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विधवा भाभी की प्यास बुझाई - Vidhwa Bhabhi ki pyas bujhai
विधवा भाभी की प्यास बुझाई , कई महीनों बाद चोदा , तड़पती प्यासी भूखी बुर को चोद दिया - Vidhwa Bhabhi ki pyas bujhai , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
Hindi sex kahani, antarvasna मैं जिस कॉलोनी में रहता हूं उस कॉलोनी में हम लोगों को रहते हुए 15 वर्ष हो चुके हैं मैं एक इंजीनियर हूं और मेरे पापा बैंक में जॉब करते हैं हमारे परिवार की सब लोग इज्जत करते हैं और हमारे कॉलोनी में लगभग सब लोग हमें जानते हैं। मेरे जीवन में भी सब कुछ ठीक चल रहा था और मैं बहुत खुश था क्योंकि मुझे किसी भी चीज की कमी नहीं थी मेरे माता-पिता मेरा बहुत ध्यान रखते थे और मेरी अच्छी जॉब भी थी।
मैं घर में इकलौता हूं इसलिए मुझे कभी किसी चीज की कमी नहीं हुई लेकिन मुझे क्या मालूम था कि कुछ ही समय बाद सब बदलने वाला है जब मेरी जिंदगी में मीनाक्षी आई। दरअसल मीनाक्षी हमारे पड़ोस में रहने के लिए आई थी वह हमारे पड़ोस में किराए पर रहती है और उसका एक छोटा बच्चा भी है जिसकी उम्र 3 वर्ष के आसपास है मुझे मीनाक्षी के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था।
एक दिन मैं घर पर ही था तो उसका बच्चा ना जाने कैसे घर से बाहर निकल आया और मेरी नजर उस पर पड़ी मैंने इधर उधर देखा लेकिन मुझे कोई दिखाई नहीं दिया मैं जब बाहर निकला तो मैंने उस बच्चे को उठाया और अपने घर पर ले आया कुछ ही देर बाद मीनाक्षी बाहर आई और वह मुझे कहने लगी कि यह मेरा बच्चा है। मैंने उसे कहा क्या आप अपने बच्चे का ध्यान नहीं रख सकते तो वह मुझे कहने लगी दरअसल मैं बाथरूम में कपड़े धो रही थी और ना जाने कब बच्चा बाहर आ गया मुझे कुछ मालूम ही नहीं पड़ा।
मैंने उसे कहा कि क्या आपके पति घर पर नहीं है वह थोड़ी देर तक चुप रही उसने मुझे कुछ भी नहीं कहा मैंने उसे कहा आप अपने बच्चे की देखभाल कीजिए। मैंने उसे जब उसके बच्चे को पकडाया तो वह मुझे कहने लगी मेरे पति का देहांत हो चुका है और उसके बाद ही मैं यहां अकेले रहने के लिए आई हूँ, मुझे इस बात का बहुत बुरा लगा लेकिन तब तक मीनाक्षी जा चुकी थी मुझे लगा कि मुझे उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए था। जब दोबारा उससे मेरी मुलाकात हुई तो वह शायद सब्जी लेकर घर आ रही थी मैंने उसे कहा मैं आपको उस दिन के लिए सॉरी कहना चाहता हूं वह मुझे कहने लगी कोई बात नहीं कौन सा आपको मालूम था। वैसे भी अब तो मुझे आदत हो चुकी है इन सब चीजों को झेलने की इसलिए मुझे अब इन सब चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
मैंने मीनाक्षी से कहा लेकिन मैं वाकई में आपको दिल से सॉरी कहना चाहता हूं मुझे नहीं मालूम था कि आपकी जिंदगी में इतनी तकलीफ है मीनाक्षी मुझे कहने लगी कोई बात नहीं आप बेवजह टेंशन ना लीजिए। उसके बाद वह चली गई उसके बाद मेरी मीनाक्षी से बात होने लगी थी और एक दिन वह हमारे घर पर भी आई जब मीनाक्षी हमारे घर पर आई तो उस दिन उसने मेरी मम्मी से भी बात की उसकी मेरी मम्मी के साथ अच्छी बातचीत होने लगी थी इसलिए मीनाक्षी हमारे घर पर आती रहती थी।
जब उसने मुझे अपने पति के बारे में बताया तो मुझे बहुत दुख हुआ और मैंने उसे कहा मुझे आज भी उस बात का दुख है जब मैंने पहली बार तुम्हें कहा था कि क्या तुम्हारे पति घर पर नहीं है। मीनाक्षी ने मुझे बताया कि जब उसके पति का देहांत हुआ तो उसके बाद उसके ससुराल वालों ने उसके साथ बहुत गलत बर्ताव किया उन्होंने उसे बहुत परेशान किया जिससे कि उसे घर छोड़ना पड़ा। मैंने मीनाक्षी से कहा तुम बड़ी ही हिम्मत वाली महिला हो मीनाक्षी मुझे कहने लगी मेरे पति भी मुझे हमेशा यही कहा करते थे, वह बहुत भावुक हो गई मैंने मीनाक्षी से कहा तुम बेकार में टेंशन मत लो सब कुछ ठीक हो जाएगा।
कुछ ही समय बाद मीनाक्षी भी जॉब करने लगी और उसने अपने बच्चे की देखभाल के लिए एक आया को घर पर रख लिया मैं जब भी मीनाक्षी से मिलता तो मैं उससे पूछता कि तुम्हारा बच्चा कैसा है तो वह कहती वह ठीक है। मैं मीनाक्षी के बारे में भी पूछा करता लेकिन ना जाने मुझे उससे प्यार क्यों होने लगा और मैं मीनाक्षी से प्यार कर बैठा। मैंने जब मीनाक्षी को यह बात बताई तो वह मुझे कहने लगी तुम्हें मालूम है हम दोनों का रिश्ता कभी नहीं हो सकता लेकिन मैं चाहता था कि मैं मीनाक्षी के साथ ही रहूं और उससे शादी करुं। मैं मीनाक्षी को पाना चाहता था शायद मेरे लिए यह छोटी बात थी लेकिन जब मैंने यह बात अपने माता पिता को बताई तो वह लोग मुझ पर गुस्सा हो गए।
वह कहने लगे सार्थक हम लोगों ने आज तक तुम्हें किसी भी चीज के लिए नहीं रोका लेकिन तुमने यह सोच भी कैसे लिया कि तुम मीनाक्षी को अपनाओगे तुम्हें नहीं मालूम कि वह एक विधवा है। हमारे समाज में किस प्रकार से एक विधवा को देखा जाता है इसलिए तुम इस बारे में भूल जाओ और अपने दिल से मीनाक्षी का ख्याल निकाल दो। मीनाक्षी ने भी मुझ से बात करना बंद कर दिया था और हम दोनों की बात ही नहीं होती थी मैं बहुत ज्यादा परेशान था।
मैं मीनाक्षी को चाहने लगा था लेकिन मीनाक्षी तो मुझसे बात करने को तैयार ही नहीं थी और उसने मुझसे बात भी नहीं की मुझे बहुत दुख होता जब मेरी बात मीनाक्षी से नहीं हो पाती थी। एक दिन मैंने मीनाक्षी को कहा कि मुझे तुमसे बात करनी है तो वह कहने लगी सार्थक मैं तुमसे बात नहीं कर सकती मैंने मीनाक्षी से कहा मुझे सिर्फ तुम से 10 मिनट के लिए बात करनी है वह कहने लगी ठीक है। मैंने उसे समझाया मैंने उसे कहा देखो मीनाक्षी मैं तुम्हें अपनाना चाहता हूं और मैंने इस बारे में अपने मम्मी पापा से भी बात की थी लेकिन उन्होंने साफ तौर पर मना कर दिया और तुम भी मेरे रिश्ते को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हो अब तुम ही बताओ मैं कहां पर गलत हूं। मैंने मीनाक्षी से जब यह बात कही तो वह कहने लगी सार्थक तुम कहीं भी गलत नहीं हो लेकिन तुम्हें तो मालूम ही है कि हमारे समाज में इन सब चीजों के लिए जगह नहीं है। मैं उम्र में तुमसे बड़ी भी हूं अब तुम ही मुझे बताओ क्या यह संभव है कि मैं तुमसे शादी करूं।
हम दोनों एक दूसरे से बात करते हैं और एक दूसरे की फीलिंग को समझते हैं तो इसका यह मतलब तो नहीं है कि हम दोनों एक दूसरे से शादी कर ले। जब मीनाक्षी ने मुझसे यह बात कही तो मैंने मीनाक्षी से कहा अब तुम ही बताओ क्या करना है मैं तो तुमसे प्यार कर बैठा हूं। मीनाक्षी मुझे कहने लगी मुझे मालूम है कि तुम मुझसे प्यार करते हो लेकिन सब लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे मैं कितनी मुश्किलों से अपना जीवन व्यतीत कर रही हूं कहीं तुम्हारी वजह से एक और मुसीबत मैं मोल ना ले लूँ।
तुम्हारी मम्मी ने तो मुझसे बात करना भी बंद कर दिया है और आस पड़ोस के लोग भी मेरे बारे में ना जाने क्या क्या बातें करते रहते हैं मैं नहीं चाहती कि मेरी अब और बदनामी हो मैं आराम से अपनी जिंदगी व्यतीत करना चाहती हूं। मैंने मीनाक्षी को समझाया लेकिन वह नहीं मानी वह कहने लगी सार्थक तुम मुझे भूल जाओ तुम्हें तो अच्छी लड़की मिल जाएगी तुम उसके साथ अपना जीवन व्यतीत करो लेकिन मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से किसी और को भी तकलीफे झेलनी पड़े, मैं अपना जीवन आराम से व्यतीत करना चाहती हूं। मीनाक्षी ने तो मुझे साफ तौर पर मना कर दिया था। मै इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था मैंने मीनाक्षी को गले लगाया और उसे कहा मैं तुमसे प्यार करता हूं। मीनाक्षी कहने लगी तुम मुझे भूल जाओ तुम क्यों नहीं समझते मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकती, मीनाक्षी के दिल मे आखिरी मेरे लिए प्यार था।
जब मैंने उसे गले लगाया तो वह भी अपने आपको ना रोक सकी और उसने मेरे होठों को किस करना शुरू किया। हम दोनों एक दूसरे के बदन की गर्मी को महसूस करने लगे ना जाने कबसे मीनाक्षी ने अपने अंदर ज्वालामुखी को छुपा कर रखा था वह उस दिन फूट पड़ा। मैंने जब मीनाक्षी के स्तनों को अपने हाथों से दबाना शुरू किया तो उसके अंदर की गर्मी बढ़ती चली गई और वह पूरी तरीके से जोश में आ गई हम दोनों ही एक दूसरे की गर्मी को बिल्कुल बर्दाश्त ना कर सके।
मैंने जैसे ही मीनाक्षी के कपड़ों को उताराना शुरू किया तो उसका बदन बडा ही हॉट था। मैं उसके फिगर को देखकर पूरी तरीके से जोश में आ गया मैंने जब उसके बदन को ऊपर से नीचे तक चाटना शुरू किया तो उसके अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढने लगी। मैंने उसकी योनि को भी बहुत देर तक चाटा जिससे कि उसके अंदर गर्मी इतनी अधिक हो गई कि उसकी योनि से पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा। मैंने अपने लंड को मीनाक्षी के मुंह में डाल दिया वह बहुत अच्छे से लंड को चूसती जब वह मेरे लंड का रसपान करती तो उसे बड़ा ही आनंद आता और कुछ ही देर बाद मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा किया और उसकी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि में प्रवेश हुआ तो मैंने उसे तेजी से धक्के देने शुरू किए वह मेरा साथ बड़े अच्छे से देती।
मैं उसे तेज गति से धक्के मारता तो वह मुझे अपने दोनों पैरों के बीच में जकड़ लेती उसके मुंह से मादक आवाज निकलने लगी थी जिससे कि हम दोनों ही पूरी तरीके से जोश मे आ जाते। मैंने उसकी जांघ को कसकर पकड़ा और उसकी चूत तेजी से मरने लगा मुझे बड़ा मजा आ रहा था। हम दोनो एक दूसरे के साथ जमकर मजे लेते रहे जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो मीनाक्षी खुश हो गई लेकिन उसने मुझे कहा इससे आगे हम दोनों अब नहीं बढ़ सकते। मैं तुमसे शादी करने के बारे में कभी नहीं सोच सकती मीनाक्षी और मेरे बीच में सेक्स संबंध बनते हैं लेकिन उसने मुझसे शादी करने से साफ तौर पर मना कर दिया है, वह अब भी अकेली रहती है और अपने जीवन को अच्छे से व्यतीत कर रही है। मैं उसकी प्यास को बुझा दिया करता हूं और उसे खुश रखने की कोशिश करता हूं।
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एक दिन मैं घर पर ही था तो उसका बच्चा ना जाने कैसे घर से बाहर निकल आया और मेरी नजर उस पर पड़ी मैंने इधर उधर देखा लेकिन मुझे कोई दिखाई नहीं दिया मैं जब बाहर निकला तो मैंने उस बच्चे को उठाया और अपने घर पर ले आया कुछ ही देर बाद मीनाक्षी बाहर आई और वह मुझे कहने लगी कि यह मेरा बच्चा है। मैंने उसे कहा क्या आप अपने बच्चे का ध्यान नहीं रख सकते तो वह मुझे कहने लगी दरअसल मैं बाथरूम में कपड़े धो रही थी और ना जाने कब बच्चा बाहर आ गया मुझे कुछ मालूम ही नहीं पड़ा।
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जब उसने मुझे अपने पति के बारे में बताया तो मुझे बहुत दुख हुआ और मैंने उसे कहा मुझे आज भी उस बात का दुख है जब मैंने पहली बार तुम्हें कहा था कि क्या तुम्हारे पति घर पर नहीं है। मीनाक्षी ने मुझे बताया कि जब उसके पति का देहांत हुआ तो उसके बाद उसके ससुराल वालों ने उसके साथ बहुत गलत बर्ताव किया उन्होंने उसे बहुत परेशान किया जिससे कि उसे घर छोड़ना पड़ा। मैंने मीनाक्षी से कहा तुम बड़ी ही हिम्मत वाली महिला हो मीनाक्षी मुझे कहने लगी मेरे पति भी मुझे हमेशा यही कहा करते थे, वह बहुत भावुक हो गई मैंने मीनाक्षी से कहा तुम बेकार में टेंशन मत लो सब कुछ ठीक हो जाएगा।
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