह बात बता दी। हमारी जब शादियां हो जायेंगीं तो हम भी अपने अपने ससुर से चुदवाया करूंगी और फिर एक दूसरे के ससुर का लण्ड एक दूसरे की बुर में पेला करूंगी ।
इस तरह खूब मस्ती भरी बातें कर कर के ये तीनो बेटियां रात भर एक दूसरे से के अब्बू से झमाझम चुदवाती रहीं।
०=०=०=०=० समाप्त
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