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किरायेदारों ने मिलकर मालकिन को चोदा - Kirayedaron se chut ki pyas bujhai
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मैं कॉलेज के लड़कों को किराये पर मकान उनके लण्ड के साइज देख कर देतीं हूँ। लण्ड का साइज अगर 8" x 5" का होता है या इससे ज्यादा होता है तभी मैं उन्हें किराये पर रखती हूँ। बाकी लोगों को नहीं। जी हां मैं लड़कों के लण्ड देख कर उन्हें मकान किराये पर देती हूँ। जानते हो क्यों ? क्योंकि मैं सभी किरायेदारों से चुदवाती हूँ. मुझे लड़कों से चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है। मैं बिंदास अपना भोसड़ा चुदवाती हूँ और अपनी बिटिया की बुर भी चुदवाती हूँ। ये सब कैसे हुआ ? यह जानने के लिए पूरी कहानी पढ़िए।
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मेरा नाम है मिसेज अनामिका त्रिपाठी । मैं 44 साल की हूँ और मेरा एक बहुत बड़ा मकान कानपुर में हैं।
मैं कॉलेज के लड़कों को किराये पर मकान उनके लण्ड के साइज देख कर देतीं हूँ। लण्ड का साइज अगर 8" x 5" का होता है या इससे ज्यादा होता है तभी मैं उन्हें किराये पर रखती हूँ। बाकी लोगों को नहीं। जी हां मैं लड़कों के लण्ड देख कर उन्हें मकान किराये पर देती हूँ। जानते हो क्यों ? क्योंकि मैं सभी किरायेदारों से चुदवाती हूँ. मुझे लड़कों से चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है। मैं बिंदास अपना भोसड़ा चुदवाती हूँ और अपनी बिटिया की बुर भी चुदवाती हूँ। ये सब कैसे हुआ ? यह जानने के लिए पूरी कहानी पढ़िए।
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मेरा नाम है मिसेज अनामिका त्रिपाठी । मैं 44 साल की हूँ और मेरा एक बहुत बड़ा मकान कानपुर में हैं।
मैं एक कंपनी में एक बड़े पद पर काम करती हूँ। मेरे पास 2 कार हैं। मेरे दो फ्लैट मंबई में भी हैं । मैं कानपुर में ग्राउंड फ्लोर पर रहती हूँ, फर्स्ट और सेकंड फ्लोर पर मेरा अपना प्राइवेट बॉयज हॉस्टल चलता है जहाँ केवल लड़के ही रहतें हैं। ये लड़के कॉलेज में पढ़ते हैं और हमारे घर में किरायेदार की तरह रहतें हैं। यहाँ केवल 6 लड़कों के रहने की जगह है। 3 लड़के फर्स्ट फ्लोर पर और 3 लड़के सेकंड फ्लोर पर. छुट्टी के दिनों में ये लोग अपने अपने घर चले जातें हैं।
मेरे साथ मेरी बेटी भी है उसका नाम है मिस अंजलि त्रिपाठी है. वह २२ साल की बड़ी खूबसूरत और गोरी चिट्टी लड़की है। मैं आपको अपने बारे में बताना चाहती हूँ की मैं एक अय्यास औरत हूँ। बहुत बड़ी मादर चोद चुदक्कड़ औरत हूँ और हर तरह के लण्ड से प्यार करने वाली एक मद मस्त महिला हूँ।मेरी बेटी भी मेरी ही तरह अय्यास है। वह भी माँ की लौड़ी लण्ड की बड़ी दीवानी है। बिना लण्ड के एक दिन भी नहीं रह सकती भोसड़ी वाली। हमारी अय्यासी का सबके कारण है हमारी धन सम्पत्ति। हम लोग उच्च घराने के लोग हैं। हमारे पास जब करोड़ों की धन सम्पत्ति है तो फिर हम अय्यासी क्यों न करें ? हम अय्यासी का कोई मौक़ा जाया नहीं करती । हम दोनों माँ बेटी हर मौके का फायदा उठाती हैं। इस मामले में जितनी बुर चोदी मैं हूँ उतनी ही बुर चोदी मेरी बेटी अंजलि भी है।
मेरे साथ मेरी बेटी भी है उसका नाम है मिस अंजलि त्रिपाठी है. वह २२ साल की बड़ी खूबसूरत और गोरी चिट्टी लड़की है। मैं आपको अपने बारे में बताना चाहती हूँ की मैं एक अय्यास औरत हूँ। बहुत बड़ी मादर चोद चुदक्कड़ औरत हूँ और हर तरह के लण्ड से प्यार करने वाली एक मद मस्त महिला हूँ।मेरी बेटी भी मेरी ही तरह अय्यास है। वह भी माँ की लौड़ी लण्ड की बड़ी दीवानी है। बिना लण्ड के एक दिन भी नहीं रह सकती भोसड़ी वाली। हमारी अय्यासी का सबके कारण है हमारी धन सम्पत्ति। हम लोग उच्च घराने के लोग हैं। हमारे पास जब करोड़ों की धन सम्पत्ति है तो फिर हम अय्यासी क्यों न करें ? हम अय्यासी का कोई मौक़ा जाया नहीं करती । हम दोनों माँ बेटी हर मौके का फायदा उठाती हैं। इस मामले में जितनी बुर चोदी मैं हूँ उतनी ही बुर चोदी मेरी बेटी अंजलि भी है।
मेरा हसबैंड तो महीने में 20/25 दिन विदेश में ही रहता है। अभी इस समय फर्स्ट फ्लोर पर दो लड़के रहतें हैं गोगा और रॉबर्ट। ये दोनों यहाँ एम् बी ए कर रहें हैं। यह उनका पहला साल है।
एक दिन मैं सुबह सुबह ऊपर पहुचं गयी। खिड़की थोड़ी खुली थी और दरवाजा अंदर से बंद था। मैं खिड़की से झांक कर देखने लगी। मैंने देखा की गोगा अकेला ही लेटा हुआ है। वह नंगे बदन था और एक लुंगी पहन कर लेट गया था। उसका बदन बड़ा हॉट और सेक्सी लग रहा था। मैं चुपचाप आगे बढ़ी और दरवाजा हलके से खोलने की कोशिश की वह अपने आप खुल गया। शायद दरवाजा उढ़का था बंद नहीं था। उसकी लुंगी के एक हिस्से में तम्बू बना हुआ था। मैं जान गयी की लण्ड खड़ा है और अक्सर सवेरे सवेरे लण्ड खड़ा ही हो जाता है। वास्तव में मैं उसका लण्ड देखना चाहती थी। मैं इधर उधर घूमने लगीकी कहीं से उसका लण्ड दिख जाये। पर दिखा नहीं। मैंने धीरे से लुंगी के एक हिस्से को हटाया तो वह ऐसे हटा जैसे की दुल्हन के सर से ढूँढट। अब मुझे लण्ड का सुपाड़ा सिख गया। लण्ड खड़ा तो था पर पूरा नहीं खड़ा था। यह भी मालूम हो गया की उसकी छोटी छोटी झांटें हैं।
मेरी चूत में खलभली मचने लगी और मेरे मुंह में पानी आ गया। मैंने अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी और ब्रा भी खोल डाली। अब मैं केवल पेटीकोट में आ गई। मेरी जीभ लपलपाने लगी और में अपनी जबान से लण्ड का सुपाड़ा छू लिया तो मुझे बड़ा मज़ा आया। फिर मैंने धीरे से हाथ बढ़ाकर हौले से लण्ड पकड़ा। लण्ड साला बड़ा मोटा था। सुपाड़ा एकदम खुला हुआ था जिसे देख कर मैं मस्त हो गई। मैंने लण्ड थोड़ा हिलाया तो वह टाइट होने लगा। मुझे अच्छा लगने लगा। सोंच रही थी की जब ये जग जायेगा तो क्या होगा ? मैंने उसकी लुंगी लगभग खोल ही डाली थी। मैने उसके खूबसूरत पेल्हड़ भी देखे। मैंने उसे इस तरह से चूमा की उसमे आवाज़ न हो। मेरे मन में लण्ड के लिए बड़ा प्यार उमड़ रहा था। मैंने सुपाड़ा कई बार चूमा।
फिरमैंने यह सोंच लिया की अब मुझे बेशरम बन कर ही आगे बढ़ना पड़ेगा तभी ये लण्ड मेरी चूत में घुसेगा। बस मैंने लण्ड मुठ्ठी में पकड़ ऊपर नीचे करने लगी तभी उसकी नींद टूट गयी, उसकी आँख खुली तो मुझे देख कर बोला - अरे मेम आप ,,,,,,,,,,,,,,,? मैंने मुस्कराकर कहा - मेम की बहन का भोसड़ा ? मेम की बिटिया की बुर ? मैं तो अनामिका हूँ यार। मुझे बुर चोदी अनामिका कहो. मुझे तेरे लण्ड से प्यार हो गया है। तेरे लण्ड ने मेरा दिल छीन लिया है गोगा। मैं तेरे लण्ड से प्यार करने लगी हूँ। मैं तेरे लण्ड की दिवानी हो गई हूँ। तेरा लण्ड भोसड़ी का बड़ा सेक्सी और हैंडसम है यार। इतने में उसका लण्ड जो ढीला हो गया था वह कड़क होने लगा और मुझे मज़ा आने लगा।
वह अभी भी थोड़ा शर्मा रहा था तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी चोंचियों पर रखा और कहा लो अब तुम इन्हे मजे से दबाओ। वह दबाने लगा तो मैंने उसका लौड़ा खूब मेजर से बार बार जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करने लगी ,फिर मुंह खोल कर लण्ड अंदर घुसा लिया। मैं उसके पेल्हड़ थामे हुए लण्ड चूसने लगी। फिर मैं अपना पेटीकोट उतार कर सोफा पर नंगी नंगी बैठ गयी। वह मेरे आगे खड़ा हो गया। उसका लण्ड मेरे मुंह में। वह बोला मेम ,,,,, मैंने कहा नहीं यार मैं तेरी दोस्त हूँ। हां बोलो क्या कहना है। वह बोला तुम लण्ड बहुत अच्छी तरह पकड़ती हो। मैंने कहा अरे यार गोगा मेरी बेटी लण्ड मुझसे ज्यादा अच्छी तरह पकड़ती है। वो बुर चोदी लण्ड से खूब अच्छी तरह खेलती है। यह बात सुनकर उसका लण्ड और टन टना उठा। लण्ड का साइज 8" x 5" था। लण्ड की हुलिया बता रही थी की गोगा एकदम मस्त मर्द बन चुका है।
मैं आम की गुठली की तरह लण्ड चूसने लगी। बार बार मुंह से लण्ड बाहर निकालती और फिर अंदर घुसेड़ लेती। उसका सुपाड़ा चूसने में मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने कई मुस्लिम लण्ड भी चूसें हैं जिनके सुपाड़े हमेशा बाहर ही निकले रहतें हैं। उन्हें चाटने चूसने जो मज़ा आता है वही मज़ा मुझे इसका लण्ड चूसने में आ रहा था। लगता ही नहीं था की लण्ड मुस्लिम है की नॉन मुस्लिम। क्योंकि इसका सुपाड़ा एकदम खुला हुआ था। मेरे मुंह की लार से लण्ड एकदम सना हुआ था। लण्ड के मुंह से भी लार निकल रही थी। कहतें है की यही लार एक औरत को खूबसूरत बनाती है। इसलिए लण्ड चाटने और चूसने के फायदे भी होतें हैं। मैं 15 साल की उम्र से लण्ड चूस रही हूँ और तबसे मैं दिन पर दिन खूबसूरत होती गयी।
मैंने फिर लण्ड को अपनी चूँचियों के बीच घुसेड़ लिया। मुझे चूँचियाँ चुदवाने का भी जबरदस्त शौक है। मैं बड़े मजे से अपने बूब्स चुदवाने लगी। और जबान निकाल कर हर बार सुपाड़ा चाटने लगी। कुछ देर बाद मैंने लण्ड मुठ्ठी में लिया और प्यार से पेल्हड़ थामे हुए सड़का मारने लगी। रफ़्तार तेज कर दी तो वह बोला मैं निकल जाऊंगा यार। मैंने कहा निकल जाओ मेरे मुंहे में मैं पी जाऊंगी। मैंने रफ़्तार तेज की तो वह हां है ऊँ हे हो आहा हे ऊँ ये हो आह बड़ा अच्छा लग रहा है हां है और तेज तेज करो, जल्दी जल्दी मारो सड़का। ऐसे ही मेरी भाभी भी सड़का मारतीं हैं। मैंने कहा यार मैं तेरी भाभी ही हूं। तू मेरा देवर है। मुझे तेरा लण्ड पसंद आ गया है। मैंने इसे चबा जाऊंगी। तेरे लण्ड की मारूंगी गांड। मुझे मज़ा आ रहा था। वह सिसिया रहा था। मुंह से तरह तरहकी आवाज़ें निकाल रहा था। हो हां हाँ और मारो और मारो सड़का जल्दी जल्दी मारो आ हां हो हां हूँ ये हाय रे तुम बहुत अच्छी हो मेरी जान। तेरी बेटी की बुर चोदूंगा मैं , वाओ तेरी भी बुर चोदूंगा यार। , मैंने कहा हां यार चोद लेना लेकिन मैं पहले तेरे लण्ड का वीर्य पियूँगी।
मैंने अपना मुंह फैला दिया। बस कुछ पल में ही उसका लण्ड उगलने लगा वीर्य मेरे मुंह में। मैंने सारा वीर्य अपने मुंह में गिरवा लिया और सारा का सारा पी गयी फिर सुपाड़ा मजे से एक बिल्ली की तरह जबान निकाल निकाल कर चाटने लगी। मैंने पूंछा तेरा दोस्त रॉबर्ट कब आएगा मैं उसका भी लण्ड पियूँगी तो वह बोला की राबर्ट कल आएगा। वह तो बड़ा चालू है कॉलेज की कई लड़कियां चोदता है। बस मैंने मन बना लिया की अब मैं इन सबसे चुदवाया करूंगी। दूसरे दिन रॉबर्ट आ गया। गोगा ने सारी कहानी उसे बता दी। वह बोला हां यार मुझे तो अनामिका मेम बड़ी सेक्सी लगतीं हैं। वह तो मुझे ३५/ ३६ साल की ही लगती हैं। मेरा मन तो पहले ही दिन था की मैं इसे अपना लौड़ा पकड़ा दूँ। अब तो मेरे मन की तमन्ना पूरी हो जाएगी।
शाम को करीब ८ बजे मैंने दोनों को अपने कमरे में ही बुला लिया। मैंने दारू का इंतज़ाम पहले ही कर लिया था।मेरी बेटी नहीं थी. वह अपनी दोस्तों के घर गयी थी। मैंने उन दोनों को दारू पिलाना शुरू किया और मैं भी उनके साथ गटागट पीने लगी। मैंने केवल पेटीकोट पहना था। ऊपर से मेरी चूँचियाँ एकदम नंगी थीं। हां मैंने अपने लम्बे लम्बे बाल दोनों तरफ से आगे कर लिया था। जिससे मेरे निपल्स छिपे हुए थे। लेकिन इधर उधर हाथ करने से बीच बीच में चूँचियों की पूरी झलक उन्हें हो जाती थी। रॉबर्ट बड़ी बेकरारी से मेरी चूँचियाँ देख रहा था। मेरी बाहें और मेरे आर्मपिट भी देख रहा था।
हम लोगों की कुछ गन्दी गन्दी बातें होने लगी। खुल कर बातें होने लगीं। इतने में एक एक पैग ख़तम हो गया और दूसरा चालू हो गया। अचानक मेरी बेटी अंजलि भी आ गयी।
इधर मैंने अपना पेटीकोट खोला उधर अंजल ने अपना घाघरा। हम दोनों भी मादर चोद एकदम नंगी हो गईं। मैंने फ़ौरन मुंह में लण्ड लिया और चूसने लगी उधर मेरे सामने ही अंजल गोगा का लण्ड चूसने लगी। फिर अंजलि ने रॉबर्ट का लण्ड मुझसे छीन कर मेरे ही भोसड़ा में पेल दिया और बोली ले यार अब तुम चोदो अंजलि की माँ का भोसड़ा। मैंने भी देर नहीं की। मैंने भी गोगा का लण्ड उसके हाथ से लेकर उसी की बुर में घुसेड़ दिया और कहा ले भोसड़ी के गोगा आज तू चोद ले मेरी बिटिया की बुर। हम दोनों आमने सामने चुदवाने लगीं। मेरी गांड की तरफ अंजलि का मुंह टघा और उसकी गांड की तरफ मेरा मुंह। हम दोनों एक दूसरे की बुर में लण्ड आते जाते देख रहीं थीं। मैं गोगा के पेल्हड़ सहलाने लगी और अंजलि रॉबर्ट के पेल्हड़। इस तरह हम दोनों ने खूब मस्ती से हर तरफ से चुदवाया।
दूसरी पारी में मैंने गोगा से चुदवाया और अंजलि ने रॉबर्ट से। सच में दोनों लण्ड बहुत बहुत ही टेस्टी थे। उसके बाद एक दिन दो लड़के और आ गए। उन्हें भी किराये पर रहना था। एक का नाम था शनि और दूसरे का नाम था कामरान। देखने में दोनों अच्छे थे मैंने दोनों को रख लिया। करीब एक हफ्ते के शनि को बुलाया और उससे बातें करने लगीं। वह थोड़ा शर्मिला था। मैं तो उसका लण्ड देखा चाहती थी , बातों ही बातों में मैंने उसकी पैंट खोल ही डाली और लौड़ा निकाल कर हिलाने लगी। मैंने उसे बहुत प्यार किया। उसके आगे नंगी भी हो गयी पर उसका लौड़ा 6" से आगे बढ़ ही नहीं रहा था। बाद में मैंने उसे अपने घर से निकाल ही दिया। एक कामरान को फंसाया। उसको शराब पिला कर नंगा किया तो उसका लौड़ा साला 8" + निकला। मोटा भी मजे का था। हमने इसे रख लिया और उसका लण्ड पीने लगी। फिर मैंने सोंचा की अब जो भी लड़का आएगा मैं उसका लण्ड पहले पकड़ कर देखूँगी। अगर लण्ड मेरे मन का हुआ तो रखूंगी नहीं तो भगा दूँगी। इस तरह मैंने रोहित और रज़ा को रख लिया। रज़ा मुस्लिम था पर मुझे उसका लौड़ा बड़ा खूबसूरत लगा और मोटा तगड़ा भी।
एक दिन शाम को मैंने तीनो को बुलाया। मैं चाहती थी की ये तीनो पहले एक दूसरे से खुल जाएँ। अक्सर यह देखा गया है की मर्द मर्द से बहुत शर्माता है जबकि औरत औरत से कभी नहीं शर्माती। एक औरत दूसरी औरत के सामने नंगी होकर फ़ौरन खड़ी हो जाती है। लेकिन एक आदमी दूसरे आदमी के सामने नंगा खड़ा नहीं हो सकता। दोनों को आपस में नंगा होने में बहुत समय लगता है। अगर ये लोग दोस्त हो जाएँ तो फिर एक दूसरे के आगे नंगे हो सकतें हैं। मैं चाहती थी की ये तीनो पहले एक बार एक दूसरे के सामने नंगे हो जाएँ। फिर ये सब हम दोनों को एक साथ चोदने लगेंगें। ड्रिंक्स शुरू हुई और मैंने बड़े प्रेम से शराब पिलानी शुरू की और बातें भी गन्दी गन्दी दीं। धीरे अपनी चूँचियाँ खोलने लगी और अंजलि भी अपने बूब्स खोल कर बैठ गयी। अंजलि तो लण्ड, बुर ,चूत, भोसड़ा, गांड और लांड की बातें भी करने लगी।
मैंने कहा - मैं तुम तीनो के लण्ड देख चुकी हूँ। क्योंकि मैं बिना लण्ड देखे किसी को मकान किराये पर नहीं देती। इसलिए तुम लोग मुझसे शर्माना छोड़ दो।
अंजलि बोली - वाओ लेकिन मैंने तो इनके लण्ड नहीं देखा मम्मी जी। मैं भी कितनी बेवकूफ लड़की हूँ। मैं अपनी चूँचियाँ इन्हें दिखा रही हूँ और इनके लण्ड नहीं देख रही हूँ। चलो निकालो अपना अपना लण्ड ? मैं अभी देखूँगी तुम लोगों के लण्ड ? और मम्मी के सामने देखूँगी।
उसने एक हाथ रोहित के लण्ड पर रखा और दूसरा हाथ रज़ा के लण्ड पर। उधर मैं कामरान का लौड़ा निकालने का काम करने लगी। तब तक अंजलि पूरी नंगी हो गयी। उसकी चूत, उसकी गांड, उसके चूतड़, उसकी काली काली छोटी छोटी झांटें सब लोग देखने लगे। जैसे ही कामरान का लौड़ा बाहर निकला वैसे मैं भी नंगी हो गयी। अंजलि रोहित और रज़ा दोनो को नंगा कर चुकी थी और उनके लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी थी। वो दोनों अंजलि की चूँचियाँ दबाने लगे और उसके पूरे नंगे बदन पर हाथ फिराने लगे। मैं कामरान का लौड़ा चाटने लगी और वह मेरी चूत चाटने लगा। हम सब शराब भी पीते जा रहे थे और चुदाई का मज़ा भी लेना शुरू कर दिया था। अंजलि दोनों के लण्ड बारी बारी से पीने लगी। वह तो बुर चोदी बड़ी पियक्कड़ है चाहे लण्ड हो चाहे शराब ?
फिर कामरान ने लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ ही दिया और मैं सटासट चुदवाने लगी। उधर रज़ा ने अपना लण्ड अंजलि की बुर में पेला और चोदना शुरू कर दिया और रोहित का लण्ड मुंह में घुसा कर चूसना भी शुरू कर दिया। वह दो दो लण्ड का मज़ा लेने लगी। हम दोनों की चूत बजने लगी और मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा। फिर अंजलि ने रोहित से चुदवाया और रज़ा का लण्ड चूसा। झड़ते हुए लण्ड भी हम दोनों ने खूब पिए और सुपाड़े भी मस्ती से चाटे। दूसरी पारी में रज़ा और रोहित ने मुझे चोदा और अंजलि को कामरान ने चोदा।
अगले हफ्ते में ही हमारा हॉस्टल पूरा भर गया। 6 के 6 लड़के मेरे हॉस्टल में आ गये और मैंने अब सबसे खूब मजे से चुदवाती हूँ। अंजलि के साथ चुदवाती हूँ। वह मेरी चूत में लण्ड पेलती है और मैं उसकी चूत में लण्ड पेलती हूँ। हम दोनों पक्की दोस्त हैं। मेरी चूत अंजलि की चूत जैसी है और अंजलि की चूत मेरी चूत जैसी है। चाहे माँ का भोसड़ा चुदे चाहे बिटिया की बुर बात एक ही है।
०=०=०=०=०= समाप्त
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एक दिन मैं सुबह सुबह ऊपर पहुचं गयी। खिड़की थोड़ी खुली थी और दरवाजा अंदर से बंद था। मैं खिड़की से झांक कर देखने लगी। मैंने देखा की गोगा अकेला ही लेटा हुआ है। वह नंगे बदन था और एक लुंगी पहन कर लेट गया था। उसका बदन बड़ा हॉट और सेक्सी लग रहा था। मैं चुपचाप आगे बढ़ी और दरवाजा हलके से खोलने की कोशिश की वह अपने आप खुल गया। शायद दरवाजा उढ़का था बंद नहीं था। उसकी लुंगी के एक हिस्से में तम्बू बना हुआ था। मैं जान गयी की लण्ड खड़ा है और अक्सर सवेरे सवेरे लण्ड खड़ा ही हो जाता है। वास्तव में मैं उसका लण्ड देखना चाहती थी। मैं इधर उधर घूमने लगीकी कहीं से उसका लण्ड दिख जाये। पर दिखा नहीं। मैंने धीरे से लुंगी के एक हिस्से को हटाया तो वह ऐसे हटा जैसे की दुल्हन के सर से ढूँढट। अब मुझे लण्ड का सुपाड़ा सिख गया। लण्ड खड़ा तो था पर पूरा नहीं खड़ा था। यह भी मालूम हो गया की उसकी छोटी छोटी झांटें हैं।
मेरी चूत में खलभली मचने लगी और मेरे मुंह में पानी आ गया। मैंने अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी और ब्रा भी खोल डाली। अब मैं केवल पेटीकोट में आ गई। मेरी जीभ लपलपाने लगी और में अपनी जबान से लण्ड का सुपाड़ा छू लिया तो मुझे बड़ा मज़ा आया। फिर मैंने धीरे से हाथ बढ़ाकर हौले से लण्ड पकड़ा। लण्ड साला बड़ा मोटा था। सुपाड़ा एकदम खुला हुआ था जिसे देख कर मैं मस्त हो गई। मैंने लण्ड थोड़ा हिलाया तो वह टाइट होने लगा। मुझे अच्छा लगने लगा। सोंच रही थी की जब ये जग जायेगा तो क्या होगा ? मैंने उसकी लुंगी लगभग खोल ही डाली थी। मैने उसके खूबसूरत पेल्हड़ भी देखे। मैंने उसे इस तरह से चूमा की उसमे आवाज़ न हो। मेरे मन में लण्ड के लिए बड़ा प्यार उमड़ रहा था। मैंने सुपाड़ा कई बार चूमा।
फिरमैंने यह सोंच लिया की अब मुझे बेशरम बन कर ही आगे बढ़ना पड़ेगा तभी ये लण्ड मेरी चूत में घुसेगा। बस मैंने लण्ड मुठ्ठी में पकड़ ऊपर नीचे करने लगी तभी उसकी नींद टूट गयी, उसकी आँख खुली तो मुझे देख कर बोला - अरे मेम आप ,,,,,,,,,,,,,,,? मैंने मुस्कराकर कहा - मेम की बहन का भोसड़ा ? मेम की बिटिया की बुर ? मैं तो अनामिका हूँ यार। मुझे बुर चोदी अनामिका कहो. मुझे तेरे लण्ड से प्यार हो गया है। तेरे लण्ड ने मेरा दिल छीन लिया है गोगा। मैं तेरे लण्ड से प्यार करने लगी हूँ। मैं तेरे लण्ड की दिवानी हो गई हूँ। तेरा लण्ड भोसड़ी का बड़ा सेक्सी और हैंडसम है यार। इतने में उसका लण्ड जो ढीला हो गया था वह कड़क होने लगा और मुझे मज़ा आने लगा।
वह अभी भी थोड़ा शर्मा रहा था तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी चोंचियों पर रखा और कहा लो अब तुम इन्हे मजे से दबाओ। वह दबाने लगा तो मैंने उसका लौड़ा खूब मेजर से बार बार जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करने लगी ,फिर मुंह खोल कर लण्ड अंदर घुसा लिया। मैं उसके पेल्हड़ थामे हुए लण्ड चूसने लगी। फिर मैं अपना पेटीकोट उतार कर सोफा पर नंगी नंगी बैठ गयी। वह मेरे आगे खड़ा हो गया। उसका लण्ड मेरे मुंह में। वह बोला मेम ,,,,, मैंने कहा नहीं यार मैं तेरी दोस्त हूँ। हां बोलो क्या कहना है। वह बोला तुम लण्ड बहुत अच्छी तरह पकड़ती हो। मैंने कहा अरे यार गोगा मेरी बेटी लण्ड मुझसे ज्यादा अच्छी तरह पकड़ती है। वो बुर चोदी लण्ड से खूब अच्छी तरह खेलती है। यह बात सुनकर उसका लण्ड और टन टना उठा। लण्ड का साइज 8" x 5" था। लण्ड की हुलिया बता रही थी की गोगा एकदम मस्त मर्द बन चुका है।
मैं आम की गुठली की तरह लण्ड चूसने लगी। बार बार मुंह से लण्ड बाहर निकालती और फिर अंदर घुसेड़ लेती। उसका सुपाड़ा चूसने में मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने कई मुस्लिम लण्ड भी चूसें हैं जिनके सुपाड़े हमेशा बाहर ही निकले रहतें हैं। उन्हें चाटने चूसने जो मज़ा आता है वही मज़ा मुझे इसका लण्ड चूसने में आ रहा था। लगता ही नहीं था की लण्ड मुस्लिम है की नॉन मुस्लिम। क्योंकि इसका सुपाड़ा एकदम खुला हुआ था। मेरे मुंह की लार से लण्ड एकदम सना हुआ था। लण्ड के मुंह से भी लार निकल रही थी। कहतें है की यही लार एक औरत को खूबसूरत बनाती है। इसलिए लण्ड चाटने और चूसने के फायदे भी होतें हैं। मैं 15 साल की उम्र से लण्ड चूस रही हूँ और तबसे मैं दिन पर दिन खूबसूरत होती गयी।
मैंने फिर लण्ड को अपनी चूँचियों के बीच घुसेड़ लिया। मुझे चूँचियाँ चुदवाने का भी जबरदस्त शौक है। मैं बड़े मजे से अपने बूब्स चुदवाने लगी। और जबान निकाल कर हर बार सुपाड़ा चाटने लगी। कुछ देर बाद मैंने लण्ड मुठ्ठी में लिया और प्यार से पेल्हड़ थामे हुए सड़का मारने लगी। रफ़्तार तेज कर दी तो वह बोला मैं निकल जाऊंगा यार। मैंने कहा निकल जाओ मेरे मुंहे में मैं पी जाऊंगी। मैंने रफ़्तार तेज की तो वह हां है ऊँ हे हो आहा हे ऊँ ये हो आह बड़ा अच्छा लग रहा है हां है और तेज तेज करो, जल्दी जल्दी मारो सड़का। ऐसे ही मेरी भाभी भी सड़का मारतीं हैं। मैंने कहा यार मैं तेरी भाभी ही हूं। तू मेरा देवर है। मुझे तेरा लण्ड पसंद आ गया है। मैंने इसे चबा जाऊंगी। तेरे लण्ड की मारूंगी गांड। मुझे मज़ा आ रहा था। वह सिसिया रहा था। मुंह से तरह तरहकी आवाज़ें निकाल रहा था। हो हां हाँ और मारो और मारो सड़का जल्दी जल्दी मारो आ हां हो हां हूँ ये हाय रे तुम बहुत अच्छी हो मेरी जान। तेरी बेटी की बुर चोदूंगा मैं , वाओ तेरी भी बुर चोदूंगा यार। , मैंने कहा हां यार चोद लेना लेकिन मैं पहले तेरे लण्ड का वीर्य पियूँगी।
मैंने अपना मुंह फैला दिया। बस कुछ पल में ही उसका लण्ड उगलने लगा वीर्य मेरे मुंह में। मैंने सारा वीर्य अपने मुंह में गिरवा लिया और सारा का सारा पी गयी फिर सुपाड़ा मजे से एक बिल्ली की तरह जबान निकाल निकाल कर चाटने लगी। मैंने पूंछा तेरा दोस्त रॉबर्ट कब आएगा मैं उसका भी लण्ड पियूँगी तो वह बोला की राबर्ट कल आएगा। वह तो बड़ा चालू है कॉलेज की कई लड़कियां चोदता है। बस मैंने मन बना लिया की अब मैं इन सबसे चुदवाया करूंगी। दूसरे दिन रॉबर्ट आ गया। गोगा ने सारी कहानी उसे बता दी। वह बोला हां यार मुझे तो अनामिका मेम बड़ी सेक्सी लगतीं हैं। वह तो मुझे ३५/ ३६ साल की ही लगती हैं। मेरा मन तो पहले ही दिन था की मैं इसे अपना लौड़ा पकड़ा दूँ। अब तो मेरे मन की तमन्ना पूरी हो जाएगी।
शाम को करीब ८ बजे मैंने दोनों को अपने कमरे में ही बुला लिया। मैंने दारू का इंतज़ाम पहले ही कर लिया था।मेरी बेटी नहीं थी. वह अपनी दोस्तों के घर गयी थी। मैंने उन दोनों को दारू पिलाना शुरू किया और मैं भी उनके साथ गटागट पीने लगी। मैंने केवल पेटीकोट पहना था। ऊपर से मेरी चूँचियाँ एकदम नंगी थीं। हां मैंने अपने लम्बे लम्बे बाल दोनों तरफ से आगे कर लिया था। जिससे मेरे निपल्स छिपे हुए थे। लेकिन इधर उधर हाथ करने से बीच बीच में चूँचियों की पूरी झलक उन्हें हो जाती थी। रॉबर्ट बड़ी बेकरारी से मेरी चूँचियाँ देख रहा था। मेरी बाहें और मेरे आर्मपिट भी देख रहा था।
हम लोगों की कुछ गन्दी गन्दी बातें होने लगी। खुल कर बातें होने लगीं। इतने में एक एक पैग ख़तम हो गया और दूसरा चालू हो गया। अचानक मेरी बेटी अंजलि भी आ गयी।
- उस देख कर मेरे मुंह से निकला - आ गई तू भोसड़ी वाली, अंजलि ?
- वह बोली - हां आ गई मैं मेरी बुर चोदी अनामिका ?
- क्या अपनी गांड मरा के आ रही है तू ?
- हां गांड मरवाना तो चाहती थी मैं पर कोई मारने वाला ही नहीं था। जिसको देखो वही अपना लण्ड किसी न कसी की बुर में पेले हुए था ?
- तो फिर यहाँ बैठ मैं तेरी गांड मरवा दूँगी।
- ठीक है अभी आती हूँ।
- वह अंदर गई और थोड़ी देर में केवल घाघरा पहन कर आ गयी. उसके बूब्स एकदम नंगे थे। उसकी बड़ी बड़ी चूँचियाँ देख कर उन दोनों के लण्ड साले उछल पड़े।
- मैंने कहा - तुझे शर्म नहीं आती सबके सामने नंगी होने में ? तेरी बुर चोदी माँ का भोसड़ा ?
- वह बोली - अच्छा तझे शर्म आती है क्या ? तू भी तो अपनी चूँचियाँ खोले बैठी है रंडी की तरह। तेरी बुर चो दी बिटिया की बुर ।
इधर मैंने अपना पेटीकोट खोला उधर अंजल ने अपना घाघरा। हम दोनों भी मादर चोद एकदम नंगी हो गईं। मैंने फ़ौरन मुंह में लण्ड लिया और चूसने लगी उधर मेरे सामने ही अंजल गोगा का लण्ड चूसने लगी। फिर अंजलि ने रॉबर्ट का लण्ड मुझसे छीन कर मेरे ही भोसड़ा में पेल दिया और बोली ले यार अब तुम चोदो अंजलि की माँ का भोसड़ा। मैंने भी देर नहीं की। मैंने भी गोगा का लण्ड उसके हाथ से लेकर उसी की बुर में घुसेड़ दिया और कहा ले भोसड़ी के गोगा आज तू चोद ले मेरी बिटिया की बुर। हम दोनों आमने सामने चुदवाने लगीं। मेरी गांड की तरफ अंजलि का मुंह टघा और उसकी गांड की तरफ मेरा मुंह। हम दोनों एक दूसरे की बुर में लण्ड आते जाते देख रहीं थीं। मैं गोगा के पेल्हड़ सहलाने लगी और अंजलि रॉबर्ट के पेल्हड़। इस तरह हम दोनों ने खूब मस्ती से हर तरफ से चुदवाया।
एक दिन शाम को मैंने तीनो को बुलाया। मैं चाहती थी की ये तीनो पहले एक दूसरे से खुल जाएँ। अक्सर यह देखा गया है की मर्द मर्द से बहुत शर्माता है जबकि औरत औरत से कभी नहीं शर्माती। एक औरत दूसरी औरत के सामने नंगी होकर फ़ौरन खड़ी हो जाती है। लेकिन एक आदमी दूसरे आदमी के सामने नंगा खड़ा नहीं हो सकता। दोनों को आपस में नंगा होने में बहुत समय लगता है। अगर ये लोग दोस्त हो जाएँ तो फिर एक दूसरे के आगे नंगे हो सकतें हैं। मैं चाहती थी की ये तीनो पहले एक बार एक दूसरे के सामने नंगे हो जाएँ। फिर ये सब हम दोनों को एक साथ चोदने लगेंगें। ड्रिंक्स शुरू हुई और मैंने बड़े प्रेम से शराब पिलानी शुरू की और बातें भी गन्दी गन्दी दीं। धीरे अपनी चूँचियाँ खोलने लगी और अंजलि भी अपने बूब्स खोल कर बैठ गयी। अंजलि तो लण्ड, बुर ,चूत, भोसड़ा, गांड और लांड की बातें भी करने लगी।
मैंने कहा - मैं तुम तीनो के लण्ड देख चुकी हूँ। क्योंकि मैं बिना लण्ड देखे किसी को मकान किराये पर नहीं देती। इसलिए तुम लोग मुझसे शर्माना छोड़ दो।
अंजलि बोली - वाओ लेकिन मैंने तो इनके लण्ड नहीं देखा मम्मी जी। मैं भी कितनी बेवकूफ लड़की हूँ। मैं अपनी चूँचियाँ इन्हें दिखा रही हूँ और इनके लण्ड नहीं देख रही हूँ। चलो निकालो अपना अपना लण्ड ? मैं अभी देखूँगी तुम लोगों के लण्ड ? और मम्मी के सामने देखूँगी।
उसने एक हाथ रोहित के लण्ड पर रखा और दूसरा हाथ रज़ा के लण्ड पर। उधर मैं कामरान का लौड़ा निकालने का काम करने लगी। तब तक अंजलि पूरी नंगी हो गयी। उसकी चूत, उसकी गांड, उसके चूतड़, उसकी काली काली छोटी छोटी झांटें सब लोग देखने लगे। जैसे ही कामरान का लौड़ा बाहर निकला वैसे मैं भी नंगी हो गयी। अंजलि रोहित और रज़ा दोनो को नंगा कर चुकी थी और उनके लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी थी। वो दोनों अंजलि की चूँचियाँ दबाने लगे और उसके पूरे नंगे बदन पर हाथ फिराने लगे। मैं कामरान का लौड़ा चाटने लगी और वह मेरी चूत चाटने लगा। हम सब शराब भी पीते जा रहे थे और चुदाई का मज़ा भी लेना शुरू कर दिया था। अंजलि दोनों के लण्ड बारी बारी से पीने लगी। वह तो बुर चोदी बड़ी पियक्कड़ है चाहे लण्ड हो चाहे शराब ?
फिर कामरान ने लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ ही दिया और मैं सटासट चुदवाने लगी। उधर रज़ा ने अपना लण्ड अंजलि की बुर में पेला और चोदना शुरू कर दिया और रोहित का लण्ड मुंह में घुसा कर चूसना भी शुरू कर दिया। वह दो दो लण्ड का मज़ा लेने लगी। हम दोनों की चूत बजने लगी और मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा। फिर अंजलि ने रोहित से चुदवाया और रज़ा का लण्ड चूसा। झड़ते हुए लण्ड भी हम दोनों ने खूब पिए और सुपाड़े भी मस्ती से चाटे। दूसरी पारी में रज़ा और रोहित ने मुझे चोदा और अंजलि को कामरान ने चोदा।
अगले हफ्ते में ही हमारा हॉस्टल पूरा भर गया। 6 के 6 लड़के मेरे हॉस्टल में आ गये और मैंने अब सबसे खूब मजे से चुदवाती हूँ। अंजलि के साथ चुदवाती हूँ। वह मेरी चूत में लण्ड पेलती है और मैं उसकी चूत में लण्ड पेलती हूँ। हम दोनों पक्की दोस्त हैं। मेरी चूत अंजलि की चूत जैसी है और अंजलि की चूत मेरी चूत जैसी है। चाहे माँ का भोसड़ा चुदे चाहे बिटिया की बुर बात एक ही है।
०=०=०=०=०= समाप्त
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