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नौकरानी की मस्त चुदाई - काम धंधा करने वाली कामवाली को चोदा - Naukrani ki mast chudai
नौकरानी की मस्त चुदाई - काम धंधा करने वाली कामवाली को चोदा - Naukrani ki mast chudai , Antarvasna Sex Stories , Hindi Sex Story , Real Indian Chudai Kahani , choda chadi cudai cudi coda free of cost , Time pass Story.
सरिता कई वर्षों से घर में नौकरानी का काम करती थी। नीरजा और अमित पति पत्नी थे और उनकी कोई सन्तान नहीं थी। अमित का व्यवसाय अच्छा चल रहा था। नीरजा तो बस अपनी सहेलियों के साथ किटी पार्टी और दूसरे कामों में लगी रहती थी। उसका झुकाव अमित के एक व्यवसायी मित्र आनन्द और मन्जीत की तरफ़ भी था। उनकी और नीरजा की मित्रता के कारण वो अमित को अधिक समय नहीं दे पाती थी, रात्रि-मिलन भी कम ही हो पाता था।
अमित को उसके इन सम्बन्धों का पता था, ऐसे में कई महीनों से अमित का झुकाव घर की नौकरानी सरिता की तरफ़ हो चला था। उसका बदन तराशा हुआ था। वो दुबली पतली इकहरे बदन की थी, उसकी छातियाँ सुडौल और मांसल थी। बदन पर लुनाई थी। कसे बदन वाली सरिता से अमित कई बार प्रणय की कोशिश भी कर चुका था। पर सरिता सब समझ कर भी उनसे दूर रहती थी। उसे पता था कि नीरजा को पता चलेगा तो उसकी जमी हुई नौकरी हाथ से चली जायेगी। सरिता का दिल भी अमित को चाहने लगा था।
सरिता का पति एक बूढ़ा आदमी था जो लगभग 60वर्ष का था, बीमार रहता था। पैसों का लालच देकर उसने कम उम्र सरिता को ब्याह लिया था। पर उसके साथ शारिरिक सम्बन्ध ना के बराबर थे। नीरजा अक्सर उससे चुदाई की बातें पूछा करती थी।
सरिता निराशा से उसे बरसों पहले हुई अपने आदमी की चुदाई की बातें बताती थी, कि कैसे वो दारू पी कर उसके साथ चुदाई क्या बल्कि देह शोषण करता था। सरिता जब उससे अमित से चुदाई के बारे में पूछती तो वो नीरजा बहुत रंग में आकर उसे सेक्सी बातें बताया करती थी। सरिता तो जैसे उसकी बातें सुन कर सपनो में खो जाया करती थी। नीरजा उसके चेहरे के उतार-चढ़ाव को देखती थी, उसके भावों को समझती थी।
एक दिन सरिता को नीरजा ने बड़े प्यार से झटका दे दिया,”सरिता, अमित से चुदवायेगी ?”
सरिता की आँखें फ़टी की फ़टी रह गई। उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि नीरजा क्या कह रही है।
“जी, क्या कहा आपने ?”
“अमित तुझ पर मरता है, तुझे चोदना चाहता है !”
“दीदी, यह आप कह रही है, वो तो मुझे भी अच्छे लगते हैं, पर यह सब? तौबा !”
“अच्छा, मैं तुझे इस काम के लिये बहुत पैसे दूंगी, प्लीज सरिता मान जा !”
सरिता ने मुस्करा कर अपना सर झुका लिया। वो धीरे से नीरजा के पास जाकर नीचे बैठ गई और उसके पैर पकड़ लिये।
“मेरी किस्मत ऐसी कहाँ है, दीदी … आपकी मेहरबानी सर आँखो पर … मैं तो हमेशा के लिये आपकी दासी हो गई…”
नीरजा ने उसे उठा कर अपने गले से लगा लिया।
शाम को सरिता काम पर आई तो सरिता ने अपने हिसाब से अपना मेकअप किया हुआ था। पर नीरजा ने उसे फिर से अच्छा सा सजाया और उसे अमित के कमरे में काम करने के लिये भेज दिया। अमित ने उसे देखा तो वो देखता ही रह गया। सरिता इतनी खूबसूरत है यह तो उसने कभी सोचा भी नहीं था। नीरजा जानती थी कि अमित को क्या पसन्द है उसने उसे वैसा ही सजा दिया था।
“सरिता, तुम तो बहुत सुन्दर हो … जरा पास तो आओ !”
सरिता सकुचाती हुई उसके पास चली आई।
अमित उसे छू कर बोला,”ये तुम्हीं हो ना या कोई सपना !”
सरिता ने अपनी बड़ी बड़ी आँखें धीरे धीरे करके ऊपर उठाई और मुस्कराई।
“आपने तो हमें कभी ठीक से देखा तक नहीं, भला नौकरों की तरफ़ क्यूँ कोई देखेगा?”
अमित ने उसके मुख पर अपनी अंगुली रख दी। सरिता एक कदम और आगे बढ़ गई, उसे नीरजा की तरफ़ से छूट जो मिल गई थी। अमित ने उसको इतना समीप से कभी नहीं देखा था। उसकी शरीर की खुशबू अमित के नथुनो में समाती चली गई। अमित ने अन्जाने में सरिता का हाथ पकड़ लिया। सरिता पर जैसे हजारों बिजलियाँ कड़क उठी, शरीर थर्रा गया। अमित की गरम सांसें अपने चेहरे पर आती हुई प्रतीत हुई। उसने आँखें खोली तो देखा अमित के होंठ उस तक पहुँच रहे थे। सरिता घबरा सी गई, उसे लगा कि यह पाप है।
“ना, भैया, नहीं ! मैं गरीब मर जाऊंगी !” उसकी आवाज में घबराहट और कम्पन था।
“नहीं, आज ना मत कहो, कब तक मैं जलता रहूंगा?”
“गरीब पर दया करो, भैया जी।”
पर अमित ने उसे दबोच लिया और उसके पतले पंखुड़ियों जैसे होंठों को अपने होंठों से लगा लिया। अमित के हाथ उसकी पीठ को यहाँ-वहाँ दबाने लगे थे। सरिता होश खोती जा रही थी। उसके सपनों का साथी उसे मिल गया था।
तभी ताली की आवाज आई,”बहुत खूब ! तो यह सब हो रहा है? तो अमित, तुमने सरिता को पटा ही लिया?” नीरजा सभी कुछ देख रही थी, बस उसे उसे अच्छा मौका चाहिये था, कमरे में प्रवेश करने के लिये।
“नहीं, नीरजा वो तो यूँ ही मैं…”
“… किस कर रहा था, किये जाओ, रुक क्यों गये ?”
“अरे तुम तो बुरा मान गई, सरिता, जाओ यहाँ से… चलो !”
“अरे नहीं, अमित मुझे बुरा नहीं लगा, हां पर सरिता को जरूर लगेगा। लगे रहो, मैं खुश हूँ कि तुमने सरिता को पटा लिया … चलो शुरू हो जाओ !”
नीरजा वापस अपने कमरे में लौट गई। जाते जाते उसने कमरे का दरवाजा बन्द कर दिया। सरिता ने अमित को फिर से अपने से चिपका लिया और दोनों प्यार करने लगे।
अमित ने सरिता का स्तन अपने हाथों में लेकर उसे सहलाना आरम्भ कर दिया। सरिता की चूचियाँ सख्त होने लगी। चुचूक कड़े हो कर और भी सीधे हो गये। सरिता के दिल पर उन दोनों के इस नाटक का कोई असर नहीं हुआ था, वो तो चुदने को बेताब थी। अमित ने सरिता का ब्लाऊज सामने से खोल दिया था और उसके नंगे उरोजों को दबा रहा था। सरिता से भी नहीं रहा गया तो उसने उसका कड़क लण्ड पकड़ लिया, उसकी पैन्ट खोल कर खींच कर बाहर निकाल लिया और उसे धीरे धीरे मलने लगी। दोनों के मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी थी।
तभी नीरजा बिल्कुल नंगी हो कर कमरे में आ गई। उसने आते ही अमित को आंख मारी जो सरिता ने भी देख लिया था। उसने पीछे से आकर सरिता का ब्लाऊज उतार दिया और उसकी साड़ी भी उतार दी।
“कहो सरिता, पेटीकोट भी उतार दूँ या इसे ऊँचा करके काम चलाओगी?” नीरजा हंसीयुक्त आवाज ने सरिता को शर्म से पानी पानी कर दिया। नीरजा ने जल्दी से उसका नाड़ा खोला और पेटीकोट नीचे सरका दिया। सरिता का दमकता रूप देख कर वो स्वयं भी हैरान रह गई। कीचड़ में कमल का फ़ूल ! सरिता का एक एक अंग तराशा हुआ था, गजब के कट्स थे। उसकी गहराईयाँ और उभार बहुत पुष्ट और सुघड़ थे। नीरजा ने सोचा कि तभी अमित इस पर मरता था, मरना ही चाहिये था ! उसे खुद का जिस्म देख कर शर्म सी आने लगी थी, साधारण सा उभार, कोई विशेष बात नहीं, फिर भी अमित उसे बहुत प्यार करता था, बहुत इज्जत देता था।
नीरजा अमित के पास गई और उसकी पैंट और चड्डी उतारने लगी। फिर उसकी बनियान भी उतार दी। नीरजा ने उन दोनों देखा, लगा कि जैसे ये दोनों एक दूसरे के लिये ही बने हैं। किस्मत का खेल देखो, सरिता को मिला बुढ्ढा और मुझे मिला एक सजीला खूबसूरत जवान, जिसकी उस स्वयं ने कभी कदर नहीं की।
नीरजा बड़े प्यार से दोनों को धीरे धीरे सेज पर ले गई।
” सरिता, कहो, पहले आगे या पिछाड़ी, ये गाण्ड बहुत प्यारी मारते हैं।”
वो शर्म से सिमटने लगी। उसका चेहरा लाल हो चुका था।
“दीदी, कैसी बातें करती हो, मैं तो आपकी दासी हूँ … ये तो जैसी आपकी इच्छा…”
“अच्छा अमित तुम बताओ, क्या मारोगे, सरिता की चूत या गाण्ड ?”
“मेरी प्यारी सरिता की गोल गोल गाण्ड बड़ी मोहक है, नीरजा चलो वहीं से आरम्भ करते हैं।”
“तो सरिता जी, हो जाओ तैयार, और कर दो अपनी मेहरबानी अमित पर, उठ जाओ और बन जाओ घोड़ी !”
सरिता उठ कर पलट कर अपनी गाण्ड ऊंची कर ली और घोड़ी सी बन गई। उसके खूबसूरत गोरे गोरे चूतड़ो का जोड़ा चमक रहा था, उसमें से उसकी प्यारी गाण्ड का फ़ूल खिलता हुआ नजर आ रहा था। भूरा और गुलाबी रंग का द्वार … अमित से रहा नहीं गया। वो झुक गया गया। उसकी लम्बी सी जीभ लपलपा कर उसकी गाण्ड चाटने लगी। जीभ को मोड़ कर उसने गाण्ड के भीतर भी घुसाने की कोशिश की। उसका यह कृत्य सरिता को बहुत आनन्दित कर रहा था।
नीरजा भी अपने हाथों से सरिता के चूतड़ों को पकड़ कर खींच कर और खोल रही थी। सरिता की चूत रस से भर गई थी और उसका गीलापन बाहर निकल रहा था। उसकी चूत का जायका भी उसकी जीभ ने मधुरता से ले ही लिया। सड़ाक सड़ाक करके उसका रस अमित के मुख में प्रवेश कर गया। सरिता ने वासना से भर कर नीरजा की जांघ को अपने दांतों से काट लिया।
“अब हो जाये … एक भरपूर वार !” नीरजा ने अमित को इशारा किया और अपनी कोल्ड क्रीम की शीशी खोल कर सरिता के गाण्ड के भीतर और बाहर चुपड़ दी। थोड़ी सी अमित के लौड़े पर भी लगा दी। अमित तो बहुत उतवला होने लगा था। वो अपना लण्ड सरिता की गाण्ड पर लगा कर दबाने लगा। क्रीम का असर था, लण्ड फ़क से भीतर चला गया। सरिता चिहुंक उठी। फिर एक हल्का झटका, लण्ड एक चौथाई अन्दर घुस गया। उसे दर्द हुआ, उसका जबड़ा दर्द से भिंच गया। दूसरे झटके में लण्ड आधा अन्दर पहुँच गया था। उसके चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आई थी। एक हल्की सी कराह निकल पड़ी थी। नीरजा का इशारा पा कर अमित ने भी अब रहम करना छोड़ दिया और आखिरी शॉट जोर से मार दिया। लण्ड पूरा घुस चुका था। सरिता के मुख से एक चीख निकल पड़ी।
“बहुत दर्द होता है, दीदी, कहो ना धीरे से चोदें !”
पर अमित कहाँ सुनने वाला था। उसने उसे तीव्र गति से चोदना आरम्भ कर दिया था, वो कराहती जा रही थी। नीरजा उसके स्तनों को मसल मसल कर उसे मस्त करना चाह रही थी, पर शायद दर्द अधिक हो रहा था। कुछ देर यूँ ही गाण्ड चोदने के बाद उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
नीरजा समझ गई थी कि अब उसे चूत की चाह है। नीरजा ने सरिता की चूत पर हाथ फ़ेरा और उसकी चूत खोल दी। रस से लबरेज चूत लप-लप कर रही थी। लण्ड के गाण्ड से निकलते ही सरिता ने राहत की सांस ली। तभी नीरजा ने उसकी चूत खोली तो वो मस्त होने लगी। उसे लगा कि अब मुझे एक प्यारा सा लण्ड मिलने वाला है। वो वर्षों से नहीं चुदी थी, वो गाण्ड का दर्द भूल कर आसक्ति से अमित को देखने लगी,”भैया, अन्दर डालो ना … मुझे मस्त कर दो… हाय !”
नीरजा ने अमित का लौड़ा पकड़ कर उसकी योनि में प्रवेश करा दिया। लण्ड के घुसते ही उसके मुख से सुख भरी आह निकल गई। उसने नीरजा का इशारा पा कर धीरे धीरे लण्ड से चूत में घर्षण आरम्भ कर दिया। पर एक स्थान पर जाकर वो रुक गया, उसने देखा कि लण्ड तो आधा ही अन्दर घुसा है, उसने जोर मार कर धक्का दिया।
सरिता चीख उठी,”धीरे से … यहाँ भी दर्द हो रहा है … भैया प्लीज !”
पर अमित ने फिर से एक धक्का और दिया। वो फिर से चीख उठी। तभी अमित ने अगला करारा शॉट जोर से मारा। सरिता दर्द से बिलख उठी।
“भैया, क्या फ़ाड़ ही डालोगे !”
“नहीं री मेरी सरिता, देखो गाण्ड में भी दर्द हुआ था ना, क्या हुआ … बस दर्द ही ना … फिर तो रोज चुदवाओगी तो मजा आने लगेगा।”
“सच भैया, मुझे रोज चोदोगे…” सरिता खुश हो गई।
अब अमित जम के चुदाई करने लगा। कुछ ही देर में सरिता भी मस्त होने लगी। उसे बहुत ही आनन्द आने लगा। वो भी सीत्कार के रूप में अपना आनन्द दर्शा रही थी। वो अपनी गाण्ड और भी पीछे की ओर उभार कर चुदवाने लगी थी। नीरजा मुस्कराती हुई उसके स्तन मसल रही थी। फिर नीरजा अमित के पीछे चली आई। अमित सरिता का स्तन मर्दन करने लगा था। तभी अमित की गाण्ड में नीरजा ने चिकनाई लगाकर अपनी एक अंगुली घुसेड़ दी। उसे पता था कि ऐसे करने से अमित बहुत उत्तेजित हो जाता था। अमित की लटकती गोलियाँ नीरजा दूसरे हाथ से पकड़ कर खींच रही थी और सहला रही थी। अंगुली तेजी से गाण्ड के अन्दर-बाहर आ-जा रही थी। अमित जबरदस्त उत्तेजना का शिकार होने लगा। तभी सरिता ने एक खुशी की किलकारी भरी और झड़ने लगी। उसके झड़ने के बाद नीरजा ने अमित का कड़क लण्ड बाहर खींच लिया। सरिता निढाल हो कर बिस्तर पर चित लेट गई।
नीरजा ने अमित का लण्ड अपने मुठ में भर लिया। गाण्ड में अंगुली से चोदते हुये उसने अमित का मुठ मारना आरम्भ कर दिया। अमित आनन्द के मारे तड़प उठा और उसकी एक वीर्य की मोटी धार लण्ड मे से पिचकारी जैसी निकल पड़ी। वीर्य सरिता के अंगो में गिर कर उसे गीला करता रहा। अमित ईह्ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़ करके झड़ता रहा। नीरजा ने अमित को अपने वक्ष से लगा लिया और प्यार करने लगी।
“अमित मजा आया ना?”
“पूछने की बात है कोई, ये तो कमाल की चीज़ है यार !”
“अब तो मुझे आनन्द से चुदाई के लिये मना तो नहीं करोगे ना ?” नीरजा ने अपना मतलब निकाला।
“अरे आनन्द क्या, वो मंजीत सरदार के लिये भी कुछ ना कहूँगा।”
नीरजा ने उसे अमित को बहुत प्यार किया फिर सरिता से लिपट कर बोली,”आज से तुम मेरी नौकरानी नहीं, सौत नहीं, मेरी बहन हो। तुम चाहो तो मैं तुम्हें आनन्द और मन्जीत से भी चुदवा दूंगी।” नीरजा भाव में बह कर बोलने लगी।
“दीदी, आप जिससे कहेंगी, मैं मजा ले लूंगी, देखो भूलना नहीं, वो आनन्द और मन्जीत वाली बात।” तीनों एक दूसरे से लिपट कर प्यार करने लगे।
सरिता कई वर्षों से घर में नौकरानी का काम करती थी। नीरजा और अमित पति पत्नी थे और उनकी कोई सन्तान नहीं थी। अमित का व्यवसाय अच्छा चल रहा था। नीरजा तो बस अपनी सहेलियों के साथ किटी पार्टी और दूसरे कामों में लगी रहती थी। उसका झुकाव अमित के एक व्यवसायी मित्र आनन्द और मन्जीत की तरफ़ भी था। उनकी और नीरजा की मित्रता के कारण वो अमित को अधिक समय नहीं दे पाती थी, रात्रि-मिलन भी कम ही हो पाता था।
अमित को उसके इन सम्बन्धों का पता था, ऐसे में कई महीनों से अमित का झुकाव घर की नौकरानी सरिता की तरफ़ हो चला था। उसका बदन तराशा हुआ था। वो दुबली पतली इकहरे बदन की थी, उसकी छातियाँ सुडौल और मांसल थी। बदन पर लुनाई थी। कसे बदन वाली सरिता से अमित कई बार प्रणय की कोशिश भी कर चुका था। पर सरिता सब समझ कर भी उनसे दूर रहती थी। उसे पता था कि नीरजा को पता चलेगा तो उसकी जमी हुई नौकरी हाथ से चली जायेगी। सरिता का दिल भी अमित को चाहने लगा था।
सरिता का पति एक बूढ़ा आदमी था जो लगभग 60वर्ष का था, बीमार रहता था। पैसों का लालच देकर उसने कम उम्र सरिता को ब्याह लिया था। पर उसके साथ शारिरिक सम्बन्ध ना के बराबर थे। नीरजा अक्सर उससे चुदाई की बातें पूछा करती थी।
सरिता निराशा से उसे बरसों पहले हुई अपने आदमी की चुदाई की बातें बताती थी, कि कैसे वो दारू पी कर उसके साथ चुदाई क्या बल्कि देह शोषण करता था। सरिता जब उससे अमित से चुदाई के बारे में पूछती तो वो नीरजा बहुत रंग में आकर उसे सेक्सी बातें बताया करती थी। सरिता तो जैसे उसकी बातें सुन कर सपनो में खो जाया करती थी। नीरजा उसके चेहरे के उतार-चढ़ाव को देखती थी, उसके भावों को समझती थी।
एक दिन सरिता को नीरजा ने बड़े प्यार से झटका दे दिया,”सरिता, अमित से चुदवायेगी ?”
सरिता की आँखें फ़टी की फ़टी रह गई। उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि नीरजा क्या कह रही है।
“जी, क्या कहा आपने ?”
“अमित तुझ पर मरता है, तुझे चोदना चाहता है !”
“दीदी, यह आप कह रही है, वो तो मुझे भी अच्छे लगते हैं, पर यह सब? तौबा !”
“अच्छा, मैं तुझे इस काम के लिये बहुत पैसे दूंगी, प्लीज सरिता मान जा !”
सरिता ने मुस्करा कर अपना सर झुका लिया। वो धीरे से नीरजा के पास जाकर नीचे बैठ गई और उसके पैर पकड़ लिये।
“मेरी किस्मत ऐसी कहाँ है, दीदी … आपकी मेहरबानी सर आँखो पर … मैं तो हमेशा के लिये आपकी दासी हो गई…”
नीरजा ने उसे उठा कर अपने गले से लगा लिया।
शाम को सरिता काम पर आई तो सरिता ने अपने हिसाब से अपना मेकअप किया हुआ था। पर नीरजा ने उसे फिर से अच्छा सा सजाया और उसे अमित के कमरे में काम करने के लिये भेज दिया। अमित ने उसे देखा तो वो देखता ही रह गया। सरिता इतनी खूबसूरत है यह तो उसने कभी सोचा भी नहीं था। नीरजा जानती थी कि अमित को क्या पसन्द है उसने उसे वैसा ही सजा दिया था।
“सरिता, तुम तो बहुत सुन्दर हो … जरा पास तो आओ !”
सरिता सकुचाती हुई उसके पास चली आई।
अमित उसे छू कर बोला,”ये तुम्हीं हो ना या कोई सपना !”
सरिता ने अपनी बड़ी बड़ी आँखें धीरे धीरे करके ऊपर उठाई और मुस्कराई।
“आपने तो हमें कभी ठीक से देखा तक नहीं, भला नौकरों की तरफ़ क्यूँ कोई देखेगा?”
अमित ने उसके मुख पर अपनी अंगुली रख दी। सरिता एक कदम और आगे बढ़ गई, उसे नीरजा की तरफ़ से छूट जो मिल गई थी। अमित ने उसको इतना समीप से कभी नहीं देखा था। उसकी शरीर की खुशबू अमित के नथुनो में समाती चली गई। अमित ने अन्जाने में सरिता का हाथ पकड़ लिया। सरिता पर जैसे हजारों बिजलियाँ कड़क उठी, शरीर थर्रा गया। अमित की गरम सांसें अपने चेहरे पर आती हुई प्रतीत हुई। उसने आँखें खोली तो देखा अमित के होंठ उस तक पहुँच रहे थे। सरिता घबरा सी गई, उसे लगा कि यह पाप है।
“ना, भैया, नहीं ! मैं गरीब मर जाऊंगी !” उसकी आवाज में घबराहट और कम्पन था।
“नहीं, आज ना मत कहो, कब तक मैं जलता रहूंगा?”
“गरीब पर दया करो, भैया जी।”
पर अमित ने उसे दबोच लिया और उसके पतले पंखुड़ियों जैसे होंठों को अपने होंठों से लगा लिया। अमित के हाथ उसकी पीठ को यहाँ-वहाँ दबाने लगे थे। सरिता होश खोती जा रही थी। उसके सपनों का साथी उसे मिल गया था।
तभी ताली की आवाज आई,”बहुत खूब ! तो यह सब हो रहा है? तो अमित, तुमने सरिता को पटा ही लिया?” नीरजा सभी कुछ देख रही थी, बस उसे उसे अच्छा मौका चाहिये था, कमरे में प्रवेश करने के लिये।
“नहीं, नीरजा वो तो यूँ ही मैं…”
“… किस कर रहा था, किये जाओ, रुक क्यों गये ?”
“अरे तुम तो बुरा मान गई, सरिता, जाओ यहाँ से… चलो !”
“अरे नहीं, अमित मुझे बुरा नहीं लगा, हां पर सरिता को जरूर लगेगा। लगे रहो, मैं खुश हूँ कि तुमने सरिता को पटा लिया … चलो शुरू हो जाओ !”
नीरजा वापस अपने कमरे में लौट गई। जाते जाते उसने कमरे का दरवाजा बन्द कर दिया। सरिता ने अमित को फिर से अपने से चिपका लिया और दोनों प्यार करने लगे।
अमित ने सरिता का स्तन अपने हाथों में लेकर उसे सहलाना आरम्भ कर दिया। सरिता की चूचियाँ सख्त होने लगी। चुचूक कड़े हो कर और भी सीधे हो गये। सरिता के दिल पर उन दोनों के इस नाटक का कोई असर नहीं हुआ था, वो तो चुदने को बेताब थी। अमित ने सरिता का ब्लाऊज सामने से खोल दिया था और उसके नंगे उरोजों को दबा रहा था। सरिता से भी नहीं रहा गया तो उसने उसका कड़क लण्ड पकड़ लिया, उसकी पैन्ट खोल कर खींच कर बाहर निकाल लिया और उसे धीरे धीरे मलने लगी। दोनों के मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी थी।
तभी नीरजा बिल्कुल नंगी हो कर कमरे में आ गई। उसने आते ही अमित को आंख मारी जो सरिता ने भी देख लिया था। उसने पीछे से आकर सरिता का ब्लाऊज उतार दिया और उसकी साड़ी भी उतार दी।
“कहो सरिता, पेटीकोट भी उतार दूँ या इसे ऊँचा करके काम चलाओगी?” नीरजा हंसीयुक्त आवाज ने सरिता को शर्म से पानी पानी कर दिया। नीरजा ने जल्दी से उसका नाड़ा खोला और पेटीकोट नीचे सरका दिया। सरिता का दमकता रूप देख कर वो स्वयं भी हैरान रह गई। कीचड़ में कमल का फ़ूल ! सरिता का एक एक अंग तराशा हुआ था, गजब के कट्स थे। उसकी गहराईयाँ और उभार बहुत पुष्ट और सुघड़ थे। नीरजा ने सोचा कि तभी अमित इस पर मरता था, मरना ही चाहिये था ! उसे खुद का जिस्म देख कर शर्म सी आने लगी थी, साधारण सा उभार, कोई विशेष बात नहीं, फिर भी अमित उसे बहुत प्यार करता था, बहुत इज्जत देता था।
नीरजा अमित के पास गई और उसकी पैंट और चड्डी उतारने लगी। फिर उसकी बनियान भी उतार दी। नीरजा ने उन दोनों देखा, लगा कि जैसे ये दोनों एक दूसरे के लिये ही बने हैं। किस्मत का खेल देखो, सरिता को मिला बुढ्ढा और मुझे मिला एक सजीला खूबसूरत जवान, जिसकी उस स्वयं ने कभी कदर नहीं की।
नीरजा बड़े प्यार से दोनों को धीरे धीरे सेज पर ले गई।
” सरिता, कहो, पहले आगे या पिछाड़ी, ये गाण्ड बहुत प्यारी मारते हैं।”
वो शर्म से सिमटने लगी। उसका चेहरा लाल हो चुका था।
“दीदी, कैसी बातें करती हो, मैं तो आपकी दासी हूँ … ये तो जैसी आपकी इच्छा…”
“अच्छा अमित तुम बताओ, क्या मारोगे, सरिता की चूत या गाण्ड ?”
“मेरी प्यारी सरिता की गोल गोल गाण्ड बड़ी मोहक है, नीरजा चलो वहीं से आरम्भ करते हैं।”
“तो सरिता जी, हो जाओ तैयार, और कर दो अपनी मेहरबानी अमित पर, उठ जाओ और बन जाओ घोड़ी !”
सरिता उठ कर पलट कर अपनी गाण्ड ऊंची कर ली और घोड़ी सी बन गई। उसके खूबसूरत गोरे गोरे चूतड़ो का जोड़ा चमक रहा था, उसमें से उसकी प्यारी गाण्ड का फ़ूल खिलता हुआ नजर आ रहा था। भूरा और गुलाबी रंग का द्वार … अमित से रहा नहीं गया। वो झुक गया गया। उसकी लम्बी सी जीभ लपलपा कर उसकी गाण्ड चाटने लगी। जीभ को मोड़ कर उसने गाण्ड के भीतर भी घुसाने की कोशिश की। उसका यह कृत्य सरिता को बहुत आनन्दित कर रहा था।
नीरजा भी अपने हाथों से सरिता के चूतड़ों को पकड़ कर खींच कर और खोल रही थी। सरिता की चूत रस से भर गई थी और उसका गीलापन बाहर निकल रहा था। उसकी चूत का जायका भी उसकी जीभ ने मधुरता से ले ही लिया। सड़ाक सड़ाक करके उसका रस अमित के मुख में प्रवेश कर गया। सरिता ने वासना से भर कर नीरजा की जांघ को अपने दांतों से काट लिया।
“अब हो जाये … एक भरपूर वार !” नीरजा ने अमित को इशारा किया और अपनी कोल्ड क्रीम की शीशी खोल कर सरिता के गाण्ड के भीतर और बाहर चुपड़ दी। थोड़ी सी अमित के लौड़े पर भी लगा दी। अमित तो बहुत उतवला होने लगा था। वो अपना लण्ड सरिता की गाण्ड पर लगा कर दबाने लगा। क्रीम का असर था, लण्ड फ़क से भीतर चला गया। सरिता चिहुंक उठी। फिर एक हल्का झटका, लण्ड एक चौथाई अन्दर घुस गया। उसे दर्द हुआ, उसका जबड़ा दर्द से भिंच गया। दूसरे झटके में लण्ड आधा अन्दर पहुँच गया था। उसके चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आई थी। एक हल्की सी कराह निकल पड़ी थी। नीरजा का इशारा पा कर अमित ने भी अब रहम करना छोड़ दिया और आखिरी शॉट जोर से मार दिया। लण्ड पूरा घुस चुका था। सरिता के मुख से एक चीख निकल पड़ी।
“बहुत दर्द होता है, दीदी, कहो ना धीरे से चोदें !”
पर अमित कहाँ सुनने वाला था। उसने उसे तीव्र गति से चोदना आरम्भ कर दिया था, वो कराहती जा रही थी। नीरजा उसके स्तनों को मसल मसल कर उसे मस्त करना चाह रही थी, पर शायद दर्द अधिक हो रहा था। कुछ देर यूँ ही गाण्ड चोदने के बाद उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
नीरजा समझ गई थी कि अब उसे चूत की चाह है। नीरजा ने सरिता की चूत पर हाथ फ़ेरा और उसकी चूत खोल दी। रस से लबरेज चूत लप-लप कर रही थी। लण्ड के गाण्ड से निकलते ही सरिता ने राहत की सांस ली। तभी नीरजा ने उसकी चूत खोली तो वो मस्त होने लगी। उसे लगा कि अब मुझे एक प्यारा सा लण्ड मिलने वाला है। वो वर्षों से नहीं चुदी थी, वो गाण्ड का दर्द भूल कर आसक्ति से अमित को देखने लगी,”भैया, अन्दर डालो ना … मुझे मस्त कर दो… हाय !”
नीरजा ने अमित का लौड़ा पकड़ कर उसकी योनि में प्रवेश करा दिया। लण्ड के घुसते ही उसके मुख से सुख भरी आह निकल गई। उसने नीरजा का इशारा पा कर धीरे धीरे लण्ड से चूत में घर्षण आरम्भ कर दिया। पर एक स्थान पर जाकर वो रुक गया, उसने देखा कि लण्ड तो आधा ही अन्दर घुसा है, उसने जोर मार कर धक्का दिया।
सरिता चीख उठी,”धीरे से … यहाँ भी दर्द हो रहा है … भैया प्लीज !”
पर अमित ने फिर से एक धक्का और दिया। वो फिर से चीख उठी। तभी अमित ने अगला करारा शॉट जोर से मारा। सरिता दर्द से बिलख उठी।
“भैया, क्या फ़ाड़ ही डालोगे !”
“नहीं री मेरी सरिता, देखो गाण्ड में भी दर्द हुआ था ना, क्या हुआ … बस दर्द ही ना … फिर तो रोज चुदवाओगी तो मजा आने लगेगा।”
“सच भैया, मुझे रोज चोदोगे…” सरिता खुश हो गई।
अब अमित जम के चुदाई करने लगा। कुछ ही देर में सरिता भी मस्त होने लगी। उसे बहुत ही आनन्द आने लगा। वो भी सीत्कार के रूप में अपना आनन्द दर्शा रही थी। वो अपनी गाण्ड और भी पीछे की ओर उभार कर चुदवाने लगी थी। नीरजा मुस्कराती हुई उसके स्तन मसल रही थी। फिर नीरजा अमित के पीछे चली आई। अमित सरिता का स्तन मर्दन करने लगा था। तभी अमित की गाण्ड में नीरजा ने चिकनाई लगाकर अपनी एक अंगुली घुसेड़ दी। उसे पता था कि ऐसे करने से अमित बहुत उत्तेजित हो जाता था। अमित की लटकती गोलियाँ नीरजा दूसरे हाथ से पकड़ कर खींच रही थी और सहला रही थी। अंगुली तेजी से गाण्ड के अन्दर-बाहर आ-जा रही थी। अमित जबरदस्त उत्तेजना का शिकार होने लगा। तभी सरिता ने एक खुशी की किलकारी भरी और झड़ने लगी। उसके झड़ने के बाद नीरजा ने अमित का कड़क लण्ड बाहर खींच लिया। सरिता निढाल हो कर बिस्तर पर चित लेट गई।
नीरजा ने अमित का लण्ड अपने मुठ में भर लिया। गाण्ड में अंगुली से चोदते हुये उसने अमित का मुठ मारना आरम्भ कर दिया। अमित आनन्द के मारे तड़प उठा और उसकी एक वीर्य की मोटी धार लण्ड मे से पिचकारी जैसी निकल पड़ी। वीर्य सरिता के अंगो में गिर कर उसे गीला करता रहा। अमित ईह्ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़ करके झड़ता रहा। नीरजा ने अमित को अपने वक्ष से लगा लिया और प्यार करने लगी।
“अमित मजा आया ना?”
“पूछने की बात है कोई, ये तो कमाल की चीज़ है यार !”
“अब तो मुझे आनन्द से चुदाई के लिये मना तो नहीं करोगे ना ?” नीरजा ने अपना मतलब निकाला।
“अरे आनन्द क्या, वो मंजीत सरदार के लिये भी कुछ ना कहूँगा।”
नीरजा ने उसे अमित को बहुत प्यार किया फिर सरिता से लिपट कर बोली,”आज से तुम मेरी नौकरानी नहीं, सौत नहीं, मेरी बहन हो। तुम चाहो तो मैं तुम्हें आनन्द और मन्जीत से भी चुदवा दूंगी।” नीरजा भाव में बह कर बोलने लगी।
“दीदी, आप जिससे कहेंगी, मैं मजा ले लूंगी, देखो भूलना नहीं, वो आनन्द और मन्जीत वाली बात।” तीनों एक दूसरे से लिपट कर प्यार करने लगे।
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