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शॉपिंग के बहाने चूत चुदवा लेती हूँ - Shopping ke bahane chudwati hun
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मेरे प्यारे दोस्तों, यह बात तो आपको माननी पड़ेगी की बहाना बनाने में जितनी शातिर औरतें होतीं हैं उतने शातिर मरद नहीं होतें। बहाने बनाने का मतलब है झूंठ बोलना और झूंठ बोलने में औरतों का कोई जबाब नहीं ? एकदम सफ़ेद झूंठ बोलतीं हैं। इतनी अदा से झूंठ बोलतीं है की सुनने वाले को उसकी बात एकदम सच लगती है। इसी झूंठ बोलने की अदा से वो अपने हसबैंड को भी बेवकूफ बनाया करतीं हैं। इसीलिए कहा गया है की स्त्री के चरित्र को देवता भी नहीं जानतें मनुष्य की क्या बात है ? मैं एक स्त्री हूँ और ऐसी ही चरित्र वाली हूँ।
मेरां नाम मिसेज महिमा चौधरी है मैं २८ साल की हूँ। खूबसूरत हूँ, सेक्सी हूँ और बेहद हॉट हूँ। मैं शादी शुदा हूँ और पराये मरद के लण्ड की बहुत शौक़ीन हूँ क्योंकि मुझे लण्ड बड़ी आसानी से मिल जातें हैं। मैं जिसको भी सेक्सी नज़रों से देखती हूँ उसका लण्ड साला अंदर ही अंदर कुलबुलाने लगता है और मेरे मुस्कराते ही या मेरे हँसते ही उसके लण्ड में उछाल आ जाता है। अगर मरद मुझे पसंद आ गया तो मैं सीधे सीधे उसका लण्ड ऊपर से दबा देती हूँ फिर वह भोसड़ी का मेरे आगे पीछे घूमने लगता है।
एक दिन मुझे मेट्रो ट्रेन एक लड़का मिल गया। वह बड़ा हैंडसम था। मेरी नियत उस पर ख़राब होने लगी। वह अचानक मेरे पास आया और बोला मैडम आप महिमा हैं न ? मैंने कहा अरे वाह तुम्हे कैसे मालूम ? मैं तुम्हे नहीं जानती। वह बोला लेकिन मैं आपको जनता हूँ। आप एम डी कॉलेज की पढ़ी हैं। मैं आपसे जूनियर था। लेकिन आपको देखा करता था। आपकी मुस्कान मुझे बहुत पसंद है। मैंने कहा अच्छा तुम कहाँ रहते हो और क्या करते हो ? वह बोला बस आपके घर से एक किलो मीटर के अंदर ही रहता हूँ और एक बड़ी कंपनी में काम करता हूँ। आप कुछ अपने बारे में बताईये न प्लीज ? बातों बातों में मैंने उसका पता ले लिया और फोन नंबर भी। मैंने कहा कल मैं तेरे पास आऊंगी तब सब बताऊंगी। बस दूसरे दिन शाम को मैंने अपने हसबैंड से कहा की मैं शॉपिंग के लिए जा रही हूँ और पहुँच गयी उसके घर।
उसका नाम अंकित था। वह अकेला ही था शादी अभी नहीं हुई थी। मैंने मन बना लिया की आज तो मैं इससे ठोंकवा कर ही जाऊंगी। छुट्टी का दिन था। न उसे कही जाना था और न मुझे। वह बोला मैडम आप क्या पियेगीं ? मैंने कहा मैं चाय नहीं पीती हूँ., मैं व्हिस्की पीती हूँ और उसके साथ भी कुछ और पीती हूँ। क्या पीती हूँ बाद में बताऊंगी। फिर उसने मुझे ड्रिंक्स सर्व की। हम दोनों ड्रिंक्स लेने लगे। वह बोला मैडम ,,,,, इससे पहले की वह कुछ और बोलता मैंने कहा - मैडम की माँ का भोसड़ा ? मैडम की माँ की चूत ? मैं मैडम नहीं हूँ। मैं महिमा हूँ बस। मुझे महिमा कहो। बुर चोदी महिमा कहो ? भोसड़ी की मादर चोद महिमा कहो, माँ की लौड़ी बहन का लण्ड महिमा कहो। मैंने मुस्कराकर मुस्कराकर कई प्यार भरी गालियां उसे सुना दीं। वह पहले तो सकपका गया लेकिन फिर नार्मल हो गया। मैंने कहा यार मैं तेरी दोस्त हूँ और दोस्तों में ऐसे ही गालियों से बात की जाती है। समझ गया तू भोसड़ी का अंकित ? वह बोला हां समझ गया मेरी हरामजादी महिमा ? फिर हम दोनों खूब खिलखिलाकर हंसने लगे। मैंने अपने टॉप की दोनों बटन खोल दीं।
मेरी चूँचियाँ एकदम नंगी नंगी उसे साफ़ दिखाई देने लगीं। उसके पैंट का उभार मुझे मस्त करने लगा। मैं समझ गयी की मेरी चूँचियाँ देख कर उसका लण्ड खड़ा हो गया है और बाहर आने के लिए तड़प रहा है। मैंने एक सीधा सवाल किया और कहा अंकित मुझे साफ़ साफ़ की तुमने अभी तक कितनी लड़कियां चोदी हैं ? वह सवाल सुनकर भौचक्का रह गया। मैंने कहा यार तुम जवान हो, तेरे लण्ड में जान है और ऐसे में एक लड़का लड़कियां नहीं चोदेगा तो क्या मुठ्ठ मारेगा ? वह बोला यार कुछ भी कहो महिमा लेकिन मैंने तेरे नाम का कई बार मुठ्ठ मारा है। मैंने जबाब दिया तो फिर आज तुम मुठ्ठ नहीं मरोगे, मेरी गांड मरोगे, मेरी बुर चोदोगे, मेरी चूँचियाँ पियोगे। ऐसा कह कर मैं उससे लिपट गयी और उसका लण्ड ऊपर से दबाने लगी। जब एक खूबसूरत औरत इतना खुल कर कहे तो फिर मर्द बहन चोद कैसे नहीं चोदेगा ? और अगर नहीं चोदेगा तो फिर वह भोसड़ी का मर्द नहीं ?
मैं उसके सामने एकदम नंगी थी और वह भी मेरे सामने एकदम नंगा। मैं उसका लण्ड हिलाने लगी वह मेरी चूँचियाँ मसलने लगा। अब तो पक्का हो गया की ये मुझे चोदेगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसका लण्ड बहुत बढ़िया था। सख्त था और मोटा भी। कुछ देर बाद मैंने लण्ड अपनी बुर में पेलवा लिया और चुदवाने लगी। मैं इस तरह कई लोगों से चुदवा चुकी थी। मुझे अपने पति से छुप छुप कर चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है। अंकित ने कहा कुछ भी हो महिमा तेरी चूत है बहुत टाइट। क्या करती हो तुम। इतने लण्ड पेलवाती हो फिर तेरी चूत ढीली नहीं हुई। मैंने कहा अरे यार मैं अपनी चूत को शराब पिलाती हूँ। शराब पीकर मेरी चूत एकदम मस्त और टाइट हो जाती है। इस तरह की बातें करती हुई मैंने उससे एक घंटे तक चुदवाया और लास्ट में उसका झड़ता हुआ लण्ड चाटा।
सहेली आभा मिल गयी। वह बोली यार महिमा मैं बाहर जा रही हूँ। मेरे घर में मेरा हसबैंड है। मैं चाहती हूँ की तुम उससे दो दिन तक खूब चुदवाओ। दो दिन बाद मैं वापस आ जाऊंगी। मैंने पूंछा पर तुम्हे बुरा नहीं लगेगा की मैं तेरी एब्सेंस में तेरे पति से चुदवाऊँ ? वह बोली अरे यार सुनो मेरे ऑफिस से एक टूर पिकनिक पर जा रहा है। मैं उसी में जा रही हूँ। पिकनिक केवल चोदा चोदी के लिए ही जा रहा है। इसमें किसी को घूमने फिरने में कोई इंटरेस्ट नहीं है। सबको इंटरेस्ट तो बुर चोदने में और चुदाने में है। मैं वहां ७/८ लोगों से चुदवाऊंगी। मेरे हसबैंड को इसके बारे में कुछ नहीं मालूम। तुम अगर उससे चुदवा लोगी तो वह तुम्हारे जाल में ही फंसा रहेगा और कही हाथ पांव नही मार पायेगा। मैं उसकी बात मान गयी और अपने पति को फोन करके बताया की मैं शॉपिंग के लिए अपनी सहेली के साथ रही हूँ। मैं उसके साथ उसके घर चली गयी
मैंने मन में कहा आभा भी बुर चोदी मेरी तरह अपने हसबैंड से छुप चुप कर चुदवाती है।
मैं उसके पति विशाल से मिली तो बहुत खुश हो गयी। वह बड़ा हैंडसम था। वह भी मुझे देख कर खुश हुआ क्योंकि मैं खबसूरत तो थी ही। मैंने अपनी चूँचियों का उभार थोड़ा और कर दिया तो वह मस्त हो गया। आभा बोली देखो जी मैं टूर पर जा रही हूँ। ये मेरी सहेली है। ये तुम्हारा ख्याल रखेगी। तुम्हे किसी बात की कमी नहीं महसूस होने देगी। जाते जाते वह मुझे आँख मारती हुई बोली महिमा देखो मेरे पति का ख्याल रखना और इसे खुश करती रहना। वह कार में बैठी और चली गई। अब घर में केवल मैं और विशाल। उसने कहा महिमा भाभी क्या पियोगी ? मेरा मन तो हुआ की मैं कह दूँ की मैं तेरा लण्ड पियूँगी पर मैं चुप रही और कहा कुछ भी जो आपको पसदं हो ? वह बोला तो फिर मैं थोड़ा ड्रिंक्स बना लेता हूँ। आप मेरे साथ देंगीं न ? मैंने कहा हां जरूर दूँगी। मैं ड्रिंक्स पसंद करती हूँ। फिर हम दोनों ड्रिंक्स लेने लगे।
मैं उसे देख रही थी और वह मुझे। मैं उसके लण्ड के बारे में सोंच रही थी और वह शायद मेरे पूरे नंगे बदन के बारे में । मैंने इधर उधर करके अपनी चूँचियाँ की झलक दिखाने लगी और यह भी बार बार उठ उठ कर अपने लण्ड को हिलाने का मौक़ा तलासने लगा। मैंने थोड़ी बेशर्मी दिखाई और कहा विशाल सच सच बताओ मुझे की तुम पर कितनी लड़कियां मरतीं थीं ? वह बोला मैं क्या बहाऊँ भाभी जी। लड़के तो तुम्हारे आगे पीछेः घूमते होगें। मैंने कहा हां यह बात सही है। मेरी चूँचियों पर मरते थे लड़के। मैं बहन चोद गालियां खूब देती हूँ तो लड़के खूब मज़ा लिया करते था। वह बोला अच्छा तो मुझे गालियां दो न प्लीज। मैंने बड़ी सेक्सी अदा से कहा मुझे देना होगा तो मैं तुम्हे अपनी बुर दूँगी। वह मेरी बात सुनकर उछल पड़ा और बोला दे दो न प्लीज। मैं यही तो चाहता हूँ। मैंने कहा अगर तेरी बीवी को मालूम हो गया तो ? वह बोला उसकी माँ का भोसड़ा अब वह मेरा क्या उखाड़ लेगी ? बस मैंने उसका लण्ड ऊपर से दबा कर कहा अब इसे निकाल कर दिखाओ न मुझे। मैं देखना चाहती हूँ की तेरा लण्ड है कैसा ?
उसने भी मेरी चूँचियाँ दबाया और अपनी तरफ खींच लिया। मैं भी लिपट गयी उससे। मैंने अपने कपड़े उतार दिया और नंगी हो गयी वह भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। वह बोला महिमा भाभी आप बहुत सुन्दर लग रहीं हैं। मैंने भी कहा तुम नंगे बहुत ज्यादा अच्छे लगते हो। मैं उसका लण्ड हिलाने लगी, चाटने और चूमने लगी। वह मेरी चूँचियाँ मेरी चूतड़, मेरी गांड सहलाने लगा। कुछ देर बाद उसने पेल दिया लण्ड और चोदने लगा। मैं भी रंडी की तरह चुदवाने लगी। तब तक मैंने फोन उठाया और अपने हसबैंड से कहा की अब रात ज्यादा हो गयी है मैं यहाँ अपनी सहेली के साथ रुक जाऊंगी और सवेरे आऊंगी। मेरा बहाना सटीक बैठ गया और इधर मैं फिर ग़ैर मरद से चुदवाने लगी। मेरी ऐसी 99 % बीवियां है जो चोरी छिपे गैर मर्दों से चुदवाती हैं। मैंने रात में विशाल से तीन बार चुदवाया और खूब एन्जॉय किया। दूसरे दिन शॉपिंग के बहाने फिर चली गयी और दो बार चुदवाकर कर वापस आयी।
मैं अपना खाता एक बैंक में रखती हूँ। वहां के मैनेजर मुझे बड़ा हैंडसम लगा। मैं किसी न किसी बहाने उसके पास जाने लगी और बातें करने लगी। वह भी मुझसे बात करने में इंटरेस्ट लेने लगा। उसक नाम था बलजीत सिंह। उसकी उम्र भी लगभग २८ /२९ साल की होगी। एक दिन मैंने उसे अपने घर बुलाया। उसका वेलकम किया और खूब अच्छी तरह से बातें की। मैं ब्रा और साड़ी पहने हुए थी। मैं बार बार उसकी टेबल पर नास्ता रखते समय झुक जाती थी और उसे अपनी बड़ी बड़ी चूँचियाँ दूर तक दिखा देती थी। वह भी चूँचियाँ बिना पलक झपकाए देखने लगता था। इस तरह मैंने उसके लण्ड में आग लगा दी। फिर एक दिन जब मेरा हसबैंड बाहर टूर पर चला गया तो मैंने उसे अपने घर बुलाया। इत्तिफाक से वह दिन संडे का दिन था। उसे भी आने में कोई परेशानी नहीं हुई। उसने जब बेल बजायी तो मैं बाथ रूम से नहा कर निकली थी। मैंने अपनी चूँचियों तक तौलिया लपेट ली थी। मेरी टांगें घुटनो तक खुली थी। मैं उसी हालत में उसके सामने बैठ गयी। मेरे बालों से धीरे धीरे पानी की बूँदें गिर रहीं थीं।
- मैंने कहा - यार बलजीत आज तुम बहुत हैंडसम दिख रहे हो।
- वह बोला - अरे मैडम मैं नहीं आप बहुत खूबसूरत दिख रहीं हैं।
- अच्छा तो तुम्हे मैं अच्छी लगती हूँ ?
- हां मैडम ,,,,,,, ?
- मुझे मैडम मत कहो। मैं तेरी भाभी हूँ और तुम मेरे देवर। आज से तुम मुझे भाभी कहो।
- ओ के महिमा भाभी। आज से मैं आपको भाभी कहूंगा।
- मैंने मुस्कराकर कहा - अब बताओ की भाभी के साथ देवर क्या करता है ?
- वह थोड़ा रुका फिर बोला - वह भाभी की बड़ी इज़्ज़त करता है।
- मैंने कहा - और भाभी अपने देवर का लण्ड पकड़ती है।
कुछ देर बाद मैंने अपनी चूत फैलाई और लौड़ा गप्प से अंदर घुसा लिया। मैंने कहा हाय मेरे राजा अब चोदो मुझे। खूब हचक हचक के चोदो। पटक पटक के चोदो मुझे। मैं तेरी भाभी हूँ। तेरी बुर चोदी भाभी हूँ। भोसड़ी वाली और मादर चोद भाभी हूँ। मेरी चूत का हलवा बना दो यार। फाड़ डालो मेरी बुर चोदी बुर ? चीथड़े उड़ा दी इस ससुरी चूत के। वह भी धक्के पे धक्का लगाए जा रहा था। उसका लौड़ा पूरा अंदर घुस कर चोट किये जा रहा था। मुझे उसकी चोदने की स्टाइल अच्छी लगी। मैंने मन बना लिया की मैं आगे भी इससे चुदवाया करूंगी। मेरी चूँचियाँ उछल रहीं थीं जिन्हें देख देख उसका जोश बढ़ता जा रहा था। उसने कहा भाभी जी मैं तेरी चूँचियाँ भी चोदूंगा। मैंने कहा हां यार बिलकुल चोदो। ये चूँचियाँ है ही बहन चोद चुदने के लिए। कुछ देर बाद उसने लण्ड मुंह में घुसेड़ दिया। मैं भी चूत की तरह अपना मुंह चुदवाने लगी। वह बोला हाय भाभी जी तुम लौड़ा बहुत अच्छी तरह से चूसती हो। बड़ा अच्छा लग रहा है। मैंने सुपाड़े के चारों ओर अपनी जबान घुमानी शुरू किया तो उसकी सिसकियाँ निकलने लगीं।
मैं फिर लण्ड पेल कर चुदवाने लगी। इस बार उसने चोदने की रफ़्तार बहुत तेज कर दी। मेरे मुंह में आहें निकलने लगीं। लगता था की सच में वह मेरी बुर फाड़ डालेगा। लेकिन मैं गांड से जोर लगाने में कम न थी और पूरा साथ दे रही थी। आखिर कार मेरी चूत ढीली हो ही गयीं। मैं निढाल हो गयी। तब तक वह बोला भाभी मैं निकलने वाला हूँ। बस मैं लण्ड का सड़का मारने लगी। मेरा मुंह फैला हुआ था। लण्ड ने मेरे मुंह में ही उगल दिया वीर्य जिसे मैं पी गयी और सुपाड़ा चाटने लगी। लण्ड का स्वाद लाजबाब था।
एक दिन अंकित का फोन आ गया। शाम का समय था मैं अपने पति के साथ बैठी हुई थी। मैं अंदर गयी और उससे बात करने लगी। वह बोला भाभी जी आज मेरा दोस्त आया हुआ है। इस समय हम दोनों घर पर ही हैं। ऐसे में अगर आप जा जाएँ तो मज़ा आ जाये। मैंने जबसे उसे आपके बारे में बताया है तब से उसका लण्ड साला खड़ा है। मैंने कहा - अच्छा ये बात है तो मैं अभी आती हूँ। मैं तैयार हुई और अपने पति से कहा मैं अपनी दोस्त के घर जा रहीं हूँ उसकी आज बर्थ डे है। तुम खाना खा लेना मैं रात में देर से आऊंगी और खाना खा कर आऊंगी। फिर क्या ? हमने रात में उन दोनों से खूब चुदवाया और रात को २ बजे घर वापस आयी।
०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०= समाप्त
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