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मामू जान मुझे बीवी की तरह चोदने लगे - Mama se chut gand ki chudai karvayi
मामू जान मुझे बीवी की तरह चोदने लगे - Mama se chut gand ki chudai karvayi , घर के सभी लोगों ने चोदा , सामूहिक चुदाई होने लगी , मुझे चुदने का शौक है चुद गई चूत गांड चुदवा ली.
अरे खाला जान, इसमें क्या शर्माना ? देखो खाला मेरे घर में मेरे अलावा हैं मेरी भाभी जान और मेरी अम्मी जान। यानी एक है सास और दूसरी है उसकी बहू। मैं हूँ उसकी नन्द। यहाँ हम तीनो की पोजीशन दोहरी है। मैं बेटी भी हूँ और नन्द भी हूँ। अम्मी जान अम्मी भी हैं और सास भी हैं। इसी तरह मेरी भाभी जान भाभी भी हैं और बहू भी। तीन की तीनो भोसड़ी वाली भद्दर जवान हैं। तीनों की बुर चोदी बुर हमेशा चुदासी ही रहती है। तीनो को बड़े बड़े और मोटे मोटे लण्ड चाहिए वह भी एक लण्ड नहीं बल्कि २/३ लण्ड रोज़ ? ऐसे में भला हम तीनो एक दूसरे से कैसे शर्माती रहेंगीं और कब तक शरमायेगीं। अब हम लोग चोरी छिपे लण्ड कब तक अपनी बुर में घुसाती रहेंगीं। इसलिए एक दिन हम तीनो एक साथ बैठीं, खुल कर बातें की और फिर फैसला लिया की आज हम सब एक दूसरे की बुर में लौड़ा पेला करेंगीं । एक दूसरे की बुर चोदा करेंगीं और एक दूसरे की माँ बहन की गालियां दे दे कर सबकी गांड में दम करतीं रहेंगीं।
खाला ने पूंछा - तू भोसड़ी की नज़मा पहले ये बता की पहली बार किसका लण्ड किसकी बुर में पेला और कैसे पेला ? उसके बाद ये भी बता की तेरी बुर में किसने किसका लण्ड पेला ?
मैंने कहा - हां हां बताती हूँ। उस दिन इत्तिफाक से मेरी भाभी जान का अब्बू आया हुआ था। मेरे मन में सबसे पहले यही आया की आज की रात में उसके लण्ड का मज़ा लिया जाए। मैंने कभी उसका लण्ड देखा नहीं था। भाभी जान ने कभी अपने अब्बू का लण्ड पकड़ा की नहीं ? उससे कभी चुदवाया की नहीं ये सब मुझे मालूम नहीं था। बस मेरे मन में उसके अब्बू का लण्ड ही घूम रहा था। फिर कुछ देर में मेरा मामू जान भी आ गए। मैंने उसे भी बात चीत में शामिल कर लिया। फिर मैंने देखा की मेरी अम्मी जान अपने देवर यानी मेरे चचा जान से बात कर रहीं हैं। मैं उससे बोलने लगी और कहा चचा जान अब बहुत देर हो गयी है। आज रात को यहीं रुक जाओ। वह मान गया। रात में मैंने बिस्तर ज़मीन पर लगा दिया और कह दिया आज रात को सब लोग यहीं सोयेंगें . कोई कहीं और नहीं जाएगा। फिर क्या रात को सब लोग बिस्तर पर आ गए। सर्दियों का मौसम शुरू हो गया था। इसलिए सब लोग एक एक हलकी चादर ओढ़े हुए थे।
हम सब लोग एक गोल बनाकर बैठ गए और बातें करने लगे , मैं बैठी थी मेरे दाहिनी तरफ भाभी का अब्बू बैठा था। उसके दाहिनी तरफ अम्मी जान, फिर उसके दाहिनी तरफ चचा जान उसगे दाहिनी तरफ भाभी और फिर मेरा मामू बैठा था। यानी हर औरत के अगल बगल एक एक मर्द था और हर मर्द के अगल बगल एक औरत थी। मेरी एक तरफ भाभी का अब्बू तो दूसरी तरफ मामू जान। अम्मी के एक तरफ भाभी का अब्बू और दूसरी तरफ चचा जान। भाभी के एक तरफ चाचा जान और दूसरी तरफ मामू जान ? बातो बातों में मैंने धीरे से अपना हाथ भाभी के अब्बू के लण्ड पर रख दिया। लण्ड पहले तो ढीला था लेकिन मेरे हाथ का छुअन पाकर कर खड़ा होने लगा। उसने भी अपने हाथ धीरे से मेरी चूँचियों पर रख दिया। वह पजामा पहने था। मैंने धीरे से उसका नाड़ा खोला और हाथ अंदर घुसेड़ दिया। मैंने लण्ड पकड़ लिया। लण्ड बढ़ने लगा और वह मेरे बूब्स और जोर से दबाने लगा।
मैंने देखा की अम्मी जानका लौड़ा धीरे धीरे हिला रहीं हैं। चचा भी अम्मी से बिलकुल चिपका हुआ था। उसका हाथ शायद अम्मी के भोसड़ा में घुस गया था। इधर भाभी भी मामू जान के लण्ड का मज़ा अंदर ही अंदर लेने लगीं। मामू जान भाभी जान की चुम्मी ली और फिर उसकी चूँचियाँ बढ़ाकर बोल भी दिया तेरी तो चूँचियाँ मेरी बेटी की चूँचियों से ज्यादा बड़ी हैं। मैं समझ गयी की ये साला अपनी बेटी की बुर लेता होगा। और जब अपनी बेटी की बुर लेता होगा तो अपनी बहू की बुर भी जरूर चोदता होगा। इसलिए आज ये हम तीनो को खुल कर खूब चोदेगा। मैं मन ही मन खुश हो रही थी की आज पहली बार मुझे इन दोनों सास बहू की बुर में लौड़ा पेलने का मौक़ा मिलेगा। एक लौड़ा पेलूँगी अपनी अम्मी के भोसड़ा में और दूसरा लौड़ा अपनी भाभी जान की बुर में। आज मेरी तमन्ना पूरी होगी। फिर मैंने देखा की अम्मी जान की चूँचियाँ तो एकदम नंगी हो गयीं हैं और चचा जान उनमे मुंह मारने लगा है। चादर के बाहर उसके लण्ड का सुपाड़ा भी नज़र आने लगा। तो मेरी चूत की आग बहन चोद बुरी तरह भड़क उठी।
तब फिर मैंने भी अपनी चूँचियाँ खोल दीं और भाभी का अब्बू अहमद मेरी चूँचियाँ सबके सामने चाटने लगा। मैं भी जोर जोर से उसका लण्ड हिलने लगी। उधर मेरी भाभी जान भी मेरे मामू का लौड़ा झुक कर चूमने लगी और जबान निकाल का लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी। हम तीनो भोसड़ी वाली धीरे धीरे एकदम बेशरम होतीं जा रहीं थीं। भाभी की चूँचियाँ भी पूरी तरह खुल चुकी थीं। माहौल में गर्मी आ गई तो चादर की जरुरत नहीं महसूस हो रही थी। इतने में अम्मी जान ने चादर फिंक दी। वह लगभग नंगी नंगी चचा जान का लौड़ा खुले आम चाटने और चूमने लगीं। वह बोलीं सफीक मियां ( चचा जान का नाम) आज तेरा लौड़ा कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा है यार ? वह तपाक से बोला भाभी जान आज मेरा नंगा लौड़ा तेरी बेटी और तेरी बहू देख रहीं हैं न इसलिए ? अम्मी को देख कर मैं और बेशर्म हो गयी और भाभी भी। मैंने चादर फेंकी और भाभी के अब्बू अहमद का लौड़ा एकदम बाहर निकाल कर खूब मस्ती से चाटने लगी। लौड़ा साला एकदम तन कर खड़ा हो गया था। मैंने कहा अंकल तेरा लौड़ा तो साला 9" का है यार ? कभी अपनी बेटी की बुर में पेला है इसे ? वह बोला हां पेला है तभी तो आज मैं उसके सामने बिलकुल नंगा हूँ। उधर भाभी जान मामू जान का लण्ड झुक कर चूस रहीं थी और मामू जान उसकी चूत पर हाथ फेर रहा था।
हम सब लोग नंगे नंगे बिस्तर पर फ़ैल गए . किसी के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था। सब लोग सबको नंगी और नंगे देख रहे थे। मज़ा इसी में बहुत आने लगा। मैं पहली बार सबकी नंगी चूत और सबके नंगे लण्ड देख रही थी। मैंने देखा की अम्मी का भोसड़ा बहुत गरम हो गया है और चचा जान ने उसमे ऊँगली डाल डाल कर उसे मस्त बना दिया है। इधर भाभी के अब्बू का लण्ड भी मेरे हाथ में फनफना रहा था। बस मेरा मन बदल गया और मैंने उसका लण्ड अम्मी के भोसड़ा में टिका दिया। मैंने उसकी गांड ऊपर से दबा दी तो लण्ड सरसराता हुआ अंदर घुस गया। वह मेरी अम्मी का भोसड़ा चोदने लगा और मुझे मज़ा आने लगा। मुझे अपनीअम्मी का भोसड़ा चुदाना अच्छा लग रहा था। तब तक अम्मी जान ने चचा जान का लण्ड भाभी जान की बुर में पेल दिया। यानी सास ने अपनी बहू की बुर में लौड़ा घुसा दिया। सास को अपनी बहू की बुर चोदने में तनिक भी शर्म नहीं आ रही थी। यह पहली बार हुआ तो सबकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। उधर भाभी जान भी बुर चोदी बड़ी चालाक निकली। उसने मामू जान का लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। अब मामू जान मुझे अपनी बीवी की तरह चोदने लगा। अपनी बहू और बेटी की बुर समझ कर मेरी बुर चोदने लगा। सबकी मस्तियाँ बढ़ गईं तो कुछ गहरी गहरी मजाक भी होने लगी।
अम्मी जान बोली - भोसड़ी की नज़मा तू बहन चोद अपनी माँ चुदा रही है। तू कितनी बेशरम हो गयी है ?
मैंने कहा - अरे अम्मी जान, तू बेटी चोद क्या कम बेशर्म है। तूने तो लण्ड अपनी बहू की बुर में घुसा दिया। अपनी बहू चुदाने का मज़ा ले रही है तू । तेरी बिटिया की बुर, अम्मी जान ? और इधर देखो अम्मी जान, तेरी बहू कितनी मस्ती से अपनी नन्द की बुर चुदवा रही है।
उधर से भाभी भी बोल पड़ी - अरी मेरी मेरी बुर चोदी नन्द रानी, तू अपनी भाभी की बुर ले लण्ड पेलती है। उसकी बुर चुदवाती है। तेरी माँ अपनी बहू चुदवाती है और तेरी भाभी भोसड़ी वाली अपनी नन्द की बुर में लौड़ा ठोंकती है। ये सब बड़े नसीब से मिलता है। तेरी माँ की बहू की बुर, नन्द रानी। और सासू जी, तेरी बेटी की भाभी का भोसड़ा ?
इन सब बातों से तीनो लण्ड में अचानक बड़ा जोश आ गया और वो सब भकाभक चोदने लगे बुर। अम्मी ने कहा बहू तेरा अब्बा तो बहुत बढ़िया चोदता है यार। घुसा घुसा के चोद रहा है मेरी बुर। वाओ बड़ा मज़ा आ रहा है । और चोदो मेरे राजा। अपनी बेटी के आगे चोदो मुझे। अपनी बेटी की सास का भोसड़ा चोदो। फाड़ डालो मेरी बुर यार। तेरा लौड़ा तो गज़ब का है। उधर भाभी बोल रहीं थी हाय रे चचिया ससुर तू तो बहुत बड़ा चोदू है बहन चोद। मेरी चूत के चीथड़े उड़ा रहा है तू। मेरी चूत का हलवा बना दो यार। चूत की पूरी गर्मी निकाल दो मेरे राजा। तेरा लण्ड मुझे भा गया है। मैं भी कह रही थी की मामू जान तेरा लौड़ा साला बड़ा हरामजादा है। देखो न कैसे अपनी बहन की बेटी की बुर ले रहा है। इस भोसड़ी वाले को कोई शर्म नहीं आती ? इस तरह चुदाई का बढ़ता जा रहा था। इसी बीच कुछ और हो गया।
भाभी जान के अब्बा ने लण्ड अम्मी के भोसड़ा से निकाल कर अपनी बेटी की बुर में घुसा दिया। मैं यह देख कर दंग रह गयी की कितनी मस्ती से एक बाप अपनी बेटी की बुर चोद रहा है और बेटी भी उतनी ही मस्ती से चुदवा रही है। उधर मामू जान ने लण्ड अम्मी की बुर में पेल दिया। वह भी गचर गचर चोदने लगा। यहाँ भी देखो एक भाई अपनी बहन की बुर कितने मेज से चोद रहा है और बहन भी अपने भाई जान से कितने मजे से चुदवा रही है। तब तक चचा जान ने लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। वह बिना रुके मुझे धकाधक चोदने लगा। उसे अपनी भाई की बेटी चोदने में तनिक भी शर्म नहीं थी । मैं भी चचा जान से उसकी बीवी की तरह ही भकर भकर चुदवाने लगी। ये लण्ड का नशा ही कुछ और है। हम तीनो को लण्ड का नशा हो गया है यानी जिसका चाहो उसका लण्ड पेलो अपनी चूत में और चुदवाओ।
इस तरह रात भर हम लोगों ने दूसरे की चूत में लण्ड पेला और चोदा। दूसरे दिन मेरे चचा जान का बेटा असद आ गया। उधर खाला जान का भी बेटा साहिर आ गया और उसके साथ था उसका फूफी जान का बेटा अमर । इन तीनो एक गुट है। तीनो ही हम उम्र हैं, तीनो की शादी हो गई है और तीनों खूब मौज़ मस्ती करतें हैं। मैं वाकई बड़ी खुश थी क्योंकि वे लोग मेरी ही उम्र के थे. भाभी जान भी खुश थीं और उसने मेरे कान में कहा नन्द रानी कुछ करो न बहन चोद । इन्हें रात में रोको और फिर हम लोग इनके लण्ड का मज़ा लूटें। भाभी जान की बात मुझे भा गई। मेरी भी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैंने सबको बातों में उलझा लिया और फिर मैंने ही ऐलान किया आज कोई कहीं नहीं जायेगा। ये तीनो लोग आज रात हमारे घर में ही रुकेंगें और मज़ा करेंगें। वे लोग भी रुकने में पक्ष में ही थे क्योंकि उन्हें भी नई नई चूत दिखाई पड़ रही थी। उन्हें लगा की आज की रात चुदाई में बड़ा मज़ा आएगा।
फिर मैंने बिस्तर पर ही सबको शराब सौंप दी। हम सब दारू का मज़ा लेने लगे। मैं भी पीती हूँ मेरी अम्मी भी शराब पीतीं हैं और भाभी जान भी। मेरा तो कहना है की जो गैर मर्दों के लण्ड की शौक़ीन है वह शराब जरूर पीती है। हम सब कपड़े बहुत कम पहने हुए थे। वे लोग सिर्फ पजामा ऊपर नंगे बदन। पीते पीते मैंने खाला जान के बेटे साहिर के लण्ड पर हाथ रख ही दिया। उसे भी मज़ा आया और मैंने जब लण्ड दबाया तो वह मस्त हो गया। तभी अम्मी जान फूफी के बेटे अमर की तरफ हाथ बढ़ाकर बोली बेटा आज तुम लण्ड मेरी बहू की बुर में पेल देना और मेरी बेटी की बुर फाड़ कर दिखा देना। तब तक भाभी ने कहा अरे असद आज तुम मेरी सास का भोसड़ा जरूर फाड़ देना। उसे अपना भोसड़ा फड़वाने में बड़ा मज़ा आता है। हम तीनो एक दूसरे की बुर फड़वाने के लिए बेताब रहतीं हैं।
अम्मी जान ने अमर का लण्ड पजामा के बाहर निकाल लिया और उसे चूमने लगी। लण्ड बढ़ने लगा और बढ़ते बढ़ते 8" का हो गया। साहिर का लण्ड मेरे हाथ में कुलांचे भरने लगा और असद का लण्ड भाभी जान के हाथ में फनफनाने लगा। मैंने तीनो लण्ड पर नज़र दौड़ाई और कहा यार साहिर क्या बात है की तुम लोगों के लण्ड भी लगभग बराबर हैं। ये इत्तिफाक है की या फिर तुम लोगों ने कुछ किया है ? वह बोला नहीं यार ये खुदा की देन है पर हां हम लोग एक दूसरे साथ चुदाई का मज़ा खूब लेते है तो अच्छा लगता है। अगर कोई एक लड़की मिलती है तो हम तीनो उसे मिलकर चोदते हैं। कुछ बीवियां भी ऐसी है जो हम लोगों से एक साथ चुदवाती हैं। मैंने पूंछा और क्या क्या करते हो तुम लोग एक साथ ? साहिर बोला हम लोग एक दूसरे की बीवी चोदते हैं। मजे की बात यह है की मेरी बीवी इन दोनों के लण्ड बहुत पसंद करती है। अमर ने कहा अरे यार हम लोग एक दूसरे की बहन भी चोदते हैं। असद बोला यार साफ़ साफ़ कहो न की हम लोग एक दूसरे की माँ भी चोदते हैं। मेरी अम्मी इन दोनों से खूब चुदवाती है।
अमर ने बताया की मैं जब साहिर और असद के जाता हूँ तो इनकी अम्मियाँ मेरा लण्ड पकड़ लेतीं हैं. पहले वह
खुद चुदवाती हैं और फिर लण्ड अपनी बेटी की बुर में भी पेल देतीं हैं। हमारी अम्मियों को अपनी बेटियां चुदवाने में बड़ा मज़ा आता है। इस तरह की बातें करते हुए अमर ने लण्ड अम्मी के भोसड़ा में ठोंक दिया। अम्मी भी मस्त होकर चुदवाने लगीं। साहिर ने लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ कर मुझे चोदने लगा। उसका लौड़ा सच में बड़ा मोटा था। मेरी चूत में चारों तरफ से चिपक कर आ जा रहा था। लण्ड वही अच्छा होता है जो चूत के घेरे में अच्छी तरह चिपक कर घुसे। मेरी भाभी जान बड़ी बेशर्मी से असद से चुदवाने लगी। हम तीनो की बुर का बाजा बजने लगा और हम सब अपनी अपनी गांड उठा उठा के चुदवाने लगीं। अम्मी को चुदवाने में ज्यादा मज़ा आ रहा था क्योंकि वह लड़कों से चुदवाकर मस्त हो जातीं हैं। अम्मी ने पूंछा असद तूने कभी अपनी माँ का भोसड़ा चोदा है ? वह बोला हां चोदा है। हुआ यह था की मैं अपनी भाभी की बुर ले रहा था। मुझे नहीं मालूम की मेरी अम्मी जान कमरे मे कब आ गईं। वह मुझे चोदते हुए देख कर शायद बहुत खुश हुई। उसे लगा की मेरा बेटा अब बुर चोदने लगा। वह पूरी तरह मर्द बन गया है। वह भी नंगी थी। उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया। मुझे नहीं मालूम हुआ की ये मेरी अम्मी जान है। मुझे अपने आप मस्ती छाने लगी। मैं समझा की कोई और मेरा लण्ड पकड़ कर मुझसे चुदवाना चाहती है। उसने मेरा लण्ड अपनी चूत पर पहले तो रगड़ा और फिर छेद पर टिका दिया। मैं अपना मुंह ऊपर करके उसकी बुर में लण्ड पेल दिया और चोदने लगा। जब उसके मुंह से निकला वाह बेटा वाह। ऐसे ही चोदे जाओ। मैंने कहा अम्मी जान तुम ? वह बोली कोई बात नहीं तुम बस चोदो। तुम मर्द हो और मैं औरत। इसके अलावा कुछ भी नहीं। चोदो मुझे और चोदो। देखो साहिर भी अपनी माँ चोदता है और तेरा दोस्त सफीक भी अपनी माँ का भोसड़ा चोदता है ? अम्मी जाना की यह बात बिलकुल सही थी। मुझे सब मालूम है. तुम भोसड़ी के अपनी बहन की बुर ले सकते हो तो माँ की बुर क्यों नहीं ? बस उसी दिन से मैं अपनी माँ चोदने लगा। ऐसा हमारे समाज में अक्सर होता है।
अमर ने बताया की मैं और मेरा दोस्त समी एक दूसरे की माँ बहन दोनों चोदते हैं। और दोनों खूब मस्ती से चुदवाती भी हैं। मैंने पूंछा तो फिर एक दूसरे की बीवी चोदते हो की नहीं ?
वह बोला - अरे वह तो सुहागरात से चोद रहा हूँ। मैंने उसकी सुहागरात में उसकी बीवी चोदी और उसने मेरी सुहागरात में मेरी बीवी चोदी। तबसे हम दोनों एक दूसरे की बीवी चोद रहें हैं और हमारी बीवियां भी खूब मजे से चुदवा रही हैं।
कुछ देर बाद लण्ड की अदला बदली हो गई। अब मैं अमर से चुदवाने लगी, अम्मी जान असद से चुदवाने लगीं और भाभी जान साहिर से। लण्ड की अदला बदली करके चुदवाने में जो मज़ा है वह किसी और चुदाई में नहीं ? -
०=०=०=०=०=०=०= समाप्त
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अरे खाला जान, इसमें क्या शर्माना ? देखो खाला मेरे घर में मेरे अलावा हैं मेरी भाभी जान और मेरी अम्मी जान। यानी एक है सास और दूसरी है उसकी बहू। मैं हूँ उसकी नन्द। यहाँ हम तीनो की पोजीशन दोहरी है। मैं बेटी भी हूँ और नन्द भी हूँ। अम्मी जान अम्मी भी हैं और सास भी हैं। इसी तरह मेरी भाभी जान भाभी भी हैं और बहू भी। तीन की तीनो भोसड़ी वाली भद्दर जवान हैं। तीनों की बुर चोदी बुर हमेशा चुदासी ही रहती है। तीनो को बड़े बड़े और मोटे मोटे लण्ड चाहिए वह भी एक लण्ड नहीं बल्कि २/३ लण्ड रोज़ ? ऐसे में भला हम तीनो एक दूसरे से कैसे शर्माती रहेंगीं और कब तक शरमायेगीं। अब हम लोग चोरी छिपे लण्ड कब तक अपनी बुर में घुसाती रहेंगीं। इसलिए एक दिन हम तीनो एक साथ बैठीं, खुल कर बातें की और फिर फैसला लिया की आज हम सब एक दूसरे की बुर में लौड़ा पेला करेंगीं । एक दूसरे की बुर चोदा करेंगीं और एक दूसरे की माँ बहन की गालियां दे दे कर सबकी गांड में दम करतीं रहेंगीं।
खाला ने पूंछा - तू भोसड़ी की नज़मा पहले ये बता की पहली बार किसका लण्ड किसकी बुर में पेला और कैसे पेला ? उसके बाद ये भी बता की तेरी बुर में किसने किसका लण्ड पेला ?
मैंने कहा - हां हां बताती हूँ। उस दिन इत्तिफाक से मेरी भाभी जान का अब्बू आया हुआ था। मेरे मन में सबसे पहले यही आया की आज की रात में उसके लण्ड का मज़ा लिया जाए। मैंने कभी उसका लण्ड देखा नहीं था। भाभी जान ने कभी अपने अब्बू का लण्ड पकड़ा की नहीं ? उससे कभी चुदवाया की नहीं ये सब मुझे मालूम नहीं था। बस मेरे मन में उसके अब्बू का लण्ड ही घूम रहा था। फिर कुछ देर में मेरा मामू जान भी आ गए। मैंने उसे भी बात चीत में शामिल कर लिया। फिर मैंने देखा की मेरी अम्मी जान अपने देवर यानी मेरे चचा जान से बात कर रहीं हैं। मैं उससे बोलने लगी और कहा चचा जान अब बहुत देर हो गयी है। आज रात को यहीं रुक जाओ। वह मान गया। रात में मैंने बिस्तर ज़मीन पर लगा दिया और कह दिया आज रात को सब लोग यहीं सोयेंगें . कोई कहीं और नहीं जाएगा। फिर क्या रात को सब लोग बिस्तर पर आ गए। सर्दियों का मौसम शुरू हो गया था। इसलिए सब लोग एक एक हलकी चादर ओढ़े हुए थे।
हम सब लोग एक गोल बनाकर बैठ गए और बातें करने लगे , मैं बैठी थी मेरे दाहिनी तरफ भाभी का अब्बू बैठा था। उसके दाहिनी तरफ अम्मी जान, फिर उसके दाहिनी तरफ चचा जान उसगे दाहिनी तरफ भाभी और फिर मेरा मामू बैठा था। यानी हर औरत के अगल बगल एक एक मर्द था और हर मर्द के अगल बगल एक औरत थी। मेरी एक तरफ भाभी का अब्बू तो दूसरी तरफ मामू जान। अम्मी के एक तरफ भाभी का अब्बू और दूसरी तरफ चचा जान। भाभी के एक तरफ चाचा जान और दूसरी तरफ मामू जान ? बातो बातों में मैंने धीरे से अपना हाथ भाभी के अब्बू के लण्ड पर रख दिया। लण्ड पहले तो ढीला था लेकिन मेरे हाथ का छुअन पाकर कर खड़ा होने लगा। उसने भी अपने हाथ धीरे से मेरी चूँचियों पर रख दिया। वह पजामा पहने था। मैंने धीरे से उसका नाड़ा खोला और हाथ अंदर घुसेड़ दिया। मैंने लण्ड पकड़ लिया। लण्ड बढ़ने लगा और वह मेरे बूब्स और जोर से दबाने लगा।
मैंने देखा की अम्मी जानका लौड़ा धीरे धीरे हिला रहीं हैं। चचा भी अम्मी से बिलकुल चिपका हुआ था। उसका हाथ शायद अम्मी के भोसड़ा में घुस गया था। इधर भाभी भी मामू जान के लण्ड का मज़ा अंदर ही अंदर लेने लगीं। मामू जान भाभी जान की चुम्मी ली और फिर उसकी चूँचियाँ बढ़ाकर बोल भी दिया तेरी तो चूँचियाँ मेरी बेटी की चूँचियों से ज्यादा बड़ी हैं। मैं समझ गयी की ये साला अपनी बेटी की बुर लेता होगा। और जब अपनी बेटी की बुर लेता होगा तो अपनी बहू की बुर भी जरूर चोदता होगा। इसलिए आज ये हम तीनो को खुल कर खूब चोदेगा। मैं मन ही मन खुश हो रही थी की आज पहली बार मुझे इन दोनों सास बहू की बुर में लौड़ा पेलने का मौक़ा मिलेगा। एक लौड़ा पेलूँगी अपनी अम्मी के भोसड़ा में और दूसरा लौड़ा अपनी भाभी जान की बुर में। आज मेरी तमन्ना पूरी होगी। फिर मैंने देखा की अम्मी जान की चूँचियाँ तो एकदम नंगी हो गयीं हैं और चचा जान उनमे मुंह मारने लगा है। चादर के बाहर उसके लण्ड का सुपाड़ा भी नज़र आने लगा। तो मेरी चूत की आग बहन चोद बुरी तरह भड़क उठी।
तब फिर मैंने भी अपनी चूँचियाँ खोल दीं और भाभी का अब्बू अहमद मेरी चूँचियाँ सबके सामने चाटने लगा। मैं भी जोर जोर से उसका लण्ड हिलने लगी। उधर मेरी भाभी जान भी मेरे मामू का लौड़ा झुक कर चूमने लगी और जबान निकाल का लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी। हम तीनो भोसड़ी वाली धीरे धीरे एकदम बेशरम होतीं जा रहीं थीं। भाभी की चूँचियाँ भी पूरी तरह खुल चुकी थीं। माहौल में गर्मी आ गई तो चादर की जरुरत नहीं महसूस हो रही थी। इतने में अम्मी जान ने चादर फिंक दी। वह लगभग नंगी नंगी चचा जान का लौड़ा खुले आम चाटने और चूमने लगीं। वह बोलीं सफीक मियां ( चचा जान का नाम) आज तेरा लौड़ा कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा है यार ? वह तपाक से बोला भाभी जान आज मेरा नंगा लौड़ा तेरी बेटी और तेरी बहू देख रहीं हैं न इसलिए ? अम्मी को देख कर मैं और बेशर्म हो गयी और भाभी भी। मैंने चादर फेंकी और भाभी के अब्बू अहमद का लौड़ा एकदम बाहर निकाल कर खूब मस्ती से चाटने लगी। लौड़ा साला एकदम तन कर खड़ा हो गया था। मैंने कहा अंकल तेरा लौड़ा तो साला 9" का है यार ? कभी अपनी बेटी की बुर में पेला है इसे ? वह बोला हां पेला है तभी तो आज मैं उसके सामने बिलकुल नंगा हूँ। उधर भाभी जान मामू जान का लण्ड झुक कर चूस रहीं थी और मामू जान उसकी चूत पर हाथ फेर रहा था।
हम सब लोग नंगे नंगे बिस्तर पर फ़ैल गए . किसी के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था। सब लोग सबको नंगी और नंगे देख रहे थे। मज़ा इसी में बहुत आने लगा। मैं पहली बार सबकी नंगी चूत और सबके नंगे लण्ड देख रही थी। मैंने देखा की अम्मी का भोसड़ा बहुत गरम हो गया है और चचा जान ने उसमे ऊँगली डाल डाल कर उसे मस्त बना दिया है। इधर भाभी के अब्बू का लण्ड भी मेरे हाथ में फनफना रहा था। बस मेरा मन बदल गया और मैंने उसका लण्ड अम्मी के भोसड़ा में टिका दिया। मैंने उसकी गांड ऊपर से दबा दी तो लण्ड सरसराता हुआ अंदर घुस गया। वह मेरी अम्मी का भोसड़ा चोदने लगा और मुझे मज़ा आने लगा। मुझे अपनीअम्मी का भोसड़ा चुदाना अच्छा लग रहा था। तब तक अम्मी जान ने चचा जान का लण्ड भाभी जान की बुर में पेल दिया। यानी सास ने अपनी बहू की बुर में लौड़ा घुसा दिया। सास को अपनी बहू की बुर चोदने में तनिक भी शर्म नहीं आ रही थी। यह पहली बार हुआ तो सबकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। उधर भाभी जान भी बुर चोदी बड़ी चालाक निकली। उसने मामू जान का लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। अब मामू जान मुझे अपनी बीवी की तरह चोदने लगा। अपनी बहू और बेटी की बुर समझ कर मेरी बुर चोदने लगा। सबकी मस्तियाँ बढ़ गईं तो कुछ गहरी गहरी मजाक भी होने लगी।
अम्मी जान बोली - भोसड़ी की नज़मा तू बहन चोद अपनी माँ चुदा रही है। तू कितनी बेशरम हो गयी है ?
मैंने कहा - अरे अम्मी जान, तू बेटी चोद क्या कम बेशर्म है। तूने तो लण्ड अपनी बहू की बुर में घुसा दिया। अपनी बहू चुदाने का मज़ा ले रही है तू । तेरी बिटिया की बुर, अम्मी जान ? और इधर देखो अम्मी जान, तेरी बहू कितनी मस्ती से अपनी नन्द की बुर चुदवा रही है।
उधर से भाभी भी बोल पड़ी - अरी मेरी मेरी बुर चोदी नन्द रानी, तू अपनी भाभी की बुर ले लण्ड पेलती है। उसकी बुर चुदवाती है। तेरी माँ अपनी बहू चुदवाती है और तेरी भाभी भोसड़ी वाली अपनी नन्द की बुर में लौड़ा ठोंकती है। ये सब बड़े नसीब से मिलता है। तेरी माँ की बहू की बुर, नन्द रानी। और सासू जी, तेरी बेटी की भाभी का भोसड़ा ?
इन सब बातों से तीनो लण्ड में अचानक बड़ा जोश आ गया और वो सब भकाभक चोदने लगे बुर। अम्मी ने कहा बहू तेरा अब्बा तो बहुत बढ़िया चोदता है यार। घुसा घुसा के चोद रहा है मेरी बुर। वाओ बड़ा मज़ा आ रहा है । और चोदो मेरे राजा। अपनी बेटी के आगे चोदो मुझे। अपनी बेटी की सास का भोसड़ा चोदो। फाड़ डालो मेरी बुर यार। तेरा लौड़ा तो गज़ब का है। उधर भाभी बोल रहीं थी हाय रे चचिया ससुर तू तो बहुत बड़ा चोदू है बहन चोद। मेरी चूत के चीथड़े उड़ा रहा है तू। मेरी चूत का हलवा बना दो यार। चूत की पूरी गर्मी निकाल दो मेरे राजा। तेरा लण्ड मुझे भा गया है। मैं भी कह रही थी की मामू जान तेरा लौड़ा साला बड़ा हरामजादा है। देखो न कैसे अपनी बहन की बेटी की बुर ले रहा है। इस भोसड़ी वाले को कोई शर्म नहीं आती ? इस तरह चुदाई का बढ़ता जा रहा था। इसी बीच कुछ और हो गया।
भाभी जान के अब्बा ने लण्ड अम्मी के भोसड़ा से निकाल कर अपनी बेटी की बुर में घुसा दिया। मैं यह देख कर दंग रह गयी की कितनी मस्ती से एक बाप अपनी बेटी की बुर चोद रहा है और बेटी भी उतनी ही मस्ती से चुदवा रही है। उधर मामू जान ने लण्ड अम्मी की बुर में पेल दिया। वह भी गचर गचर चोदने लगा। यहाँ भी देखो एक भाई अपनी बहन की बुर कितने मेज से चोद रहा है और बहन भी अपने भाई जान से कितने मजे से चुदवा रही है। तब तक चचा जान ने लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। वह बिना रुके मुझे धकाधक चोदने लगा। उसे अपनी भाई की बेटी चोदने में तनिक भी शर्म नहीं थी । मैं भी चचा जान से उसकी बीवी की तरह ही भकर भकर चुदवाने लगी। ये लण्ड का नशा ही कुछ और है। हम तीनो को लण्ड का नशा हो गया है यानी जिसका चाहो उसका लण्ड पेलो अपनी चूत में और चुदवाओ।
इस तरह रात भर हम लोगों ने दूसरे की चूत में लण्ड पेला और चोदा। दूसरे दिन मेरे चचा जान का बेटा असद आ गया। उधर खाला जान का भी बेटा साहिर आ गया और उसके साथ था उसका फूफी जान का बेटा अमर । इन तीनो एक गुट है। तीनो ही हम उम्र हैं, तीनो की शादी हो गई है और तीनों खूब मौज़ मस्ती करतें हैं। मैं वाकई बड़ी खुश थी क्योंकि वे लोग मेरी ही उम्र के थे. भाभी जान भी खुश थीं और उसने मेरे कान में कहा नन्द रानी कुछ करो न बहन चोद । इन्हें रात में रोको और फिर हम लोग इनके लण्ड का मज़ा लूटें। भाभी जान की बात मुझे भा गई। मेरी भी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैंने सबको बातों में उलझा लिया और फिर मैंने ही ऐलान किया आज कोई कहीं नहीं जायेगा। ये तीनो लोग आज रात हमारे घर में ही रुकेंगें और मज़ा करेंगें। वे लोग भी रुकने में पक्ष में ही थे क्योंकि उन्हें भी नई नई चूत दिखाई पड़ रही थी। उन्हें लगा की आज की रात चुदाई में बड़ा मज़ा आएगा।
फिर मैंने बिस्तर पर ही सबको शराब सौंप दी। हम सब दारू का मज़ा लेने लगे। मैं भी पीती हूँ मेरी अम्मी भी शराब पीतीं हैं और भाभी जान भी। मेरा तो कहना है की जो गैर मर्दों के लण्ड की शौक़ीन है वह शराब जरूर पीती है। हम सब कपड़े बहुत कम पहने हुए थे। वे लोग सिर्फ पजामा ऊपर नंगे बदन। पीते पीते मैंने खाला जान के बेटे साहिर के लण्ड पर हाथ रख ही दिया। उसे भी मज़ा आया और मैंने जब लण्ड दबाया तो वह मस्त हो गया। तभी अम्मी जान फूफी के बेटे अमर की तरफ हाथ बढ़ाकर बोली बेटा आज तुम लण्ड मेरी बहू की बुर में पेल देना और मेरी बेटी की बुर फाड़ कर दिखा देना। तब तक भाभी ने कहा अरे असद आज तुम मेरी सास का भोसड़ा जरूर फाड़ देना। उसे अपना भोसड़ा फड़वाने में बड़ा मज़ा आता है। हम तीनो एक दूसरे की बुर फड़वाने के लिए बेताब रहतीं हैं।
अम्मी जान ने अमर का लण्ड पजामा के बाहर निकाल लिया और उसे चूमने लगी। लण्ड बढ़ने लगा और बढ़ते बढ़ते 8" का हो गया। साहिर का लण्ड मेरे हाथ में कुलांचे भरने लगा और असद का लण्ड भाभी जान के हाथ में फनफनाने लगा। मैंने तीनो लण्ड पर नज़र दौड़ाई और कहा यार साहिर क्या बात है की तुम लोगों के लण्ड भी लगभग बराबर हैं। ये इत्तिफाक है की या फिर तुम लोगों ने कुछ किया है ? वह बोला नहीं यार ये खुदा की देन है पर हां हम लोग एक दूसरे साथ चुदाई का मज़ा खूब लेते है तो अच्छा लगता है। अगर कोई एक लड़की मिलती है तो हम तीनो उसे मिलकर चोदते हैं। कुछ बीवियां भी ऐसी है जो हम लोगों से एक साथ चुदवाती हैं। मैंने पूंछा और क्या क्या करते हो तुम लोग एक साथ ? साहिर बोला हम लोग एक दूसरे की बीवी चोदते हैं। मजे की बात यह है की मेरी बीवी इन दोनों के लण्ड बहुत पसंद करती है। अमर ने कहा अरे यार हम लोग एक दूसरे की बहन भी चोदते हैं। असद बोला यार साफ़ साफ़ कहो न की हम लोग एक दूसरे की माँ भी चोदते हैं। मेरी अम्मी इन दोनों से खूब चुदवाती है।
अमर ने बताया की मैं जब साहिर और असद के जाता हूँ तो इनकी अम्मियाँ मेरा लण्ड पकड़ लेतीं हैं. पहले वह
अमर ने बताया की मैं और मेरा दोस्त समी एक दूसरे की माँ बहन दोनों चोदते हैं। और दोनों खूब मस्ती से चुदवाती भी हैं। मैंने पूंछा तो फिर एक दूसरे की बीवी चोदते हो की नहीं ?
वह बोला - अरे वह तो सुहागरात से चोद रहा हूँ। मैंने उसकी सुहागरात में उसकी बीवी चोदी और उसने मेरी सुहागरात में मेरी बीवी चोदी। तबसे हम दोनों एक दूसरे की बीवी चोद रहें हैं और हमारी बीवियां भी खूब मजे से चुदवा रही हैं।
कुछ देर बाद लण्ड की अदला बदली हो गई। अब मैं अमर से चुदवाने लगी, अम्मी जान असद से चुदवाने लगीं और भाभी जान साहिर से। लण्ड की अदला बदली करके चुदवाने में जो मज़ा है वह किसी और चुदाई में नहीं ? -
०=०=०=०=०=०=०= समाप्त
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