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राखी पर बहन को ब्लेकमेल करके चोदा - जबरदस्ती चुदाई की - Bhai ne bahan ko jabardasti choda
राखी पर बहन को ब्लेकमेल करके चोदा - जबरदस्ती चुदाई की - Bhai ne bahan ko jabardasti choda , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
में अपने मम्मी पापा के पास हर 2 महीने में घूमकर आता हूँ। मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा और मुझसे 2 साल छोटी बहन प्रिया है, जो अभी 19 साल की है। में और प्रिया हमेशा से एक दोस्त की तरह रहते थे और मेरे दिल में कभी भी प्रिया के लिए कोई ग़लत इरादा नहीं था।
एक बार जब में घर गया तो मैंने प्रिया को देखा तो मुझे भाई बहन के किस्से याद आ गये। उस वक़्त मुझे मेरे सामने मेरी बहन नहीं बल्कि एक बहुत ही खूबसूरत सी कच्ची कली दिख रही थी। फिर मेरी नज़र प्रिया को घूरते हुए उसके बूब्स पर जा पहुँची। उस वक़्त प्रिया ने दुपट्टा नहीं डाल रखा था, उसके बूब्स बिल्कुल संतरे की तरह और कसे हुये थे। फिर तभी प्रिया की नज़र मेरी तरफ गयी और बोली कि ऐसे क्या देख रहे हो? तो मैंने झट से अपनी नज़र हटा ली और बोला कि कुछ भी नहीं।
हमारा घर छोटा सा है, जिसमें 3 रूम और किचन और खुला सा आँगन है। मेरी मम्मी हमेशा घर में रहती है तो इसलिए में सोच रहा था कि प्रिया को कैसे सेक्स के लिए राज़ी करूँ? फिर अगले दिन सुबह-सुबह में उठा और किचन में गया तो प्रिया खाना बना रही थी। फिर मैंने प्रिया से पूछा कि प्रिया मम्मी कहाँ है? तो प्रिया बोली कि मम्मी मंदिर गयी हुई है, वो आधे एक घंटे में आ जाएगी। फिर मैंने कहा कि प्रिया एक कप चाय बना दो, तो प्रिया चाय बनाने लगी और में किचन से बाहर आ गया। फिर मैंने सोचा कि यह अच्छा मौका है, उस वक़्त घर पर कोई भी नहीं था और पापा भी खेत में गये हुए थे। फिर में वापस किचन में आया तो प्रिया गैस के पास खड़ी थी और उसकी पीठ मेरी तरफ थी।
फिर में धीरे से गया और प्रिया को पीछे से जाकर उसके दोनों बूब्स को दबोच लिया। फिर प्रिया घबरा गयी और उसने चिल्लाना चाहा, लेकिन मैंने झट से उसका मुँह दबा दिया। फिर में प्रिया को प्यार से समझाने लगा कि डर मत में हूँ ना। फिर प्रिया गुस्से में बोली कि ये क्या बतमीज़ी है? तो मैंने प्रिया के बूब्स को फिर से पकड़कर उसके होंठो को चूम लिया और बोला कि प्रिया आई लव यू, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, प्लीज बुरा मत मानो। फिर प्रिया मुझे धकेलते हुए बोली कि सूरज तुम्हारे दिमाग़ में मेरे बारे में कैसे-कैसे ख्याल है? चुपचाप यहाँ से जाओ नहीं तो में मम्मी को सब बता दूँगी। फिर में उसे सॉरी बोलकर बाहर आ गया। फिर थोड़ी देर मे मम्मी मंदिर से आ गयी और मेरी बुआ भी उसी वक़्त आ गयी। फिर हम बुआ से बातें करने लगे, लेकिन प्रिया मम्मी से इस बारे में कुछ भी नहीं बोली। मेरी बुआ थोड़ी शरारती है और अक्सर हमसे खुलकर बात करती है।
फिर शाम को जब में अकेला था तो बुआ मेरे पास आई और बोली कि अगर तुमसे बर्दाश्त नहीं होता तो तुम्हारी मम्मी से तुम्हारी शादी की बात चलाऊं, तो में चौंक गया और बोला कि बुआ आप भी मज़ाक करने लगी हो, में इतनी जल्दी शादी नहीं करने वाला। फिर बुआ बोली कि अरे बीवी आ जाएगी तो कम से कम बहन पर तो हाथ नहीं डालोगे और फिर बुआ ने अपनी एक आँख दबा दी। फिर में समझ गया कि प्रिया ने बुआ को सब बता दिया है। फिर बुआ बोली कि चल कोई बात नहीं, लेकिन अब आगे से ऐसा मत करना। फिर अगले दिन में वापस दिल्ली आ गया और अपने काम में व्यस्त हो गया। अब में घर ना तो फोन करता था और ना ही 2-3 महीने में घर जाता था, बस घर से मम्मी का फोन आता तो बात कर लेता था और अगर प्रिया होती तो फोन काट दिया करता था। फिर इस तरह मुझे पूरा 1 साल हो गया था। अब मम्मी जब भी घर आने के लिए कहती थी तो में झूठ बोल देता था कि मम्मी छुट्टी नहीं मिल रही है, बस पापा आकर मुझसे मिलकर चले जाते थे।
फिर एक दिन मुझे प्रिया का फोन आया और वो रोती हुई बोली कि सूरज प्लीज फोन मत काटना, पहले मेरी बात तो सुन लो। फिर मैंने कहा कि बोल क्या बोलना है? फिर वो बोली कि क्या बात है तुम घर नहीं आ रहे हो? मुझसे क्या ग़लती हो गयी? तुम जो चाहते थे वो गलत था। फिर मैंने मना कर दिया बस इतनी सी बात। फिर मैंने कहा कि तुमने ये बात बुआ को क्यों बताई? तो प्रिया बोली कि मैंने तो बस इसलिए कहा था कि वो तुम्हें समझा देगी और बुआ ये बात किसी को नहीं बताएगी। फिर मैंने कहा कि ठीक है, अब में समझ गया हूँ और कुछ। फिर प्रिया ने पूछा कि घर कब आओगे? तो मैंने उससे कह दिया कि अब कभी नहीं आऊंगा। फिर प्रिया बोली कि क्यों? तो मैंने साफ-साफ कह दिया कि में घर आऊंगा और अगर फिर वही हरकत कर दी, तो तुम फिर से बुआ को बोल दोगी तो में इसलिए घर नहीं आना चाहता हूँ। फिर प्रिया रोने लगी और बोली कि सूरज प्लीज घर आ जाओ और फिर अगले हफ्ते रक्षाबन्धन भी है, मम्मी तुम्हें रोज याद करती रहती है प्लीज। फिर मैंने कहा कि में घर तभी आऊंगा जब तुम मुझे किस करने दोगी और अपने बदन को छूने दोगी, नहीं तो कभी नहीं आऊंगा।
फिर प्रिया बोली कि सूरज तुम पागल तो नहीं हो गये हो, में तुम्हारी बहन हूँ और तुम मेरे साथ ऐसा करने की सोचते हो। फिर मैंने कहा कि तुम मेरी एक अच्छी दोस्त भी हो और तुम मेरी परेशानी को नहीं समझोगी तो कौन समझेगा? और में तुम्हें सिर्फ़ छूना ही चाहता हूँ और इसमें गलत क्या है? सोच लो और सोचकर कल तक बता देना। तभी में राखी तक आ सकूँगा नहीं तो नहीं आऊंगा। फिर अगले दिन मुझे प्रिया का फोन आया और वो बोली कि ठीक है मुझे मंजूर है, लेकिन जल्दी आना। फिर में खुश हो गया कि मेरी तरकीब कामयाब हो गयी और में घर जाने की तैयारी करने लगा। फिर में राखी से 2 दिन पहले घर पहुँच गया। अब प्रिया थोड़ी नर्वस सी थी, लेकिन खुश थी कि में घर आ गया हूँ।
अब मुझे 2 दिन से कोई मौका ही नहीं मिल पा रहा था कि में प्रिया के साथ कुछ करूँ, क्योंकि प्रिया हर वक़्त मम्मी के साथ होती थी, वो जानबूझ कर मम्मी से अलग नहीं होती थी और में भी मौके की तलाश में रहता था। फिर राखी के दिन से एक दिन पहले ही रात में मम्मी ने मुझसे कहा कि बेटा कल राखी है और बहुत दिन हो गये है, में तुम्हारे मामा से नहीं मिली हूँ तो में सोच रही हूँ कि कल चली जाऊं, वैसे भी घर को अकेला छोड़कर जाने का दिल नहीं करता है, अभी तू है तो कल में और तेरे पापा कल सुबह तेरी बुआ से मिलते हुए तेरे मामा के घर चले जाएगें। फिर मैंने कहा कि ठीक है मम्मी, में अभी यहाँ हूँ तो तुम्हें चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, आप आराम से जाओ। फिर अगले दिन मम्मी और पापा सुबह 5 बजे ही घर से निकल गये और में उन्हें बस स्टैंड तक छोड़कर आया और वापस आने के बाद में सीधा नहाने चला गया। अब प्रिया राखी बांधने के लिए नहाकर तैयार बैठी थी।
फिर में तैयार होकर बेड पर बैठ गया। फिर प्रिया हाथ में थाली लिए हुए जिसमें राखी मिठाई और दीया जल रहा था, वो लेकर मेरे पास आई और बोली कि सूरज अपना हाथ आगे करो। फिर मैंने कहा कि पहले तुम अपना वादा पूरा करो, तब में राखी बंधवाऊंगा। फिर प्रिया ने कहा कि सूरज मज़ाक नहीं। फिर मैंने कहा कि में कोई मज़ाक नहीं कर रहा हूँ सिर्फ़ हाँ या ना। फिर प्रिया ने कहा कि सूरज प्लीज आज तो कम से कम ऐसी बात मत करो। फिर मैंने कहा कि प्रिया तुम जाओ, में कल ही वापस चला जाऊंगा, ओके बाय और में बेड से उठकर जाने लगा। फिर प्रिया ने मेरा हाथ पकड़कर बेड पर बैठा दिया और बोली कि बताओ तुम क्या चाहते हो? तो मैंने कहा कि में एक बार तुम्हें सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में देखना चाहता हूँ। फिर प्रिया बोली कि बस इतनी सी बात, वो तो तुम कभी भी देख लेना। फिर मैंने कहा नहीं अभी और इसी वक़्त, तो वो बोली कि अभी मुझे शर्म आ रही है। फिर मैंने कहा की कोई बात नहीं अगर तुम चाहो तो में भी अपने कपड़े उतार देता हूँ और फिर मैंने अपने कपड़े उतार दिए, अब में सिर्फ़ अंडरवियर में था।
फिर प्रिया शर्माकर दूसरे कमरे में चली गयी और थोड़ी देर के बाद वो वापस आई तो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी। अब उसे देखते ही मेरा लंड तन गया था, लेकिन मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया और प्रिया से बोला कि शरमाओ मत, अब आकर राखी बांधो। फिर प्रिया ने मेरे पास आकर राखी बांधी और फिर मेरे मुँह में मिठाई खिलाई, तो मैंने अपने होंठो से आधी ही मिठाई को पकड़ा और खड़ा होकर प्रिया के पास गया और अपने मुँह में दबी हुई मिठाई प्रिया को खाने के लिए बोला। फिर प्रिया ने मेरे होंठो में दबी हुई मिठाई को अपने होंठो से पकड़ा और फिर हम दोनों ही मिठाई खाते हुए एक दूसरे के होंठो तक पहुँच गये। फिर में प्रिया के होंठो को अपने होंठो से चिपकाकर उसे चूसने लगा और प्रिया को गर्म करने लगा और अब में उसे बेतहाशा चूमने लगा था। फिर थोड़ी देर में ही प्रिया की साँसे तेज-तेज चलने लगी और वो बोली कि सूरज बहुत मज़ा आ रहा है।
फिर मैंने उसकी ब्रा और पेंटी भी उतार दी और उसे बेड पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूत को सहलाने लगा और अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा तो वो चौंक गयी और बोली कि नहीं सूरज दर्द होता है। फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाला और उसके मुँह को चोदने लगा और अपना सारा वीर्य उसके मुँह में ही निकाल दिया। फिर में प्रिया की चूत में थोड़ा सा तेल डालकर उसे सहलाने लगा और प्रिया मेरे लंड को सहला रही थी। फिर थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से तन गया और में प्रिया की चूत में अपना लंड धीरे-धीरे डालने लगा। फिर प्रिया बोली कि सूरज धीरे-धीरे दर्द हो रहा है। फिर में धीरे-धीरे प्रिया की चूत में अपना लंड डालने लगा और जैसे ही मेरा लंड प्रिया की चूत के अंदर गया तो वो चिल्ला पड़ी। फिर मैंने कहा कि कोई बात नहीं और फिर में उसे आराम-आराम से चोदने लगा। अब वो भी मज़े ले रही थी और अब हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ डालकर चूस रहे थे। फिर उसके बाद प्रिया मुझसे ज़ोर से लिपट गयी और फिर धीरे-धीरे ठंडी हो गयी। अब में समझ गया था कि प्रिया झड़ गयी है और फिर मैंने भी अपना वीर्य प्रिया की चूत में ही छोड़ दिया, तो प्रिया उछल पड़ी और बोली कि तुम्हारा रस कितना गर्म है? और फिर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से लिपटकर सो गये।
फिर अगले दिन सुबह जब मेरी आँख खुली तो प्रिया सो रही थी। फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और बाथरूम में ले गया और नल खोलकर सीधा पानी उसके ऊपर डाल दिया, तो वो उठ गयी और मुझ पर पानी डालने लगी। फिर हम दोनों नहाने लगे और अब प्रिया मेरे बदन पर साबुन लगा रही थी और में प्रिया के नंगे बदन पर साबुन लगा रहा था। फिर मैंने प्रिया को फर्श पर लेटाकर उसकी चूत में अपना लंड डाला और फिर से उसे चोदने लगा। फिर उसे चोदने के बाद हम दोनों नहाकर फ्रेश हुए। फिर मैंने पूछा कि प्रिया राखी बँधाई का तोहफा कैसा लगा? तो प्रिया बोली कि सूरज मुझे नहीं पता था कि इस खेल में इतना मज़ा है, तुम्हारा ये तोहफा मेरे और तुम्हारे दिए हुए सारे तोहफ़ो से भी कीमती है, में इस राखी को कभी भी नहीं भूल सकती हूँ और फिर वो मेरे करीब आकर मुझसे लिपट गयी
में अपने मम्मी पापा के पास हर 2 महीने में घूमकर आता हूँ। मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा और मुझसे 2 साल छोटी बहन प्रिया है, जो अभी 19 साल की है। में और प्रिया हमेशा से एक दोस्त की तरह रहते थे और मेरे दिल में कभी भी प्रिया के लिए कोई ग़लत इरादा नहीं था।
एक बार जब में घर गया तो मैंने प्रिया को देखा तो मुझे भाई बहन के किस्से याद आ गये। उस वक़्त मुझे मेरे सामने मेरी बहन नहीं बल्कि एक बहुत ही खूबसूरत सी कच्ची कली दिख रही थी। फिर मेरी नज़र प्रिया को घूरते हुए उसके बूब्स पर जा पहुँची। उस वक़्त प्रिया ने दुपट्टा नहीं डाल रखा था, उसके बूब्स बिल्कुल संतरे की तरह और कसे हुये थे। फिर तभी प्रिया की नज़र मेरी तरफ गयी और बोली कि ऐसे क्या देख रहे हो? तो मैंने झट से अपनी नज़र हटा ली और बोला कि कुछ भी नहीं।
हमारा घर छोटा सा है, जिसमें 3 रूम और किचन और खुला सा आँगन है। मेरी मम्मी हमेशा घर में रहती है तो इसलिए में सोच रहा था कि प्रिया को कैसे सेक्स के लिए राज़ी करूँ? फिर अगले दिन सुबह-सुबह में उठा और किचन में गया तो प्रिया खाना बना रही थी। फिर मैंने प्रिया से पूछा कि प्रिया मम्मी कहाँ है? तो प्रिया बोली कि मम्मी मंदिर गयी हुई है, वो आधे एक घंटे में आ जाएगी। फिर मैंने कहा कि प्रिया एक कप चाय बना दो, तो प्रिया चाय बनाने लगी और में किचन से बाहर आ गया। फिर मैंने सोचा कि यह अच्छा मौका है, उस वक़्त घर पर कोई भी नहीं था और पापा भी खेत में गये हुए थे। फिर में वापस किचन में आया तो प्रिया गैस के पास खड़ी थी और उसकी पीठ मेरी तरफ थी।
फिर में धीरे से गया और प्रिया को पीछे से जाकर उसके दोनों बूब्स को दबोच लिया। फिर प्रिया घबरा गयी और उसने चिल्लाना चाहा, लेकिन मैंने झट से उसका मुँह दबा दिया। फिर में प्रिया को प्यार से समझाने लगा कि डर मत में हूँ ना। फिर प्रिया गुस्से में बोली कि ये क्या बतमीज़ी है? तो मैंने प्रिया के बूब्स को फिर से पकड़कर उसके होंठो को चूम लिया और बोला कि प्रिया आई लव यू, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, प्लीज बुरा मत मानो। फिर प्रिया मुझे धकेलते हुए बोली कि सूरज तुम्हारे दिमाग़ में मेरे बारे में कैसे-कैसे ख्याल है? चुपचाप यहाँ से जाओ नहीं तो में मम्मी को सब बता दूँगी। फिर में उसे सॉरी बोलकर बाहर आ गया। फिर थोड़ी देर मे मम्मी मंदिर से आ गयी और मेरी बुआ भी उसी वक़्त आ गयी। फिर हम बुआ से बातें करने लगे, लेकिन प्रिया मम्मी से इस बारे में कुछ भी नहीं बोली। मेरी बुआ थोड़ी शरारती है और अक्सर हमसे खुलकर बात करती है।
फिर शाम को जब में अकेला था तो बुआ मेरे पास आई और बोली कि अगर तुमसे बर्दाश्त नहीं होता तो तुम्हारी मम्मी से तुम्हारी शादी की बात चलाऊं, तो में चौंक गया और बोला कि बुआ आप भी मज़ाक करने लगी हो, में इतनी जल्दी शादी नहीं करने वाला। फिर बुआ बोली कि अरे बीवी आ जाएगी तो कम से कम बहन पर तो हाथ नहीं डालोगे और फिर बुआ ने अपनी एक आँख दबा दी। फिर में समझ गया कि प्रिया ने बुआ को सब बता दिया है। फिर बुआ बोली कि चल कोई बात नहीं, लेकिन अब आगे से ऐसा मत करना। फिर अगले दिन में वापस दिल्ली आ गया और अपने काम में व्यस्त हो गया। अब में घर ना तो फोन करता था और ना ही 2-3 महीने में घर जाता था, बस घर से मम्मी का फोन आता तो बात कर लेता था और अगर प्रिया होती तो फोन काट दिया करता था। फिर इस तरह मुझे पूरा 1 साल हो गया था। अब मम्मी जब भी घर आने के लिए कहती थी तो में झूठ बोल देता था कि मम्मी छुट्टी नहीं मिल रही है, बस पापा आकर मुझसे मिलकर चले जाते थे।
फिर एक दिन मुझे प्रिया का फोन आया और वो रोती हुई बोली कि सूरज प्लीज फोन मत काटना, पहले मेरी बात तो सुन लो। फिर मैंने कहा कि बोल क्या बोलना है? फिर वो बोली कि क्या बात है तुम घर नहीं आ रहे हो? मुझसे क्या ग़लती हो गयी? तुम जो चाहते थे वो गलत था। फिर मैंने मना कर दिया बस इतनी सी बात। फिर मैंने कहा कि तुमने ये बात बुआ को क्यों बताई? तो प्रिया बोली कि मैंने तो बस इसलिए कहा था कि वो तुम्हें समझा देगी और बुआ ये बात किसी को नहीं बताएगी। फिर मैंने कहा कि ठीक है, अब में समझ गया हूँ और कुछ। फिर प्रिया ने पूछा कि घर कब आओगे? तो मैंने उससे कह दिया कि अब कभी नहीं आऊंगा। फिर प्रिया बोली कि क्यों? तो मैंने साफ-साफ कह दिया कि में घर आऊंगा और अगर फिर वही हरकत कर दी, तो तुम फिर से बुआ को बोल दोगी तो में इसलिए घर नहीं आना चाहता हूँ। फिर प्रिया रोने लगी और बोली कि सूरज प्लीज घर आ जाओ और फिर अगले हफ्ते रक्षाबन्धन भी है, मम्मी तुम्हें रोज याद करती रहती है प्लीज। फिर मैंने कहा कि में घर तभी आऊंगा जब तुम मुझे किस करने दोगी और अपने बदन को छूने दोगी, नहीं तो कभी नहीं आऊंगा।
फिर प्रिया बोली कि सूरज तुम पागल तो नहीं हो गये हो, में तुम्हारी बहन हूँ और तुम मेरे साथ ऐसा करने की सोचते हो। फिर मैंने कहा कि तुम मेरी एक अच्छी दोस्त भी हो और तुम मेरी परेशानी को नहीं समझोगी तो कौन समझेगा? और में तुम्हें सिर्फ़ छूना ही चाहता हूँ और इसमें गलत क्या है? सोच लो और सोचकर कल तक बता देना। तभी में राखी तक आ सकूँगा नहीं तो नहीं आऊंगा। फिर अगले दिन मुझे प्रिया का फोन आया और वो बोली कि ठीक है मुझे मंजूर है, लेकिन जल्दी आना। फिर में खुश हो गया कि मेरी तरकीब कामयाब हो गयी और में घर जाने की तैयारी करने लगा। फिर में राखी से 2 दिन पहले घर पहुँच गया। अब प्रिया थोड़ी नर्वस सी थी, लेकिन खुश थी कि में घर आ गया हूँ।
अब मुझे 2 दिन से कोई मौका ही नहीं मिल पा रहा था कि में प्रिया के साथ कुछ करूँ, क्योंकि प्रिया हर वक़्त मम्मी के साथ होती थी, वो जानबूझ कर मम्मी से अलग नहीं होती थी और में भी मौके की तलाश में रहता था। फिर राखी के दिन से एक दिन पहले ही रात में मम्मी ने मुझसे कहा कि बेटा कल राखी है और बहुत दिन हो गये है, में तुम्हारे मामा से नहीं मिली हूँ तो में सोच रही हूँ कि कल चली जाऊं, वैसे भी घर को अकेला छोड़कर जाने का दिल नहीं करता है, अभी तू है तो कल में और तेरे पापा कल सुबह तेरी बुआ से मिलते हुए तेरे मामा के घर चले जाएगें। फिर मैंने कहा कि ठीक है मम्मी, में अभी यहाँ हूँ तो तुम्हें चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, आप आराम से जाओ। फिर अगले दिन मम्मी और पापा सुबह 5 बजे ही घर से निकल गये और में उन्हें बस स्टैंड तक छोड़कर आया और वापस आने के बाद में सीधा नहाने चला गया। अब प्रिया राखी बांधने के लिए नहाकर तैयार बैठी थी।
फिर में तैयार होकर बेड पर बैठ गया। फिर प्रिया हाथ में थाली लिए हुए जिसमें राखी मिठाई और दीया जल रहा था, वो लेकर मेरे पास आई और बोली कि सूरज अपना हाथ आगे करो। फिर मैंने कहा कि पहले तुम अपना वादा पूरा करो, तब में राखी बंधवाऊंगा। फिर प्रिया ने कहा कि सूरज मज़ाक नहीं। फिर मैंने कहा कि में कोई मज़ाक नहीं कर रहा हूँ सिर्फ़ हाँ या ना। फिर प्रिया ने कहा कि सूरज प्लीज आज तो कम से कम ऐसी बात मत करो। फिर मैंने कहा कि प्रिया तुम जाओ, में कल ही वापस चला जाऊंगा, ओके बाय और में बेड से उठकर जाने लगा। फिर प्रिया ने मेरा हाथ पकड़कर बेड पर बैठा दिया और बोली कि बताओ तुम क्या चाहते हो? तो मैंने कहा कि में एक बार तुम्हें सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में देखना चाहता हूँ। फिर प्रिया बोली कि बस इतनी सी बात, वो तो तुम कभी भी देख लेना। फिर मैंने कहा नहीं अभी और इसी वक़्त, तो वो बोली कि अभी मुझे शर्म आ रही है। फिर मैंने कहा की कोई बात नहीं अगर तुम चाहो तो में भी अपने कपड़े उतार देता हूँ और फिर मैंने अपने कपड़े उतार दिए, अब में सिर्फ़ अंडरवियर में था।
फिर प्रिया शर्माकर दूसरे कमरे में चली गयी और थोड़ी देर के बाद वो वापस आई तो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी। अब उसे देखते ही मेरा लंड तन गया था, लेकिन मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया और प्रिया से बोला कि शरमाओ मत, अब आकर राखी बांधो। फिर प्रिया ने मेरे पास आकर राखी बांधी और फिर मेरे मुँह में मिठाई खिलाई, तो मैंने अपने होंठो से आधी ही मिठाई को पकड़ा और खड़ा होकर प्रिया के पास गया और अपने मुँह में दबी हुई मिठाई प्रिया को खाने के लिए बोला। फिर प्रिया ने मेरे होंठो में दबी हुई मिठाई को अपने होंठो से पकड़ा और फिर हम दोनों ही मिठाई खाते हुए एक दूसरे के होंठो तक पहुँच गये। फिर में प्रिया के होंठो को अपने होंठो से चिपकाकर उसे चूसने लगा और प्रिया को गर्म करने लगा और अब में उसे बेतहाशा चूमने लगा था। फिर थोड़ी देर में ही प्रिया की साँसे तेज-तेज चलने लगी और वो बोली कि सूरज बहुत मज़ा आ रहा है।
फिर मैंने उसकी ब्रा और पेंटी भी उतार दी और उसे बेड पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूत को सहलाने लगा और अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा तो वो चौंक गयी और बोली कि नहीं सूरज दर्द होता है। फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाला और उसके मुँह को चोदने लगा और अपना सारा वीर्य उसके मुँह में ही निकाल दिया। फिर में प्रिया की चूत में थोड़ा सा तेल डालकर उसे सहलाने लगा और प्रिया मेरे लंड को सहला रही थी। फिर थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से तन गया और में प्रिया की चूत में अपना लंड धीरे-धीरे डालने लगा। फिर प्रिया बोली कि सूरज धीरे-धीरे दर्द हो रहा है। फिर में धीरे-धीरे प्रिया की चूत में अपना लंड डालने लगा और जैसे ही मेरा लंड प्रिया की चूत के अंदर गया तो वो चिल्ला पड़ी। फिर मैंने कहा कि कोई बात नहीं और फिर में उसे आराम-आराम से चोदने लगा। अब वो भी मज़े ले रही थी और अब हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ डालकर चूस रहे थे। फिर उसके बाद प्रिया मुझसे ज़ोर से लिपट गयी और फिर धीरे-धीरे ठंडी हो गयी। अब में समझ गया था कि प्रिया झड़ गयी है और फिर मैंने भी अपना वीर्य प्रिया की चूत में ही छोड़ दिया, तो प्रिया उछल पड़ी और बोली कि तुम्हारा रस कितना गर्म है? और फिर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से लिपटकर सो गये।
फिर अगले दिन सुबह जब मेरी आँख खुली तो प्रिया सो रही थी। फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और बाथरूम में ले गया और नल खोलकर सीधा पानी उसके ऊपर डाल दिया, तो वो उठ गयी और मुझ पर पानी डालने लगी। फिर हम दोनों नहाने लगे और अब प्रिया मेरे बदन पर साबुन लगा रही थी और में प्रिया के नंगे बदन पर साबुन लगा रहा था। फिर मैंने प्रिया को फर्श पर लेटाकर उसकी चूत में अपना लंड डाला और फिर से उसे चोदने लगा। फिर उसे चोदने के बाद हम दोनों नहाकर फ्रेश हुए। फिर मैंने पूछा कि प्रिया राखी बँधाई का तोहफा कैसा लगा? तो प्रिया बोली कि सूरज मुझे नहीं पता था कि इस खेल में इतना मज़ा है, तुम्हारा ये तोहफा मेरे और तुम्हारे दिए हुए सारे तोहफ़ो से भी कीमती है, में इस राखी को कभी भी नहीं भूल सकती हूँ और फिर वो मेरे करीब आकर मुझसे लिपट गयी
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