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भाई की बहन के साथ सुहागरात - दीदी को चोदा - लंड चूस चुदाई - Bahan Ke Saath Suhagraat
भाई की बहन के साथ सुहागरात - दीदी को चोदा - लंड चूस चुदाई - Bahan Ke Saath Suhagraat , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story , Adult xxx vasna kahaniyan.
ये अनुभव मेरे उस फ्रेंड की बहन का है जो आज भी मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त है। वो मेरा 5th क्लास से फ्रेंड है और वो लोग 2 भाई और 3 बहन है और हमारी उनसे फेमिली फ्रेंडशिप है। मेरे दोस्त का नाम रोमी है और वो सारे बहन भाइयों में सबसे छोटा है.. उसकी सबसे बड़ी बहन का नाम महिमा, उससे छोटा भाई संजू और फिर उससे छोटी बहन रेशमा और फिर तीसरी बहन प्रिया और सबसे आख़िरी में मेरा दोस्त था। फिर बड़ी दीदी महिमा हमसे 9 साल बड़ी थी और भैया संजू 6 साल बड़े और रेशमा हमसे 4 साल बड़ी और प्रिया 2 साल बड़ी है।
फिर सबसे पहले महिमा दीदी की शादी पंजाब में हो गयी और उनके पति बहुत ही हँसमुख थे और हमेशा ही जोक करते रहते थे लेकिन जीजा जी नंबर एक के मदारचोद थे.. वो मौका मिलने पर अपनी दोनों सालियों रेशमा और प्रिया की चूचियाँ दबाते रहते थे और गांड पर भी चुटकी काट लेते थे। वो इतने मदारचोद थे कि हम लड़को का भी लंड पकड़ कर खींच लेते थे और हमारी गांड में ऊपर से चुटकी काट लेते थे और कभी कभी उंगली कर देते थे।
फिर ऐसा मदारचोद आदमी मैंने आज तक नहीं देखा था। अब आपको ये बताता हूँ की मैंने रेशमा के साथ सुहागरात कैसे मनाई? दोस्तों उस वक़्त मेरी उम्र 18 साल की थी और मेरे दोस्त की दूसरी बहन रेशमा की सगाई होने वाली थी दो दिन के बाद उसकी मेहन्दी की रस्म थी और में एक फेमिली मेंबर की तरह था और उसकी तीनों बहनों को बहुत इज्जत देता था। फिर शादी की वजह से में उनके घर पर ही रुका हुआ था और सारे कामो में मदद कर रहा था।
फिर रेशमा की मेहन्दी की रस्म दो दिन के बाद थी और उन्होने कुछ रिश्तेदारों को होटल में और कुछ को पड़ोस के घर पर रुकवाया था। फिर घर का फर्निचर निकाल कर हमने छत पर रख दिया और सभी कमरों में जमीन पर बिस्तर लगा दिए थे। फिर ऐसे ही मेहन्दी के 2 दिन पहले एक रात को एक रूम में हम पाँच लोग सो रहे थे। फिर सबसे पहले मेरे दोस्त की बहन रेशमा, फिर में, फिर मेरा दोस्त और फिर उसके जीजा जी और आख़िर में महिमा दीदी सो रही थी। फिर मैंने और मेरे दोस्त ने जीजा जी के साथ थोड़ी ड्रिंक की हुई थी।
फिर हम सब आराम से सो रहे थे कि अचानक से मेरी जाँघ पर जोर से कुछ लगा और तेज़ दर्द से में उठकर बैठ गया। तभी मैंने देखा कि जीजा जी रेशमा के ऊपर चड़े हुए थे.. दरअसल उन्होने रेशमा को चोदने के लिए जैसे ही रेशमा की टाँगो को मोड़कर ऊपर उठाया तो रेशमा का घुटना मेरी जाँघ पर कसकर लगा और में दर्द से कराह उठा। तभी जीजा जी और रेशमा मुझे देखकर घबरा गये लेकिन पता नहीं कैसे में तुरंत फिर लेट कर सोने का दिखावा करने लगा कि जैसे मैंने कुछ देखा ही नहीं और उन्हे भी यही लगा कि में नींद में उठ कर फिर सो गया।
फिर वो 2 मिनट तक मुझे देखते रहे क्योंकि मेरा चहरा उनकी साईड पर ही था। जीजा जी ने मुझे घुमाने की कोशिश की लेकिन में घूम नहीं सका तो रेशमा ने जीजा जी को बोला कि जीजू यार जल्दी करो नहीं तो कोई और जाग जाएगा और मेरा मूड भी ठंडा मत करो। फिर रेशमा के मुहं से में ये सब सुनकर चकित रह गया। फिर जब उन्हे लगा कि में सो रहा हूँ तो उन्होने फिर से अपना सेक्स का खेल शुरू कर दिया और में आधी खुली आँखो से सारा नज़ारा साफ साफ देख रहा था। फिर जीजा जी उठे और थोड़ा नीचे सरक कर रेशमा की चूत चाटने लगे और रेशमा के दोनों बूब्स खुले हुए थे।
मैंने उनके बूब्स के बीच की लाईन तो कई बार देखा था लेकिन इज्जत की वजह से में उसे अपने दिमाग से निकल देता था और आज उसके दोनों बूब्स को देख रहा था। फिर रेशमा भी जीजा जी का लंड लोलीपोप की तरह चाट रही थी। तभी किसी को आज सेक्स करते देखकर बहुत अच्छा लग रहा था। फिर रेशमा जीजा जी के लंड को हिला हिलाकर चूस रही थी और साथ ही साथ सिसकारियाँ भी ले रही थी। फिर जीजा जी उसकी नीचे चूत चाटने में मस्त थे और रेशमा के गोर गोरे बदन और उसकी टाईट चूचियों को देखते देखते थोड़ी देर के बाद मुझे भी सेक्स का नशा चड़ने लगा। तभी उसकी गोल गोल गोरी गोरी चूचियों को देखकर मेरा लंड भी टाईट हो गया और ऊपर नीचे होकर उसकी खूबसूरती को सलामी देने लगा।
फिर में रेशमा के गुलाबी गुलाबी निप्पल को देख रहा था और थोड़ी देर के बाद काम देवता मेरे दिमाग़ और दिल पर छा गये और फिर मेरा दिल कर रह था कि रेशमा के दोनों चूचियों को उसकी छाती से उखाड़ दूँ और खा जाऊँ.. मेरे हाथ मचल रहे थे उसकी चूचियों को दबाने के लिए और मेरे होंठ सूखे हो रहे थे और मेरा गला सूख गया और प्यास लगी जा रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद जीजा जी सीधे हुए और अपना लंड रेशमा के मुहं से निकाल कर उसे चोदने के लिए तैयार हो गये.. उन्होने अपना लंड रेशमा की चूत में डाल दिया और उसके होंठो को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगे।
फिर में उन्हे सेक्स करते हुए देख रहा था और सोच रहा था कि रेशमा को कैसे चोदूं? फिर थोड़ी देर के बाद जीजा जी ने तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिए और रेशमा भी अपनी गांड उछाल रही थी और थोड़ी देर के बाद दोनों झड़ गये और जीजा जी रेशमा के निप्पल को ऐसे चूस रहे थे जैसे कि उसका पूरा जूस पी जाएँगे। तभी थोड़ी देर के बाद दोनों का जिस्म ऐंठने लगा और दोनों ठंडे पड़ गये.. उनकी साँसें तेज़ तेज़ चल रही थी।
फिर दोनों सफाई के लिए बाथरूम में गये और फिर जीजा जी जाकर अपनी वाईफ महिमा दीदी के पास लेट गये। फिर रेशमा भी अपनी जगह पर (मेरा मतलब मेरे पास में) आकर लेट गयी और फिर मेरी आँखो से नींद कोसो दूर थी और फिर में रात की चाँदनी में रेशमा के चमकते चेहरे को देख रहा था और उसे चोदने का रास्ता सोच रहा था। तभी थोड़ी देर के बाद जीजा जी की खर्राटे की आवाज़ आने लगी और रेशमा भी चुदाई के बाद गहरी नींद में थक कर सो रही थी। फिर मैंने सब तरह से संतुष्ट होने के बाद धीरे धीर अपने कांपते हाथों को रेशमा की तरफ बड़ाया और फिर उसके बूब्स पर हाथ रख दिया। तभी मेरी धड़कन पूरी रफ़्तार पर थी और ज़बान सूख रही थी फिर थोड़ी देर तक मैंने बूब्स पर ही हाथ रखा। फिर धीरे धीरे में अपने हाथ से उसका गाउन उठाने लगा और पूरा नाईट गाउन उठाने के बाद मैंने देखा कि उसकी चूचियाँ उसकी वाईट ब्रा में क़ैद थी।
फिर में ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स दबाने लगा और उसके जिस्म की खुश्बू लेने लगा तभी अचानक रेशमा मेरे बूब्स दबाने की वजह से उठ गयी और धीरे से गुस्से में बोली राज क्या कर रहे हो। तभी मैंने हिम्मत करके बोला कि पहले क्या हो रह था वही कर रहा हूँ। फिर वो चुप हो गयी और फिर में उसके बूब्स ब्रा के ऊपर से दबाने लगा तो रेशमा बोली कि कोई उठेगा तो प्राब्लम होगी तुम गाउन को नीचे कर दो में ऊपर से गाउन के बटन खोल देती हूँ। फिर मैंने वैसा ही किया और उसने गाउन के ऊपर के बटन खोल दिए और ब्रा को अनहुक कर दिया और ब्रा ऊपर उठा दी। फिर मैंने अब उसके बूब्स को ब्रा से आज़ाद कर दिया और फिर उसकी गुलाबी गुलाबी निप्पल को चूसने लगा.
दोस्तों इसे कहते है की अंधे के हाथ किस्मत से बटेर लगना और फिर में उसके बूब्स को चूस चूसकर मजे कर रहा था। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ उसकी चूत की लाईन पर रख दिया और उसकी चूत के अंगूर को अपनी उंगली से सहलाने लगा और उसके बूब्स के निप्पल को भी धीरे धीरे अपने दांतों से काट रहा था। फिर कुछ ही देर के बाद रेशमा भी मस्त गरम हो गयी और मेरा सर खींचकर अपने बूब्स पर रगड़ने लगी। फिर जीजा जी से चुदने के बाद रेशमा अच्छे से अपनी चूत को क्रीम सोप से धो कर आई थी और क्रीम सोप की बहुत प्यारी खुश्बू आ रही थी।
फिर मैंने रेशमा के ऊपर आकर उसे मेरा लंड चूसने के लिए कहा और रेशमा भी तुरंत तैयार हो गयी में उसके इस व्यवहार से बहुत आशचर्य चकित था। फिर रेशमा मेरे ऊपर अपने दोनों पैर फैला कर लेट गयी और मेरा लंड चूसने लगी और में भी उसकी चूत को चाटने लगा। तभी उसकी चूत पाव-भाजी के पाव की तरह फूली हुई थी और उसकी चूत को चाटने का एक अलग ही मज़ा आ रहा था ऐसा लग रह था कि जैसे कि में जन्नत हूँ जो कभी मैंने सपनों में भी सोचा नहीं था लेकिन वो आज एक हक़ीकत था।
दोस्तों सोचो कि कोई ऐसा हो जो हसीन हो और जवान हो और जिसके बारे में आप कभी सेक्स का सोच भी नहीं सकते हो और जिसकी आप बहुत इज्जत करते हो और वो आपका लंड चूस रही हो और जिसको आप चोदने जा रहे हो तो सोचो आपका क्या हाल होगा? फिर रेशमा बड़े प्यार से मेरा लंड चूस रही थी और में भी उसकी चूत ऐसे चाट रहा था जैसे कोई भिखारी कोई झूठी प्लेट चाट रहा हो।
फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत की दोनों पंखुड़ियों को फैलाकर उसकी चूत के अंदर डाल दी और अपनी जीभ से उसकी चूत के अंगूर को सहलाने लगा और अपनी जीभ उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा। तभी रेशमा बहुत मज़ा दे रही थी और अपनी चूत मेरे लंड पर दबा रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद उसकी चूत का रस मेरे मुहं में टपकने लगा इसके बाद मैंने रेशमा को सीधा लेटाया और उसकी चूत में लंड घुसेड़ दिया और उसके होंठो को चूसने लगा।
फिर वो बहुत मजे कर रही थी और जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी में भी उसकी चूत में लंड डालकर धीरे धीरे हिला रहा था और साथ ही साथ उसकी चूत के अंगूर को भी अपनी उंगली से सहला रहा था। फिर रेशमा ने मुझे कसकर अपने सीने से लगा लिया और अपनी गांड उछालने लगी और मज़ा लेने लगी और में भी जोर जोर से धक्के मारने लगा और थोड़ी देर के बाद उसका बदन टाईट होने लगा और वो अकड़ने लगी और फिर वो झड़ गयी और उसके झड़ते ही में तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा और 2 मिनट के बाद में भी कसमसा गया और उसकी चूत में झड़ गया।
फिर उसके बाद में टॉयलेट में जाकर अपना लंड साफ करके आ गया और उसके बाद रेशमा टॉयलेट में जा कर अपनी चूत साफ करके आ गयी और अंदर आकर दरवाजा लॉक कर लिया। मैंने फिर से रेशमा को गले लगा लिया और उसके होंठ चूसने लगा और मैंने फिर से उसके बूब्स चूसने शुरू कर दिए और उसकी चूत को सहलाने लगा। फिर वो भी थोड़ी देर के बाद गरम हो गयी और बोली कि जल्दी करना में तीन बार चुदने के बाद थक गयी हूँ और मुझे नींद आ रही है। तभी मैंने कहा कि ठीक है और फिर में उसकी चूत चाटने लगा और वो भी मेरा लंड पूरा मुहं में लेकर चूस रही थी।
फिर जल्दी ही वो झड़ गयी और उसकी चूत का अमृत मेरे मुहं में गिर गया अब मैंने उसे सीधा किया और उसकी चूत में लंड ठोक दिया और कस कसकर चोदने लगा और जब में झड़ने वाला था तो वो बोली कि मेरे चूत में मत झड़ना। तभी मैंने बोला कि फिर क्या करूँ? फिर वो बोली में हूँ ना और फिर यह कहकर उसने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और चूसने लगी और में उसके मुहं में ही झड़ गया और वो मेरा सारा गरम पानी पी गयी और लंड चूसती रही और अच्छी तरह से साफ करके उसने मेरा लंड छोड़ दिया।
फिर रेशमा ने मुझसे रिक्वेस्ट की कि उसे अब नींद आ रही है और बोली कि तुम मुझे जब चाहो बाद में भी चोद सकते हो.. तुमसे चुदवाने में मुझे बहुत मज़ा आया। फिर में उसके ऊपर हाथ रख कर सो गया और सुबह सब कुछ नॉर्मल था। दोस्तों ऐसे मैंने रेशमा के साथ सुहागरात मनाई उसकी शादी से पहले लेकिन मैंने रेशमा की चुदाई उसकी शादी के बाद भी कई बार की और उसने बड़े मजे के साथ मेरा हर बार चुदाई में साथ दिया।
ये अनुभव मेरे उस फ्रेंड की बहन का है जो आज भी मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त है। वो मेरा 5th क्लास से फ्रेंड है और वो लोग 2 भाई और 3 बहन है और हमारी उनसे फेमिली फ्रेंडशिप है। मेरे दोस्त का नाम रोमी है और वो सारे बहन भाइयों में सबसे छोटा है.. उसकी सबसे बड़ी बहन का नाम महिमा, उससे छोटा भाई संजू और फिर उससे छोटी बहन रेशमा और फिर तीसरी बहन प्रिया और सबसे आख़िरी में मेरा दोस्त था। फिर बड़ी दीदी महिमा हमसे 9 साल बड़ी थी और भैया संजू 6 साल बड़े और रेशमा हमसे 4 साल बड़ी और प्रिया 2 साल बड़ी है।
फिर सबसे पहले महिमा दीदी की शादी पंजाब में हो गयी और उनके पति बहुत ही हँसमुख थे और हमेशा ही जोक करते रहते थे लेकिन जीजा जी नंबर एक के मदारचोद थे.. वो मौका मिलने पर अपनी दोनों सालियों रेशमा और प्रिया की चूचियाँ दबाते रहते थे और गांड पर भी चुटकी काट लेते थे। वो इतने मदारचोद थे कि हम लड़को का भी लंड पकड़ कर खींच लेते थे और हमारी गांड में ऊपर से चुटकी काट लेते थे और कभी कभी उंगली कर देते थे।
फिर ऐसा मदारचोद आदमी मैंने आज तक नहीं देखा था। अब आपको ये बताता हूँ की मैंने रेशमा के साथ सुहागरात कैसे मनाई? दोस्तों उस वक़्त मेरी उम्र 18 साल की थी और मेरे दोस्त की दूसरी बहन रेशमा की सगाई होने वाली थी दो दिन के बाद उसकी मेहन्दी की रस्म थी और में एक फेमिली मेंबर की तरह था और उसकी तीनों बहनों को बहुत इज्जत देता था। फिर शादी की वजह से में उनके घर पर ही रुका हुआ था और सारे कामो में मदद कर रहा था।
फिर रेशमा की मेहन्दी की रस्म दो दिन के बाद थी और उन्होने कुछ रिश्तेदारों को होटल में और कुछ को पड़ोस के घर पर रुकवाया था। फिर घर का फर्निचर निकाल कर हमने छत पर रख दिया और सभी कमरों में जमीन पर बिस्तर लगा दिए थे। फिर ऐसे ही मेहन्दी के 2 दिन पहले एक रात को एक रूम में हम पाँच लोग सो रहे थे। फिर सबसे पहले मेरे दोस्त की बहन रेशमा, फिर में, फिर मेरा दोस्त और फिर उसके जीजा जी और आख़िर में महिमा दीदी सो रही थी। फिर मैंने और मेरे दोस्त ने जीजा जी के साथ थोड़ी ड्रिंक की हुई थी।
फिर हम सब आराम से सो रहे थे कि अचानक से मेरी जाँघ पर जोर से कुछ लगा और तेज़ दर्द से में उठकर बैठ गया। तभी मैंने देखा कि जीजा जी रेशमा के ऊपर चड़े हुए थे.. दरअसल उन्होने रेशमा को चोदने के लिए जैसे ही रेशमा की टाँगो को मोड़कर ऊपर उठाया तो रेशमा का घुटना मेरी जाँघ पर कसकर लगा और में दर्द से कराह उठा। तभी जीजा जी और रेशमा मुझे देखकर घबरा गये लेकिन पता नहीं कैसे में तुरंत फिर लेट कर सोने का दिखावा करने लगा कि जैसे मैंने कुछ देखा ही नहीं और उन्हे भी यही लगा कि में नींद में उठ कर फिर सो गया।
फिर वो 2 मिनट तक मुझे देखते रहे क्योंकि मेरा चहरा उनकी साईड पर ही था। जीजा जी ने मुझे घुमाने की कोशिश की लेकिन में घूम नहीं सका तो रेशमा ने जीजा जी को बोला कि जीजू यार जल्दी करो नहीं तो कोई और जाग जाएगा और मेरा मूड भी ठंडा मत करो। फिर रेशमा के मुहं से में ये सब सुनकर चकित रह गया। फिर जब उन्हे लगा कि में सो रहा हूँ तो उन्होने फिर से अपना सेक्स का खेल शुरू कर दिया और में आधी खुली आँखो से सारा नज़ारा साफ साफ देख रहा था। फिर जीजा जी उठे और थोड़ा नीचे सरक कर रेशमा की चूत चाटने लगे और रेशमा के दोनों बूब्स खुले हुए थे।
मैंने उनके बूब्स के बीच की लाईन तो कई बार देखा था लेकिन इज्जत की वजह से में उसे अपने दिमाग से निकल देता था और आज उसके दोनों बूब्स को देख रहा था। फिर रेशमा भी जीजा जी का लंड लोलीपोप की तरह चाट रही थी। तभी किसी को आज सेक्स करते देखकर बहुत अच्छा लग रहा था। फिर रेशमा जीजा जी के लंड को हिला हिलाकर चूस रही थी और साथ ही साथ सिसकारियाँ भी ले रही थी। फिर जीजा जी उसकी नीचे चूत चाटने में मस्त थे और रेशमा के गोर गोरे बदन और उसकी टाईट चूचियों को देखते देखते थोड़ी देर के बाद मुझे भी सेक्स का नशा चड़ने लगा। तभी उसकी गोल गोल गोरी गोरी चूचियों को देखकर मेरा लंड भी टाईट हो गया और ऊपर नीचे होकर उसकी खूबसूरती को सलामी देने लगा।
फिर में रेशमा के गुलाबी गुलाबी निप्पल को देख रहा था और थोड़ी देर के बाद काम देवता मेरे दिमाग़ और दिल पर छा गये और फिर मेरा दिल कर रह था कि रेशमा के दोनों चूचियों को उसकी छाती से उखाड़ दूँ और खा जाऊँ.. मेरे हाथ मचल रहे थे उसकी चूचियों को दबाने के लिए और मेरे होंठ सूखे हो रहे थे और मेरा गला सूख गया और प्यास लगी जा रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद जीजा जी सीधे हुए और अपना लंड रेशमा के मुहं से निकाल कर उसे चोदने के लिए तैयार हो गये.. उन्होने अपना लंड रेशमा की चूत में डाल दिया और उसके होंठो को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगे।
फिर में उन्हे सेक्स करते हुए देख रहा था और सोच रहा था कि रेशमा को कैसे चोदूं? फिर थोड़ी देर के बाद जीजा जी ने तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिए और रेशमा भी अपनी गांड उछाल रही थी और थोड़ी देर के बाद दोनों झड़ गये और जीजा जी रेशमा के निप्पल को ऐसे चूस रहे थे जैसे कि उसका पूरा जूस पी जाएँगे। तभी थोड़ी देर के बाद दोनों का जिस्म ऐंठने लगा और दोनों ठंडे पड़ गये.. उनकी साँसें तेज़ तेज़ चल रही थी।
फिर दोनों सफाई के लिए बाथरूम में गये और फिर जीजा जी जाकर अपनी वाईफ महिमा दीदी के पास लेट गये। फिर रेशमा भी अपनी जगह पर (मेरा मतलब मेरे पास में) आकर लेट गयी और फिर मेरी आँखो से नींद कोसो दूर थी और फिर में रात की चाँदनी में रेशमा के चमकते चेहरे को देख रहा था और उसे चोदने का रास्ता सोच रहा था। तभी थोड़ी देर के बाद जीजा जी की खर्राटे की आवाज़ आने लगी और रेशमा भी चुदाई के बाद गहरी नींद में थक कर सो रही थी। फिर मैंने सब तरह से संतुष्ट होने के बाद धीरे धीर अपने कांपते हाथों को रेशमा की तरफ बड़ाया और फिर उसके बूब्स पर हाथ रख दिया। तभी मेरी धड़कन पूरी रफ़्तार पर थी और ज़बान सूख रही थी फिर थोड़ी देर तक मैंने बूब्स पर ही हाथ रखा। फिर धीरे धीरे में अपने हाथ से उसका गाउन उठाने लगा और पूरा नाईट गाउन उठाने के बाद मैंने देखा कि उसकी चूचियाँ उसकी वाईट ब्रा में क़ैद थी।
फिर में ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स दबाने लगा और उसके जिस्म की खुश्बू लेने लगा तभी अचानक रेशमा मेरे बूब्स दबाने की वजह से उठ गयी और धीरे से गुस्से में बोली राज क्या कर रहे हो। तभी मैंने हिम्मत करके बोला कि पहले क्या हो रह था वही कर रहा हूँ। फिर वो चुप हो गयी और फिर में उसके बूब्स ब्रा के ऊपर से दबाने लगा तो रेशमा बोली कि कोई उठेगा तो प्राब्लम होगी तुम गाउन को नीचे कर दो में ऊपर से गाउन के बटन खोल देती हूँ। फिर मैंने वैसा ही किया और उसने गाउन के ऊपर के बटन खोल दिए और ब्रा को अनहुक कर दिया और ब्रा ऊपर उठा दी। फिर मैंने अब उसके बूब्स को ब्रा से आज़ाद कर दिया और फिर उसकी गुलाबी गुलाबी निप्पल को चूसने लगा.
दोस्तों इसे कहते है की अंधे के हाथ किस्मत से बटेर लगना और फिर में उसके बूब्स को चूस चूसकर मजे कर रहा था। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ उसकी चूत की लाईन पर रख दिया और उसकी चूत के अंगूर को अपनी उंगली से सहलाने लगा और उसके बूब्स के निप्पल को भी धीरे धीरे अपने दांतों से काट रहा था। फिर कुछ ही देर के बाद रेशमा भी मस्त गरम हो गयी और मेरा सर खींचकर अपने बूब्स पर रगड़ने लगी। फिर जीजा जी से चुदने के बाद रेशमा अच्छे से अपनी चूत को क्रीम सोप से धो कर आई थी और क्रीम सोप की बहुत प्यारी खुश्बू आ रही थी।
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फिर जल्दी ही वो झड़ गयी और उसकी चूत का अमृत मेरे मुहं में गिर गया अब मैंने उसे सीधा किया और उसकी चूत में लंड ठोक दिया और कस कसकर चोदने लगा और जब में झड़ने वाला था तो वो बोली कि मेरे चूत में मत झड़ना। तभी मैंने बोला कि फिर क्या करूँ? फिर वो बोली में हूँ ना और फिर यह कहकर उसने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और चूसने लगी और में उसके मुहं में ही झड़ गया और वो मेरा सारा गरम पानी पी गयी और लंड चूसती रही और अच्छी तरह से साफ करके उसने मेरा लंड छोड़ दिया।
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