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रात में तो होती है सामूहिक चुदाई - Raat me kai ladko ne milkar choda
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मैं आपको सही बता रही हूँ की हमारे घर में दिन में तो थोड़ी बहुत चुदाई होती ही रहती है। कभी खाला चुदवाती है तो कभी अम्मी जान। कभी भाभी चुदवाती है तो कभी फूफी की बेटी। कभी अब्बू किसी को चोदता है तो कभी भाई जान किसी की बुर बजाते हैं। लेकिन रात में तो हम सबकी चुदाई एक साथ होती है। सबकी बुर सबके सामने चोदी जाती है। वो चाहे माँ हो, बेटी हो, भाभी हो, नन्द हो. जेठानी हो, देवरानी हो, बहू हो या सास हो सबको शामिल किया जाता है किसी को बक्शा नहीं जाता। कुनबे के सारे मरद सबकी बुर खुल्लम खुल्ला चोदते हैं। ऐसी चुदाई में जो मज़ा आता है उसे वर्णन नहीं की जा सकता। बस अनुभव किया जा सकता है। कुनबे में सारे लण्ड जब कुनबे की सबकी चूत का बाजा एक साथ बजाते हैं तो उसकी आवाज़ हम सबके कानो को बड़ी अच्छी लगती है। हम सब जानतीं हैं की इस सामूहिक चुदाई में सबकी बीवियां बहू बेटियां अम्मियाँ चोदी जातीं हैं फिर भी हमारी कोशिश रहती है की इसमें अधिक से अधिक चूत और लण्ड शामिल कियें जायें ताकि मज़ा और दूना तिगुना हो सके ?
मेरा नाम नबीहा है. मैं २४ साल की हूँ, सेक्सी हूँ, खूबसूरत हूँ, हॉट हूँ और बहुत बड़ी मादर चोद हूँ। मैं मादर चोद इसलिए हूँ की मैं 18 साल की उम्र से ही अपमी माँ चुदवा रही हूँ। अपनी सुहागरात के दूसरे ही दिन मैंने अपने शौहर का लण्ड अम्मी जान को पकड़ा दिया था। मैं 16 साल की कमर से अपने घर की चुदाई छुप छुप कर देखने लगी थी और सबके लण्ड पर नज़र रखती थी। 17 + की होने पर मैंने एक दिन खाला जान को यह कहते हुए सुना था की जवान होने पर लड़की किसी का भी लण्ड पकड़ सकती है और किसी से भी चुदवा सकती है। उसे चुदवाने का पूरा पूरा हक़ मिल जाता है। वह चाहे तो अपने अब्बू का भी लण्ड पकड़ सकती है और भाई जान का भी लण्ड। बाकी सबके लण्ड पकड़ने का हक़ उसे है ही। इस बात ने मुझे निडर बना दिया और बेशरम भी। 18 साल की उम्र पर मैं खुल कर सबके लण्ड पकड़ने लगी। किसी ने भी न मुझे टोका और न रोका और मैं चुदवाती चली गयी। शादी के पहले मैं खूब अच्छी तरह चुद चुकी थी।
मुझे अकेले अकेले चुदवाना और एक ही मरद से चुदवाना अच्छा नहीं लगता। मैं चाहती हूँ की चोदने वाले भी कई हों और चुदवाने वालियाँ भी कईं। सब मिलकर चोदा चोदी करें और अदल बदल कर चोदा चोदी करें तो उसका मज़ा कुछ और ही होता है। सच बताऊँ दोस्तों मैं तो सारे मर्दों से चुदवाना चाहती हूँ। मैं जिस मरद को देखती हूँ तो मन करता है उसका लण्ड खोल कर पकड़ लूं, फिर मुंह में लूं और चूत में घुसा लूं। मैं इसीलिए कुछ लोगों से पूंछने लगीं।
सबसे पहले मैंने खाला की बेटी निदा से पूंछा तो वह बोली यार नबीहा मैं भी सब लोगों से चुदवाना चाहती हूँ लेकिन हैरत की बात यह है की मैंने अभी अपने अब्बू का लण्ड नहीं पकड़ा ? चचा जान का लण्ड दूर से देखा पर हाथ में नहीं आया। अपनी भाभी को नंगी नहीं देखा कभी। मैं चाहती हूँ की मेरा अब्बू मेरे आगे मेरी नन्द की बुर चोदे।
फिर मैं खाला जान से पूंछा। उसने बताया की मैंने कभी अपनी बेटी के मियां का लण्ड नहीं पकड़ा। उसके ससुर का लौड़ा नहीं देखा और अपने बेटे से कभी चुदवाया नहीं । मैं चाहती हूँ की मेरी बेटी अपने ससुराल वालों के लण्ड मेरी बुर में पेले।
मैंने फिर फूफी जान से पूंछा तो उसने बताया मैंने कभी अपने पड़ोसी का लण्ड नहीं पकड़ा। अपनी बेटी के शौहर का लण्ड नहीं पकड़ा। और अपनी बेटी के साथ पराये मर्दों से नहीं चुदवाया। मैं चाहती हूँ की मैं अपने बेटे से और उसके दोस्तों से चुदवाऊँ।
फूफी की बेटी ने बताया यार मैंने अपने अब्बू के दोस्त अजमल का लण्ड नहीं पकड़ा जबकि सुना है की उसके लण्ड जैसा लण्ड इस मोहल्ले में कोई और नहीं है। अपने ससुर का लण्ड नहीं पकड़ा। मैं चाहती हूँ की मेरा भाई जान मेरे आगे मेरी सास का भोसड़ा चोदे। मेरा नंदोई मेरी माँ का भोसड़ा चोदे। मेरा मियां मेरी बहन की बुर फाड़ डाले।
भाभी जाना से पूंछा तो मालूम हुआ की उसने कभी अपनी नन्द की बुर नही चोदी। अपने चचियां ससुर का लौड़ा नहीं देखा और अपने मामू जान के बेटे से कभी नहीं चुदवाया। वह चाहती है की मैं अपनी नन्द की बुर चोदूं और सास का भोसड़ा।
मैंने सबकी ख्वाहिश नोट कर लिया और कहा यार देखो आज सामूहिक चुदाई का प्रोग्राम है लेकिन आज बीवियों की अदला बदली होगी उसमे सब शामिल होगीं चाहे वे बीवियां हों बहू बेटियां हों या अम्मियाँ क्योंकि सब की सब बुर चोदी बीवियां ही हैं। रात को कुनबे के कुछ कपल इकठ्ठा हो गए जो इस प्रकार थे :-
मैं नबीहा और मेरा मियां रफ़ी. मेरी परवीना अम्मी जान और अहमद अब्बू जान, मेरी सबा भाभी जान और कासिम भाई जान, मेरी मलाला खाला और उसका मियां सादिक अली, खाला की बेटी निदा और उसका मियां अनस, फूफी फरीदा और उसका शौहर हासिम, फूफी की बेटी फ़ना उसका मियां मंसूर अली।
यानी कुल मिलकर 7 कपल थे। सब लोग एक दूसरे को अच्छी तरह जानते थे। कोई भी अपरिचित नहीं था। हम सब एक दूसरे करने लगे। सबको मालूम था की आज रात को क्या होने वाला है क्योंकि मैंने सबको पहले ही बता रखा था। यह भी कह दिया था की आज सब लोग अपनी अपनी ख्वाहिश पूरी कर लें बाकी आगे पूरी होतीं रहेंगीं।
करीब करीब आधा घंटा हो गया पर कहीं से कोई हल चल नहीं हुई।इतने में पहल अम्मी जान ने की। उसने अपना हाथ पास में ही लेटे खाला की बेटी का मियां अनस की तरफ बढ़ा दिया। अम्मी ने उसके पजामा का नाड़ा खोला और हाथ अंदर घुसेड़ दिया। पजामा के अंदर हाथ जायेगा तो वह लण्ड से टकरायेगा ही। अम्मी बस उसका लण्ड अंदर ही अंदर सहलाने लगी। उसे देख कर खाला जान ने मेरे भाई जान कासिम के लण्ड पर हाथ रख दिया। भाई जान समझ गए की खाला मेरा लण्ड चूसेगी। उधर भाभी जो मेरे पास ही थीं वह मेरे मियां के लण्ड की तरफ बढ़ीं और लण्ड ऊपर से दबाने लगीं। मैं जान गयी की भाभी का दिल मेरे मियां के लण्ड पर आ गया है। उधर फूफी जान ने मेरे अब्बू का लंड पकड़ लिया और फूफी की बेटी ने खालू का लण्ड हथिया लिया। अब सबके हाथ में ग़ैर मरद का लण्ड आ गया।
मैंने फूफी की बेटी के मियां का लौड़ा पकड़ कर हिलाया और उसे खोल कर बाहर निकाल लिया। सबसे पहले मैंने ही मंसूर अली का लण्ड सबको दिखाया तो सबको जोश आ गया। मैंने फिर फ़टाफ़ट अपने कपड़े भी खोल डाले और मैं मादर चोद सबसे पहले नंगी हो गयी। मेरी नंगी चूँचियाँ देख कर मंसूर का लण्ड छलांगें मारने लगा। मैंने लण्ड से कहा - लण्ड मियां तू फ़ना की बुर लेता है, फ़ना की माँ का भोसड़ा चोदता है आज तू फ़ना की बहन की बुर चोद कर दिखा। आज मैं देखूँगी की तू कितनी अच्छी तरह से चोदता है सबके सामने मेरी बुर ? तब तक भाभी जान और खाला भी नंगी हो गईं। माहौल में गर्मी बढ़ने लगी। इतने में अम्मी का भोसड़ा दिखा तो खाला की बेटी की बुर। फूफी ने अपना भोसड़ा सबको दिखाया तो उसकी बेटी फ़ना भी अपनी चूत और चूँचियाँ खोल कर सबके सामने खड़ी हो गयी। उसकी मस्त मस्त गांड भी बड़ी प्यारी लग रही थी।
सारे के सारे मरद भी नंगी हो गए। सबके लण्ड टन टनाने लग गए। सभी लण्ड भोसड़ी के अपना अपना माथा हिलाने लगे। मैं अपनी बहन के मियां का लण्ड चूसने लगी, अम्मी जान निदा के मियां का लौड़ा चूसने लगी, भाभी जान मेरे मियां का लण्ड बड़े मजे से ,चाटने लगीं, खाला जान तो मेरे भाई का लण्ड पूरा मुंह में पेले हुए आम की गुठली की तरह चूसने लगीं, खाला की बेटी निदा अपनी अम्मी के और सबके सामने ही फूफा जान का लौड़ा चप्प छप्प पीने लगी, फूफी जान तो मेरे अब्बू का लण्ड यानी अपने भाई जान का लण्ड चूसने में जुटी हुई थी और उसकी बेटी फ़ना खालू का लण्ड एक भूंखी बिल्ली की तरह चाटने लगी। लण्ड के साथ पेल्हड़ भी चाटने लगी। अब गर्मी इतना ज्यादा हो गयी की सबकी चूत चिपचिपाने लगी। सबके मुंह से लार और बुर से पानी टपकने लगा। मरदों के लण्ड भी साले उछाल मारने लगे। जैसे सबकी बीवियां सबके लण्ड देख देख कर मज़ा ले रहीं थी वैसे ही मरद भी भोसड़ी वाले सबकी चूत और चूँचियाँ देख देख कर मस्त हो रहे थे। नंगी नंगी बीवियां और नंगे नंगे मियां देखने में किसको मज़ा नहीं आएगा ?
थोड़ी देर तक पेल्हड़ के साथ सलण्ड चूसना, लण्ड चूमना लण्ड चाटना चलता रहा। चूँचियाँ मसलना, चूत सहलाना गांड पर हाथ फिराना और लण्ड चूँचियों के बीच पेलना चलता रहा और फिर लण्ड ने चूत में घुसना शुरू किया। सबसे पहले भाई जान ने लण्ड खाला के भोसड़ा में पेल दिया और गचर गचर चोदने लगा। खाला भी टांगें फैलाकर चुदवाने लगी. उसी के बगल ने उसकी बेटी भी नंगी लेटी थी। उसकी चूत में फूफा जान ने अपना लौड़ा घुसा दिया। फूफा मादर चोद अपनी बेटी के उम्र की खाला की बेटी की बुर चोदने लगा। उधर मेरे अब्बू ने फूफी की चूत में लौड़ा पेल दिया। वह अपनी ही बहन का भोसड़ा चोदने लगा। अब्बू का लण्ड भी साला बड़ा खूंखार था और फूफी की चूत भी बड़ी गहरी। दोनों चुदाई का मज़ा लूटने लगे। फूफी की बेटी फना तो खालू से चुदवाने लगी। इन बेटियों को अपने बाप के उम्र के लोगों से चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है। मेरी भाभी जान को मेरे मियां का लौड़ा पसंद आ गया। उसने लौड़ा अपनी बुर में घुसेड़ा और चालू हो गयी। वह भोसड़ी वाली अपने ससुर के आगे, अपनी सास के आगे और अपने मियां के आगे पराये मरद यानी मेरे मरद से चुदवाने लगी। उसे शर्म नाम की कोई भी चीज पसंद नहीं आई । यह देख कर मैंने ठान लिया की मैं किसी दिन भाभी के भाई जान से चुदवाऊंगी।
मेरी बुर चोदी अम्मी किसी से कम न थी। उसने खाला की बेटी के मियां का लण्ड पकड़ा और अपनी बुर में पेल लिया। यानी वह अपनी बहन के दामाद से चुदवाने लगी। इन औरतों को अपने बेटे के बराबर उम्र से लड़कों से चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है। यही मेरी अम्मी जान कर रही थीं। अम्मी का चुदता भोसड़ा देखने में बड़ा अच्छा लग रहा था मुझे और मैं भी एक मंजी हुई रंडी की तरह फ़ना के मियां से चुदवाने लगी थी। उसके लौड़े का पूरा मज़ा लेने लगी थी और अगल बगल के चोदने वालों के पेल्हड़ सहलाने लगी। अपनी बीवी चुदवाकर दूसरे की बीवियां चोदना सबको अच्छा लगता है और पराये मर्दों से चुदवाते हुए अपने मरद को दूसरों की बीवियां चोदते हुए देखने में भी खूब मज़ा आता है। यही इस सामूहिक चुदाई में हो गया रहा था। माँ बेटी, सास बहू, नन्द भौजाई, बहन सबकी बुर एक चुद रही थी और चुदाई की आवाज़ घर में पूरी फ़ैल रही थी। चुदाई का नशा सबके दिमाग में भरा था। लण्ड चूत के अलावा किसी को और कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था।
इतने में खाला बोली - नबीहा, तू सच में बहुत बड़ी हरामजादी है। सबकी चूत एक साथ एक कमरे में बजवा दी वह ग़ैर मर्दों से। तेरी माँ का भोसड़ा तेरी बहन की चूत। तब फूफी ने भी कहा - हां यार तू तो एक तरफ बिटिया की बुर चुदवा रही है और दूसरी तरफ माँ का भोसड़ा। अपने भाई जान का लण्ड, अपने अब्बू का लण्ड, अपने खालू का लण्ड फूफा का लण्ड बहनोइयों का लण्ड देख देख कर तू भोसड़ी वाली और मस्त हुई जा रही है नबीहा। तेरा कोई जबाब नहीं। मैंने कहा हां अभी तो ये शुरुआत है। आगे आगे देखती जाओ क्या होता है ? सामूहिक चुदाई का जोश जब चढ़ता है जो फिर कोई यह नहीं देखता की ये माँ का भोसड़ा है की बेटी की चूत, भाभी की बुर है बहन की बुर , लोग बस चूत देखतें हैं और लण्ड घुसा देतें हैं। यही हाल औरतों में भी होता है . वो भी यह नहीं देखती की बेटे का लण्ड है की भाभी जान का लण्ड, अब्बू का लण्ड है की चाचा का लण्ड, खालू का लण्ड है की मामू का लण्ड। उन्हें तो बस लण्ड दिखाई पड़ता है और वो उस पेल लेतीं हैं अपनी चूत में। यही यहाँ हो भी रहा है।
खाला की बेटी निदा को इतना मज़ा आया की उसने अपने ही अब्बू का लण्ड हाथ बढाकर पकड़ लिया। ये लण्ड
फिर एक एक करके सबकी बुर ढीली होने लगी। उधर लण्ड भी एक एक करके झड़ने लगे। मजे की बात यह थी की सबने झड़ते हुए लण्ड पिये। वीर्य की एक बूँद भी बाहर नहीं गिरी। सबने सबके लण्ड चाट चाट कर मज़ा लिया और ख़ुशी ज़ाहिर की।
दो दिन बाद मैं अपनी ससुराल चली गई वहां भी मैंने एक सामूहिक चुदाई का इंतज़ाम किया। इसमें एक अलग तरह ग्रुप था। यहाँ किसी की बीवी है तो मियां नहीं। मियां है तो बीवी नहीं। बेटी है तो माँ नहीं, माँ है तो बेटी नहीं। अब्बा है तो अम्मी नहीं अम्मी हैं तो अब्बा नहीं। बेटी है तो दामाद नहीं दामाद है तो बेटी नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,? इस समूह में मैं, मेरी जेठानी, मेरी देवरानी, मेरी सास, मेरी नन्द, मेरी फुफिया सास थीं। मर्दों में मेरा मामू, जेठानी का भाई जान, मेरा चचा जान, नन्द का ससुर, मेरा भाई जान और जेठानी का अब्बा जान। मैंने पहले ही सबको बता दिया था की आज रात को सामूहिक चुदाई होगी। वह भी एक ही कमरे में और सबके आमने सामने। रात होते ही चुदाई का नशा सबको चढने लगा। सबके चेहरे। सब लोग उत्साहित भी थे और उत्तेजित भी।
मैंने ही शुरुआत की और अपना हाथ जेठानी के अब्बा का लण्ड पर खा दिया। मुझे एहसास हुआ की लण्ड खड़ा है तो मैंने पजामा का नाड़ा खोला और हाथ अंदर घुसेड़ कर लण्ड पकड़ लिया। मैंने लण्ड बड़े प्यार से निकाला और उसे हिलाने लगा। लण्ड साला मेरे अब्बा के लण्ड के बराबर था। तब तक मेरी जेठानी ने मेरे मामू का लौड़ा खोल कर निकाल लिया। लौड़े का सुपाड़ा एकदम गोल था जैसे की लण्ड पर कोई छतरी लगी हो। उधर मेरी देवरानी ने जेठानी के भाई जान का लण्ड बाहर निकाला लगी। मेरी सास मेरे चचा जान की तरफ बढ़ी और उसे नंगा करके उसका लौड़ा सहलाने लगी। मेरी नन्द बुर चोदी अपने ससुर का ही लण्ड सबके आगे चूसने लगी। आजकल की बहुएं अपने ससुर से बड़ी जल्दी चुदवाने लगतीं हैं। मेरी फुफिया सास मेरे भाई जान के लण्ड पर मर मिटी। वह तो पहले ही नंगी हो चुकी थी और फिर मेरे भाई जान का लौड़ा हिला हिला कर मस्ती करने लगी। अब हम सबके हाथ में एक मस्त मौला लौड़ा था और सब की सब भोसड़ी वाली भकाभक चुदवाने लगीं।
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