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मेरे मामा के साले के लड़के की पत्नी को चोदा Mere mama ke saale ke ladke ki patni ko choda
मेरे मामा के साले के लड़के की पत्नी को चोदा Mere mama ke saale ke ladke ki patni ko choda , चुदाई का मजा , चोदकर पागल बना दिया , लंड से मुंह को चुदवाया , चूत बुर गांड पर किए वार , चोदने में आया स्वाद.
दोस्तों मैं दिलेर सिंह आपका स्वागत करता हूँ। आज मैं आपको एक ऐसी सेक्स कहानी पढ़ने को दे रहा हूं जो मुझे ना चाहते हुए भी करना पड़ा था. राजू मेरे मामा के साले का लड़का है। हम दोनों एक ही कंपनी में जॉब करते है और एक ही मकान किराए पर लेकर रहते है। उसकी पत्नी अर्थात मेरी भाभी का नाम रैना है, गजब की खूबसूरत हैं, खूब गोरी रंगत जैसे सफ़ेद मक्खन में एक चुटकी सिंदूर मिला दिया गया हो। करीब पाँच फुट छः इंच की लम्बाई, सुडौल छरहरा जिस्म, बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, गोल चेहरा, थोड़े मोटे मगर रसभरे होंठ, सीने पर जब दो बड़े-2 यौवन कलश लेकर चलती तो लगता था उसके कमर के नीचे भी दो अमृत-घट थिरक रहे हैं।
दोस्तों मैं दिलेर सिंह आपका स्वागत करता हूँ। आज मैं आपको एक ऐसी सेक्स कहानी पढ़ने को दे रहा हूं जो मुझे ना चाहते हुए भी करना पड़ा था. राजू मेरे मामा के साले का लड़का है। हम दोनों एक ही कंपनी में जॉब करते है और एक ही मकान किराए पर लेकर रहते है। उसकी पत्नी अर्थात मेरी भाभी का नाम रैना है, गजब की खूबसूरत हैं, खूब गोरी रंगत जैसे सफ़ेद मक्खन में एक चुटकी सिंदूर मिला दिया गया हो। करीब पाँच फुट छः इंच की लम्बाई, सुडौल छरहरा जिस्म, बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, गोल चेहरा, थोड़े मोटे मगर रसभरे होंठ, सीने पर जब दो बड़े-2 यौवन कलश लेकर चलती तो लगता था उसके कमर के नीचे भी दो अमृत-घट थिरक रहे हैं।
वो अक्सर मुझे ललचाई नजरों से देखती रहती थी, पर चूंकि पारिवारिक संस्कार मुझ पर हावी थे इसलिए मैं इसके पक्ष में नहीं था। भाभी मुझे कई बार इशारों में यह समझा चुकी थी। हालाँकि हमारे बीच हल्का-फुल्का मजाक जरूर चलता था पर कभी शालीनता की सीमा नहीं लाँघता था। अक्सर रात को भैया-भाभी के कमरे से उनके प्यार की फुसफुसाहट और कभी कभी आह...उह... की आवाज भी आती रहती थी। जिसे सुन कर मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगता था लेकिन मैं यारी में खारी नहीं करना चाहता था और मैं आत्म-हस्त-बल के द्वारा खुद को शांत कर लेता था। कई महीने यूँ ही गुजर गए। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
फिर एक दिन उसके भाग्य का सितारा भी चमका। राजू को ओवर टाइम के लिए कंपनी में रुकना पड़ा लेकिन मेरा उस दिन ओवरटाइम नहीं था इसलिए 5 बजे ही छुट्टी हो गई और मैं 5:20 pm पर घर पहुँच गया। भाभी ने मुझसे कहा की उसे उसकी सहेली के पास किसी जरुरी काम के लिए जाना है। मैंने भाभी को कहा कि वह फिर कभी चली जाएँ, उसके पति के साथ। वो नहीं मानी और उसने अपने पति को फोन किया, थोड़ी देर बाद की मुझे राजू का फोन आया और उसे ले जाने के लिए कहा। अब मैं भी मना नहीं कर सकता था। मैं उसे बाइक पर बैठाकर उसकी सहेली के घर ले गया और वहां पर ही 7 बज गए. रास्ते में ही जोरों की बारिश होने लगी।
हम दोनों भी भीग गए थे और वो मेरे से चिपकने लगी, मैंने उसे ढंग से बैठने को कहा तो भाभी ने कहा कि उसे ठण्ड लग रही है और वह अब कांप भी रही थी इसलिए मैंने उसे नहीं रोका। उसने मुझे मेरे आगे से हाथ करके पकड़ लिया और मुझसे चिपक गई और धीरे - धीरे उसका हाथ मेरे लंड पर ले गई और पेंट के ऊपर से ही अपने हाथ से मेरा लंड सहलाने लगी. जब मैंने उसे मुड़कर देखा तो ठंड के कारण उसका बुरा हाल था और उसके दांत भी बजने लगे थे। इतने में हम घर आ गए, मैंने भाभी को एक चारपाई पर लेटा दिया और मैंने उसके लिए गरमागरम चाय बनाई। चाय पिने से उसे थोड़ी - बहुत राहत मिली। अब हम दोनों एक ही चारपाई पर बिलकुल पास - पास बैठे थे। मैं जैसे ही उठकर जाने लगा भाभी ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और जोर से भींच दिया। मैंने उसकी ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा तो वो काँप रही थी। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- सॉरी, आज मैं खुद को रोक नहीं पाऊँगी।
इतना कहकर उसने मेरे हाथ को चूम लिया। मैंने उसके हाथ से अपना हाथ धक्के से छुड़ा लिया। वह मेरे पैरों में गिर गई और बोली - यदि तुमने मुझे आज भी तड़पती छोड़ दिया तो मैं अपनी जान दे दूंगी। मैंने उसे कंधों से पकड़ कर उठाया और उसे बहुत समझाया कि यह सही नहीं है, राजू क्या सोचेगा मेरे बारे में। उसने कहा कि केवल आज जैसा मैं चाहती हूँ वैसा कर दो फिर कभी मैं तुम्हें ऐसा करने की नहीं कहूँगी। उसकी आँखों में एक अजीब सी तड़प थी, अब मुझे भी लगा कि इसे एक बार इसके मन की करने दूँ। मैंने उससे कहा की मैं पहल नहीं करूँगा और तुम्हें कुछ भी करने से रोकूंगा भी नहीं।
उसने मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में भर लिया और अपने प्यासे होंठों को मेरे होठों पर रखकर चूम लिया। फिर कब उसने हम दोनों कपड़े हमारे शरीर से अलग किए, यह पता भी नहीं चला। हम दोनों ही पूर्णतः वस्त्रविहीन हो गए। उसके हाथ मेरे संपूर्ण शरीर को सहला रहे थे। अचानक उसने नीचे बैठकर गप्प से मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया और चूसने और चूमने लगी। मेरा पूरा शरीर तरंगित होने लगा। उसने मुझसे कहा कि तुम भी मेरा साथ दो और आज मुझे अपनी पत्नी समझकर मेरे साथ वो सब करो जो एक पति अपनी पत्नी से करता है।
फिर हम लोग बिस्तर पर आ गए। अब मेरे हाथ भी उसके उरोजों को मसलने में लगे थे। वो मेरा सिर पकड़कर अपने सीने के पास ले आई। मैं उसका अभिप्राय समझ गया था। मैं उसके एक उरोज को मुँह में लेकर चुभलाने लगा। उसने मेरा एक हाथ पकड़कर अपने दूसरे उरोज पर रख दिया। मैं हाथ से दूसरे उरोज के निप्पल को मसलने लगा।
फिर उसने मेरे सिर को नीचे की ओर दबाया। मैं भी अब उसके योनि के पास आ गया। क्या खूबसूरत योनि थी उसकी, एकदम गुलाबी, बाल-रहित, चिकनी, मुलायम, गद्देदार, लगभग एक अंगुल का चीरा।
अब मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसकी योनि को चूम लिया। फिर उसकी दोनों फांकों को अलग करके देखा, अंदर एकदम लाल-लाल। मैंने अपनी जीभ घुसेड़ दी, वो चिहुँक गई। मैं लपालप जीभ को अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में उसने मेरे सिर को अपने योनि पर दबाने लगी और उसके योनि से लिसलिसा सा पानी निकल आया। अब वो मुझे ऊपर की ओर खींचने लगी। ऊपर आकर मैंने फिर उसके होंठों को चूम लिया। उसके योनि पर मेरा लिंग टकरा रहा था। उसने अपने हाथों से मेरा लिंग पकड़ कर अपनी योनि द्वार पर सेट किया और मुझे इशारा लिया। मैंने हल्का सा दवाब दिया। चूंकि उसकी योनि पूरी गीली हो चुकी थी अतः मेरे लिंग का अग्र भाग फक्क से उसकी योनि में घुस गया। उसके चेहरे पर हलकी सी पीड़ा उभर आई। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
मैं उसके होठों को चूमने लगा। मैंने फिर अपने लिंग को थोड़ा सा बाहर निकालकर एक जोरदार धक्का लगाया और मेरा पूरा लिंग एक बार में ही घुप्प से उसके योनि में धँसा। उसने अपने होंठ भींच लिए और सिर इधर-उधर करने लगी और साथ ही पैर भी पटकने लगी। उसे इतना मजा आ रहा था कि उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे। मेरे लिंग में भी काफी तेज दर्द का अनुभव हुआ। मैं अपना लिंग निकालने लगा पर उसने अपने दोनों पैरों से मेरी कमर को जकड़ लिया और बोली- अरे निकालो मत, इसी के लिए तो मैं तड़प रही थी।
और फिर उसने मेरे होंठों को चूम लिया। फिर वो मुस्कुराते हुए बोली- तुम तो पूरे मर्द निकले, एक बार में ही किला फतह कर लिया। कुछ देर के बाद उसने नीचे से अपनी कमर उचकाई तो मुझे लगा कि अब वो धक्के के लिए तैयार है। मैं धक्का लगाने लगा। उसकी कसी हुई योनि में मेरे लिंग का घर्षण अपूर्व आनन्द उत्पन्न कर रहा था। किसी ने सही कहा है कि दुनिया का सारा सुख एक तरफ और सम्भोग सुख एक तरफ।
मैं करीब दस-बारह मिनट तक मैं धक्के मारता रहा। अचानक उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने मुझे कसकर जकड़ लिया। और इसके साथ ही लगा जैसे मेरे लिंग पर रस की बरसात हो गई। फिर उसका शरीर ढीला पड़ गया। पर मेरे धक्के लगातार चलते रहे। कुछ देर बाद वो फिर स्खलित हो गई। अब लगता है वो कुछ थक सी गई थी। क्यूंकि उसने नीचे से कमर उचकाना बंद कर दिया। मैं भी रुक गया और पूछा- क्या हुआ, थक गई क्या? उसने भी मुस्कुरा कर कहा- हाँ, एक शेर से जो पाला पड़ा है। मैंने उसे चूम लिया और उसी अवस्था में उसके उरोजों को चूसने लगा। कुछ देर चूसने के बाद जैसे फिर से उसमें उन्माद आ गया। वो फिर से कमर उचकाने लगी। मैंने भी धक्के लगाना शुरू किया। उसके दो-दो बार रसवर्षा के कारण योनि में इतना रस भर गया था कि हर धक्के से फच्च...फच्च.... का मादक संगीत कमरे में गूंजने लगा। करीब बीस धक्कों के बाद मेरे लिंग में भी सुरसुराहट होने लगी, मैंने पूछा- भाभी मैं भी छूटने वाला हूँ, बताओ कहाँ निकालूँ? उसने जवाब दिया- मैं भी छूट रही हूँ मेरी जान, मेरे अंदर ही निकालो और मेरी प्यास बुझा दो। आप यह कहानी हिंदी सेक्स स्टोरीज वेबसाइट पर पढ़ रहे है।
उसके ऐसा कहते ही मेरे लिंग ने भी पिचकारी चलानी शुरू कर दी। पिचकारी चलते ही उसने अपनी योनि को इस तरह सिकोड़ लिया कि लगा जैसे मेरे लिंग को तोड़कर अपने अंदर सदा के लिए रख लेना चाहती हो। पूर्ण स्खलन के बाद कुछ देर तक मैं भी उसके ऊपर ही लेटा रहा। फिर मेरा लिंग समर्पण की मुद्रा में उसकी योनि से बाहर आ गया। तो मैं भी उसके ऊपर से हट गया। उसने फिर मुझे चूम लिया और कहा- तुमने मुझे आज असीम सुख दिया है। मैं जानती थी कि सम्भोग का असली सुख मुझे तुमसे ही मिल सकता है। क्या एक बार और करें? मैंने उससे कहा कि आज मैं तुम्हें मना नहीं करूँगा। उस दिन उसने मुझसे चार बार अपनी चूत चुदवाई, अब उसकी शर्दी पूरी तरह से बाहर निकल चुकी थी. इसके बाद उसने कभी मुझे दोबारा ऐसा करने को नहीं कहा.....
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