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मर्द कहीं भी दिखा सकता है अपना लंड - Mard hone ki nishani gali me nikala land
मर्द कहीं भी दिखा सकता है अपना लंड - Mard hone ki nishani gali me nikala land , मर्द हो तो दिखाओ अपना लण्ड , मुझे चोदकर शाबित करो तुम आदमी हो , लंड बड़ा तो पक्के मर्द हो.
उन दिनों मैं डिग्री कॉलेज में पढ़ती थी। मैं एक हसींन, चुलबुली और हॉट लड़की समझी जाती थी। अच्छी बात यह थी की मैं जितनी पढ़ाई में अच्छी थी उतनी ही चुदाई में भी अच्छी थी। मैं १६ साल की उमर से लण्ड पीने लगी थी और उसके ६ महीने के बाद चुदवाने भी लगी थी। यह बात किसी को नहीं मालूम थी शिवाय मेरी दो सहेलियों के ? वे थी शिवानी और रुपाली। मेरा नाम मेघा है। हम तीनो बंगाली लड़कियां हैं। आप तो जानते ही है की बंगाली लड़कियां बहुत खूबसूरत होती हैं, लण्ड पीने में बड़ी माहिर होती है और चुदवाने में उससे ज्यादा। कॉलेज में हम तीनो लड़कों की रैगिंग किया करतीं थीं। जो लड़का हमें पसंद आ जाता था, हम उसे पटा लेतीं थीं और फिर उसे किसी सहूलियत की जगह में ले जाकर उसका लण्ड पकड़तीं थीं, लण्ड चाटती चूसती थी और फिर किसी दिन मौक़ा पाकर बारी बारी से चुदवा भी लेतीं थीं। जब चुदवाने का मौक़ा नहीं मिलता था तो सड़का मार कर हम तीनों लण्ड पी लेतीं थीं। बड़े अच्छे दिन थे वो जब हम तीनों मिलकर लड़कों के लण्ड का मज़ा लूटा करतीं थीं।
इसी बीच हमें गालियां भी देना भी आ गया। बहन चोद मादर चोद भोसड़ी के, माँ लौड़े, पहले गांड मरा अपनी, ले मेरी उखाड़ ले झांटें, तू तो एक झांट भी नहीं उखाड़ पायेगा, तेरी माँ का भोसड़ा, तेरी बहन की चूत वगैरह वगैरह हमारे मुंहे से गोलियों की तरह निकलने लगती थीं। लड़के हमारी गालियां खास तौर से लण्ड की गालियां सुनने के लिए घंटों खड़े रहते थे। हम लोग लड़कों को लौड़ा या लौड़े कह कर बुलाया करती थी। हम सब एम बी ए फाइनल ईयर की स्टूडेंट्स थीं और अभी हाल में ही फर्स्ट ईयर में भर्ती हुई थी। इसलिए कुछ नए लड़के कॉलेज में दिखाई पड़ रहे थे।
उस दिन हम तीनो कॉलेज के कैंपस में एक पेड़ की छाया में खड़ी खड़ी बड़ी मस्ती की बातें कर रहीं थीं। अश्लील और गन्दी गन्दी बातें भी कर रहीं थीं अचानक मुझे एक स्मार्ट सा लड़का आता हुआ नज़र आया। मैंने आवाज़ लगाई - अबे ओये लौड़े मियां ज़रा इधर आना। वह मेरी आवाज़ सुनकर हमारी तरफ आने लगा। जब वह एकदम नजदीक आया तो मालूम हुआ की वह सच में बड़ा स्मार्ट है, हैंडसम है, गोरा चिट्टा और तगड़ा तंदुरुस्त भी है। शिवानी मेरे कान में बोली वॉवो, इसका लौड़ा भी इतना ही स्मार्ट होगा, यार ? रुपाली बोली हां यार और हैंडसम भी होगा साला इसका लौड़ा ?
मैंने पूंछ ही लिया - विपुल मैंने तुमसे अकेले आने के लिए कहा था तुम अपना दोस्त भी ले आये।
वह बोला - अरे मेघा जी मैंने सोंचा की कहीं ये लड़कियाँ मुझे अपने घर बुलाकर किसी चक्कर में न फंसा दें इसलिए मैं अपने दोस्त को ले आया।
मैंने कहा - अच्छा ये बताओ की मैंने जो करने के लिए तुमको बुलाया है वह तुम इसके सामने कर पावोगे ?
वह बोला - क्यों नहीं कर पाऊंगा ? ये मेरा पक्का दोस्त है। इसके सामने मुझे कुछ भी करने में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी।
मैंने कहा - दिक्कत की बात नहीं तुझे शर्म तो नहीं आएगी ?
वह बोला - नहीं आएगी। हम दोनों घर के साथ साथ ही रहतें हैं और बहुत कुछ साथ साथ करतें हैं।
रुपाली बोली - अच्छा, तो क्या एक दूसरे की गांड मारते हो घर में ?
शिवानी बोली - तो क्या एक दूसरे के लण्ड का सड़का मारते हो तुम लोग ?
यह सुनकर सब लोग खिलखिलाकर हंसने लगे।
मैंने कहा - अच्छा अब आखिरी सवाल पूंछ रही हूँ। उसका जबाब सही सही देना। क्या तुमने अपने दोस्त को बताया है की तुम्हे मैंने किसलिए बुलाया है ?
वह बोला - हां बताया है। पहले तो इसने इस बात को सही नहीं माना। मैंने जब जोर देकर कहा की यार मेरी हेल्प करो अगर मैं नहीं जाऊंगा तो पता नहीं की मैं कॉलेज के रह पाऊंगा की नहीं ?
रुपाली ने कहा - अच्छा इसका मतलब तेरी गांड फटी पड़ी थी।
वह बोली - वह तो अभी भी फटी पड़ी है। पता नहीं क्या होगा ?
एक बार फिर सबने ठहाका लगाया।
अब तक शराब का नशा सब पर चढ़ चुका था। सब लोग मस्ती में आ गए थे। शिवानी कुछ ज्यादा ही मस्ती में आ गयी और उसने अपनी चूँचियाँ खोल कर सबको दिखा दिया। दोनों लड़के आँखें फाड़ फाड़ कर उसे देखने लगे और उनके लण्ड में आग लग गयी। तब मैंने कहा विपुल अब तुम अपना लण्ड दिखाओ हमें और अपना वादा पूरा करो। वह खड़ा तो हुआ पर लण्ड नहीं खोला। उसने कहा पहले तुम दिखाओ अपनी ? मुझे भी थोड़ा जोश आ गया तो मैंने अपनी जींस दो इंच नीचे किया और उसे अपनी झांटें दिखा दीं। मैंने कहा रुपाली तुम इस भोसड़ी वाले की पैंट खोल कर इसे नंगा कर दो। रुपाली उठी और पैंट खोलने लगी। आखिर में उसका लौड़ा बाहर निकाल ही लिया। लौड़ा साला बड़ा शानदार लग रहा था। रुपाली ने लण्ड की कई बार चुम्मी ली और उसे मुठ्ठी में लेकर प्यार से हिलाने लगी। तब तक शिवानी आगे आयी और अरविन्द के कपड़े उतारने लगी। वह कुछ बोला नहीं। जब वह नंगा हो गया तो उसका लण्ड टन्न से सबके सामने खड़ा हो गया। हमें लगा की इसका लण्ड विपुल के लण्ड से थोड़ा ज्यादा मोटा है।
दोनों लण्ड देख कर हम सबकी चूत गीली हो गयी और हमारे मुंह से लण्ड चाटने के लिए लार टपकने लगी। मैं भी दोनों लण्ड हिला हिला कर देखने लगी। मुझे अच्छा लगा। मैंने फिर एक इंची टेप अपनी पर्श से निकाला और शिवानी को देकर कहा अब तुम इन दोनों के लण्ड नापो। शिवानी लण्ड नापने लगी और बोली वॉवो विपुल के लण्ड का साइज 8" x 5" है अरविन्द का लण्ड का साइज 8" x 5" + है। दोनों ही लण्ड लोहे की तरह सख्त हैं और चूत का बाजा अच्छी तरह बजाने वाले हैं. तब तक मैं बिलकुल नंगी हो चुकी थी। उधर विपुल और अरविन्द को उन दोनों ने नंगा कर दिया था। बाद में शिवानी और रुपाली भी नंगी हो गईं। अब घर में हम पाँचों लोग नंगे थे तो मज़ा दूना हो गया। मस्ती बढ़ गयी और अब किसी को कोई शक नहीं रहा. अब ये दोनों लण्ड हम तीनो की बुर अच्छी तरह चोदेंगें। शिवानी ने विपुल का लण्ड अपने मुंह में डाला और चूसने लगी। अंदर ही अंदर सुपाड़े के चारो तरफ जबान फिराने लगी और विपुल सिस्याने लगा। यही काम रुपाली अरविन्द के लण्ड के साथ करने लगी और मैं दोनों के पेल्हड़ चूमने लगी।
कुछ देर बाद मैंने दोनों लण्ड अपने मुंह में पेला और चूसने लगी। वे दोनों मेरा साथ देने लगी और हम सब मिलकर लण्ड का मज़ा बारी बारी से लेने लगीं। फिर रुपाली ने अरविन्द का लण्ड अपनी बुर में पेलवा लिया और शिवानी ने विपुल का लण्ड। दोनों रंडी की तरह चुदवाने लगीं और मैं उनका साथ देने लगी।
मैं बीच बीच में कभी अरविन्द का लण्ड निकाल कर चाट लेती कभी विपुल का लण्ड ? मैं मन ही मन कह रही थी की चलो आज छुट्टी के दिन में हम सबको दो दो लण्ड का मज़ा तो मिल रहा है। इतने में शिवानी ने लण्ड अपनी चूत से निकाल कर मेरी चूत में घुसेड़ दिया और कहा लो मेघा अब मैं चोदूँगी तेरी बुर। वह लौड़ा पेल कर विपुल के ऊपर चढ़ गयी और उसके ऊपर लेट गयी। अब जब विपुल अपने चूतड़ उठा उठा के बुर चोदता तो शिवानी को भी एहसास होने लगा की वह भी विपुल के साथ मेरी बुर चोद रही है। मैंने कहा वाओ बड़ा मज़ा आ रहा है विपुल। तेरा लण्ड साला बड़ा सख्त है अंदर तक घुस कर चोट करता है। मुझे इसी तरह चोदते जाओ। आ हां ओ ऊँ हां हाय रे लण्ड अहा हूँ हे गज़ब का लौड़ा है तेरा और चोदो। मुझे अपनी बीवी समझ लो और चोदो। उधर रुपाली भी मज़ा आने पर कुछ न कुछ बोले जा रही थी। हाय अरविन्द पूरा लौड़ा पेल के चोदो। खूब चोदो मुझे। हर रोज़ चोदो मुझे रोज़ एक बार मेरी बुर फाड़ के जाया करो मेरे राजा। बड़ा मजबूत लौड़ा तेरा है यार। तेरे लण्ड की माँ का भोसड़ा। साला इतने दिनों के बाद घुसा है मेरी बुर में पहले क्यों नहीं घुसा। इसी तरह की बातें करती हुई हम तीनो सहेलियां चुदवाने का मज़ा लूट रहीं थीं. कुछ देर बाद अरविन्द आया और उसने अपना लण्ड मेरी चूत में पेला। उधर विपुल ने लण्ड रुपाली की चूत में घुसा दिया।
वो दोनों मस्ती से इसी तरह हमं तीनो की बुर चोदने लगे। मज़ा मुझे भी आ रहा था और शिवानी रुपाली को भी। फिर ये लोग हमें पीछे से चोदने लगे। मुझे तो पीछे से भी चुदवाना बड़ा अच्छा लगता है। मेरी तो चूत कुछ देर बाद बोल गयी और रुपाली भी खलास हो गयी। शिवानी जरूर थोड़ी देर रुकी रही। इतने में विपुल का लण्ड उगलने लगा वीर्य जिसे हम सबने मुंह में लिया और जब अरविन्द का लौड़ा झड़ने लगा तो उसे भी हम सबने खूब पिया और लण्ड का सुपाड़ा मजे से चाटा। एक दिन मैंने तरुण नाम के लड़के को देख लिया। वह मुझे एक ही नज़र में भा गया। मैंने उसे बुलाया और पूंछा यार तुम कहाँ से हो और यहाँ कब एडमिशन लिया। वह बोला मेरा नाम तरुण कानपुर से आया हूँ और कल ही एडमिशन लिया। आज मेरा पहला दिन है। मैंने कहा अच्छा तो तुम बैठो मेरी कार में मैं तुम्हे घुमा कर लाती हूँ। वह मेरे बगल में बैठ गया। मैंने उसे सीधे आपमें घर ले आयी। वह बोलै अरे आप मुझे यहाँ किसके घर ले जा रही हैं। मैंने कहा मैं अपने घर जा रही हूँ तेरे साथ। अब चुपचाप चले आयो। उस दिन इत्तिफाक से न शिवानी थी और न रुपाली। मैं अकेले थी। मैंने उसे व्हिस्की ऊफर की तो वह पीने लगा और मैं भी उसके साथ। हमारी बात चीत होने लगी।
मैंने पूंछा - तुम्हारी उम्र क्या है ?
वह बोला - मैं २३ साल का हूँ।
मैंने कहा - वोवो तब तो तुम पूरे मर्द बन चुके हो ?
वह बोला - हां मैडम पूरा मर्द बन चुका हूँ।
मैंने कहा - मर्द बन चुके हो तो अपना 'लण्ड' दिखाओ मुझे ?
वह इस जबाब तैयार न था। लेकिन मुझसे 'लण्ड' सुनकर उसके 'लण्ड' में आग लग गयी। दरवाजा बंद था ही और एक एक पैग शराब हम लोग पी चुके थे।
उसने कहा - अरे मैडम ,,,,,,,,,,,,,,,?
मैंने कहा - मैडम की माँ की चूत यार। मैं मेघा हूँ। मुझे मेघा कहो या फिर बुर चोदी मेघा, बहन चोद मेघा, मादर चोद मेघा, माँ की लौड़ी भोसड़ी वाली मेघा कहो। मैं अपनी दोस्तों से ऐसे ही बात करती हूँ। मैं फिर उठी और अपनी चूँचियाँ खोल कर उसे दिखा दीं। मैंने बोली लो देखो इन्हें यार अब तुमसे क्या छिपाना ? मैं लड़की होकर शर्मा नहीं रही हूँ और तुम मर्द होते हुए भी शर्मा रहे हो ?
मैंने उसे उठाया और उसकी पैंट खोल डाली। फिर उसकी नेकर उतार कर लौड़ा बाहर निकाल लिया। मैंने लौड़ा हिलाया, प्यार से उसकी चुम्मी ली। पेल्हड़ चूमे और जबान निकाल कर सुपाड़ा चाटा तो लण्ड फिर पूरा खड़ा हो गया। मुझे मालूम हुआ की इसका लण्ड विपुल और अरविन्द के लण्ड से बड़ा भी है और मोटा भी कुछ ज्यादा ही है। फिर क्या मैंने उससे दिन भर चुदवाया।
शाम को करीब ६ बजे वह मुझे धकाधक चोद कर गया।
=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०= समाप्त
उन दिनों मैं डिग्री कॉलेज में पढ़ती थी। मैं एक हसींन, चुलबुली और हॉट लड़की समझी जाती थी। अच्छी बात यह थी की मैं जितनी पढ़ाई में अच्छी थी उतनी ही चुदाई में भी अच्छी थी। मैं १६ साल की उमर से लण्ड पीने लगी थी और उसके ६ महीने के बाद चुदवाने भी लगी थी। यह बात किसी को नहीं मालूम थी शिवाय मेरी दो सहेलियों के ? वे थी शिवानी और रुपाली। मेरा नाम मेघा है। हम तीनो बंगाली लड़कियां हैं। आप तो जानते ही है की बंगाली लड़कियां बहुत खूबसूरत होती हैं, लण्ड पीने में बड़ी माहिर होती है और चुदवाने में उससे ज्यादा। कॉलेज में हम तीनो लड़कों की रैगिंग किया करतीं थीं। जो लड़का हमें पसंद आ जाता था, हम उसे पटा लेतीं थीं और फिर उसे किसी सहूलियत की जगह में ले जाकर उसका लण्ड पकड़तीं थीं, लण्ड चाटती चूसती थी और फिर किसी दिन मौक़ा पाकर बारी बारी से चुदवा भी लेतीं थीं। जब चुदवाने का मौक़ा नहीं मिलता था तो सड़का मार कर हम तीनों लण्ड पी लेतीं थीं। बड़े अच्छे दिन थे वो जब हम तीनों मिलकर लड़कों के लण्ड का मज़ा लूटा करतीं थीं।
इसी बीच हमें गालियां भी देना भी आ गया। बहन चोद मादर चोद भोसड़ी के, माँ लौड़े, पहले गांड मरा अपनी, ले मेरी उखाड़ ले झांटें, तू तो एक झांट भी नहीं उखाड़ पायेगा, तेरी माँ का भोसड़ा, तेरी बहन की चूत वगैरह वगैरह हमारे मुंहे से गोलियों की तरह निकलने लगती थीं। लड़के हमारी गालियां खास तौर से लण्ड की गालियां सुनने के लिए घंटों खड़े रहते थे। हम लोग लड़कों को लौड़ा या लौड़े कह कर बुलाया करती थी। हम सब एम बी ए फाइनल ईयर की स्टूडेंट्स थीं और अभी हाल में ही फर्स्ट ईयर में भर्ती हुई थी। इसलिए कुछ नए लड़के कॉलेज में दिखाई पड़ रहे थे।
उस दिन हम तीनो कॉलेज के कैंपस में एक पेड़ की छाया में खड़ी खड़ी बड़ी मस्ती की बातें कर रहीं थीं। अश्लील और गन्दी गन्दी बातें भी कर रहीं थीं अचानक मुझे एक स्मार्ट सा लड़का आता हुआ नज़र आया। मैंने आवाज़ लगाई - अबे ओये लौड़े मियां ज़रा इधर आना। वह मेरी आवाज़ सुनकर हमारी तरफ आने लगा। जब वह एकदम नजदीक आया तो मालूम हुआ की वह सच में बड़ा स्मार्ट है, हैंडसम है, गोरा चिट्टा और तगड़ा तंदुरुस्त भी है। शिवानी मेरे कान में बोली वॉवो, इसका लौड़ा भी इतना ही स्मार्ट होगा, यार ? रुपाली बोली हां यार और हैंडसम भी होगा साला इसका लौड़ा ?
- मैंने कहा - यार क्या नाम है तेरा ? और तू कहाँ से आया है ?
- वह बोला - मेरा नाम विपुल है मैं जबलपुर आया हूँ।
- रुपाली - जबलपुर से आया है की चूतपुर से आया है भोसड़ी के ? सब जोर से ठहाका लगाने लगीं
- शिवानी - इतनी दूर से तू यहाँ क्या अपनी गांड मराने आया है की अपनी माँ चुदाने ?
- मैंने कहा - अच्छा ये बता तेरी उम्र कितनी है ?
- यही कोई 21 साल की ?
- रुपाली - तब तो तुम अभी बच्चे हो यार ? तेरी तो झांट भी नहीं आयी होगी बहन चोद ?
- नहीं मैं बच्चा नहीं हूँ। बड़ा हो गया हूँ।
- मैंने कहा - कितने बड़े हो गए हो तुम और कितना बड़ा हो गया है तेरा लण्ड ?
- मैं अब तो पूरा मर्द हो गया हूँ ?
- रुपाली - अच्छा अगर तू मर्द हो गया है तो अपनी झांटें दिखा मुझे ?
- वह बड़े भोलेपैन से बोला - नहीं अभी नहीं है तो दिखा नहीं सकता ?
- मैंने कहा - ओ आई सी, तुम अपनी झांटें साफ़ करके आये हो।
- अच्छा बताओ किससे अपनी झांटें बनवाते हो तुम ?
- मैं खुद ही बनाता हूँ, बनवाता नहीं हूँ ।
- रुपाली - अच्छा चलो झांट नहीं तो तुम अपना लण्ड दिखाओ मुझे ? झांटों के साथ लण्ड तो नहीं साफ कर दिया तूने ? हम तीनो बड़ी जोर से हंसने लगीं।
- वह बोला - ये कैसे हो सकता है ?
- शिवानी बोली - अच्छा ठीक है, मर्द हो तो हमें दिखाओ अपना लण्ड ?
- यहाँ कैसे दिखा सकता हूँ ? कहीं और चलो तो दिखा दूंगा।
- मैंने कहा - बड़े बोल्ड हो यार तुम ? सच में दिखा दोगे ? वादा खिलाफी तो नहीं करोगे ?
- नहीं करूंगा। मर्द का बच्चा हूँ जो कह दिया वो कह दिया।
- मैंने कहा - तो लो ये हमारा पता है। कल संडे है। कल सुबह 10 बजे तुम आना मेरे घर हमें अपना लण्ड दिखाने। अगर तू नहीं आया तो मैं तेरी माँ चोद दूँगी, विपुल ?
- ठीक आ जाऊंगा। पर मुझे बेवकूफ मत बनाना ? मैं दिखाऊंगा तो तुम्हे भी दिखाना पड़ेगा।
- मैंने कहा - अबे भोसड़ी के पहले आकर तो दिखा मुझे, माँ के लौड़े ?
मैंने पूंछ ही लिया - विपुल मैंने तुमसे अकेले आने के लिए कहा था तुम अपना दोस्त भी ले आये।
वह बोला - अरे मेघा जी मैंने सोंचा की कहीं ये लड़कियाँ मुझे अपने घर बुलाकर किसी चक्कर में न फंसा दें इसलिए मैं अपने दोस्त को ले आया।
मैंने कहा - अच्छा ये बताओ की मैंने जो करने के लिए तुमको बुलाया है वह तुम इसके सामने कर पावोगे ?
वह बोला - क्यों नहीं कर पाऊंगा ? ये मेरा पक्का दोस्त है। इसके सामने मुझे कुछ भी करने में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी।
मैंने कहा - दिक्कत की बात नहीं तुझे शर्म तो नहीं आएगी ?
वह बोला - नहीं आएगी। हम दोनों घर के साथ साथ ही रहतें हैं और बहुत कुछ साथ साथ करतें हैं।
रुपाली बोली - अच्छा, तो क्या एक दूसरे की गांड मारते हो घर में ?
शिवानी बोली - तो क्या एक दूसरे के लण्ड का सड़का मारते हो तुम लोग ?
यह सुनकर सब लोग खिलखिलाकर हंसने लगे।
मैंने कहा - अच्छा अब आखिरी सवाल पूंछ रही हूँ। उसका जबाब सही सही देना। क्या तुमने अपने दोस्त को बताया है की तुम्हे मैंने किसलिए बुलाया है ?
वह बोला - हां बताया है। पहले तो इसने इस बात को सही नहीं माना। मैंने जब जोर देकर कहा की यार मेरी हेल्प करो अगर मैं नहीं जाऊंगा तो पता नहीं की मैं कॉलेज के रह पाऊंगा की नहीं ?
रुपाली ने कहा - अच्छा इसका मतलब तेरी गांड फटी पड़ी थी।
वह बोली - वह तो अभी भी फटी पड़ी है। पता नहीं क्या होगा ?
एक बार फिर सबने ठहाका लगाया।
अब तक शराब का नशा सब पर चढ़ चुका था। सब लोग मस्ती में आ गए थे। शिवानी कुछ ज्यादा ही मस्ती में आ गयी और उसने अपनी चूँचियाँ खोल कर सबको दिखा दिया। दोनों लड़के आँखें फाड़ फाड़ कर उसे देखने लगे और उनके लण्ड में आग लग गयी। तब मैंने कहा विपुल अब तुम अपना लण्ड दिखाओ हमें और अपना वादा पूरा करो। वह खड़ा तो हुआ पर लण्ड नहीं खोला। उसने कहा पहले तुम दिखाओ अपनी ? मुझे भी थोड़ा जोश आ गया तो मैंने अपनी जींस दो इंच नीचे किया और उसे अपनी झांटें दिखा दीं। मैंने कहा रुपाली तुम इस भोसड़ी वाले की पैंट खोल कर इसे नंगा कर दो। रुपाली उठी और पैंट खोलने लगी। आखिर में उसका लौड़ा बाहर निकाल ही लिया। लौड़ा साला बड़ा शानदार लग रहा था। रुपाली ने लण्ड की कई बार चुम्मी ली और उसे मुठ्ठी में लेकर प्यार से हिलाने लगी। तब तक शिवानी आगे आयी और अरविन्द के कपड़े उतारने लगी। वह कुछ बोला नहीं। जब वह नंगा हो गया तो उसका लण्ड टन्न से सबके सामने खड़ा हो गया। हमें लगा की इसका लण्ड विपुल के लण्ड से थोड़ा ज्यादा मोटा है।
दोनों लण्ड देख कर हम सबकी चूत गीली हो गयी और हमारे मुंह से लण्ड चाटने के लिए लार टपकने लगी। मैं भी दोनों लण्ड हिला हिला कर देखने लगी। मुझे अच्छा लगा। मैंने फिर एक इंची टेप अपनी पर्श से निकाला और शिवानी को देकर कहा अब तुम इन दोनों के लण्ड नापो। शिवानी लण्ड नापने लगी और बोली वॉवो विपुल के लण्ड का साइज 8" x 5" है अरविन्द का लण्ड का साइज 8" x 5" + है। दोनों ही लण्ड लोहे की तरह सख्त हैं और चूत का बाजा अच्छी तरह बजाने वाले हैं. तब तक मैं बिलकुल नंगी हो चुकी थी। उधर विपुल और अरविन्द को उन दोनों ने नंगा कर दिया था। बाद में शिवानी और रुपाली भी नंगी हो गईं। अब घर में हम पाँचों लोग नंगे थे तो मज़ा दूना हो गया। मस्ती बढ़ गयी और अब किसी को कोई शक नहीं रहा. अब ये दोनों लण्ड हम तीनो की बुर अच्छी तरह चोदेंगें। शिवानी ने विपुल का लण्ड अपने मुंह में डाला और चूसने लगी। अंदर ही अंदर सुपाड़े के चारो तरफ जबान फिराने लगी और विपुल सिस्याने लगा। यही काम रुपाली अरविन्द के लण्ड के साथ करने लगी और मैं दोनों के पेल्हड़ चूमने लगी।
मैं बीच बीच में कभी अरविन्द का लण्ड निकाल कर चाट लेती कभी विपुल का लण्ड ? मैं मन ही मन कह रही थी की चलो आज छुट्टी के दिन में हम सबको दो दो लण्ड का मज़ा तो मिल रहा है। इतने में शिवानी ने लण्ड अपनी चूत से निकाल कर मेरी चूत में घुसेड़ दिया और कहा लो मेघा अब मैं चोदूँगी तेरी बुर। वह लौड़ा पेल कर विपुल के ऊपर चढ़ गयी और उसके ऊपर लेट गयी। अब जब विपुल अपने चूतड़ उठा उठा के बुर चोदता तो शिवानी को भी एहसास होने लगा की वह भी विपुल के साथ मेरी बुर चोद रही है। मैंने कहा वाओ बड़ा मज़ा आ रहा है विपुल। तेरा लण्ड साला बड़ा सख्त है अंदर तक घुस कर चोट करता है। मुझे इसी तरह चोदते जाओ। आ हां ओ ऊँ हां हाय रे लण्ड अहा हूँ हे गज़ब का लौड़ा है तेरा और चोदो। मुझे अपनी बीवी समझ लो और चोदो। उधर रुपाली भी मज़ा आने पर कुछ न कुछ बोले जा रही थी। हाय अरविन्द पूरा लौड़ा पेल के चोदो। खूब चोदो मुझे। हर रोज़ चोदो मुझे रोज़ एक बार मेरी बुर फाड़ के जाया करो मेरे राजा। बड़ा मजबूत लौड़ा तेरा है यार। तेरे लण्ड की माँ का भोसड़ा। साला इतने दिनों के बाद घुसा है मेरी बुर में पहले क्यों नहीं घुसा। इसी तरह की बातें करती हुई हम तीनो सहेलियां चुदवाने का मज़ा लूट रहीं थीं. कुछ देर बाद अरविन्द आया और उसने अपना लण्ड मेरी चूत में पेला। उधर विपुल ने लण्ड रुपाली की चूत में घुसा दिया।
वो दोनों मस्ती से इसी तरह हमं तीनो की बुर चोदने लगे। मज़ा मुझे भी आ रहा था और शिवानी रुपाली को भी। फिर ये लोग हमें पीछे से चोदने लगे। मुझे तो पीछे से भी चुदवाना बड़ा अच्छा लगता है। मेरी तो चूत कुछ देर बाद बोल गयी और रुपाली भी खलास हो गयी। शिवानी जरूर थोड़ी देर रुकी रही। इतने में विपुल का लण्ड उगलने लगा वीर्य जिसे हम सबने मुंह में लिया और जब अरविन्द का लौड़ा झड़ने लगा तो उसे भी हम सबने खूब पिया और लण्ड का सुपाड़ा मजे से चाटा। एक दिन मैंने तरुण नाम के लड़के को देख लिया। वह मुझे एक ही नज़र में भा गया। मैंने उसे बुलाया और पूंछा यार तुम कहाँ से हो और यहाँ कब एडमिशन लिया। वह बोला मेरा नाम तरुण कानपुर से आया हूँ और कल ही एडमिशन लिया। आज मेरा पहला दिन है। मैंने कहा अच्छा तो तुम बैठो मेरी कार में मैं तुम्हे घुमा कर लाती हूँ। वह मेरे बगल में बैठ गया। मैंने उसे सीधे आपमें घर ले आयी। वह बोलै अरे आप मुझे यहाँ किसके घर ले जा रही हैं। मैंने कहा मैं अपने घर जा रही हूँ तेरे साथ। अब चुपचाप चले आयो। उस दिन इत्तिफाक से न शिवानी थी और न रुपाली। मैं अकेले थी। मैंने उसे व्हिस्की ऊफर की तो वह पीने लगा और मैं भी उसके साथ। हमारी बात चीत होने लगी।
मैंने पूंछा - तुम्हारी उम्र क्या है ?
वह बोला - मैं २३ साल का हूँ।
मैंने कहा - वोवो तब तो तुम पूरे मर्द बन चुके हो ?
वह बोला - हां मैडम पूरा मर्द बन चुका हूँ।
मैंने कहा - मर्द बन चुके हो तो अपना 'लण्ड' दिखाओ मुझे ?
वह इस जबाब तैयार न था। लेकिन मुझसे 'लण्ड' सुनकर उसके 'लण्ड' में आग लग गयी। दरवाजा बंद था ही और एक एक पैग शराब हम लोग पी चुके थे।
उसने कहा - अरे मैडम ,,,,,,,,,,,,,,,?
मैंने कहा - मैडम की माँ की चूत यार। मैं मेघा हूँ। मुझे मेघा कहो या फिर बुर चोदी मेघा, बहन चोद मेघा, मादर चोद मेघा, माँ की लौड़ी भोसड़ी वाली मेघा कहो। मैं अपनी दोस्तों से ऐसे ही बात करती हूँ। मैं फिर उठी और अपनी चूँचियाँ खोल कर उसे दिखा दीं। मैंने बोली लो देखो इन्हें यार अब तुमसे क्या छिपाना ? मैं लड़की होकर शर्मा नहीं रही हूँ और तुम मर्द होते हुए भी शर्मा रहे हो ?
मैंने उसे उठाया और उसकी पैंट खोल डाली। फिर उसकी नेकर उतार कर लौड़ा बाहर निकाल लिया। मैंने लौड़ा हिलाया, प्यार से उसकी चुम्मी ली। पेल्हड़ चूमे और जबान निकाल कर सुपाड़ा चाटा तो लण्ड फिर पूरा खड़ा हो गया। मुझे मालूम हुआ की इसका लण्ड विपुल और अरविन्द के लण्ड से बड़ा भी है और मोटा भी कुछ ज्यादा ही है। फिर क्या मैंने उससे दिन भर चुदवाया।
शाम को करीब ६ बजे वह मुझे धकाधक चोद कर गया।
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Tags: मर्द कहीं भी दिखा सकता है अपना लंड - Mard hone ki nishani gali me nikala land , मर्द हो तो दिखाओ अपना लण्ड , मुझे चोदकर शाबित करो तुम आदमी हो , लंड बड़ा तो पक्के मर्द हो.
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