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आज तो दुल्हन चूमेगी सबके लंड - Sabhi ke lund chumne ka rivaj
आज तो दुल्हन चूमेगी सबके लंड - Sabhi ke lund chumne ka rivaj , सिर्फ पति ही नहीं यहाँ दुल्हन बनती है परिवार के सभी सदस्यों की बहु , शादी के बाद चुदाई का खेल , दुल्हन की सुहागरात में चुदाई.
हमारा देश अनेक प्रकार की रीति - रिवाज़ों का देश है। अगर इनके नाम की लिस्ट बनायीं जाए तो हज़ारों पेज की एक बड़ी सी किताब बन जाएगी। मैं इस कहानी में एक ऐसी रीति - रिवाज़ की बात कर रही हूँ जिसको शायद आपने कभी न देखा होगा और न सुना होगा पर है ये हक़ीक़त।
मेरा नाम है हसीना। मैं 24 साल की हूँ, खूबसूरत हूँ हॉट हूँ और बोल्ड हूँ। मेरा निकाह अभी अभी हुआ है और मैं अपनी ससुराल चली आई हूँ। ये तो हर रिवाज़ में है की शादी के बाद दुल्हन की सुहागरात होती है। सुहागरात को अगर खुले शब्दों में कहा जाए तो इसमें दूल्हा शादी हो जाने के बाद अपनी दुल्हन की बुर चोदता है। दुल्हन भी बड़े मन से अपने दूल्हे से खूब मस्ती से चुदवाती है। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहता है। इसी बीच सब लोगों के कई तरह से रिवाज़ होतें है तो वो भी सब होते रहतें हैं। मैं जिस रिवाज़ की बात कर रही हूँ वह यह है की दुल्हन पहले दिन अपने दूल्हे से चुदवाती है तो दूसरे ही दिन दुल्हन अपने सारे कपड़े उतार कर घर के सारे मर्दों के लण्ड चूमती है। मर्द एक या दो दो एक साथ उसके पास जाया करतें हैं और वह सबके लण्ड खोल कर खड़ा करती है और फिर उसे बड़े गौर से देखती है। चारों तरफ से लण्ड घुमा घुमा कर देखती है और फिर बड़े प्यार मोहब्बत से लण्ड चूमती है, लण्ड का सुपाड़ा चूमती है, लण्ड पेल्हड़ भी चूमती है। 18 साले से बड़े लोगों के लण्ड चूमती हैं। कभी कभी लण्ड चूमने का सिलसिला दो दिन तक या तीन दिन तक चलता रहता है। लण्ड चूमने का मतलब है की दुल्हन को लण्ड चूम कर, चाट कर, चूस कर, हिला हिला कर लण्ड को खलास करना होता है। चाहे वह लण्ड का सड़का मार कर खलास करे, चाहे लण्ड अपनी चूत में पेल कर खलास करे, चाहे अपनी चूँचियाँ चुदवाकर खलास करे, चाहे लण्ड को प्यारी प्यारी गालियां सुनाकर गन्दी गन्दी बाते सुनाकर खलास करे। वह यह काम चाहे सबके सामने करे या फिर अकेले कमरे में करे या फिर कुछ लोगों के सामने करे यह उसकी इच्छा पर निर्भर होता है। इस तरह दुल्हन कुनबे के सारे लण्ड पकड़ कर देख लेती है, कुछ लण्ड तो हमेशा के लिए पहचान भी लेती है और कुछ लण्ड से बार बार चुदवाने का मन बना लेती है। कुछ लण्ड से अपनी चूँचियाँ चुदवाने का मन बना लेती है और कुछ लण्ड से अपनी गांड भी मरवाने की सोंच लेती है। कुछ को अपना हैंड जॉब देती है तो कुछ को अपना ब्लोजॉब।
यानी शादी के बाद दुल्हन को ससुराल वालों के सारे लण्ड एक बार पकड़ना ही होता है, एक बार सबके लण्ड खलास करना ही होता है। झड़ते हुए लण्ड को पीना ही होता है। हां यह बात जरूर है की वह चाहे तो पूरा वीर्य पी ले, या थोड़ा वीर्य पिए या फिर वीर्य थोड़ा चख ही ले। परन्तु हर लण्ड के वीर्य का स्वाद लेना जरुरी होता है।उसके बाद दुल्हन जिससे चाहे उससे चुदवाती रहे। उस पर कोई रोक नहीं होती है। इस रिवाज़ में दुल्हन को भी खूब मज़ा मिलता है। उसे दो चार दिन में ही सबके लण्ड का सबके लण्ड के साइज का पता चल जाता है. उसकी आगे आने वाली ज़िन्दगी अच्छी हो जाती है क्योंकि वह सबसे अक्सर चुदवाती रहती है। उधर मर्दों को भी बड़ा मज़ा आता है। उन्हें भी सबकी बीवियों को लण्ड पकड़ाने का मौका मिलता है और जिसका लण्ड मोटा तगड़ा होता है उसकी तो लॉटरी खल जाती है। उन्हें दुल्हन की बुर चोदने का मौक़ा मिलता ही रहता है। सबकी बीवियां और बेटियां भी चोदने का मौक़ा मिलता रहता है।
मेरे पास सबसे पहले मेरे दो देवर आ गए। मैंने दोनों को एक साथ ही नंगा कर दिया। उनकी उम्र लगभग 21 /22 की होगी। पर दोनों के लण्ड बहन चोद बड़े खूबसूरत और मोटे मोटे थे। मैंने पूंछा तुम दोनों को एक दूसरे के आगे नंगा होने में कोई शर्म नहीं आती ? वे बोले नहीं भाभी जान। हम लोग 18 साल की उम्र से सबके सामने रात भर नंगे ही रहतें हैं। सबकी बुर में लण्ड पेलते है और मस्ती से चोदते रहतें हैं। मैंने फिर पूंछा कभी अपनी माँ का भोसड़ा चोदा है तुमने ? कभी अपनी बहन की बुर में लण्ड पेला है तुमने ? दोनों ने बताया की हमने अपनी माँ का भोसड़ा चोदा है और बहन की का तो कई बार ली है। भाभियों की बुर, खाला जान की और फूफी जान की बुर भी अक्सर चोदता हूँ। उनकी बेटियां चोदता हूँ। मैं बातें करती जा रही थी और उनका सड़का भी मारती जा रही थी। हुआ यह की दोनों साले झड़ गये और मैंने दोनों झड़ते हुए लण्ड पिया। मैं मस्त हो गयी और मन बना लिया की मैं आगे भी इनसे चुदवाया करूंगी।
एक घंटे के बाद मेरे तीन नंदोई इकठ्ठे आ गये। मेरी तीन नन्द हैं। ये सब उनके हसबैंड थे। मैंने तीनो को नंगा किया। उनके लण्ड हिला हिला के खड़ा किया। लण्ड मुझे बड़े अच्छे लगे। एक तो मेरी चूत चाटने लगा, बाकि दोनों मेरी एक एक चूँची चाटने लगे। मैं उनके लण्ड मुठियाने लगी। बिना झांट के एकदम चिकने लण्ड मुझे अच्छे लग रहगे थे। मैं झुक कर एक एक करके तीनो लण्ड चूमने लगी। तीनो लण्ड के सुपाड़े चूमें और फिर उनके पेल्हड़ भी चूमें। बड़े नंदोई का सुपाड़ा मुंह में भर लिया। छोटे नंदोई का लण्ड अपनी चूँची पर रगड़ने लगी। और मंझले नंदोई का लण्ड मेरे पूरे नंगे बदन पर इधर उधर घूमने लगा। मैंने पूंछा तुम लोग अपनी अपनी बीवी चोदते हो की एक दूसरे की बीवी ? तीनो बोले एक दूसरे की बीवी ज्यादा चोदते हैं। मैंने फिर कहा - कभी अपनी बीवी की माँ का भोसड़ा चोदा है तुम लोगों ने ? सबने कहा हां अभी कल ही चोदा है अपनी बीवी की माँ का भोसड़ा। मैंने फिर पूंछा - अपने दोस्तों की माँ बेटी बहन सब चोदी है तुम लोगों ने। सबने कहा - हां चोदी है और हमारे दोस्तों ने भी मेरी माँ बहन और बीवी खूब चोदी है और अकसर चोदते हैं। हमारे यहाँ चोरी छिपे चुदाई नहीं होती। खुल्लम होती है सबकी चुदाई। मैंने इतने में बड़े नंदोई का लण्ड खलास कर दिया। वह तो चला गया। फिर इन दोनों से मैंने खूब जम कर चुदवाया। दोनों के मस्त लौड़े मैंने अपनी चूत में पेला और खूब चुदाई का मज़ा लूटा।
कुछ देर बाद मेरा चचियां ससुर और ममिया ससुर दोनों एक साथ आ गए। दोनों भोसड़ी के पहले से ही नंगे थे और उनके लण्ड भी खड़े थे। इनके लण्ड देख कर मेरी गाड़ फट गई। लण्ड सच में बड़े बड़े थे। मेरे चचियां ससुर का लण्ड काला था क्योंकि वह काला था। मुझे पहली बार कोई काला लण्ड देखने का मौक़ा मिला। मैं तो काला लण्ड देख कर हैरान हो गई। मुझे पहली बार एहसास हुआ की काला लण्ड कितना खूबसूरत होता है। मैंने तो उसका काला हाथ बढ़ाकर पहले पकड़ा और उसे मुंह में घुसा लिया। मैं चूसने लगी लण्ड। दूसरा लण्ड हाथ से सहलाने लगी। मैंने कहा - भोसड़ी वालों तेरी बहन का लण्ड। तेरी बिटियों की बुर। इतने बड़े बड़े लण्ड तुमने अब तक कहाँ छुपाकर रखा था मादर चोदों। कभी अपने लण्ड अपनी बेटियों की बुर में पेला है तुमने ? दोनों ने एक साथ जबाब दिया पेला है और पेलता हूँ। हमारी बेटियां हमारे लण्ड से बहुत मोहब्बत करतीं हैं। हमारी बेटियां मजे से पीतीं हैं हमारे लण्ड। मैंने कहा तो फिर आज तुम्हारी बहू भी पियेगी तुम्हारे लण्ड माँ के लौंड़ों ? इतने खूबसूरत लण्ड मैं क्या मेरी माँ भी पियेगी तुम्हारे लण्ड। अब तुम काला लण्ड मेरी चूत में घुसा दो और चोदो। गोरा लण्ड मेरे मुंह में पेल दो।
मैं इस तरह बारी से उन दोनों से झमाझम चुदवाने लगी। पहली बार इन दोनों के लण्ड देखे थे तो जोश कुछ
मेरे चचिया ससुर का काला लण्ड
ज्यादा ही आ गया था। मेरी चूत भी मस्त हो गयी थी और तब मैं भी अपनी गांड उछाल उछाल कर चुदवाने लगी। हर धक्के का जबाब धक्के से देने लगी। मैं बोलने लगी और चोदो मुझे फाड़ डालो मेरी बुर ससुर जी। मेरी चूत का बना दो भोसड़ा ससुर जी। हाय रे बड़ा मज़ा आ रहा है। तू भोसड़ी का अपनी बहू की बुर चोदने में बड़ा माहिर है। अपनी बेटी किबूर भी इसी तरह चोदते हो न ? वह बोला हां चोदता हूँ। मैंने कहा हाय रे तू मादर चोद बड़ा हरामी आदमी है। सबकी बहू बेटियां चोदता है तू। तेरी बहन का भोसड़ा, तेरी बहू की चूत, बेटी की बुर साले कुत्ते की चोद रहा है तू मेरी बुर। मुझे सच में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं जितनी गालियां बक रही थी उसे उतना ही जोश आ रहा था। वह पागलों की तरह मुझे चोदने में जुटा था। कुछ देर बाद वह मुझे पीछे से चोदने लगा। हचक हचक के चोदने लगा। मैंने कहा एक बात सुन ले भोसड़ी के ससुर अगर तूने मेरी गांड में लण्ड पेला तो मैं तेरी गांड में ठोंक दूँगी लण्ड और चबा डालूंगी लण्ड। उसके बाद ममिया ससुर से चुदवाने लगी और इसका काला लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी। मुझे वाकई ज़न्नत का मज़ा आ रहा था।
मुझे लगा की आज मेरी सच्ची सुहागरात हो रही है।
उन दोनों लण्ड ने मिलकर मेरी चूत ढीली कर दी और मैंने भी उनके लण्ड का तेल निकाल लिया। दोनों लण्ड साले उगलने लगे अपना अपना वीर्य जिसे मैं मजे से पी गई। मैं मस्त हो गयी। थोड़ी देर तक आराम किया। मैं इस बात से खुश थी की मुझे ससुराल में लण्ड मेरे मन के मिल रहे हैं। मैं तो नंगी ही बैठी थी। रात को करीब 12 बजे मेरे सामने एक आदमी आया वह था मेरा असली ससुर। वह भी नंगा था। बोला बहू अब मेरा नंबर है। मेरा भी लण्ड चूमो और चाटो। उसका भी लण्ड साला गज़ब का मोटा था। मैंने कहा हां ससुर जी तेरा भी लण्ड चाटूँगी चूसूंगी और चोदूँगी भी। तब तक किसी ने अपना लण्ड मेरे कंधे पर रख दिया। मैंने कनखियों से देखा तो मुझे लगा की ये तो कोई जाना पहचाना लण्ड है। मैंने लण्ड हाथ बढ़ाकर पकड़ लिया और पकड़ते ही बोली हाय अब्बू जान तू यहाँ ? मैं तेरा लण्ड पहचान गई. वह बोला हां हसीना तू यहाँ मेरी बेटी नहीं बल्कि बहू है और मुझे बहू की बुर लेने का हक़ है हसीना। यही तो रिवाज़ है यहाँ का। मैंने कहा हां ठीक है तो मुझे भी अपने ससुर का लण्ड चोदने का हक़ है। समझे मेरे भोसड़ी के ससुर जी तेरी बहन का लण्ड। आज देखती हूँ की तेरा लण्ड मेरा क्या उखाड़ लेता है ? मैं बहू होकर तेरे लण्ड को अपनी चूत में डाल कर बैगन की तरह भून डालूंगी। तेरे लण्ड की बनाऊंगी चटनी।
मैं दोनों लण्ड अपने दोनों हाथ में लेकर सहलाने लगी और उन्हें बारी बारी से चूमने लगी। दोनों लाँड़ बिलकुल सांड़ की तरह एक दूसरे के सामने खड़े थे। मैं दोनों लण्ड का सुपाड़ा एक दूसरे स लड़ाने लगी। मुझे इस खेल में मज़ा आने लगा। फिर दोनों लण्ड अपनी दोनों चूँचियों पर रगड़ने लगी। मैं मस्त होती जा रही थी और वो दोनों लण्ड और तन कर मेरे सामने उत्पात मचा रहे थे। झांटें किसी भी लण्ड पर नहीं थीं। नंगे नंगे चिकने लण्ड बड़े हैंडसम लग रहे थे। मैंने अपने ससुर का लण्ड कुछ देर बाद अपनी बुर में घुसा लिया और कहा ले भोसड़ी के ससुर चोद ले मेरी मस्तानी चूत। लण्ड पूरा घुस गया तो मुझे ज़न्नत के मज़ा का एहसास हुआ। एक जवान औरत को चाहिए क्या बस चूत में लण्ड और क्या ? हमारे मुस्लिम समाज में लण्ड की कमी नहीं है। क्योंकि सबको सबकी बुर चोदने का हक़ है।
मैंने अब्बू जान का लण्ड मुंह में लिया क्योंकि वह लण्ड कई बार मेरी चूत में घुस चुका था । मैं अब्बू का लण्ड चूसते हुए अपने ससुर से धकाधक चुदवाने लगी। ससुर मादर चोद मुझे अपनी बीवी समझ कर भकाभक चोदने में जुट गया। मैंने पूंछा - ससुर जी तुम किसी और की भी बहू की बुर लेते हो की नहीं ? वह बोला - लेता हूँ बहू रानी। मैं अपने कुनबे की सबकी बहू चोदता हूँ और अपने दोस्तों की भी बहू चोदता हूँ। इसीलिए सब मेरी बहू यानी तुझे चोदने के लिए तैयार बैठे हैं। मुझे बहू बेटियां चोदने में ज्यादा मज़ा आता है। उसने चोदने की स्पीड बढ़ा दी और मैंने भी धक्के खाने की ताकत बढ़ा दी।
इतने में मेरी छोटी खाला सास आ गईं।
वह चुदाई देख कर बोली - हाय जीजू कितना चोदोगे तुम लोग मेरी बहू की बुर ? जब से आयी है तब से चुद ही
रही है बिचारी। क्या आज ही उसका पूरा मज़ा ले लोगे तुम लोग ? ससुर बोला - नहीं साली जी। ऐसा नहीं है। तेरी बहू जितना चुद रही है उतनी ही उसकी चुदाने की ताकत बढ़ रही है। बड़ी मक्खन मलाई है तेरी बहू की बुर तो फिर क्यों न चोदूँ ? मैं तो चोदूंगा और आगे भी चोदता रहूंगा। तब तक मेरे अब्बू ने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया था और मैं अपने ससुर का लण्ड मुंह में डाल कर चुदवा रही थी। उधर से मेरी नन्द बोली - हाय हसीना के अब्बू तुम तो अपनी ही बेटी की बुर चोदने में लगे हो। तुझे तो शर्म आनी चाहिए। अब्बू ने कहा - देखो मेरी बहू की नन्द रानी। मैं अपनी बेटी की नहीं अपनी बहू की बुर चोद रहा हूँ। यहाँ मैं बहू का ससुर हूँ बाप नहीं। और मेरी नज़र तेरी भी बुर पर लगी हुई है। यहाँ से बाहर निकलूंगा तो लण्ड तेरी बुर में घुसा दूंगा। मुझे लड़कियों की बुर बहुत अच्छी लगती है। लड़कियों की बुर में लण्ड पेलना मुझे अच्छी तरह आता है। फिर उन दोनों ने मिलकर मेरी चूत के छक्के छुड़ा दिया और मैंने भी उन दोनों लण्ड को खलास कर दिया। दोनों भोसड़ी के लण्ड मेरे ही मुंह में झड़ गये। उसके बाद मैं 2 / 3 घंटे के लिए नंगी नंगी ही सो गई। सो कर उठी तो लगभग सवेरा हो चुका था। मैंने दैनिक काम किया और फिर फ्रेश हो गई। मैं सुबह 6 बजे ही तैयार हो गई। तभी मेरे कमरे में तीन मस्त जवान लड़के आ गये। एक ने कहा भाभी जान मेरा भी लण्ड चूम लो। मैं जान गयी की ये मेरा देवर है। दूसरे के कहा - हाय फूफी जान मेरा भी लण्ड चूम लो। मैं समझ गयी की ये मेरे भाई जान का लड़का है। तीसरा लड़के मे कहा - आपा प्लीज मेरा भी लण्ड चूमो न। मैं जान नहीं पाई की ये कौन हैं। तो मेरी नन्द ने बताया - अरे हसीना भाभी जान ये तेरी जेठानी का बही जान हैं तो तेरा भी भाई जान हुआ। इसका भी लण्ड चूम लो भाभी जान बिचारा बड़ी दूर से आया है।
मैंने फिर तीनो लड़कों को नंगा किया। इनकी उम्र 20 और 22 के बीच थी मगर लण्ड बहन चोदों के बड़े जबरदस्त थे। मैं तीनो खड़े लण्ड देख कर मस्त हो गयी। मेरी चूत फिर से चुदाने के लिए कुलबुलाने लगी। मैंने पूंछा की कौन सबसे पहले मुझे चोदेगा ? तो मेरे भाई का लड़का बोला फूफी जान मैं सबसे पहले चोदूंगा। उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ना शुर किया और फिर थोड़ी देर बाद घुसा दिया अंदर। वह बोला बड़ी टाइट है तेरी चूत फूफी जान। ऐसी ही टाइट चूत मेरी खाला जान की बेटी की है मैं कल उसी की बुर चोद के आया हूँ। वह मुझे चोदने लगा और मैं उन दोनों के लण्ड बारी बारी से चूमने और चाटने लगी। उसके बाद मेरे भाई जान ने भी मुझे चोदा और मेरे देवर ने भी। मैं इन तीनो से बारी बारी से बड़ी देर तक चुदवाती रही। करीब डेढ़ घंटे तक इन तीनो ने मुझे चोदा। आगे से भी चोदा, पीछ से भी और अपने अपने लण्ड पर बैठा कर भी चोदा।
मुझे इन तीनो के लण्ड बहुत पसंद आये और मैं आगे भी इनसे चुदवाती रही।
हमारा देश अनेक प्रकार की रीति - रिवाज़ों का देश है। अगर इनके नाम की लिस्ट बनायीं जाए तो हज़ारों पेज की एक बड़ी सी किताब बन जाएगी। मैं इस कहानी में एक ऐसी रीति - रिवाज़ की बात कर रही हूँ जिसको शायद आपने कभी न देखा होगा और न सुना होगा पर है ये हक़ीक़त।
मेरा नाम है हसीना। मैं 24 साल की हूँ, खूबसूरत हूँ हॉट हूँ और बोल्ड हूँ। मेरा निकाह अभी अभी हुआ है और मैं अपनी ससुराल चली आई हूँ। ये तो हर रिवाज़ में है की शादी के बाद दुल्हन की सुहागरात होती है। सुहागरात को अगर खुले शब्दों में कहा जाए तो इसमें दूल्हा शादी हो जाने के बाद अपनी दुल्हन की बुर चोदता है। दुल्हन भी बड़े मन से अपने दूल्हे से खूब मस्ती से चुदवाती है। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहता है। इसी बीच सब लोगों के कई तरह से रिवाज़ होतें है तो वो भी सब होते रहतें हैं। मैं जिस रिवाज़ की बात कर रही हूँ वह यह है की दुल्हन पहले दिन अपने दूल्हे से चुदवाती है तो दूसरे ही दिन दुल्हन अपने सारे कपड़े उतार कर घर के सारे मर्दों के लण्ड चूमती है। मर्द एक या दो दो एक साथ उसके पास जाया करतें हैं और वह सबके लण्ड खोल कर खड़ा करती है और फिर उसे बड़े गौर से देखती है। चारों तरफ से लण्ड घुमा घुमा कर देखती है और फिर बड़े प्यार मोहब्बत से लण्ड चूमती है, लण्ड का सुपाड़ा चूमती है, लण्ड पेल्हड़ भी चूमती है। 18 साले से बड़े लोगों के लण्ड चूमती हैं। कभी कभी लण्ड चूमने का सिलसिला दो दिन तक या तीन दिन तक चलता रहता है। लण्ड चूमने का मतलब है की दुल्हन को लण्ड चूम कर, चाट कर, चूस कर, हिला हिला कर लण्ड को खलास करना होता है। चाहे वह लण्ड का सड़का मार कर खलास करे, चाहे लण्ड अपनी चूत में पेल कर खलास करे, चाहे अपनी चूँचियाँ चुदवाकर खलास करे, चाहे लण्ड को प्यारी प्यारी गालियां सुनाकर गन्दी गन्दी बाते सुनाकर खलास करे। वह यह काम चाहे सबके सामने करे या फिर अकेले कमरे में करे या फिर कुछ लोगों के सामने करे यह उसकी इच्छा पर निर्भर होता है। इस तरह दुल्हन कुनबे के सारे लण्ड पकड़ कर देख लेती है, कुछ लण्ड तो हमेशा के लिए पहचान भी लेती है और कुछ लण्ड से बार बार चुदवाने का मन बना लेती है। कुछ लण्ड से अपनी चूँचियाँ चुदवाने का मन बना लेती है और कुछ लण्ड से अपनी गांड भी मरवाने की सोंच लेती है। कुछ को अपना हैंड जॉब देती है तो कुछ को अपना ब्लोजॉब।
यानी शादी के बाद दुल्हन को ससुराल वालों के सारे लण्ड एक बार पकड़ना ही होता है, एक बार सबके लण्ड खलास करना ही होता है। झड़ते हुए लण्ड को पीना ही होता है। हां यह बात जरूर है की वह चाहे तो पूरा वीर्य पी ले, या थोड़ा वीर्य पिए या फिर वीर्य थोड़ा चख ही ले। परन्तु हर लण्ड के वीर्य का स्वाद लेना जरुरी होता है।उसके बाद दुल्हन जिससे चाहे उससे चुदवाती रहे। उस पर कोई रोक नहीं होती है। इस रिवाज़ में दुल्हन को भी खूब मज़ा मिलता है। उसे दो चार दिन में ही सबके लण्ड का सबके लण्ड के साइज का पता चल जाता है. उसकी आगे आने वाली ज़िन्दगी अच्छी हो जाती है क्योंकि वह सबसे अक्सर चुदवाती रहती है। उधर मर्दों को भी बड़ा मज़ा आता है। उन्हें भी सबकी बीवियों को लण्ड पकड़ाने का मौका मिलता है और जिसका लण्ड मोटा तगड़ा होता है उसकी तो लॉटरी खल जाती है। उन्हें दुल्हन की बुर चोदने का मौक़ा मिलता ही रहता है। सबकी बीवियां और बेटियां भी चोदने का मौक़ा मिलता रहता है।
मेरे पास सबसे पहले मेरे दो देवर आ गए। मैंने दोनों को एक साथ ही नंगा कर दिया। उनकी उम्र लगभग 21 /22 की होगी। पर दोनों के लण्ड बहन चोद बड़े खूबसूरत और मोटे मोटे थे। मैंने पूंछा तुम दोनों को एक दूसरे के आगे नंगा होने में कोई शर्म नहीं आती ? वे बोले नहीं भाभी जान। हम लोग 18 साल की उम्र से सबके सामने रात भर नंगे ही रहतें हैं। सबकी बुर में लण्ड पेलते है और मस्ती से चोदते रहतें हैं। मैंने फिर पूंछा कभी अपनी माँ का भोसड़ा चोदा है तुमने ? कभी अपनी बहन की बुर में लण्ड पेला है तुमने ? दोनों ने बताया की हमने अपनी माँ का भोसड़ा चोदा है और बहन की का तो कई बार ली है। भाभियों की बुर, खाला जान की और फूफी जान की बुर भी अक्सर चोदता हूँ। उनकी बेटियां चोदता हूँ। मैं बातें करती जा रही थी और उनका सड़का भी मारती जा रही थी। हुआ यह की दोनों साले झड़ गये और मैंने दोनों झड़ते हुए लण्ड पिया। मैं मस्त हो गयी और मन बना लिया की मैं आगे भी इनसे चुदवाया करूंगी।
एक घंटे के बाद मेरे तीन नंदोई इकठ्ठे आ गये। मेरी तीन नन्द हैं। ये सब उनके हसबैंड थे। मैंने तीनो को नंगा किया। उनके लण्ड हिला हिला के खड़ा किया। लण्ड मुझे बड़े अच्छे लगे। एक तो मेरी चूत चाटने लगा, बाकि दोनों मेरी एक एक चूँची चाटने लगे। मैं उनके लण्ड मुठियाने लगी। बिना झांट के एकदम चिकने लण्ड मुझे अच्छे लग रहगे थे। मैं झुक कर एक एक करके तीनो लण्ड चूमने लगी। तीनो लण्ड के सुपाड़े चूमें और फिर उनके पेल्हड़ भी चूमें। बड़े नंदोई का सुपाड़ा मुंह में भर लिया। छोटे नंदोई का लण्ड अपनी चूँची पर रगड़ने लगी। और मंझले नंदोई का लण्ड मेरे पूरे नंगे बदन पर इधर उधर घूमने लगा। मैंने पूंछा तुम लोग अपनी अपनी बीवी चोदते हो की एक दूसरे की बीवी ? तीनो बोले एक दूसरे की बीवी ज्यादा चोदते हैं। मैंने फिर कहा - कभी अपनी बीवी की माँ का भोसड़ा चोदा है तुम लोगों ने ? सबने कहा हां अभी कल ही चोदा है अपनी बीवी की माँ का भोसड़ा। मैंने फिर पूंछा - अपने दोस्तों की माँ बेटी बहन सब चोदी है तुम लोगों ने। सबने कहा - हां चोदी है और हमारे दोस्तों ने भी मेरी माँ बहन और बीवी खूब चोदी है और अकसर चोदते हैं। हमारे यहाँ चोरी छिपे चुदाई नहीं होती। खुल्लम होती है सबकी चुदाई। मैंने इतने में बड़े नंदोई का लण्ड खलास कर दिया। वह तो चला गया। फिर इन दोनों से मैंने खूब जम कर चुदवाया। दोनों के मस्त लौड़े मैंने अपनी चूत में पेला और खूब चुदाई का मज़ा लूटा।
कुछ देर बाद मेरा चचियां ससुर और ममिया ससुर दोनों एक साथ आ गए। दोनों भोसड़ी के पहले से ही नंगे थे और उनके लण्ड भी खड़े थे। इनके लण्ड देख कर मेरी गाड़ फट गई। लण्ड सच में बड़े बड़े थे। मेरे चचियां ससुर का लण्ड काला था क्योंकि वह काला था। मुझे पहली बार कोई काला लण्ड देखने का मौक़ा मिला। मैं तो काला लण्ड देख कर हैरान हो गई। मुझे पहली बार एहसास हुआ की काला लण्ड कितना खूबसूरत होता है। मैंने तो उसका काला हाथ बढ़ाकर पहले पकड़ा और उसे मुंह में घुसा लिया। मैं चूसने लगी लण्ड। दूसरा लण्ड हाथ से सहलाने लगी। मैंने कहा - भोसड़ी वालों तेरी बहन का लण्ड। तेरी बिटियों की बुर। इतने बड़े बड़े लण्ड तुमने अब तक कहाँ छुपाकर रखा था मादर चोदों। कभी अपने लण्ड अपनी बेटियों की बुर में पेला है तुमने ? दोनों ने एक साथ जबाब दिया पेला है और पेलता हूँ। हमारी बेटियां हमारे लण्ड से बहुत मोहब्बत करतीं हैं। हमारी बेटियां मजे से पीतीं हैं हमारे लण्ड। मैंने कहा तो फिर आज तुम्हारी बहू भी पियेगी तुम्हारे लण्ड माँ के लौंड़ों ? इतने खूबसूरत लण्ड मैं क्या मेरी माँ भी पियेगी तुम्हारे लण्ड। अब तुम काला लण्ड मेरी चूत में घुसा दो और चोदो। गोरा लण्ड मेरे मुंह में पेल दो।
मैं इस तरह बारी से उन दोनों से झमाझम चुदवाने लगी। पहली बार इन दोनों के लण्ड देखे थे तो जोश कुछ
मेरे चचिया ससुर का काला लण्ड
ज्यादा ही आ गया था। मेरी चूत भी मस्त हो गयी थी और तब मैं भी अपनी गांड उछाल उछाल कर चुदवाने लगी। हर धक्के का जबाब धक्के से देने लगी। मैं बोलने लगी और चोदो मुझे फाड़ डालो मेरी बुर ससुर जी। मेरी चूत का बना दो भोसड़ा ससुर जी। हाय रे बड़ा मज़ा आ रहा है। तू भोसड़ी का अपनी बहू की बुर चोदने में बड़ा माहिर है। अपनी बेटी किबूर भी इसी तरह चोदते हो न ? वह बोला हां चोदता हूँ। मैंने कहा हाय रे तू मादर चोद बड़ा हरामी आदमी है। सबकी बहू बेटियां चोदता है तू। तेरी बहन का भोसड़ा, तेरी बहू की चूत, बेटी की बुर साले कुत्ते की चोद रहा है तू मेरी बुर। मुझे सच में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं जितनी गालियां बक रही थी उसे उतना ही जोश आ रहा था। वह पागलों की तरह मुझे चोदने में जुटा था। कुछ देर बाद वह मुझे पीछे से चोदने लगा। हचक हचक के चोदने लगा। मैंने कहा एक बात सुन ले भोसड़ी के ससुर अगर तूने मेरी गांड में लण्ड पेला तो मैं तेरी गांड में ठोंक दूँगी लण्ड और चबा डालूंगी लण्ड। उसके बाद ममिया ससुर से चुदवाने लगी और इसका काला लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी। मुझे वाकई ज़न्नत का मज़ा आ रहा था।
मुझे लगा की आज मेरी सच्ची सुहागरात हो रही है।
उन दोनों लण्ड ने मिलकर मेरी चूत ढीली कर दी और मैंने भी उनके लण्ड का तेल निकाल लिया। दोनों लण्ड साले उगलने लगे अपना अपना वीर्य जिसे मैं मजे से पी गई। मैं मस्त हो गयी। थोड़ी देर तक आराम किया। मैं इस बात से खुश थी की मुझे ससुराल में लण्ड मेरे मन के मिल रहे हैं। मैं तो नंगी ही बैठी थी। रात को करीब 12 बजे मेरे सामने एक आदमी आया वह था मेरा असली ससुर। वह भी नंगा था। बोला बहू अब मेरा नंबर है। मेरा भी लण्ड चूमो और चाटो। उसका भी लण्ड साला गज़ब का मोटा था। मैंने कहा हां ससुर जी तेरा भी लण्ड चाटूँगी चूसूंगी और चोदूँगी भी। तब तक किसी ने अपना लण्ड मेरे कंधे पर रख दिया। मैंने कनखियों से देखा तो मुझे लगा की ये तो कोई जाना पहचाना लण्ड है। मैंने लण्ड हाथ बढ़ाकर पकड़ लिया और पकड़ते ही बोली हाय अब्बू जान तू यहाँ ? मैं तेरा लण्ड पहचान गई. वह बोला हां हसीना तू यहाँ मेरी बेटी नहीं बल्कि बहू है और मुझे बहू की बुर लेने का हक़ है हसीना। यही तो रिवाज़ है यहाँ का। मैंने कहा हां ठीक है तो मुझे भी अपने ससुर का लण्ड चोदने का हक़ है। समझे मेरे भोसड़ी के ससुर जी तेरी बहन का लण्ड। आज देखती हूँ की तेरा लण्ड मेरा क्या उखाड़ लेता है ? मैं बहू होकर तेरे लण्ड को अपनी चूत में डाल कर बैगन की तरह भून डालूंगी। तेरे लण्ड की बनाऊंगी चटनी।
मैं दोनों लण्ड अपने दोनों हाथ में लेकर सहलाने लगी और उन्हें बारी बारी से चूमने लगी। दोनों लाँड़ बिलकुल सांड़ की तरह एक दूसरे के सामने खड़े थे। मैं दोनों लण्ड का सुपाड़ा एक दूसरे स लड़ाने लगी। मुझे इस खेल में मज़ा आने लगा। फिर दोनों लण्ड अपनी दोनों चूँचियों पर रगड़ने लगी। मैं मस्त होती जा रही थी और वो दोनों लण्ड और तन कर मेरे सामने उत्पात मचा रहे थे। झांटें किसी भी लण्ड पर नहीं थीं। नंगे नंगे चिकने लण्ड बड़े हैंडसम लग रहे थे। मैंने अपने ससुर का लण्ड कुछ देर बाद अपनी बुर में घुसा लिया और कहा ले भोसड़ी के ससुर चोद ले मेरी मस्तानी चूत। लण्ड पूरा घुस गया तो मुझे ज़न्नत के मज़ा का एहसास हुआ। एक जवान औरत को चाहिए क्या बस चूत में लण्ड और क्या ? हमारे मुस्लिम समाज में लण्ड की कमी नहीं है। क्योंकि सबको सबकी बुर चोदने का हक़ है।
मैंने अब्बू जान का लण्ड मुंह में लिया क्योंकि वह लण्ड कई बार मेरी चूत में घुस चुका था । मैं अब्बू का लण्ड चूसते हुए अपने ससुर से धकाधक चुदवाने लगी। ससुर मादर चोद मुझे अपनी बीवी समझ कर भकाभक चोदने में जुट गया। मैंने पूंछा - ससुर जी तुम किसी और की भी बहू की बुर लेते हो की नहीं ? वह बोला - लेता हूँ बहू रानी। मैं अपने कुनबे की सबकी बहू चोदता हूँ और अपने दोस्तों की भी बहू चोदता हूँ। इसीलिए सब मेरी बहू यानी तुझे चोदने के लिए तैयार बैठे हैं। मुझे बहू बेटियां चोदने में ज्यादा मज़ा आता है। उसने चोदने की स्पीड बढ़ा दी और मैंने भी धक्के खाने की ताकत बढ़ा दी।
इतने में मेरी छोटी खाला सास आ गईं।
वह चुदाई देख कर बोली - हाय जीजू कितना चोदोगे तुम लोग मेरी बहू की बुर ? जब से आयी है तब से चुद ही
रही है बिचारी। क्या आज ही उसका पूरा मज़ा ले लोगे तुम लोग ? ससुर बोला - नहीं साली जी। ऐसा नहीं है। तेरी बहू जितना चुद रही है उतनी ही उसकी चुदाने की ताकत बढ़ रही है। बड़ी मक्खन मलाई है तेरी बहू की बुर तो फिर क्यों न चोदूँ ? मैं तो चोदूंगा और आगे भी चोदता रहूंगा। तब तक मेरे अब्बू ने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया था और मैं अपने ससुर का लण्ड मुंह में डाल कर चुदवा रही थी। उधर से मेरी नन्द बोली - हाय हसीना के अब्बू तुम तो अपनी ही बेटी की बुर चोदने में लगे हो। तुझे तो शर्म आनी चाहिए। अब्बू ने कहा - देखो मेरी बहू की नन्द रानी। मैं अपनी बेटी की नहीं अपनी बहू की बुर चोद रहा हूँ। यहाँ मैं बहू का ससुर हूँ बाप नहीं। और मेरी नज़र तेरी भी बुर पर लगी हुई है। यहाँ से बाहर निकलूंगा तो लण्ड तेरी बुर में घुसा दूंगा। मुझे लड़कियों की बुर बहुत अच्छी लगती है। लड़कियों की बुर में लण्ड पेलना मुझे अच्छी तरह आता है। फिर उन दोनों ने मिलकर मेरी चूत के छक्के छुड़ा दिया और मैंने भी उन दोनों लण्ड को खलास कर दिया। दोनों भोसड़ी के लण्ड मेरे ही मुंह में झड़ गये। उसके बाद मैं 2 / 3 घंटे के लिए नंगी नंगी ही सो गई। सो कर उठी तो लगभग सवेरा हो चुका था। मैंने दैनिक काम किया और फिर फ्रेश हो गई। मैं सुबह 6 बजे ही तैयार हो गई। तभी मेरे कमरे में तीन मस्त जवान लड़के आ गये। एक ने कहा भाभी जान मेरा भी लण्ड चूम लो। मैं जान गयी की ये मेरा देवर है। दूसरे के कहा - हाय फूफी जान मेरा भी लण्ड चूम लो। मैं समझ गयी की ये मेरे भाई जान का लड़का है। तीसरा लड़के मे कहा - आपा प्लीज मेरा भी लण्ड चूमो न। मैं जान नहीं पाई की ये कौन हैं। तो मेरी नन्द ने बताया - अरे हसीना भाभी जान ये तेरी जेठानी का बही जान हैं तो तेरा भी भाई जान हुआ। इसका भी लण्ड चूम लो भाभी जान बिचारा बड़ी दूर से आया है।
मैंने फिर तीनो लड़कों को नंगा किया। इनकी उम्र 20 और 22 के बीच थी मगर लण्ड बहन चोदों के बड़े जबरदस्त थे। मैं तीनो खड़े लण्ड देख कर मस्त हो गयी। मेरी चूत फिर से चुदाने के लिए कुलबुलाने लगी। मैंने पूंछा की कौन सबसे पहले मुझे चोदेगा ? तो मेरे भाई का लड़का बोला फूफी जान मैं सबसे पहले चोदूंगा। उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ना शुर किया और फिर थोड़ी देर बाद घुसा दिया अंदर। वह बोला बड़ी टाइट है तेरी चूत फूफी जान। ऐसी ही टाइट चूत मेरी खाला जान की बेटी की है मैं कल उसी की बुर चोद के आया हूँ। वह मुझे चोदने लगा और मैं उन दोनों के लण्ड बारी बारी से चूमने और चाटने लगी। उसके बाद मेरे भाई जान ने भी मुझे चोदा और मेरे देवर ने भी। मैं इन तीनो से बारी बारी से बड़ी देर तक चुदवाती रही। करीब डेढ़ घंटे तक इन तीनो ने मुझे चोदा। आगे से भी चोदा, पीछ से भी और अपने अपने लण्ड पर बैठा कर भी चोदा।
मुझे इन तीनो के लण्ड बहुत पसंद आये और मैं आगे भी इनसे चुदवाती रही।
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